Friday 26 February 2016

तेलंगाना पुलिस ने भी माना रोहित वेमुला दलित नहीं था


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26 फरवरी को तेलंगाना पुलिस ने हाइकोर्ट में एक शपथ पत्र प्रस्तुत किया है। इस शपथ पत्र में कहा गया कि हैदराबाद स्थित सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में पढऩे वाला छात्र रोहित वेमुला दलित नहीं था। इसीलिए उसकी खुदकुशी के मामले को एससी/एसटी एक्ट में दर्ज नहीं किया गया। पुलिस ने अपनी जांच में रोहित को वडेरा जाति का माना है जो दलित नहीं मानी जाती है। तेलंगाना में भाजपा की सरकार नहीं है और न ही भाजपा को समर्थन देने वाली सरकार है। तेलंगाना में टीआरएस की सरकार है और इसके मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर राव, नरेन्द्र मोदी और भाजपा के घोर विरोधी हैं। इसलिए अब राहुल गांधी, मायावती, सीताराम यचुरी, वृंदा कराता आदि नेता यह नहीं कह सकते कि तेलंगाना की पुलिस ने नरेन्द्र मोदी के दबाव में हाईकोर्ट में झूठा शपथ पत्र दिया है। पिछले एक माह से कांग्रेस और उसके सहयोगी दल बार-बार रोहित वेमुला को दलित मानकर केन्द्र सरकार पर हमला कर रहे थे। 26 फरवरी को भी संसद में बसपा प्रमुख मायावती ने एक बार फिर रोहित को दलित बताया और कहा कि यूनिवर्सिटी के वीसी ने जो जांच कमेटी बनाई थी। उसमें कोई दलित शिक्षक नहीं था। यानी मायावती का कहना रहा कि रोहित दलित था इसीलिए जांच कमेटी एक दलित शिक्षक का होना जरूरी था। चूंकि जांच कमेटी में कोई दलित शिक्षक नहीं था इसीलिए रोहित के निलम्बन का निर्णय हुआ और फिर इसीलिए रोहित ने खुदकुशी कर ली। अब जब तेलंगाना पुलिस ने ही रोहित को दलित नहीं माना है तो देखना होगा कि मायावती से लेकर राहुल गांधी क्या प्रतिक्रिया देते हैं। दो दिन पहले ही दिल्ली में कुछ छात्रों ने रोहित को दलित मानकर एक मार्च भी निकाला था। असल में कांग्रेस और उसके सहयोगी दल शुरू से ही रोहित की खुदकुशी को गलत दिशा में ले गए। सवाल किसी दलित या गैर दलित का नहीं है। सवाल एक छात्र की खुदकुशी का है। बहस और जांच छात्र रोहित की खुदकुशी पर होनी चाहिए थी लेकिन राजनीतिक कारणों से दलित रोहित पर बहस होने लगी थी। देश के राजनेता अपने स्वार्थों की वजह से घटना को गलत मोड़ देते हैं।
 (एस.पी. मित्तल)  (26-02-2016)
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