Saturday 30 April 2016

आईपीएल के मैच जयपुर में नहीं करवाने के लिए सीएम राजे को मिलनी चाहिए शाबासी। --------------------------------------


राजस्थान के जयपुर में आईपीएल के 3 मैच हो या नहीं, इस पर हाईकोर्ट का फैसला 3 मई को आना था। लेकिन इससे पहले ही 29 अप्रैल को आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने यह निर्णय ले लिया कि अब जयपुर में मैच नहीं कराए जाएंगे। असल में यह फैसला गवर्निंग काउंसिल का नहीं, बल्कि राजस्थान की सीएम वसुन्धरा राजे का है। जब मुम्बई हाईकोर्ट ने मुम्बई में एक मई के बाद आईपीएल मैचों पर रोक लगा दी तो सीएम राजे ने आपीएल को अपने जयपुर में आमंत्रित कर लिया। इस पर सीएम राजे की चौतरफा आलोचना हुई। कहा गया कि सूखे के हालात राजस्थान में महाराष्ट्र से भी बदतर है। ऐसे में आईपीएल के मैच जयपुर में नहीं होने चाहिए। 28 अप्रैल को मैंने भी एक ब्लॉग लिखा था जिसमें मुख्यमंत्री राजे को सलाह दी थी कि 3 मई को हाईकोर्ट का फैसला आने से पहले ही आईपीएल के मैच नहीं करवाने की घोषणा कर दी जाए। इसी ब्लॉग में मैंने लिखा कि कार्यवाहक चीफ जस्टिस अजय रस्तोगी जनता के हित में फैसले देने के लिए मशहूर हैं। जस्टिस रस्तोगी ने 27 अप्रैल की सुनवाई में सरकार को निर्देश दिए थे कि आईपीएल के मैच कराने से पहले आगामी दो माह में प्रदेश में पेयजल की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। सरकार को भी इस बात का पता था कि भीषण गर्मी के दिनों में पूरे प्रदेश में पेयजल के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है। यह सही है कि यदि वसुन्धरा राजे अपनी जिद्द पर अड़ी रहती तो आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल कभी भी जयपुर में मैच रद्द नहीं करती। लेकिन चारों तरफ से घिरने के बाद सीएम राजे ने आईपीएल के मैच जयपुर में नहीं कराने का ही निर्णय लिया। सीएम राजे की सहमति के बाद ही गवर्निंग काउंसिल ने जयपुर में आईपीएल के मैच नहीं कराने का निर्णय लिया है। सरकार के किसी जनविरोधी फैसलों की जब हम आलोचना करते हैं तो हमें सरकार के उस निर्णय का भी स्वागत करना चाहिए, जिसमें गलती को सुधारा गया है। यदि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए सीएम राजे ने आईपीएल के मैच नहीं कराने का निर्णय लिया है तो फिर राजे को शाबासी भी मिलनी चाहिए। सवाल आईपीएल के मैचों में पानी की बर्बादी का नहीं है। सवाल प्रदेश के वर्तमान हालातों का है। सब जानते हैं कि आईपीएल धनाढ्य लोगों का खेल है इसका क्रिकेट से कोई सरोकार नहीं है। राजस्थान में जब बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा हो तब कुछ लोगों की मौज मस्ती के लिए आईपीएल को करवाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं था और जब ऐसे आयोजन में सरकार की भागीदारी हो तो फिर जनता के मन में आक्रोश होगा ही।
(एस.पी. मित्तल)  (30-04-2016)
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