Wednesday 10 February 2016

जब वसुंधरा राजे के बेटे की कंपनी का 100 रुपए वाला शेयर 96 हजार रुपए में बिक सकता है तो आनंदी बेन पटेल के बेटे की कंपनी का 7 रुपए वाला शेयर 45 रुपए में क्यों नहीं बिक सकता।



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इन दिनों मीडिया में गुजरात की सीएम आनंदी बेन पटेल के पुत्र की कंपनी के शेयर को लेकर चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि 22 मई 2014 को जब आनंदी बेन सीएम बनी थीं, तब बेटे की कंपनी के शेयार की कीमत मात्र 7 रुपए थी, लेकिन आज इस कंपनी के शेयर की कीमत 45 रुपए की है। निवेशक इस मरी हुई कंपनी के शेयर इसलिए खरीद रहे हैं क्योंकि कंपनी के मालिक की मां गुजरात की सीएम हैं। इस खबर को गुजरात में कुछ ज्यादा ही चटकारे लेकर प्रसारित किया जा रहा है। आनंदी बेन ने तो अपने बेटे की कंपनी का शेयर 7 रुपए से बढ़ावाकर 45 रुपए ही करवाया है, लेकिन राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने तो अपने बेटे दुष्यंत सिंह की मरी हुई कंपनी के 100 रुपए वाले शेयर को 96 हजार रुपए में बिकवा दिया। आनंदी बेन को वसुंधरा राजे से सीखना चाहिए कि बेटे की कंपनी के शेयरों को कैसे बेचा जाता है। आनंदी बेन के बेटे के शेयरों की तो मात्र खबरें ही है। लेकिन वसुंधरा राजे ने तो खुद स्वीकार किया है कि बेटे की कंपनी का 100 रुपए वाला शेयर 96 हजार रुपए में बेचा है। राजस्थान के जागरुक पाठको को याद होगा कि गत वर्ष जब वसुंधरा राजे पर क्रिकेट के भस्मासुर ललित मोदी से 11 करोड़ 96 लाख रुपए लेने के आरोप लगे तो वसुंधरा राजे ने प्रवक्ता और राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष अशोक परनामी ने बकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही परनामी ने बताया कि ललित मोदी से वसुंधरा राजे ने कोई राशि नहीं ली, बल्कि वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह की कंपनी को ललित मोदी ने 11 करोड़ 96 लाख रुपए दिए हैं। इतनी बड़ी रकम की एवज में ललित मोदी ने दुष्यंत सिंह की कंपनी के शेयर खरीदें हैं। जिस समय ललित मोदी ने दुष्यंत की कंपनी का एक शेयर 96 हजार रुपए में खरीदा, उस समय कंपनी के शेयर की कीमत मुश्किल से 100 रुपए थी। यह बात अलग है कि दुष्यंत की कंपनी का शेयर 100 रुपए में भी खरीदने वाला कोई नहीं था। 
जो लोग शेयर मार्केट में रुचि रखते हैं, उनको पता है कि जब कोई कंपनी लॉन्च होती है, तो उसके शेयर की न्यूनतम कीमत मात्र 10 रुपए होती है। बाद में कंपनी के कारोबार को देखते हुए शेयर की कीमत घटती बढ़ती रहती है। आनंदी बेन के बेटे की कंपनी तो थोड़ा बहुत कारोबार कर भी रही है, लेकिन वसुंधरा राजे के बेटे की कंपनी का तो कोई कारोबार ही नहीं था। समझ में नहीं आता कि दुष्यंत सिंह की कंपनी किन होटलों को विकसित कर रही थी। धौलपुर राजघराने की जिस होटल को विकसित करने की बात सामने आ रही है उससे भी वसुंधरा राजे पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि सरकार के पास चले जाने के बाद भी धौलपुर राजघराने की सम्पत्ति को अपना बना लिया गया। जब 100 रुपए का शेयर 96 हजार रुपए में बेचने वाली सीएम वसुंधरा राजे का ही कुछ नहीं हुआ तो 7 रुपए वाले शेयर को 45 रुपए में बिकवाने वाली सीएम आनंदी बेन पटेल का क्या होगा? भाजपा के नेता कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनियों के घोटालों की तो बत करते हैं, लेकिन अपनी महिला मुख्यमंत्रियों की कंपनियों के घोटालों  को दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। इसे देश की राजनीतिक का चरित्र ही कहा जाएगा कि मतदाताओं को राजनीति करने वाले एक ही थाली के चट्टे बट्टे नजर आते हैं। क्या देश मे ंऐसे व्यक्ति मुख्यमंत्री नहीं बन सकते है, जिनके बेटे कंपनियों के घोटालों में ने उलझे हों। आनंदी बेन को इस बात जवाब देना चाहिए कि जब पिछले एक-डेढ़ वर्ष में बड़ी-बड़ी कंपनियों के शेयर की कीमत घटी है, तब उनके बेटे की कंपनी के शेयर की कीमत कैसे बढ़ गई? अलबत्ता वसुंधरा राजे भी अब खुश होंगी कि अब आनंदी बेन को लेकर भी आरोप लगने लगे हैँ। 
(एस.पी. मित्तल)  (10-02-2016)
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