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हरियाणा के जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान मुरथल में एनएच-1 पर 10 महिलाओं के साथ गैंग रेप हुआ या नहीं इसको लेकर जल्द सच्चाई सामने आनी चाहिए। जांच में जितना विलम्ब होगा, उतना लोगों में गुस्सा बढ़ेगा। एक अंग्रेजी अखबार की खबर को सही माने तो आंदोलन के दौरान जब उपद्रवी मुरथल के निकट हाइवे पर वाहनों में आग लगा रहे थे तब जान बचाने के लिए महिलाएं एवं पुरुष इधर-उधर भाग रहे थे ऐसे में उपद्रवियों ने दस महिलाओं को खेत में ले जाकर गैंग रेप की घटना को अंजाम दिया। इस घटना का शर्मनाक पहलू यह है कि जब पीडि़त महिलाएं पुलिस स्टेशन पहुंची तो पुलिस ने उनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की और इज्जत का हवाला देकर महिलाओं को भगा दिया। यदि मुरथल में गैंग रेप हुआ है तो इससे ज्यादा शर्मनाक बात हो ही नहीं सकती और यदि गैंग रेप नहीं हुआ है तो फिर जल्द से जल्द सच्चाई सामने आनी चाहिए। चूंकि गैंग रेप की इस घटना को जाट आरक्षण आंदोलन से जोड़ा जा रहा है इसीलिए जाट समुदाय के प्रतिनिधियों की भी जिम्मेदारी है कि वे अपनी ओर से पहल कर सच्चाई को सामने लाएं। 26 फरवरी को टीवी चैनलों पर महिलाओं के वस्र मुरथल में इधर उधर बिखरे पड़े दिखाए गए हैं। हालांकि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि ये वस्र गैंग रेप की शिकार महिलाओं के ही हैं। लेकिन चैनलों पर जिस तरह बिखरे वस्रों को बार-बार दिखाया जा रहा है उससे देश में गलत संदेश जा रहा है। हालांकि हरियाणा पुलिस के डीजीपी यशपाल सिंघल चैनल वालों से आग्रह कर रहे हैं कि पीडि़त महिलाओं को सामने लाने में मदद की जाए। इसके लिए 3 महिला पुलिस अधिकारियों के नाम और टेलीफोन नम्बर भी जारी किए हैं और वहीं हाईकोर्ट ने अपने विवेक से संज्ञान लेते हुए आदेश दिया है कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष सीधे पीडि़त महिलाएं बयान दर्ज करवा सकती हैं। इसके लिए पीडि़ताओं को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की जरुरत नहीं है। अब देखना है कि पुलिस और हाईकोर्ट की पहल के बाद पीडि़त महिलाएं सामने आती हैं या नहीं। लेकिन जिस तरह से प्रचार तंत्र में गैंग रेप की आशंका बताई जा रही है। उससे जाट समुदाय का आंदोलन भी बदनाम हो रहा है। इसीलिए जाट समुदाय की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपनी ओर से पहल कर सच्चाई को जल्द से जल्द सामने लाएं। मीडिया में जो कुछ भी प्रसारित हो रहा है उसे झुठलाने के लिए जाट समुदाय के पास जो भी सबूत है उन्हें उजागर करने चाहिए। हालांकि दहशत के वर्तमान माहौल में किसी कथित पीडि़त महिला का सामने आना मुश्किल ही है और जब तक कोई पीडि़त महिला सामने नहीं आती, तब तक बलात्कारियों को पकडऩा मुश्किल होगा।
(एस.पी. मित्तल) (26-02-2016)
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