Friday 1 April 2016

अफसरों के अभाव में पंगु बना हुआ है अजेमर प्रशासन। ------------------------------------------



राजनीतिक दृष्टि से सत्तारुढ़ भाजपा में अजमेर की मजबूत स्थिति है, लेकिन इसे अजेमर वासियों का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जो भाजपा नेता सत्ता की मलाईखा रहे हैं वे एक जुट नहीं है। इधर एकता का अभाव है तो उधर जिला प्रशासन में अफसरों का। जिला प्रशासन में महत्त्वपूर्ण पद पिछले कई माह से रिक्त पड़े हुए हैं, लेकिन सरकार द्वारा अफसरों की नियुक्ति नहीं की जा रही है। इससे ज्यादा शर्मनाक और लापरवाह पूर्ण रवैया क्या होगा कि संसार प्रसिद्ध ख्वाजा साहब का सालाना उर्स का झंडा 4 अप्रैल को चढ़ेगा और आज एक अप्रैल तक उर्स मेला मजिस्टे्रट नहीं है।
प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत अजमेर के सिटी मजिस्ट्रेट ही उर्स मेला मजिस्ट्रेट होते हैं। सिटी मजिस्ट्रेट का पद पिछले तीन माह से रिक्त पड़ा हुआ है। जिला कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक ने अपने स्तर पर परियोजना अधिकारी राधेश्याम मीणा को सिटी मजिस्ट्रेट का काम सौंप रखा है। जबकि मीणा आरएएस की सेवा में बहुत जूनियर है। इसके साथ ही अतिरिक्त कलेक्टर द्वितीय, सहायक कलेक्टर, प्रोटोकॉल अधिकारी, जिला परिषद के सीईओ, अतिरिक्त सीईओ आदि के महत्त्वपूर्ण पद खलाी पड़े हुए हैं। जो पद रिक्त हैं, उनका कार्य दूसरे अफसरों को सौंप रखा है। अतिरिक्त कलेक्टर प्रशासन किशोर कुमार को जिला परिषद, रसद अधिकारी सुरेश सिंधी को राजस्व शाखा, उपखंड अधिकारी हीरालाल मीणा को अतिरिक्त कलेक्टर द्वितीय के पदों का काम सौंप रखा है। कई बार तो जिला मुख्यालय पर एक भी अधिकारी उपस्थित नहीं होता है। ऐसे में बहार से आने वाले पीडि़त लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। 31 मार्च को ही बीएलओ के प्रशिक्षण शिविर में हंगामा हो गया। मालूम हो कि मतदाता सूची को बनाने और संशोधन करवाने के लिए सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को बीएलओ बना रखा है। 31 मार्च को प्रात:10:30 बजे सभी बीएलओ प्रशिक्षण स्थल सूचना केन्द्र के सभागार में आकर बैठ गए। लेकिन दोपहर 12 बजे तक प्रशिक्षण देने वाले परियोजना अधिकारी और कार्यवाहक सिटी मजिस्ट्रेट राजेश्याम मीणा आए ही नहीं। जबकि शिक्षक अपना स्कूल छोड़कर आए थे। बुरी स्थिति तो तब हुई, जब मीणा ने सूचना केन्द्र आने से मना कर दिया। मीणा का कहना रहा कि कलेक्टर मैडम ने जरूरी कार्य बता दिया है। इसलिए प्रशिक्षण के लिए नहीं आ सकता। बाद में शिक्षकों को संतुष्ट करने के लिए निर्वाचन विभाग के एक बाबू को प्रशिक्षण देने भेज दिया। यानि जिला प्रशासन ने ऊहा-पोह की स्थिति है। जिन जिला स्तरीय बैठकों में कलेक्टर को उपस्थित रहना चाहिए, उसमें अतिरिक्त कलेक्टर किशोर कुमार से काम चलाया जाता है। हाल ही में सम्पन्न हुए राजस्थान दिवस समारोह में भी हालात बिगड़े नजर आए। एक समय था जब अजमेर में जिला प्रशासन में नियुक्ति पाना सम्मान जनक माना जाता था। 
लेकिन अब आरएएस अधिकारी कतराते हैं। जानकारों के अनुसार कलेक्टर डॉ. मलिक और सत्तारुढ़ पार्टी के मंत्रियों व विधायकों में भी समुचित तालमेल नहीं है। इसलिए अफसरों के अभाव पर किसी को चिंता नहीं है। पूर्व में कलेक्टर के व्यवहार को लेकर विधयकों ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से शिकायत भी की थी, लेकिन विधायकों की शिकायत को अनसुना कर दिया गया। यही वजह है कि अब जिले के मंत्री और विधयक चुप रहना ही उचित समझते हैं। एक ओर जिला प्रशासन का इतना बुरा हाल है तो दूसरी ओर आगामी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस का राज्यस्तरीय समारोह अजेमर में करने का निर्णय लिया गया है। जानकारों की माने तो इस समारोह की कमान कलेक्टर को ही सौंपी गई है। असल में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को अपने मंत्रियों और विधायकों से ज्यादा कलेक्टर पर भरोसा है। यही वजह है कि मंत्री और विधायक भी प्रशासन के हालात सुधारने में कोई रुचि नहीं दिखाते हैं। 

नोट- फोटोज मेरे ब्लॉग spmittal.blogspot.in तथा फेसबुक अकाउंट पर देखें। 

(एस.पी. मित्तल)  (01-04-2016)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment