Thursday 7 April 2016

तो फिर अजमेर में क्यों किया जा रहा है पाक नागरिकों का इस्तकबाल।



शांति प्रक्रिया को रोक कर पाकिस्तान ने भारत को नीचा दिखाया। 
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सात अप्रैल को नई दिल्ली में पाकिस्तान के राजदूत अब्दुल बासित ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत के साथ शांति प्रक्रिया को स्थगित करने का ऐलान किया। अब्दुल बासित ने आरोप लगाया कि कश्मीर के मुद्दे पर भारत पीछे हट गया है। इसलिए शांति प्रक्रिया पर वार्ता करना बेमानी है। यानि पाकिस्तान को अब भारत के साथ सबंध सुधारने में कोई रुचि नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि तो फिर अजमेर में चार सौ पाकिस्तान के नागरिकों का इस्तकबाल क्यों किया जा रहा है?
अजमेर में ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में शरीक होने के लिए पांच सौ पाकिस्तानियों का एक दल 9 अप्रैल को सुबह विशेष रेलगाड़ी से अजमेर पहुंचेगा। उर्स में पाक दल के आने की पंरपरा है और इस परंपरा को भारत-पाक के संबंधों के साथ जोड़ कर देखा जाता है। ऐसा कई बार हुआ है कि जब तनावपूर्ण संबंध होने की वजहसे सरकारी स्तर पर पाक दल को उर्स में नहीं आने दिया गया। इसमें कोई दो राय नहीं कि पिछले दिनों भारत व पाकिस्तान के बीच संबंध सामान्य ही थे, लेकिन 7 अप्रैल को पाकिस्तान के राजदूत ने अचानक हालात तनावपूर्ण कर दिए। अब्दुल बासित ने जिस तीखे अंदाज में भारत की विदेश नीति की आलोचना की,उसमें यह माना जा सकता है कि फिलहाल संबंध बेहद खराब हो गए हैं। बासित का यह कहना कि जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के मामले संयुक्त राष्ट्र संघ में चीन का नजरिया से यह जाहिर होता है कि पाकिस्तान भारत के बजाए चीन से चाहता है। माूम हो कि मसूद अजहर पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की मांग भारत ने की थी। पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लिए ही पठानकोट हमले की जांच के लिए भारत में पाकिस्तान के जांच दल को आमंत्रित भी किया था। पाकिस्तान का रवैया चाहे कैसा भी रहा हो, लेकिन भारत ने हमेशा दोस्ती का हाथ बढ़ाया है।
पाक दल का शानदार इस्तकबाल होता है
उर्स में जब भी पाक दल अजमेर आता है तो सरकारी स्तर पर शानदार इस्तकबाल किया जाता है। जिला प्रशासन अजमेर के पुरानी मंडी स्थित सेंट्रल गल्र्स स्कूल में पाक नागरिकों को 7 दिनों तक ठहराया जाता है, इस अवधि में छात्राओं के लिए स्कूल बंद रहता है।  पाक नागरिकों को इन सात दिनों में कोई असुविधा न हो इसके लिए पर्याप्त इंतजाम किए जाते हैं, यहां तक कि रियायतीदर पर खाद्य सामग्री भी उपलब्ध करवाई जाती है। उर्स के दौरान पाक नागरिक जुलूस निकाल कर दरगाह तक जाते हैं। इस जुलूस के लिए भी प्रशासन को सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने होते हैं। 
डिप्टी सीएम नहीं जा सके श्रीनगर:
एक ओर पाकिस्तान के राजदूत दिल्ली में बैठकर भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं तो दूसरी ओर 7 अप्रैल को ही जम्मू-कश्मीर के डिप्टी सीएम निर्मल सिंह अपने राज्य के श्रीनगर नहीं जा सके। निर्मल सिंह को श्रीनगर के एनआईटी परिसर में छात्रों सेमिलना था, लेकिन श्रीनगर के हालात अचानक नाजुक हो जाने की वजह से डिप्टी सीएम को अपना दौरा रद्द करना पड़ा। मालूम हो कि दो दिन पहेल एनआईटी के कैम्पस में गैर कश्मीरी छात्रों को पुलिस ने बुरी तरह पीटा। ऐसे छात्र अब श्रीनगर में रहना नहीं चाहते हैं। 
पाक की काली करतूत
असल में पाकिस्तान कश्मीर को भारत से अलग करना चाहता है। इसीलिए हर बार पाकिस्तान कश्मीर का मुद्दा उठा कर भारत का नीचा दिखाने का प्रयास करता है। पाकिस्तान के दखल की वजह से ही आज हमारे कश्मीर के हालात बहुत खराब हो गए हैं। सुनियोजित षडय़ंत्र के तहत पहले चार लाख हिन्दुओं को पीट-पीट कर कश्मीर से भगा दिया गया और अब केन्द्र के शिक्षण संस्थानों में गैर कश्मीरी छात्रों को पढऩे नहीं दिया जा रहा। जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने भले ही पीडीपी के साथ मिलकर दुबारा से सरकार बना ली हो, लेकिन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती व पाकिस्तान के राजदूत अब्दुल बासित की भाषा बोलने लगे, कुछ नहीं कहा जा सकता। हो सकता है कि महबूबा मुफ्ती ने भारत को ही नीचा दिखाने के लिए भाजपा के साथ सरकार बनाई हो। 

(एस.पी. मित्तल)  (07-04-2016)
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