Sunday 3 April 2016

एनआईए के काबिल अफसर मोहम्मद तंजील की हत्या पर मचना चाहिए हंगामा।


क्या देशद्रोहियों के खिलाफ  बोलने वालों को इस तरह मारा जाएगा?
--------------------------------------
आतंकवादी वारदातों की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली राष्ट्रीय जांच एजेन्सी (एनआईए) के काबिल अधिकारी मोहम्मद तंजील की 2 अप्रैल की रात को अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस सूत्रों के अनुसार तंजील रात्रि को डेढ़ बजे उत्तरप्रदेश के बिजनौर जिले के शहसपुर से गुजर रहे थे कि तभी ताबड़तोड़ गोलियां उनके शरीर में दाग दी गई। तंजील कोई साधारण पुलिस अधिकारी नहीं थे बल्कि आतंकवादियों के खिलाफ देश में जितनी भी जांच हो रही थीं, उसमें उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। यासीन भटकल की गिरफ्तारी में भी तंजील की खास भूमिका रही। इतना ही नहीं हाल ही में पाकिस्तान की जिस जांच टीम ने दिल्ली और पठानकोट में आतंकी हमलें की जांच की, उसमें भी तंजील सक्रिय थे। पाकिस्तान की पुलिस ने पठानकोट के मामले में जो एफआईआर लिखी, वह उर्दू में थी। उर्दू की एफआईआर लेकर ही पाक टीम भारत आई थी। उर्दू को हिन्दी व अंग्रेजी में ट्रांसलेट तंजील ने ही किया बताया। तंजील बीएसएफ के डिप्टी कमांडेंट थे, लेकिन उनकी काबिलियत को देखते हुए उनका चयन एनआईए में किया गया। एनआईए के गठन के समय से ही तंजील जुड़े हुए हैं। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि तंजील को किसने मौत के घाट उतारा, लेकिन अब तक जो सबूत और जानकारी एकत्रित हुई है उससे प्रतीत होता है कि तंजील की हत्या में आतंकवादियों का हाथ हैं। असल में देशद्रोही और आतंकवादी यह नहीं चाहते कि भारत की जांच एजेन्सियां किसी निष्कर्ष तक पहुंचे। तंजील की हत्या को लेकर देश में वाकई हंगामा मचना चाहिए। जब हमारा मीडिया और राजनेता अपने स्वार्थो की वजह से हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित बेमुला की खुदकुशी और अखलाक की हत्या पर हंगामा कर सकते हैं तो फिर मोहम्मद तंजील की हत्या पर क्यों नहीं? कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी को चाहिए कि वे भी तंजील की हत्या के मुद्दे को उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ें। यदि सरकार की कोई गलती नजर आती हो तो उस पर भी तीखी प्रक्रिया होनी चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि मोहम्मद तंजील एक देशभक्त और कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी की भूमिका निभा रहे थे। सवाल उठता है कि क्या इस देश में ऐसे तत्व मौजूद हैं जो किसी देशभक्त अधिकारी को बर्दाश्त नहीं कर सकते?  हो सकता हैं कि तंजील की हत्या के पीछे कोई आपसी रंजिश भी हो, लेकिन इस रंजिश की तह तक भी जाना चाहिए। छोटा-मोटा अपराधी एनआईए के किसी बड़े अधिकारी की हत्या करने की हिम्मत नहीं कर सकता है। इस हत्या के पीछे कोई बड़ी साजिश है जिसका खुलासा होना ही चाहिए। तंजील की पत्नी फरजाना भी अस्पताल में मौत से संघर्ष कर रही है। फरजाना के पेट में भी दो गोलियां लगी हैं, जबकि उनके दोनों बच्चें सीट के नीचे छिप जाने की वजह से बच गए। हमलावरों के गुस्से का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तंजील के मृत शरीर से 12 गोलियां निकाली गई, जबकि तीन गोलियां शरीर को पार कर बाहर निकल गई।

नोट- फोटोज मेरे ब्लॉग spmittal.blogspot.in तथा फेसबुक अकाउंट पर देखें। 
(एस.पी. मित्तल)  (03-04-2016)
(spmittal.blogspot.inM-09829071511

No comments:

Post a Comment