Tuesday 16 February 2016

अब देशद्रोह के नारों को झुठलाने की कोशिश।



जेएनयू की घटना को धर्म से जोडऩा खतरनाक होगा।
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9 फरवरी को दिल्ली के जेएनयू में जिस तरह खुलेआम देशद्रोह वाले नारे लगे, उन्हें अब झुठलाने की कोशिश की जा रही है। सबसे खतरनाक बात यह है कि 9 फरवरी की घटना को इस्लाम धर्म से जोडऩे का प्रयास हो रहा है। 16 फरवरी को जेएनयू के कुछ शिक्षकों ने दिल्ली में मार्च निकाला और कहा कि 9 फरवरी की घटना जेएनयू का आंतरिक मामला है। वहीं अनेक शिक्षकों ने वीसी से मुलाकात कर देशद्रोह के नारे लगाने वाले छात्रों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की मांग की। सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में लगातार उन नारों को दिखाया और सुनाया जा रहा है जो 9 फरवरी को जेएनयू केम्पस में लगे थे। इन नारो को देखने और सुनने के बाद ऐसा लगता है कि जेएनयू का केम्पस किसी यूनिवर्सिटी का नहीं,बल्कि अलगाववादियों और देशद्रोहियों का केम्पस है। जब मीडिया में देशद्रोह वाले नारे गूंजे तो कुछ लोगों ने भी एक वीडियो जारी किया। इस वीडियों में एक छात्र और एक छात्रा को इंगित करते हुए कहा गया कि ये दोनों एबीवीपी के कार्यकर्ता है। इन दोनों ने भी 9 फरवरी को केम्पस में भारत विरोधी नारे लगाए, लेकिन इन दोनों विद्यार्थियों के हाव-भाव से यह लगी नहीं रहा कि वे भारत विरोधी नारे लगा रहे हैं, बल्कि छात्रा तो नारों का विरोध करती नजर आ रही है। जिन लोगों ने यह वीडियो चलाया उन्हें उम्मीद थी कि अब देशद्रोह का मामला बराबर का हो जाएगा, क्योंकि एबीवीपी को सत्तारूढ़ भाजपा का सहयोगी माना जाता है। लेकिन जब देशद्रोहियों की यह चाल नहीं चली तो अब 9 फरवरी की घटना को इस्लाम धर्म से जोडऩे की कोशिश की जा रही है। अब कहा जा रहा है कि कश्मीर के युवाओं ने अपनी धार्मिक भावनाओं के अनुरुप विचार व्यक्त किए थे। यह प्रयास देश के लिए बेहद खरनाक होगा। भले ही 9 फरवरी को जेएनयू के केम्पस में 'भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा अल्ला इंशा अल्लाÓ के नारे लगे है, लेकिन पूरे घटनाक्रम को धर्म से जोडऩा किसी भी दृष्टि से देशहित में नही माना जा सकता। इसमें कोई दो राय नहीं कि कांग्रेस और वामपंथी दल भाजपा के घोर विरोधी हैं। इन्हीं दलों ने पहले यह प्रचारित किया था कि भाजपा और नरेन्द्र मोदी मुस्लिम विरोधी है। इसका जवाब देश की जनता ने गत लोकसभा चुनाव में दे दिया। लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि ये दोनों दल लोकसभा चुनाव की हार को मानने को तैयार नहीं है। जेएनयू के माध्यम से एक ऐसा खतरनाक खेल खेला जा रहा है जो देश को विभाजन के कगार पर ले जाएगा। पहले राहुल गांधी जेएनयू केम्पस में गए और अब प्रकाश करात, सीताराम येचूरी, डी राजा आदि वामपंथी नेता जिस तरह देशद्रोह करने वालों की पैरवी कर रहे है, उससे पूरे देश का माहौल खराब हो सकता है।
आखिर कहां है नारे लगाने वाले छात्र :
16 फरवरी को पुलिस ने जेएनयू के शिक्षक एस.ए. गिलानी को भी देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन अभी भी उन छात्र का पता नहीं चल रहा, जिन्होंने खुलेआम भारत विरोधी नारे लगाए थे। गायब छात्रों में उमर खालिद नाम का छात्र भी शामिल है। उमर खालिद ने ही जेएनयू में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति ली थी, लेकिन जब प्रशासन को यह पता चला कि 9 फरवरी को देशविरोधी घटना हो सकती है तो प्रशासन ने 8 फरवरी को ही सांस्कृतिक कार्यक्रम की मंजूरी को रद्द कर दिया। इसे कुछ छात्रों की दिलेरी ही कहा जाएगा कि अनुमति नहीं मिलने के बाद भी जेएनयू के केम्पस में खुलेआम भारत की बर्बादी और पाकिस्तान की खुशहाली के नारे लगाए गए। इस पूरे मामले में अखिल भारतीय आतंकवादी निरोधक मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष बिट्टा का ताजा बयान मायने रखता है। बिट्टा ने कहा कि जब कांग्रेस के शासन में सिक्ख समुदाय के धार्मिक स्थल स्वर्ण मंदिर में सेना ने प्रवेश कर आतंकवादियों को बाहर निकाला तो अब भाजपा की सरकार जेएनयू के केम्पस से अलगाववादियों को बाहर क्यों नहीं निकालती? सरकार को जेएनयू को भारत विरोधी तत्वों का अड्डा नहीं बनने देना चाहिए। यदि अभी बड़ा ऑपरेशन नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में देश की राजधानी दिल्ली में जेएनयू का केम्पस अलगाववादियों का नहीं बल्कि आतंकवादियों का अड्डा बन जाएगा।
जी-न्यूज पर हमला :
9 फरवरी की देश विरोधी घटनाओं को जी-न्यूज के सभी चैनलों पर प्रमुखता के साथ दिखाया गया। दिल्ली पुलिस ने भी अपनी एफआईआर में जी न्यूज पर प्रसारित वीडियो का उल्लेख किया है। जी न्यूज की इस पहल से अब वे लोग खफा है जिन्होंने देशद्रोह के नारे लगाए। यही वजह है कि सोशल मीडिया में एक अभियान चलाकर जी न्यूज के खिलाफ  कुप्रचार किया जा रहा है। जहां एक ओर जी न्यूज पर हमले हो रहे है वही जी न्यूज पत्रकारिता का धर्म निभाते हुए अपने चैनलों पर उन नेताओं को भी बुला रहा है जो देशद्रोह के नारे लगाने वालों के समर्थक हंै। यहां तक कि चैनल के स्टुडियों में बैठकर चैनल के खिलाफ ही बोलने की आजादी भी जी न्यूज की ओर से दी जा रही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि पिछले कुछ माह से जी न्यूज ने उन तत्वों के चेहरे पर से नकाब उतारा है जो देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे है।

(एस.पी. मित्तल)  (16-02-2016)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

2 comments:

  1. ZEE न्यूज़ अपना सही कर्तव्य निभा रहा हे

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  2. आपने लिखा...
    कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
    हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
    इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 01/04/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
    अंक 259 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।

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