Monday 4 April 2016

तो अब कश्मीर में पाकिस्तान और आईएस के झंडे नहीं लहरेंगे।


महबूबा ने ली सीएम पद की शपथ।
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भाजपा के शासन वाले महाराष्ट्र राज्य में सीएम देवेन्द्र फडऩवीस ने कहा है कि देश का जो नागरिक भारत मात की जय नहीं बोल सकता, उसे इस देश में रहने का हक भी नहीं है। भारत माता की जय नहीं बोलने वाले कहां जाएंगे। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन 4 अप्रैल को जम्मू कश्मीर में भाजपा के सहयोग से ही पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बन गई है। चूंकि महबूबा की सरकार भाजपा के सहयोग से बनी है। इसलिए यह उम्मीद की जानी चाहिए कि कश्मीर में पाकिस्तान और आतंकी संगठन आईएस के झंडे नहीं लहरेंगे और न ही कश्मीर में भारत विरोधी नारे लगेंगे। यह बात अलग है कि 31 मार्च को जब टी-20 के मैच में भारत की वेस्टइंडीज से हार हो गई थी तो श्रीनगर के एक शैक्षणिक संस्थान में जश्न मनाया गया। यह घटना तब घटी जब महबूबा की सरकार बनाने का निर्णय हो गया था। हालांकि अभी तक पीडीपी और भाजपा दोनों ने ही यह नहीं बताया है कि किस समझौते के तहत गठबंधन सरकार बनी है, लेकिन देशवासियों का यह मानना है कि महबूबा की सरकार 4 लाख हिन्दुओं को वापस कश्मीर में बसाएगी और भारत का विरोध करने वाले अलगाववादियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगी। ऐसा नहीं हो सकता कि भाजपा ने पीडीपी की यह शर्त मानी हो कि कश्मीर में अलगाववादियों पर नरम रुख अपनाया जाएगा। भाजपा कह सकती है कि महबूबा ने भारतीय संविधान के अनुरूप मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली है। इसलिए देशविरोधी गतिविधियों को रोकने की जिम्मेदारी महबूबा की ही है। 
सब जानते हैं कि गत 7 जनवरी को जब महबूबा के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद का निधन हुआ था, तभी से भाजपा महबूबा मुफ्ती को सीएम बनवाना चाहती थी, लेकिन महबूबा की शर्तों की वजह से सरकार बनाने में विलम्ब हुआ। बीच में एक बार महबूबा ने कहा भी यदि हम कश्मीरियों के हक में काम नहीं कर सकते तो फिर सरकार बनाने से क्या फायदा है? उम्मीद की जानी चाहिए कि भाजपा ने महबूबा की ऐसी कोई शर्त नहीं मानी होगी, जो कश्मीर को भारत से अलग करती हो। खुद महबूबा भी इस हकीकत को जानती है कि कश्मीर के हालात बेहद खराब हैं। देवेन्द्र फडऩवीस भले ही भारत माता की जय नहीं बोलने वालों को देश से निकालने की बात कह रहे हो, लेकिन कश्मीर में खुलेआम पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाते हैं। चूंकि कश्मीर में भाजपा के सहयोग से सरकार बनी है, इसलिए यह उम्मीद की जानी चाहिए कि अब कम से कम भारत विरोधी नारे तो नहीं लगेंगे। जब हम महाराष्ट्र में भारत माता की जय नहीं बोलने वालों को बाहर निकालने की चेतावनी दे सकते हैं तो कश्मीर में कम से कम देश विरोधी नारे लगाने वालों के खिलाफ कार्यवाही तो कर ही सकते हैं। कश्मीर का अब तक का यह रिकॉर्ड रहा है कि देशविरोधी नारे लगाने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगी। यहां तक कि कश्मीरी युवक भारतीय सेना पर पत्थरबाजी भी करते हैं। सेना पत्थर खाने के बाद भी जवाबी कार्यवाही नहीं कर सकती है। जम्मू कश्मीर नहीं कर सकती है। जम्मू कश्मीर के जो नागरिक भारत में ही रहना चाहते हैं, उन्हें उम्मीद है कि महबूबा की सरकार अलगाववादियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करेगी। भाजपा की सफलता महबूबा को मुख्यमंत्री बना देने से ही नहीं है, बल्कि कश्मीर के हालात सुधारने पर मानी जानी चाहिए। जहां तक धारा 370 हटाने का सवाल है तो भाजपा ने अपनी इस मांग को पहले ही रद्दी की टोकरी में फेंक दिया है। 
(एस.पी. मित्तल)  (04-04-2016)
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