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भारत में आमतौर पर यह आरोप लगता है कि खेल संघों पर काबिज पदाधिकारी खिलाडिय़ों की सुविधाओं और खेल का ध्यान नहीं रखते, जिसकी वजह से विश्व प्रतियोगिताओं में हमारे खिलाड़ी मेडल प्राप्त नहीं कर पाते हैं। इस धारणा के विपरीत अखिल भारतीय टेबिल टेनिस एसोसिएशन के महासचिव अजमेर निवासी धनराज चौधरी ने खिलाडिय़ों से न केवल विश्व स्तरीय प्रतियोगिता जितवाई, बल्कि इतिहास भी बनाया। 6 मार्च के सभी अखबारों में खेल पृष्ठ पर टेबिल टेनिस के खिलाडिय़ों के इतिहास रचने की खबर प्रकाशित हुईहै। इस खबर में बताया गया कि टेबिल टेनिस की विश्व चैम्पियनशिप की दूसरी डिविजन में पुरुष तथा महिला खिलाडिय़ों ने स्वर्ण पदक जीते हैं। ब्राजील जैसी मजबूत टीमों को हमारे खिलाडिय़ों ने हराया है। टीटी की यह प्रतियोगिता कुआलालम्पुर में हुई। भारत में टीटी के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब हमारी दोनों ही टीमों ने स्वर्ण पदक प्राप्त किए है। इस समय अजमेर के धनराज चौधरी के पास ही देश के टीटी के खिलाडिय़ों की कमान है। एसोसिएशन के महासचिव होने के नाते चौधरी ही खिलाडिय़ों की सुविधाओं और उनके खेल की तकनीक का ध्यान रखते हैं। खिलाडिय़ों की मांग पर विदेशी कोच तक उपलब्ध करवाए गए हैं। खेल के प्रति अपने समर्पण की वजह से ही चौधरी इस समय कुआलालम्पुर में ही हैं। विश्व प्रतियोगिता ही नहीं राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भी खिलाडिय़ों का हौंसला बढ़ाने के लिए चौधरी स्वयं मौजूद रहते हैं। खिलाडिय़ों का भी मानना है कि आज भारतीय टीम सफलता के जिस मुकाम पर खड़ी है, उसके पीछे चौधरी की ही मेहनत रही है। खिलाडिय़ों की हर मांग को चौधरी पूरा करते हैं। सब जानते हैं कि चौधरी अजमेर में भी सक्रिय रहते हैं। इंडोर स्टेडियम कमेटी के सचिव के नाते चौधरी यहां भी खेल गतिविधियों को जारी रखे हुए हैं। स्व. मूलचंद चौहान ने इंडोर स्टेडियम में पेट्रोलियम मंत्रालय की जो एकेडमी शुरू करवाई थी, उसे चौधरी ने आज तक जारी रखा है। 5 मार्च को कुआलालम्पुर जिन खिलाडियों ने स्वर्ण पदक जीते, उनमें अजमेर की एकेडमी में तैयार हुआ खिलाड़ी एंथोनी, अमनराज भी शामिल हैं। इस सफलता पर चौधरी का कहना है कि एसोसिएशन सुविधाएं जुटाती है, लेकिन मेहनत का काम खिलाड़ी करते हैं। खिलाडिय़ों के इतिहास रचने पर चौधरी ने कहा कि इससे विश्व में भारत का सम्मान बढ़ेगा। अब हमारा प्रयास होगा कि दो वर्ष बाद होने वाली विश्व प्रतियोगिता में प्रथम डिविजन में स्वर्ण पदक जीता जाए।
टीटी के अंतर्राष्ट्रीय अम्पायर अतुल दुबे ने बताया कि दुनिया में टेबिल टेनिस खेलने वाले देशों की संख्या 200 से भी ज्यादा है, लेकिन मापदंडों के अनुरूप करीब डेढ़ सौ देश ही विश्व चैम्पियनशिप में भाग ले सकते हैं। इसको भी चार डिविजन में बांट रखा है। पहले डिविजन में एक से लेकर बत्तीस नम्बर तक की टीमे हैं। अब तक भारत दूसरे डिविजन में शामिल था, लेकिन दूसरे डिविजन में स्वर्ण पदक हासिल करने के बाद भारत प्रथम डिविजन में शामिल हो गया है। दो वर्ष बाद जब विश्व चैम्पियनशिप होगी तो भारत पहले 32 देशों के डिविजन में खेलेगा। यह पहला अवसर होगा, जब भारत प्रथम डिविजन में शामिल हो रहा है। दुबे ने माना कि इस जीत से भारत के साथ-साथ राजस्थान और अजेमर का भी मान बढ़ा है। चौधरी 8 मार्च को जब अजमेर लौटेंगे तो उनका शानदार स्वागत किया जाएगा।
(एस.पी. मित्तल) (06-03-2016)
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