Saturday 19 March 2016

हाई कोर्ट के आदेश पर क्या मुंसिफ कोर्ट सुनवाई कर सकता है? अजमेर के अवैध कॉम्प्लेक्सों के मालिक चाहते हैं राहत।



---------------------------------
आमतौर पर तो यही माना जाता है कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद संबंधित सरकारी संस्थानों को आदेशों की पालना करनी हो होती है और जब हाई कोर्ट में अवमानना का मामला विचाराधीन हो तो मुंसिफ कोर्ट से भी कोई राहत मिलना मुश्किल होता है। न्याय के प्रति आम धारणा के विपरीत अजमेर के अवैध कॉम्प्लेक्सों के मालिक चाहते हैं कि मुंसिफ अदालतों से कोई राहत प्राप्त कर ली जाए। अजमेर शहर में इन दिनों कॉम्प्लेक्सों का अवैध निर्माण करने वालों में खलबली मची हुई है। गत वर्ष 490 निर्माणों को अवैध मानते हुए हाई कोर्ट ने सीज अथवा तोडऩे के आदेश दिए थे। और जब नगर निगम ने आदेशों की पालना नहीं की तो हाल ही में हाई कोर्ट ने अवमानना का मामला दर्ज कर लिया। अवमानना का मामला दर्ज होते ही निगम प्रशासन ने अवैध कॉम्प्लेक्सों को सीज और तोडऩे का काम शुरू करने का निर्णय ले लिया। जिन कॉम्प्लेक्स मालिकों को नोटिस मिले हैं उनमें से अनेक अजमेर की मुंसिफ अदालतों में राहत पाने के लिए पहुंच गए हैं। इसलिए यह सवाल उठा है कि क्या हाई कोर्ट के आदेश पर मुंसिफ अदालत सुनवाई कर सकती है? निगम कार्यालय के सामने चूड़ी बाजार में बनी अवैध होटल की मालिक श्रीमती सुधा राठौड़ ने स्टे के लिए मुंसिफ अदालत में वाद दायर किया। इसी प्रकार नला बाजार स्थित एक कॉम्प्लेक्स के मालिक अनिल कुमार गर्ग ने भी अपने क्षेत्र की मुंसिफ अदालत में वाद दायर किया है। यानी अब एक के बाद एक अवैध कॉम्प्लेक्सों के मालिक मुंसिफ अदालतों में जा रहे हैं। सुधा राठौड़ के मामले में 21 मार्च को निर्णय आना है। इस निर्णय पर सभी कॉम्प्लेक्स मालिकों की नजर लगी हुई है। कॉम्प्लेक्स मालिक चाहते हैं कि मुंसिफ अदालत से कोई राहत मिल जाए ताकि उनका कॉम्प्लेक्स टूटने अथवा सीज होने से रूक जाए। नला बाजार, गोधा गुवाड़ी में शिवम होटल के मालिक राजकुमार गर्ग, अनिल कुमार गर्ग, सीमा गर्ग और रजनी गर्ग ने भी मुंसिफ अदालत से कहा है कि निगम को होटल को तोडऩे और सीज करने से रोका जाए। 19 मार्च को सुनवाई के दौरान निगम के वकील सीपी शर्मा ने अदालत से कहा कि अवैध निर्माणकर्ताओं ने जयपुर स्थित स्थानीय निकाय के न्यायालय में भी निगम के खिलाफ वाद दायर किया है। इस पर आगामी 28 मार्च को सुनवाई होनी है। ऐसे में एक मामला दो अदालतों में एक साथ नहीं सुना जा सकता है। इस मामले में भी 21 मार्च को कोई निर्णय होगा।
नरचल का प्रार्थना पत्र खारिज:
चूड़ी बाजार स्थित होटल अजमेर इन के प्रकरण में पक्षकार बनने के लिए जागरूक नागरिक रवि नरचल ने आदेश एक नियम दस में प्रार्थना पत्र दायर किया था। मुंसिफ मजिस्ट्रेट सुश्री पूर्वा चतुर्वेदी ने नरचल के इस प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। यानी नरचल को इस प्रकरण में पक्षकार नहीं बनाया जा सकेगा। मालूम हो कि नरचल की जनहित याचिका पर ही हाई कोर्ट ने अजमेर के 490 अवैध कॉम्प्लेक्सों सीज और तोडऩे के आदेश दिए थे। नरचल चाहते थे कि मुंसिफ अदालत को हाई कोर्ट के आदेश की जानकारी दी जाए। नरचल ने ही निगम प्रशासन के खिलाफ अवमानना का मामला हाई कोर्ट में दायर किया है।
(एस.पी. मित्तल)  (19-03-2016)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment