Monday 22 February 2016

जाट समुदाय तो देश का अन्नदाता है। फिर क्यों हो रहे हैं अपने ही लोग परेशान।



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22 फरवरी को जाट समुदाय का आंदोलन राजस्थान के भरतपुर और धौलपुर में भी फैल गया है। पिछले एक सप्ताह से हरियाणा प्रांत पूरी तरह से बर्बाद हो रहा है। जाट समुदाय आरक्षण की मांग को लेकर सरकार पर हरसंभव दबाव डाल रहा है। इसके लिए रेलवे स्टेशन तक जलाए जा रहे हैं। हरियाणा में जाटों की ताकत के सामने पुलिस व सेना भी बेबस है। इसमें कोई दोराय नहीं कि जाट समुदाय के पास जबरदस्त ताकत है। किसी भी राजनीतिक दल की हिम्मत नहीं कि वह जाटों से मुकाबला कर सके। इस ताकत को देखते हुए ही हरियाणा की मनोहरलाल खट्टर की सरकार और केन्द्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि जाट समुदाय को ओबीसी का दर्जा दिया जाएगा। लेकिन जाट समुदाय को सरकार की जुबान पर भरोसा नहीं है। इसीलिए 22 फरवरी को भी आंदोलन जारी रहा। जाट समुदाय को अपनी मांग रखने का पूरा अधिकार है। लेकिन देश का आम नागरिक जाट समुदाय को देश का अन्नदाता मानता है। जाट समुदाय के अधिकांश परिवार ग्रामीण क्षेत्र में बसते हैं और मूलत: खेती का काम करते हैं। सर्दी, गर्मी, बरसात तीनों मौसम में कड़ी मेहनत करते हैं। जाट समुदाय खाद्यान्न की पैदावार करता है। एक ओर जहां जाट समुदाय अन्नदाता की भूमिका में है, वहीं दूसरी ओर अन्नदाता के कृत्य से आम लोगों को आग में झुलसना पड़े तो फिर अनेक प्रश्न उठते हैं। जाट समुदाय अपने हक के लिए आंदोलन करे, लेकिन यह भी ध्यान रखे कि आम लोग परेशान ना हों। हरियाणा में जिन बेकसूर लोगों की दुकानें जल रही है या मकानों में तोडफ़ोड़ हो रही है उनका सवाल वाजिब है कि आखिर उनका कसूर क्या है? आरक्षण का लाभ सरकार को देना है और जाट समुदाय को लेना है। ऐसे में आम व्यक्ति का क्या सरोकार है? हरियाणा में किसी की भी हिम्मत नहीं है कि वह जाटों को आरक्षण देने का विरोध करें। जब विरोध में कोई है ही नहीं तो लोगों की दुकान, मकान, वाहन आदि क्यों जलाए जा रहे हैं? अच्छा हो जाट समुदाय अन्नदाता की भूमिका निभाते हुए समाज की सभी जातियों की सुरक्षा का ख्याल रखे। जाट अन्नदाता ही नहीं है बल्कि देश का सुरक्षा प्रहरी भी है। आज बड़ी संख्या में जाट युवक सेना में कार्यरत हैं। कश्मीर के पंपोर में जो कैप्टन पवन कुमार शहीद हुए वह भी हरियाणा के जींद के जाट ही थे। अपने इकलौते पुत्र की मौत के बाद भी पवन के पिता को यह गर्व था कि उनका बेटा देश की सुरक्षा के खातिर शहीद हुआ है। एक ओर जब पवन कुमार ने देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए अपने सीने में गोली खाई और दूसरी ओर हरियाणा में आंदोलन की वजह से लोग परेशान हो तो दोनों घटनाओं में तालमेल नहीं बैठता है। सरकार को भी ऐसा कोई ठोस कदम उठाना चाहिए, जिससे हरियाणा में आंदोलन समाप्त किया जा सके।
 (एस.पी. मित्तल)  (22-02-2016)
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