Tuesday 19 April 2016

क्या रिलायंस राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार की छवि खराब कर रहा है?


रिलायंस ने कहा हम देते हैं राजस्थानियों को मात्र 1 रुपए 19 पैसे प्रति यूनिट की बिजली।
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18 अप्रैल को देश के शीर्ष औद्योगिक घराने रिलायंस पावर की ओर से प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में पूरे पृष्ठ का एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया। इस विज्ञापन में रिलायंस ने कहा है कि राजस्थान के 7 करोड़ 50 लाख लोगों को मात्र 1 रुपए 19 पैसे प्रति यूनिट मूल्य पर बिजली दी जा रही है। सब जानते हैं कि राजस्थान में बिजली निगम घरेलू उपभोक्ता से 5 रुपए तथा वाणिज्यिक से 7 रुपए प्रति यूनिट वसूली करता है। इसलिए यह सवाल उठता है कि क्या रिलायंस का विज्ञापन राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार की छवि खराब करने वाला है। विज्ञापन में रिलायंस ने तो अपनी ईमानदार और मेहनती छवि दिखा दी। यानि जिन घरेलू उपभोक्ता से 1 यूनिट के पांच रुपए वसूले जाते हैं,। उस 1 यूनिट बिजली का रिलायंस मात्र 1 रुपए 19 पैसे में देता है, लेकिन इस विज्ञापन में यह नहीं बताया कि राजस्थान में कितनी मांग है और वह कितने यूनिट सप्लाई करता है। प्रदेश में करीब 600 करोड़ यूनिट बिजली की प्रति माह आवश्यकता होता है, लेकिन रिलायंस वर्तमान में मात्र 34 करोड़ यूनिट बिजली ही प्रतिमाह दे रहा है। वसुंधरा सरकार को शेष 566 करोड़ यूनिट बिजली अन्य स्त्रोतों खरीदनी पड़ती है। इस विज्ञापन में रिलायंस ने यह भी नहीं बताया कि सस्ती बिजली देने के लिए रिलायंस को कोडिय़ों के भाव कोयले की खदान मिली है। समझौते की शर्तों के अनुरूप रिलायंस को 1 रुपए 19 पैसे प्रति यूनिट में ही बिजली देनी थी इस लिए मध्यप्रदेश के सासन क्षेत्र में 22 किमी लम्बी कोयले की खान दी गई। शर्तों के मुताबिक रिलायंस को वर्ष 2008 में ही बिजली की सप्लाई शुरू कर देनी चाहिए थी, लेकिन यह सप्लाई वर्ष 2015 में शुरू की गई। यह वही कोयला घोटाला है, जो यूपीए की सरकार में हुआ था। इस घोटाले की वजह से ही नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। अच्छा होता कि देश की जनता के सामने रिलायंस ने यह भी बताया कि उसे कोडिय़ों के भाव कोयले की खान का आवंटन हुआ है। इसलिए सरकार को सस्ती दर पर बिजली दे रहा है। सवाल उठता है कि क्या यदि रिलायंस को रियायती दर पर कोयले की खान आवंटित नहीं होती तो 1 रुपए 19 पैसे प्रति यूनिट से बिजली दी जा सकती थी? रिलायंस को कोयले की जो खदान आवंटित हुई उसे दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खदान माना गया है। मालूम हो कि यूपीए की सरकार ने जिदंल घराने को भी कोयले की खान आवंटित की गई थी, लेकिन जिदंल ने पांवर प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं किया। रिलायंस ने देर से ही सही बिजली का उत्पादन तो शुरू कर दिया। 
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(एस.पी. मित्तल)  (18-04-2016)
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