Tuesday 29 March 2016

क्या भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र याव अजमेर के नेताओं से खफा हैं?



सलेमाबाद के बाद अब भांवता गांव को 
लिया गोद। 
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देश की सत्तारुढ़ पार्टी की राजनीति में खास स्थान रखने वाले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव अजमेर के रहने वाले हैं। यादव राज्यसभा के सांसद हैं। इस नाते अजमेर जिले के गांवों को ही सांसद आदर्श ग्राम योजना में गोद लेते हैं। 29 मार्च को देहात भाजपा के जिला अध्यक्ष भगवती प्रसाद सारस्वत और यादव के अजमेर में प्रतिनिधि भाजपा पार्षद जे.के.शर्मा ने जिला कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक को एक पत्र सौंपा। यादव के हस्ताक्षर वाले इस पत्र में कलेक्टर को बताया गया कि सांसद आदर्श ग्राम योजना में इस वर्ष पीसांगन पंचायत समिति के भांवता गांव का चयन किया गया है। कलेक्टर से कहा गया कि इस गांव के विकास की योजना बनाकर भेजी जाए ताकि सांसद कोष से विकास कार्य करवाए जा सके, इससे पहले गत वर्ष यादव ने किशनगढ़ के निकट सलेमाबाद गांव को गोद लिया था। सांसदों के द्वारा अपने क्षेत्र के गांव को गोद लेने की योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्त्वकांक्षी योजना है। मोदी का मानना है कि यदि एक सांसद प्रतिवर्ष एक गांव की कायापलट कर दे तो पांच वर्ष में हजारों गांव शहर का रूप ले सकते हैं। आमतौर पर यह माना जाता है कि जब कोई नेता राष्ट्रीय राजनीति में दखल रखता है तो अपने राजनीतिक प्रभाव का सबसे ज्यादा इस्तेमाल अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए करता है। चूंकि सांसद यादव का अजमेर गृह जिला है। इसलिए अजमेर जिले के लोग भी यादव से अपेक्षाएं रखते हैं, लेकिन इसे राजनीति का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यादव के प्रभाव का लाभ अजमेर के लोगों को नहीं मिल रहा है। राज्यसभा का सांसद बनने के बाद यादव ने स्वयं कहा था कि अजमेर के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। लेकिन यादव की कार्यप्रणाली बताती है कि उन्होंने अजमेर के विकास में कोई रुचि नहीं दिखाई है। यदि पीएम मोदी का दबाव नहीं होता तो यादव जिले के दो गांवों को भी गोद नहीं लेते। ऐसा नहीं कि यादव अजमेर में विकास कार्य नहीं करवाना चाहते। यादव चाहते तो है, लेकिन अजमेर के भाजपा नेताओं की गुटबाजी से बेहद खफा है, जिसका खामियाजा अजमेर के लोगों को उठाना पड़ रहा है। अजमेर के भाजपा नेताओं से यादव कितने खफा हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भांवता गांव को गोद लेने के महत्त्वपूर्ण मौके पर भी यादव अजेमर नहीं आए। यहां तक कि जिला प्रशासन की महत्त्वपूर्ण बैठकों में भी यादव भाग नहीं लेते हैं। इतना ही नहीं भाजपा संगठन की ओर से जो कार्यक्रम होते हैं, उसमें भी यादव शामिल नहीं होते। यादव ने गत वर्ष अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अरविंद यादव को अजमेर शहर भाजपा का अध्यक्ष मनोनित करवाया था, लेकिन हाल ही के चुनावों में जिस तरह से यादव को हटाने का अभियान चलाया गया, उससे भूपेन्द्र यादव बेहद खफा बताए जाते हैं। हालांकि अजमेर में अभी तक भी शहर अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सका है। इसलिए अरविंद यादव ही अध्यक्ष बने हुए हैं। 
यादव के समर्थकों का कहना है कि वे अजमेर के भाजपा नेताओं के आपसी झगड़ों में उलझना नहीं चाहते है। अभी हाल ही में यादव ने केकड़ी में अपने निजी सहायक के पारिवारिक समारोह में भाग लिया, लेकिन अजमेर शहर के किसी भी नेता से नहीं मिले। केकड़ी नगर पालिका के समारोह में भी यादव क्षेत्रीय विधायक शत्रुघ्न गौतम की जिद के कारण शामिल हुए। अजमेर वासियों का मानना है कि यदि भाजपा के नेता एकजुट होकर यादव के राजनीतिक प्रभाव का लाभ उठाएं तो अजमेर की अनेक समस्याओं का समाधान हो सकता है। 

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(एस.पी. मित्तल)  (29-03-2016)
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