Monday 1 February 2016

9 लाख परीक्षार्थियों वाली रीट परीक्षा के प्रति गंभीर नहीं है वसुंधरा राजे सरकार।



50 करोड़ रुपए खर्च कर ठेके पर ही हो रही 7 फरवरी को परीक्षा
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सात फरवरी को राजस्थान भर में शिक्षक पात्रता परीक्षा हो रही है। इस परीक्षा में 8 लाख 75 हजार परीक्षार्थी भाग लेंगे। लेकिन इतनी बड़ी परीक्षा के प्रति भी राज्य सरकार गंभीर नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ने जेल प्रहरी भर्ती परीक्षा के प्रश्न पत्र आउट होने की घटना से कोई सबक नहीं लिया है। इससे पहले भी आरएएस सहित अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र आउट हो चुके हैं। वसुंधरा राजे के नेतृत्व में चलने वाली भाजपा सरकार की इससे ज्यादा और क्या लापरवाही हो सकती है कि अभी तक भी मुख्य सचिव स्तर पर कोई बैठक नहीं हुई है। गत दिनों भी राज्य स्तर वीडियो कांफेेंस के जरिए जो बैठक हुई, उसमें शिक्षा सचिव नरेश गंगवार ही उपस्थित हुए। इस कांफें्रस में जिला मुख्यालयों के आई टी केन्द्र पर कलेक्टर और एसपी को उपस्थित होना था, लेकिन जब जयपुर में ही मुख्य सचिव नहीं आए तो कलेक्टर और एसपी ने भी अपने अधीनस्थ आरएएस और सामने सीएएस अधिकारियों को भेज दिया। प्रशासनिक तंत्र में कलेक्टर और एसपी तभी गंभीर होते हैं जब आईपीएस और डीजीपी बैठे हुए हो। सवाल उठता है कि  रीट परीक्षा की सुरक्षा और अन्य तैयारियों को लेकर जो राज्य स्तरीय बैठक हुई उसमें सीएस और डीजीपी उपस्थित क्यों नहीं हुए? इसका सीधा सा जवाब यह है कि जब सरकार यानि मुख्यमंत्री गंभीर नहीं होता, तब बड़े अधिकारी चलताऊ काम करते हैं। यहां यह खासतौर पर लिखना जरूरी है कि यह वहीं शिक्षक पात्रता परीक्षा है जिसको लेकर वसुंधरा राजे ने विधानसभा का चुनाव जीता था। तब हर सभा में राजे ने कहा कि हम दो के बजाय एक पात्रता परीक्षा लेंगे। यानि राजे चुनाव तो जीत गई, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उसी परीक्षा को गंभीरता से नहीं ले रही है। जेल प्रहरी परीक्षा में भी कोई पांच लाख अभ्यर्थी पंजीकृत किए गए थे। पेपर आउट होने के बाद इस परीक्षा को भी रद्द करना पड़ा। इन परिस्थितियों में क्या मुख्यमत्री वसुंधरा राजे की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे स्वयं 9 लाख परीक्षार्थियों वाली परीक्षा की सुरक्षा को लेकर दिशा निर्देश दें। जेल प्रहरी परीक्षा का पेपर आउट होने से भाजपा सरकार की ही थू-थू हुई है।
ठेके पर है परीक्षा के इंतजाम :
जिस तरह जेल प्रहरी परीक्षा ठेके पर करवाई गई थी। उसी प्रकार रीट की परीक्षा भी ठेके पर ही हो रही है। जिस कंपनी को प्रश्न पत्र छापने का ठेका दिया गया है वही कंपनी ढाई हजार से भी ज्यादा परीक्षा केन्द्रों पर प्रश्न पत्र भिजवाने का काम करेगी। यानि जिस प्रकार जेल प्रहरी परीक्षा में प्रश्न पत्र ठेकेदार के कर्मचारियों के हाथों में थे, ठीक उसी प्रकार रीट परीक्षा के प्रश्न पत्र भी ठेकेदार के कर्मचारियों के हाथों में ही रहेंगे।
नाम मात्र की एजेंसी :
सरकार ने रीट परीक्षा का जिम्मा राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को दिया है। बोर्ड नाम मात्र की एजेंसी है। यहां तक कि जो आवेदन आमंत्रित किए गए उसका काम भी एक कम्प्यूटर कंपनी को दिया गया। ऑनलाइन आवेदन के बाद अब परीक्षार्थियों से ही कहा गया है कि इंटरनेट के जरिए अपना प्रवेश पत्र भी डाउनलोड कर लें। वैसे तो शिक्षा बोर्ड शिक्षा विभाग के अधीन आता है, लेकिन अब तक की गतिविधियों से पता चलता है कि शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी और शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष बी एल चौधरी के बीच हुई रीट परीक्षा को लेकर समन्वय नहीं है। इस बात का पता इससे चलता है कि चौधरी ने शिक्षा विभाग के बजाय कॉलेज शिक्षा से जुड़े अधिकारियों, शिक्षकों और कर्मचारियों को रीट परीक्षा की जिम्मेदारी दी है। दिखाने को देवनानी ने भी रीट परीक्षा की बैठक ली है लेकिन इस बैठक का कोई अर्थ नहीं निकला।
जैमर की अनुमति नहीं :
शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष चौधरी ने घोषणा तो कर दी है कि परीक्षा केन्द्रों पर जैमर लगाए जाएंगे ताकि मोबाइल काम नहीं कर सके, लेकिन बोर्ड को अभी तक भी जैमर लगाने की तकनीकी स्वीकृति सरकार से नहीं मिली है। यदि वसुंधरा राजे की सरकार रीट परीक्षा पर गंभीर होती तो जैमर की स्वीकृति के लिए इस तरह भटकना नहीं पड़ता। जहां तक परीक्षा केन्द्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का सवाल है तो यह भी गड़बड़ी में उलझा हुआ है। हालांकि कई स्कूलों में पहले से ही सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है, लेकिन जिन परीक्षा केन्द्रों पर स्थाई कैमरें नहीं है वहां पर लगाना कठिन साबित हो रहा है।
50 करोड़ रुपए खर्च होंगे :
7 फरवरी को होने वाली रीट परीक्षा पर कोई 50 करोड़ रुपए खर्च होंगे, हालांकि यह राशि प्रदेश के बेरोजगार युवाओं से ही वसूली गई है लेकिन यदि इस परीक्षा का हश्र भी जेल प्रहरी परीक्षा की तरह हुआ तो 50 करोड़ तो डूबेंगे ही, साथ ही 9 लाख अभ्यर्थियों और उनके परिवार वालों को भारी परेशानी होगी।
महत्वपूर्ण है रीट :
शिक्षक बनने वाले युवाओं के लिए रीट परीक्षा महत्वपूर्ण है। इस परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी को सीधे सरकारी नौकरी मिल सकती है। नए प्रावधानों के तहत शिक्षक बनने वाले किसी भी युवा के लिए रीट परीक्षा उत्र्तीण करना जरूरी है।
(एस.पी. मित्तल)  (01-02-2016)
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