Friday 19 February 2016

तो 6 हजार पात्र अभ्यर्थियों को क्यों वंचित किया जा रहा था आरएएस की मुख्य परीक्षा से।



आखिर कैसे भरोसा कायम होगा आरपीएससी पर।
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सवाल यह नहीं है कि राजस्थान लोक सेवा आयोग ने अपने संशोधित परिणाम में 18 फरवरी को 6 हजार 229 और अभ्यर्थियों को आरएएस 2013 की मुख्य परीक्षा के लिए पात्र घोषित कर दिया है। अहम सवाल यह है कि आखिर पहले इन 6 हजार 229 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा से वंचित क्यों किया गया? यदि हाई कोर्ट का डंडा नहीं पड़ता तो यह 6 हजार229 अभ्यर्थी वंचित ही रहते। क्या आयोग ऐसे अभ्यर्थियों के साथ अन्याय नहीं कर रहा था? आयोग की हिमाकत तो देखिए  कि स्वयं के नजरिये से आरएएस प्री का परिणाम घोषित कर मुख्य परीक्षा की तिथि भी घोषित कर दी। यदि हाईकोर्ट का डंडा नहीं पड़ता तो मुख्य परीक्षा 25 फरवरी से शुरू कर दी जाती। 6 हजार 229 फेल अभ्यर्थियों को पात्र बनाने पर आयोग को शाबाशी लेने का अधिकार नहीं है। बल्कि हाईकोर्ट को यह चाहिए कि वह आयोग के उन अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करें, जिनकी वजह से 6 हजार 229 अभ्यर्थी फेेल कर दिए गए। आयोग ने अब मुख्य परीक्षा 9 से 12 अप्रैल के बीच लिए जाने की घोषणा की है। यानि 6 हजार 229 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए मात्र दो माह ही मिले हैं। क्या यह इन अभ्यर्थियों के साथ अन्याय नहीं है? पूर्व में आयोग ने 26 हजार से भी अधिक अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए पात्र घोषित किया था। यह 26 हजार अभ्यर्थी पिछले तीन माह से मुख्य परीक्षा की तैयारियों में जुटे हुए हैं। आयोग के ताजा निर्णय से कोचिंग मालिकों की भी चांदी हो गई है। अब आगामी दो माह तक कोचिंग सेंटर के मालिक  चांदी कूटते रहेंगे। हालांकि आयोग के अध्यक्ष ललित के. पंवार आयोग की छवि सुधारने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन आरएएस प्री की परीक्षा भी पंवार के अध्यक्षीय कार्यकाल में ही हुई है। पंवार को चाहिए कि भविष्य में ऐसी गड़बड़ी न हो, इसके लिए पुख्ता इंतजाम हो। 
(एस.पी. मित्तल)  (19-02-2016)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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