Monday 22 February 2016

पाक आतंकियों की गोलियों के बीच पाक शायर की कैसे होती शायरी।



अजमेर में 'मुशायरा शायरी सरहद से परे का कार्यक्रम रद्द हुआ। 
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22 फरवरी को अजमेर के जवाहर रंगमंच पर 'मुशायरा शायरी सरहद से परे का कार्यक्रम होना था। इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के शायर अब्बास शाबिस, मुम्बई के शायर ए.एम.तुराज और शीनकाफ निजाम की शायरी होने वाली थी। लेकिन 21 फरवरी को भाजपा के जिलाध्यक्ष अरविंद यादव और युवा मोर्चे के जिलाध्यक्ष विनीत पारीक ने कार्यक्रम के आयोजक रास बिहारी गौड से साफ कहा कि जब हमारी सेना के जवान कश्मीर के पम्पोर में पाकिस्तान के आतंकियों की गोलियां खा रहे हैं, तब अजमेर में पाकिस्तान के शायर की शायरी कैसे सुनी जा सकती है? भले ही यह कार्यक्रम सांस्कृतिक आदान प्रदान का हो, लेकिन देश में ऐसा माहौल नहीं है, जिसमें पाकिस्तान के शायर की शायरी सुनने के बाद भारत के नागरिक दाद दें। भाजपा के नेताओं ने गौड को सलाह दी कि वे कार्यक्रम को रद्द कर दें, क्योंकि यदि आम लोगों की भावनाओं के खिलाफ कार्यक्रम हुआ तो माहौल बिगड़ सकता है। गौड को यह भी बताया कि पम्पोर में पाकिस्तानी आतंकवादियों की भारतीय सेना से जो मुठभेड़ चल रही है, उसमें अब तक पांच से भी ज्यादा सेना के जवान शहीद हो चुके हैं। इनमें दो जांबाज कैप्टन भी शामिल हैं। 
कार्यक्रम के आयोजक गौड ने समझदारी दिखाते हुए कार्यक्रम को रद्द करने की घोषणा कर दी है। मालूम हो कि गौड देश के ख्यातनाम हास्य कवि हंै। गौड लाफ्टर चैलेंज में भी भाग ले चुके हैं तथा पिछले दो वर्षों से अजेमर लिटे्ररेचर फेस्टिवल भी करवा रहे हैं। चूंकि अगले कुछ माह में लिटे्ररेचर फेस्टिवल तीसरी बार होना है। इसलिए उसी क्रम में मुशायरे का कार्यक्रम 22 फरवरी को अजमेर में रखा गया है। 
न हों पाक कलाकारों के कार्यक्रम:
विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल आदि संगठनों से जुड़े नेता शशि प्रकाश इंदौरिया, शरद गोयल, आनंद प्रकाश अरोड़ा आदि ने कहा है कि अजेमर में किसी भी पाक कलाकार के कार्यक्रम को नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक ओर पाकिस्तान के आतंकी भारत की सीमा में घुसकर हमारे जवानों और निर्दोष लोगों को मार रहे हैं, तब पाकिस्तान के कलाकार हमारे ही देश में आकर कार्यक्रम कैसे कर सकते हैं। कार्यक्रमों के आयोजकों को भी सोचना चाहिए कि ऐसे कार्यक्रम क्यों करवाएं जा रहे हैं। पदाधिकारियों ने कहा कि आयोजकों को अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर देशहित में सोचना चाहिए। मौत का दर्द कैसा होता है यह बात पम्पोर में शहीद हुए जवानों के परिवार वालों से समझना चाहिए।
 (एस.पी. मित्तल)  (22-02-2016)
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