Monday 25 April 2016

डोल्कन ईसा को आतंकी और मसूद अजहर को समाजसेवी मानता है चीन। क्या चीन से डर गया भारत? क्यों किया ईसा का वीजा रद्द?


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25 अप्रैल को भारत ने चीन के निर्वासित मुस्लिम नेता डोल्कन ईसा का वीजा रद्द कर दिया है। ईसा चीन के शिंजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुसलमानों के नेता हैं। ईसा चीन में लोकतंत्र और मुसलमानों को धार्मिक अधिकार दिलवाने की मांग कर रहे हैं। ईसा का आरोप है कि चीन के निर्दयी शासक मुसलमानों का कत्लेआम करते हैं। यहां तक मुस्लिम धर्म के अनुरूप रहने भी नहीं दिया जाता। चीन सरकार की ज्यादतियों से तंग आकर खुद ईसा को चीन छोडऩा पड़ा है और अब वे जर्मनी में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। चीन से बाहर रहने वाले उइगर मुसलमानों को एकत्रित कर ईसा दुनियाभर में चीन के खिलाफ माहौल बना रहे हैं। इसी सिलसिले में ईसा हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आयोजित एक समारोह में भाग लेने के लिए भारत आ रहे थे। इसके लिए भारत सरकार ने वीजा भी जारी कर दिया था, लेकिन चीन ने भारत के वीजा देने का विरोध किया तो भारत ने 25 अप्रैल को ईसा का वीजा रद्द कर दिया। कहा जा रहा है कि चीन के दबाव में ही ईसा का वीजा रद्द किया गया। यानि भारतचीन से डर गया। हालांकि भारत के विदेश मंत्रालय का बचाव में कहना है कि ईसा के खिलाफ इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने की जानकारी नहीं थी, इसलिए पहले वीजा जारी किया, लेकिन रेडकॉर्नर नोटिस की जानकारी मिलते ही वीजा रद्द कर दिया गया। यदि हमारे विदेश मंत्रालय का यह कथन सही है तो यह बेहद शर्मनाक बात है, क्योंकि चीन ने इंटरपोल पर दबाव डाल कर 1997 में ही रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवा दिया था। क्या हमारे विदेश मंत्रालय को 19 वर्ष में भी रेड कॉर्नर नोटिस की जानकारी नहीं हुई? जबकि ईसा तो अपनी वल्र्ड उइगर कॉन्फ्रेंस के जरिए पूरी दुनिया में चीन के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। असल में चीन के दबाव के बाद हमारा विदेश मंत्रालय अब फेस सेविंग कर रहा है। यह बात जाहिर हो गईहै कि भारत चीन से मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। जहां तक डोल्कन ईसा और रेड कॉर्नर नोटिस का सवाल है तो इस नोटिस के बाद भी ईसा यूएस, जापान जैसे लोकतांत्रिक देशों की यात्रा कर आए हैं और जर्मनी में रह कर उइगर मुसलमानों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 
चीन का दोहरा चरित्र:
डोल्कन ईसा का भारत का वीजा रद्द करवाकर चीन ने अपना दोहरा चरित्र उजागर किया है। हाल ही में जब भारत ने पाकिस्तान में बैठे आतंकी मसूद अजहर को प्रतिबंधित सूची में डालने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव रखा तो चीन ने अपने वीटो का इस्तेमाल कर भारत का प्रस्ताव रद्द करवा दिया। चीन डोल्कन ईसा को तो आतंकी मानता है लेकिन भारत में खुलेआम आतंकी वारदातों को अंजाम देने वाले मसूद अजहर को आतंकी नहीं समाजसेवी मानता है। यानि चीन मुसलमानों में भी फर्क करता है। चीन एक तरफ तो अपने शिंजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुसलमानों का कत्लेआम करता है तो दूसरी ओर मसूद अजहर जैसे भारत विरोधी मुसलमान की मदद करता है। भारत के नागरिकों खास कर मुसलमानों को चीन के इस दोहरे चरित्र को समझना चाहिए। असल में चीन न तो पाकिस्तान और न भात का हितैषी है। चीन को सिर्फ अपना स्वार्थ दिखता है। अच्छा हो मसूद अजहर जैसे पाकिस्तानी भारत में आतंकी वारदातों को अंजाम दिलवाने के बजाए, डोल्कन ईसा के साथ मिल कर चीन में रहने वाले उइगर मुसलमानों की मदद करें। भारत में तो मुसलमान सुकून और अपने धर्म के अनुरूप रह ही रहे है। 
पीएम मोदी की स्थिति पर भी असर:
पीएम नरेन्द्र मोदी बार-बार दावा करते हैं कि उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का दबदबा कायम किया है। यदि भारत का रुतबा वाकई बढ़ा होता हो डोल्कन ईसा का वीजा रद्द नहीं होता। जब चीन मसूद अजहर को समाजसेवी बता सकता है, तो हम डोल्कन ईसा को मानवाधिकारों का रक्षक क्यों नहीं मानते? मेरा मानना है कि ईसा के मामले को लेकर उन  कलाकारों, साहित्यकारों,बुद्धिजीवियों आदि को सामने आना चाहिए, जिन्होंने गत वर्ष भारत में असहिष्णुता को लेकर पुरस्कार लौटाए थे। इस मामले में मुस्लिम धर्मगुरुओं को भी आगे आना चाहिए। 
नोट- फोटोज मेरे ब्लॉग spmittal.blogspot.in तथा फेसबुक अकाउंट पर देखें। 
(एस.पी. मित्तल)  (25-04-2016)
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