Sunday 7 February 2016

आखिर शांति से हो गई रीट। मेघना ने निभाई चमत्कारिक जिम्मेदारी।


 93.7 प्रतिशत रही उपस्थिति। 15 हजार शिक्षक को मिलेगी नौकरी।
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जिस राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) को लेकर वसुंधरा राजे की सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी, वह परीक्षा 7 फरवरी को राजस्थान भर में शांतिपूण तरीके से सम्पन्न हो गई। प्रदेश में लम्बे अर्से बाद यह सुखद अवसर सामने आया है, जब किसी प्रकार का न तो पेपर लीक हुआ और न ही परीक्षा केन्द्र पर नकल एवं अन्य अप्रिय घटनाएं हुई। परीक्षा की विशालता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 8 लाख 75 हजार अभ्यर्थियों में से करीब 90 फीसदी ज्यादा अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। परीक्षा शांतिपूर्ण सम्पन्न हो जाने पर अब माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष बी.एल.चौधरी स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी से लेकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तक वाह वाही लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी। लेकिन रीट परीक्षा से जुड़े शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों और कर्मचारियों का मानना है कि शांतिपूर्ण परीक्षा में बोर्ड की सचिव श्रीमती मेघना चौधरी की चमत्कारिक जिम्मेदारी ज्यादा रही है। मेघना ने खामोशी के साथ पूरी परीक्षा को अपने नियंत्रण में रखा। पिछले तीन माह से रात और दिन मेहनत कर परीक्षा को सफल बनवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि प्राइवेट कंपनी ने ही प्रश्न पत्र को छाप कर परीक्षा केन्द्रों तक पहुंचाया। लेकिन इस कंपनी से जुड़े कर्मचारी कोई गड़बड़ी न करें, इस पर भी मेघना ने निगरानी की। इतना ही नहीं जब प्राइवेट स्कूलों में वीक्षकों की कमी की बात ऐन मौके पर सामने आई तो मेघना ने रातोंरात सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की नियुक्ति करवाई और प्राइवेट स्कूलों के मालिकों को धमकाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। मेघना इस बात से नाराज हुई कि जब प्राइवेट स्कूलों में परीक्षा के इंतजाम नहीं थे तो फिर स्कूल मालिकों ने अपने यहां परीक्षा केन्द्र क्यों बनवाया। हालांकि टीवी चैनलों और अखबारों में बोर्ड अध्यक्ष चौधरी का ही बयान और चेहरा आता रहा, लेकिन शिक्षा बोर्ड का स्टाफ जानता है कि मेघना ने परीक्षा तैयारियों के दौरान किन-किन विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। यदि मेघना के पास ईश्वरीय चमत्कार नहीं होता तो रीट इतनी शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न नहीं होती। 
ईश्वर का शुक्रिया:
रीट के शांतिपूर्ण हो जाने के बाद मेघना ने सबसे पहले ईश्वर का शुक्रिया अदा किया है। मेघना ने कहा कि परीक्षा की सफलता में शिक्षा बोर्ड के कर्मचारियों, अधिकारियों, प्राइवेट कंपनी के सहयोगियों के साथ-साथ शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री सभी का सहयोग और मार्ग निर्देशन रहा है, लेकिन इसके पीछे ईश्वर की कृपा भी रही है।  
आयोग ने भी खड़े कर दिए थे हाथ:
रीट के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग ने भी इंकार कर दिया था। चूंकि सरकारी शिक्षक की नौकरी के लिए रीट उत्तीर्ण होना जरूरी है। इसलिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चाहती थी कि राजस्थान लोक सेवा आयोग परीक्षा का आयोजन करे। उस समय आयोग में कार्यवाहक अध्यक्ष सहित तीन सदस्य ही कार्यरत थे। ऐसे में आयोग ने इतनी बड़ी परीक्षा करवाने से इंकार कर दिया। इसके बाद सरकार ने अधीनस्थ सेवा कर्मचारी चयन आयोग से परीक्षा कराने का विचार किया, लेकिन यहां भी बात नहीं बनी। काफी मशक्कत के बाद शिक्षा बोर्ड को ही रीट की जिम्मेदारी दी गई। इसमें कोई दो राय नहीं कि शिक्षा बोर्ड इस जिम्मेदारी पर खरा उतरा।
आयोग ले सीख:
हालांकि ललित के.पंवार के अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान लोक सेवा आयोग की छवि में लगातार सुधार हो रहा है,लेकिन आयोग को रीट के आयोजन से सीख लेनी चाहिए। आयोग अपनी प्रतियोगी परीक्षाओं में वीक्षक को अधिकतम 400 रपुए तक दे रहा है, लेकिन शिक्षा बोर्ड रीट के वीक्षक को 950 रुपए का भुगतान किया है। ऐसे में वीक्षक ने   भी अपने दायित्व का निर्वाहन जिम्मेदारी और गंभीरता के साथ किया। 
15 हजार शिक्षकों को मिलेगी नौकरी:
रीट परीक्षा में सरकार के नियमों के अनुरूप उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों को 15 हजार शिक्षकों के पद पर नियुक्ति मिलेगी। सरकार  ने पहले ही घोषणा कर रखी है कि कक्षा 1 से 5 तक के प्राथमिक स्तर के 6 हजार और कक्षा 6 से 8 तक के उच्च प्राथमिक स्तर के 9 हजार शिक्षकों की भर्ती करनी है। रीट परीक्षा की जो मेरिट होगी उसी के अनुरूप 15 हजार शिक्षकों को नौकरी मिल जाएगी। रीट के बाद सरकारी शिक्षक की नौकरी के लिए अभ्यर्थियों को न तो कोई परीक्षा देनी है और न ही कोई साक्षात्कार। स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि जैसे ही शिक्षा बोर्ड से परिणाम की मेरिट लिस्ट प्राप्त होगी वैसे ही भर्ती का काम शुरू हो जाएगा। इधर, शिक्षा बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि अगले दो माह में रीट का परिणाम घोषित कर दिया जाएगा। 

(एस.पी. मित्तल)  (07-02-2016)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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