Friday 4 March 2016

जेल से बाहर आते ही कन्हैया ने किया जंग का ऐलान।


न कानून का डर न कोर्ट का।
और बिगड़ेगा जेएनयू का माहौल।
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जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया तीन मार्च की रात को दिल्ली की जेल से बाहर आए और आते ही सीधे जेएनयू कैम्पस गए। जिस बात की आशंका थी वही हुआ। रात को ही कैम्पस में छात्रों की सभा की और जंग का ऐलान कर दिया। कन्हैया ने जो कुछ भी कहा वह लगातार टीवी चैनलों और अखबारों में आ रहा है। सवाल उठता है कि क्या कन्हैया को देश के कानून और कोर्ट का भी डर नहीं है? दिल्ली की कोर्ट ने जब 6 माह की अंतरिम जमानत मंजूर की थी, तब कन्हैया को देशहित में सलाह भी दी। पुलिस ने कन्हैया को जेएनयू में देश विरोधी नारों के मामले में गिरफ्तार किया था, लेकिन जेल से बाहर आते ही कन्हैया ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं।  कन्हैया उसी जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष है, जिसमें गत 9 फरवरी को आतंकी अफजल गुरु की बरसी का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उस समय राष्ट्र विरोधी नारे लगे और कश्मीर की आजादी की वकालत की गई। पुलिस को उम्मीद थी कि जेल से बाहर आने के बाद कन्हैया राष्ट्रभक्ति की बात करेंगे, लेकिन उनके भाषण से लगता नहीं है कि जेएनयू का माहौल सुधरेगा। कन्हैया को तो लगता है कि वह जेल जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्तर का नेता हो गया है। वह जितनी भारत की आलोचना करेगा, उतना बड़ा नेता हो जाएगा। इसलिए उसने कहा कि जेल जाने से संघर्ष खत्म नहीं हुआ है, बल्कि जंग की शुरुआत हुई है। अफसोस इस बात का है कि कन्हैया ने 9 फरवरी की घटना पर किसी भी प्रकार से प्रायश्चित अथवा दु:ख प्रकट नहीं किया। सवाल उठता है कि जो लोग आतंकवादियों के हमदर्द हैं, क्या वे भी नेता बन सकते हैं? बार-बार अभिव्यक्ति की आजादी की बात उठाई जा रही है। इससे ज्यादा आजादी और क्या चाहिए कि कन्हैया देशद्रोह के आरोप में जेल गए और बाहर आए तो जंग का ऐलान कर दिया। जो लोग अभिव्यक्ति की आजादी चाहते हैं क्या वे कन्हैया को देशभक्ति का पाठ नहीं पढ़ा सकते? देशभक्ति का पाठ तो हाईकोर्ट ने भी पढ़ाया, लेकिन कन्हैया के समझ में नहीं आया है। 
कन्हैया ने देश के कानून और अदालत का ही मजाक नहीं उड़ाया, बल्कि संसद पर भी गैर जिम्मेदारना टिप्पणी की है। कन्हैया ने कहा कि जब स्मृति ईरानी संसद में बोलती हैं तब लोकसभा टीवी, स्टार प्लस की तरह नजर आता है। कन्हैया ने स्मृति ईरानी के महिला होने को लेकर भी भद्दी टिप्पणी की। जेएनयू के छात्र मेरे बच्चे है के स्मृति ईरानी के कथन पर कन्हैया ने कहा कि मेरी साथी छात्राएं मुझे माफ करें। हम स्मृति ईरानी के बच्चे नहीं है, हम तो जेएनयू के विद्यार्थी हैं। समझा जा सकता है कि एक महिला के बारे में कन्हैया क्या सोच रखता है। 9 फरवरी के देशद्रोह की घटना में गिरफ्तार तीन छात्रों में से अभी तो सिर्फ कन्हैया ही बाहर आया है। अभी उमर खालिद और अनिर्बान को भी बाहर आना है। देखना होगा कि जब उमर खालिद और अनिर्बान जेएनयू के कैम्पस में आएंगे, तब कैसा माहौल होगा। 
अफजल गुरु भारत का नागरिक था:
कन्हैया ने 4 मार्च को एक प्रेस कान्ॅफ्रेंस भी की। अधिकांश चैनलों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का लाइव प्रसारण किया। इससे कन्हैया के नेता बन जाने का भी पता चलता है। जेएनयू में 9 फरवरी को आतंकी अफजल गुरु के समर्थन में हुए समारोह के सवाल पर कन्हैया ने कहा कि मैं अफजल गुरु को भारतीय नागरिक मानता हंू और उसे भारत के कानून के अनुरूप ही सजा हुई है और भारत का वही कानून हमें बोलने की आजादी भी देता है। राजनीति में आने के सवाल पर कन्हैया ने कहा कि मैं तो सिर्फ जेएनयू छात्र संघ का अध्यक्ष हंू और फिलहाल मेरे सामने अपने साथियों को जेएनयू परिसार में अधिक से अधिक सुविधा दिलवाने का उद्देश्य है। मैं अपना आदर्श रोहित वेमुला को मानता हंू और भविष्य में और कोई छात्र रोहित की तरह आत्महत्या न करें, इसके लिए काम करुंगा। कन्हैया ने प्रेस कॉन्फेंस में भी केन्द्र सरकार पर जमकर हमला बोला। कन्हैया का कहना रहा कि उमर खालिद और अनिर्बान पर देशद्रोह का आरोप नहीं लगने चाहिए। 
(एस.पी. मित्तल)  (04-03-2016)
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