Thursday 31 March 2016

आखिर सर्राफा व्यापारियों की देशव्यापी बेमियादी हड़ताल की सुध क्यों नहीं ले रही मोदी सरकार। कांग्रेस भी खामोश।


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31 मार्च को सर्राफा व्यापारियों की बेमियादी हड़ताल को पूरा एक माह हो गया। केन्द्र सरकार द्वारा सर्राफा कारोबार पर एक प्रतिशत सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी लागू करने के विरोध में देश भर के सर्राफा व्यापारी बेमियादी हड़ताल पर हैं। केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि ड्यूटी रोल बैक नहीं होगी। वहीं सर्राफा व्यापारियों ने भी घोषणा कर दी है कि जब तक रोल बैक नहीं होगा, तब तक सर्राफा दुकानों के ताले नहीं खुलेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर नरेन्द्र मोदी की सरकार सर्राफा व्यापारियों की हड़ताल की सुध क्यों नहीं ले रही है? क्या कांग्रेस की तरह भाजपा की सरकार भी सर्राफा कारोबार को चोरों का कारोबार समझती है? भले ही मोदी सरकार ने इस तरह की बात नहीं कही हो, लेकिन यही कहा जा रहा है कि सेंट्रल एक्साइज के दायरे में आने से सर्राफा कारोबार में बेईमानी नहीं होगी, यानि उपभोक्ता को सोने के शुद्ध जेवरात उपलब्ध होंगे और यदि कोई व्यापारी चोरी और बेईमानी करेगा तो उसके विरुद्ध सेंट्रल एक्साइज कानून के तहत सख्त कार्यवाही होगी। वहीं सर्राफा कारोबारियों का कहना है कि सर्राफा कारोबार पूरी तरह भरोसे का कारोबार है, जबसे होलमार्क की प्रणाली लागू हुई है तब से तो बेईमानी की गुंजाइश खत्म हो गई है। ऐसे में सरकार सेंट्रल एक्साइज के माध्यम से इंसपेक्टर राज लागू करना चाहती है। सर्राफा कारोबार पर पहले से ही कोई तीस प्रतिशत टैक्स लागू है। ऐसे में किसी भी व्यापारी को एक-दो प्रतिशत और टैक्स देने पर कोई एतराज नहीं है। लेकिन सर्राफा कारोबार को सेंट्रल एक्साइज के दायरे में न लाया जाए। 
सर्राफा व्यापारियों का कहना है कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्किल डवलपमेंट की बात करते हैं तो वहीं सर्राफा कारोबार पर सेंट्रल एक्साइज लागू कर रहे हैं, जबकि सेंट्रल एक्साइज की ड्यूटी उसी कारोबार पर लागू होती है, जहां मशीनों का उपयोग होता है। सर्राफा कारोबार में अधिकांश जेवर कारीगर हाथ से ही तैयार करते हंै, इसलिए इस करोबार से हजारों हस्तशिल्पी जुड़े हुए हैं, दुनिया में आज तक भी ऐसी कोई मशीन नहीं बनी है, जो पोली छोटी गोलियां बना सके। सर्राफा कारीगर अपने हाथ से ऐसी गोलियां बनाते हैं। सरकार ने सेंट्रल एक्साइज की ड्यूटी लागू कर हस्तशिल्प कला का गला घोटने का भी काम किया है। अच्छा होता कि मोदी सरकार इस हस्तशिल्प कला के विकास के लिए कोई निर्णय लेती।
हड़ताली सर्राफा व्यापारियों को इस बात पर भी अफसोस है कि कांग्रेस मोदी सरकार की छोटी-छोटी गलतियों का विरोध करती है, लेकिन सर्राफा व्यापारी गत एक माह से देशव्यापी बेमियादी हड़ताल पर हंै, लेकिन कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता ने अभी तक गंभीरता नहीं दिखाई है। एक ओर मोदी सरकार सुन नहीं रही तो दूसरी ओर कांग्रेस भी हड़ताल का समर्थन नहीं कर रही है। ऐसे में सर्राफा कारोबारी स्वयं को बेसहारा महसूस कर रहे हंै। सर्राफ कारोबारियों की यह भी पीड़ा है कि चुनाव के समय दोनों ही दलों के नेता चंदा वसूली करते हैं, लेकिन अब मुसीबत में उनकी कोई मदद नहीं कर रहा। वर्ष 2012 में जब कांग्रेस सरकार ने इसी प्रकार सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी लागू की थी तो गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए नरेन्द्र मोदी ने विरोध किया था। इसके लिए मोदी ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर ड्यूटी को वापस लेने की मांग की थी, तब सरकार को ड्यूटी का रोल बैक करना भी पड़ा। यानि उस समय नरेन्द्र मोदी के विरोध को देखते हुए कांग्रेस सरकार ने सर्राफा व्यापारियों को राहत दी, लेकिन आज वो ही नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री के पद पर बैठे हैं, तो सर्राफा व्यापारियों से बात तक नहीं कर रहे। इसको लेकर गुजरात के सर्राफा व्यापारी भी मोदी से खफा है। 

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(एस.पी. मित्तल)  (30-03-2016)
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