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26 मार्च को अजमेर के वैशाली नगर स्थित टर्निंग प्वाइंट पब्लिक स्कूल के परिसर में सुप्रसिद्ध संस्था नाट्यवृंद की ओर से नाट्य चेतना कार्यशाला आयोजित की गई। संस्था के निदेशक और जाने-माने रंगमकर्मी उमेश चौरसिया ने चुनिन्दा छात्र-छात्राओं को चार ऐतिहासिक नाटकों के बारे में जानकारी दी और फिर युवाओं से नाटक के कुछ अंश प्रस्तुत करने के लिए कहा। महाकवि कालीदास द्वारा रचित अभिज्ञान शाकुन्तलम, राजकुमार वर्मा द्वारा रचित कौमुदी महोत्सव तथा भीष्म साहनी के कबीरा खड़ा बाजार में नाटकों का जिस प्रकार मंचन हुआ, उससे प्रतीत हुआ कि युवा पीढ़ी ऐसे नाटकों से जीवन की शिक्षा भी प्राप्त कर सकती है। अभिज्ञान शाकुन्तलम की रचना भले ही दो हजार साल पहले की गई हो लेकिन आज भी प्रांसगिक है। कार्यशाला में संस्कार भारती के राजस्थान के प्रमुख डॉ. सुरेश बबलानी ने कहा कि नाट्य शास्त्र के प्रणेता भरत मुनि के नाटक आज भी सामाजिक समरसता के प्रतीत है। ब्लॉगर एस.पी. मित्तल ने कहा कि नाटक की रचनाओं में शिक्षा से लेकर वर्तमान चुनौतियों का मुकाबला किया जा सकता है। समाजसेवी सोमरत्न आर्य ने कहा कि इससे युवाओं की रचनात्मकता सामने आएगी। स्कूल के निदेशक डॉ अनन्त भटनागर ने नाट्यवृंद संस्था का आभार जताया कि कार्यशाला के लिए उनके स्कूल में विद्यार्थियों को अवसर दिया गया है। भटनागर ने श्रेष्ठ रचनाओं और उनके नाटकों का विशेष परिचय दिया। कार्यक्रम का संचालन गीतकार डॉ पूनम पाण्डे ने किया जबकि प्राचार्य रश्मि जैन ने भारत व्यक्त किया।
(एस.पी. मित्तल) (26-03-2016)
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