Thursday 10 March 2016

क्वात्रोची और एंडरसन को भगाने वाले अब माल्या को लेकर नरेन्द्र मोदी पर लगा रहे हैं आरोप।



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10 मार्च को लोकसभा में शराब कारोबारी विजय माल्या को लेकर हंगामा हुआ। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सीधे नरेन्द्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि सरकार ने विजय माल्या को भगने का अवसर दिया। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत की बैंकों से कई हजार करोड़ रुपए का लोन लेने वाले विजय माल्या को भारत से विदेश भगने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए था। इस मामले को लेकर सरकार वाकई कटघरे में है, लेकिन जिस तरह से कांग्रेस ने संसद में और राहुल गांधी ने बाहर सरकार पर हमला किया, उसे किसी भी दृष्टि से उचित नहीं माना जा सकता। विजय माल्या कब विदेश में और कब भारत में रहते हैं, इसकी जानकारी शायद ही किसी को हो। अब इतना ही कहा जा सकता है कि विजय माल्या फिलहाल लंदन से भारत नहीं लौटेंगे। लेकिन पूरा देश जानता है कि बहुचर्चित बोफोर्स घोटाले के मुख्य आरोपी क्वात्रोची को भगाने में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कई कसर नहीं छोड़ी थी। इतना ही नहीं भोपाल गैस कांड के मुख्य आरोपी एंडरसन को भगाने के लिए तो मध्यप्रदेश के तत्कालीन सीएम अर्जुन सिंह को निर्देश दिए गए थे। अर्जुन सिंह ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि गैस कांड की आरोपी कंपनी यूनियन कार्बाइड के मालिक एंडरसन को सरकार के विमान में बैठाकर भोपाल से दिल्ली भेजा गया और फिर दिल्ली से एंडरसन अमरीका चला गया।  राहुल गांधी और कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि क्वात्रोची, एंडरसन और विजय माल्या के भागने में फर्क है। भगाना इसे कहते हैं जब सरकार अपने साधनों से किसी अपराधी को विदेश पहुंचा दे। विजय माल्या की तो स्वयं की किंगफिशर एयरलाइंस है। अपने जहाज में बैठकर विजय माल्या कभी भी भारत से जा सकते हंै। असल में कांग्रेस ने जो कारनामे किए हैं। उसे राहुल गांधी भी जानते हैं। इसलिए किसी भी मुद्दे पर संसद में कांग्रेस के नेता अपनी बात तो रख देते हैं, लेकिन जब सरकार की ओर से जवाब सुनाने की बारी आती है तो कांग्रेस के सांसद हंगामा करने के बाद वॉकआउट कर देते हैं। 10 मार्च को भी कांग्रेस के सांसदों ने ऐसा ही किया। जब सदन में वित्तमंत्री अरुण जेटली जवाब देने के लिए खंड़े हुए तो कांग्रेस के सांसदों ने शोरगुल करने के बाद वॉकआउट कर दिया। सोनिया गाध्ंाी को यह बताना चाहिए कि आखिर कांग्रेस के सांसद सरकार का जवाब क्यों नहीं सुनते हैं। क्या जवाब इसलिए नहीं सुना जाता कि कांग्रेस की पोल खुल जाएगी?
विजय माल्या के मुद्दे पर न तो मैं विजय माल्या का और न सरकार का बचाव कर रहा हंू। मैंने 9 मार्च को भी अपने ब्लॉग में विजय माल्या के भाग जाने को लेकर केन्द्र सरकार की आलोचना की थी। आज भी मैं मानता हंू कि सरकार विजय माल्या जैसे उद्योगपतियों से लोन की वसूली करने में विफल रही है। लेकिन इसके साथ ही विजय माल्या के मामले में कांग्रेस को यह भी समझना चाहिए कि माल्या की कंपनियों को लोन कोई नरेन्द्र मोदी के दो वर्ष के शासन में नहीं मिले। केन्द्र में जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सोनिया गांधी के इशारे पर यूपीए की सरकार चल रही थी, तब वर्ष 2004 में माल्या की कंपनियों के घाटे में जाने के बारे में पता चल गया था। वर्ष 2009 में विजय माल्या डिफॉल्टर भी हो गए थे। लेकिन तब भी केन्द्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने माल्या के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। इतना ही नहीं कांग्रेस के बड़े नेताओं के दबाव में बैंकों ने वर्ष 2010 में लोन का नवीनीकरण कर दिया। जो राहुल गांधी आज माल्या को भगाने के लिए नरेन्द्र मोदी को दोषी बता रहे हैं, वह राहुल गांधी देश केा यह बताएं कि जब वर्ष 2009 में विजय माल्या डिफॉल्टर हो गया था, तो एक वर्ष बाद ही हजारों करोड़ रुपए के लोन का नवीनीकरण मनमोहन ङ्क्षसह की सरकार ने किसके दबाव में किया। फिलहाल देशवासियों को अरुण जेटली के इस कथन पर भरोसा करना चाहिए कि विजय माल्या ही नहीं, उन सभी डिफॉल्टर उद्योगपतियों की सम्पत्तियां जब्त की जाएगी, जिन्होंने बैंकों से लोन ले रखा है। 
माल्या हैं राज्यसभा के सांसद
विजय माल्या कनार्टक से राज्यसभा के सांसद हैं। माल्या ने यह चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीता था। राजनीति के जानकार जानते हैं कि कोई उद्योगपति जब निर्दलीय चुनाव लड़ता है तो उस राज्य के विधायक किस प्रकार से वोट देते हैं। इसे राजनीति का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि वोट की कीमत लगा कर माल्या सांसद बन गए  और 9 हजार करोड़ का लोन चुकाए बिना देश से भाग गए। 

 (एस.पी. मित्तल)  (10-03-2016)
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