Wednesday 3 February 2016

मरीजों एवं परिजनों को सुविधाएं देने में जुटा है जेएलएन अस्पताल का प्रशासन।



गेल इंडिया से मिले एक करोड़ 85 लाख रुपए।
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अजमेर स्थित संभाग के सबसे बड़े सरकारी जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के कामकाज को लेकर अनेक शिकायतें हो सकती हैं। लेकिन फिर भी प्राइवेट अस्पताल की लूट के मुकाबले इस सरकारी अस्पताल में ही गरीब परिवारों के बीमार सदस्य का इलाज होता है। वर्तमान में अस्पताल के प्राचार्य डॉ. के.सी.अग्रवाल, अधीक्षक डॉ.पी.सी वर्मा, डॉ.विक्रांत शर्मा, मुख्य लेखाधिकारी महेन्द्र मोहन सिंह,सहायक प्रोफेसर डॉ दिग्विजय आदि की टीम भरसक प्रयास कर रही है कि मरीजों और उनके परिजन को अस्पताल में अधिक से अधिक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं। इस टीम के प्रयासों से ही गेल इंडिया लिमिटेड ने अस्पताल के सौन्दर्यीकरण के लिए एक करोड़ 85 लाख रुपए स्वीकृत कर दिए। समझौते के मुताबिक इस राशि को  आगामी अगस्त माह तक उपयोग में लेना है। अधीक्षक डॉ.वर्मा और डॉ.विक्रांत ने बताया कि इस राशि से अस्पताल के बाहरी क्षेत्र का सौन्दर्यीकरण का काम किया जाएगा। अस्पताल के प्रमुख विभागों के आगे शेड बनाए जाएंगे। इस पर 79 लाख राशि खर्च होगी। 53 लाख रुपए से 3 पार्किंग स्थल का निर्माण होगा। स्टील की 100 तथा सीमेन्ट की 50 बैंच अस्पताल के बाहरी परिसर में लगाई जाएंगी। रंगीन ईटें लगा कर परिसर को खुबसूरत बनाया जाएगा। अस्पताल के ग्लो साईन बोर्ड भी लगाए जाएंगे।
इसके साथ ही केन्द्रीय सरकार की योजना के अंतर्गत 50 लाख रुपए की लागत से एक आश्रय स्थल का निर्माण करवाया जा रहा है। चूंकि जेएलएन अस्पताल संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है। इसलिए अजमेर ग्रामीण क्षेत्र के साथ-साथ नागौर, भीलवाड़ा और टोंक के मरीज भी अजमेर आते हंै। रात के समय वार्ड में मरीज के साथ आए एक परिचित को ही रहने दिया जाता है। ऐसे में मरीज के साथ आए एक से अधिक परिजनों को अस्पताल के बाहर इधर-उधर ऐसे ही रात गुजारनी पड़ती है। महिला को तो ज्यादा परेशानी होती है। लेकिन अब आश्रय स्थल के बन जाने से मरीज के साथ आए परिजन आराम से आश्रय स्थल में रात गुजार सकेंगे। इसके अतिरिक्त अस्पताल में साफ-सफाई पुख्ता तरीके से हो इसलिए सफाई ठेकेदार पर कड़ी निखरानी रखी जा रही है। चूंकि अस्पताल में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है इसलिए अनेक अवसरों पर संसाधन कम पड़ जाते है। सरकार की नि:शुल्क दवा योजना की वजह से मरी१ज सरकारी अस्पताल में ही इलाज करने के लिए उत्सुक रहता है।

(एस.पी. मित्तल)  (03-02-2016)
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