Saturday 23 April 2016

अफसरों के भरोसे चल रही है शिक्षकों के पदस्थापन की काउंसलिंग।


न मेरिट सूची पूर्ण न रिक्त पदों की सही जानकारी।
मंत्री ने कहा खामियों को दूर करेंगे।
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राजस्थान भर में इन दिनों तृतीय श्रेणी से द्वितीय श्रेणी में पदोन्नत हुए शिक्षकों का पद स्थापन हो रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने पद स्थापना में ईमानदारी और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए काउंसलिंग प्रणाली लागू की है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों की वजह से काउंसलिंग प्रणाली मंत्री की कसौटी पर खरी नहीं उतर रही है। प्रदेश भर के शिक्षकों की परेशानियों को देखते हुए मंत्री देवनानी ने कहा है कि काउंसलिंग प्रणाली की खामियों को दूर किया जाएगा। यदि किसी कारणवंश इस समय किसी शिक्षक का पदस्थापन पारदर्शिता के साथ नहीं हुआ है तो उसे कुछ ही दिनों में दुबारा से अवसर दिया जाएगा। 23 अप्रैल को अजमेर में भी संभाग स्तरीय पदस्थापन काउंसलिंग हुई। इस काउंसलिंग में शिक्षकों का कहना था कि पदोन्नति होने के बाद भी काउंसलिंग के समय जो मेरिट लिस्ट चस्पा की गई है उसमें नाम नहीं है। हालाकि अधिकारियों ने एक अन्य कक्ष में मेरिट लिस्ट में नाम शामिल करवाने की व्यवस्था की थी, लेकिन इस खामी की वजह से काउंसलिंग से पहले ही सारी व्यवस्था गड़बड़ा गई। पदोन्नत हुए शिक्षकों को यह भी शिकायत थी कि काउंसलिंग से पहले पदस्थापन की सूची को अपडेट नहीं किया गया है। ऐसे में वे शिक्षक भी सूची में शामिल हो गए जिन्हें तीन संतान होने अथवा विभागीय जांच विचाराधीन होने की वजह से पदोन्नति का लाभ नहीं मिल सकता। शिक्षा अधिकारियों ने अपनी इस खामी को छिपाने के लिए संबंधित शिक्षक से शपथ पत्र मांग लिया। यानि शिक्षा विभाग के स्वयं के पास जानकारी उपलब्ध नहीं है। इसी प्रकार जिन शिक्षकों को विधवा, तलाकशुदा, विकलांग आदि होने की वजह से काउंसलिंग में जो प्राथमिकता मिलनी चाहिए थी वह भी नहीं मिली। काउंसलिंग से पहले अधिकारियों के पास इस बात का कोई रिकार्ड नहीं था। इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि शिक्षकों से कहा गया था कि वे अपनी-अपनी जानकारियां संबंधित शिक्षा अधिकारियों के कार्यालय में दे। वहीं शिक्षकों ने शिक्षा अधिकारियों पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। नाराज शिक्षकों का कहना था कि शिक्षा विभाग ने किसी भी माध्यम से कोई सूचना नहीं भिजवाई। यहां तक की काउंसलिंग होने तक की जानकारी भी नहीं दी। शिक्षकों ने अपने स्तर पर ही जानकारी जुटाई है। शिक्षा विभाग में आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बाद भी अधिकारियों ने पदोन्नति और काउंसलिंग की सूची को अपडेट नहीं किया। सूचना नहीं मिलने की वजह से अनेक शिक्षक काउंसलिंग में आ ही नहीं पाए। जबकि यह पदोन्नति की काउंसलिंग संभाग मुख्यालय पर हो रही है। 23 अप्रैल को भी अजमेर के तोपदड़ा स्थित शिक्षा परिसर में अजमेर, नागौर, टोंक और भीलवाड़ा जिलों के हिन्दी और संस्कृत विषय के पदोन्नत शिक्षकों की काउंसलिंग हुई। इस काउंसलिंग में शिक्षकों की सबसे बड़ी शिकायत यह थी कि सभी रिक्त पदों वाले स्कूलों को काउंसलिंग में शामिल नहीं किया गया है। जानकारी के मुताबिक अजमेर में 14 सौ संस्कृत शिक्षकों के पद रिक्त है, लेकिन काउंसलिंग में मुश्किल से चार सौ स्कूलों को ही शामिल किया गया है। इस संबंध में शिक्षा अधिकारियों का कहना रहा कि काउंसलिंग में उन्हीं स्कूलों को शामिल किया गया है जहां निर्धारित नियमों के अनुरुप विद्यार्थियों की संख्या है। जिन स्कूलों में चार विद्यार्थी ही संस्कृत के है उन स्कूलों में रिक्त पद होने के बाद भी शामिल नहीं किया गया है।
खामियां दूर करेंगे :
स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने स्वीकार किया कि पद स्थापन की काउंसलिंग में खामियां है। इसका सबसे बड़ा कारण शिक्षकों की वर्षो से पदोन्नति नहीं होना है। उन्होंने कहा कि तृतीय श्रेणी से द्वितीय श्रेणी में पदोन्नति पिछले कई वर्षो से नहीं हुई है। ऐसे में मेरिट लिस्ट बनाने में भी कुछ कमी रह सकती है। इसके लिए शिक्षकों को भी जागरूकता दिखानी चाहिए। यदि किसी शिक्षक का नाम मेरिट लिस्ट और काउंसलिंग में नहीं आया है तो उसे भी जागरूक रह कर काउंसलिंग प्रणाली का लाभ उठाना चाहिए। सरकार का प्रयास एक भी शिक्षक खासकर महिला शिक्षकों को परेशान करना नहीं है। उन्हें पता है कि शिक्षक के संतुष्ट होने पर ही विद्यालय में पढ़ाई का अच्छा वातावरण बनता है। इसलिए काउंसलिंग प्रणाली को लागू किया गया है। मेरिट के आधार पर संबंधित शिक्षक अपनी मनपसंद स्कूल का चयन कर सकता है।
(एस.पी. मित्तल)  (23-04-2016)
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