Saturday 28 May 2016

क्या राजस्थान भाजपा में कुछ गड़बड़ है? पांच माह बाद भी प्रदेश कार्यकारिणी नहीं बनी। अब राज्यसभा चुनाव के उम्मीदवारों में भी उलझन।

#1391
क्या राजस्थान भाजपा में कुछ गड़बड़ है?
पांच माह बाद भी प्रदेश कार्यकारिणी नहीं बनी।
अब राज्यसभा चुनाव के उम्मीदवारों में भी उलझन।
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क्या राजस्थान भजपा में कुछ गड़बड़ है? यह सवाल इसलिए उठा है कि पांच माह गुजर जाने के बाद भी अशोक परनामी प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा नहीं कर सकें। गत वर्ष 15 दिसम्बर को परनामी को फिर से प्रदेश अध्यक्ष चुना गया था। सब जानते हैं कि परनामी तो नाम के अध्यक्ष है। संगठन को चलाने में असली भूमिका मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की है। राजे ही सत्ता और संगठन की शीर्ष बनी हुई है। भाजपा में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत लागू होने का दावा किया जाता है।
लेकिन वर्तमान में 6 ऐसे मंत्री हैं, जिनके पास संगठन के भी पद है। ये पद पिछली कार्यकारिणी से ही बने हुए है। अशोक परनामी नई कार्यकारिणी बनाए या नहीं। यह उनका आंतरिक मामला है, लेकिन जब यह दावा किया जाता है कि राजस्थान में भाजपा मजबूत स्थिति में है तो यह सवाल तो उठेगा ही कि आखिर पांच माह से नई कार्यकारिणी की घोषणा क्यों नहीं की गई। 
200 में से 160 भाजपा के विधायक हैं,अब राज्यसभा के लिए चार सदस्यों का चयन होना है। नामांकन की अंतिम तिथि 31 मई है, लेकिन 160 विधायकों वाली भाजपा 27 मई तक भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं कर सकी। भाजपा को तीन सदस्यों के चुनाव से कोई खतरा नहीं है। चौथे सदस्य को निर्वाचित करवाने में भाजपा को मुश्किल से दो या तीन विधायकों की जरुरत है, जबकि इससे ही ज्यादा निर्दलीय विधायक भी हैं। सवाल उठता है कि 160 विधायकों वाली भाजपा क्या दो या तीन निर्दलीय विधायकों के वोट प्राप्त नहीं कर सकती? जानकारों की माने तो राजस्थान में भाजपा और सरकार में गड़बड़ होने की वजह से ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 31 मई का अजमेर दौरा स्थगित हुआ है, चूंकि चुनाव के लिए नामांकन का अंतिम दिन है, इसलिए पीएम का दौरा टाल दिया गया। माना जा रहा है कि 31 मई की सुबह ही चारों उम्मीदवारों के नामों की घोषणा और नामांकन होगा, इसलिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जयपुर में रणनीति बनाने में व्यस्त रहेंगी। यदि भाजपा में सब कुछ मजबूत और सामान्य होता तो उम्मीदवारों की घोषणा दो दिन पहले हो जाती  और नामांकन भी 31 मई से पहले हो सकता था। चूंकि सब कुछ 31 मई को ही होगा इसलिए प्रधानमंत्री को अजमेर बुलाकर वसुंधरा राजे राज्य सभा चुनाव में कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी। 
(एस.पी. मित्तल)  (27-05-2016)
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तो क्या शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी शिव शंकर शर्मा के मामले में झूठ बोल रहे हैं? सहायक कर्मी दिनेश शर्मा की आत्महत्या का मामला।

#1390
तो क्या शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी शिव शंकर शर्मा के मामले में झूठ बोल रहे हैं?
सहायक कर्मी दिनेश शर्मा की आत्महत्या का मामला।
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27 मई को दैनिक भास्कर में राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी का एक बयान छपा है। इस बयान में देवनानी ने कहा कि शिव शंकर शर्मा नाम का कोई व्यक्ति उनका निजी सहायक नहीं है।  इसलिए शिक्षा विभाग के सहायक कर्मचारी दिनेश शर्मा के आत्महत्या के प्रकरण से मेरा कोई सरोकार नहीं है। मालूम हो कि दिनेश शर्मा ने गत 18 मई को आत्महत्या कर ली थी। कोटपुतली के प्रागपुरा के सरकारी स्कूल में कार्यरत दिनेश शर्मा ने अपने सुसाइड नोट में आरोप लगाया कि शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी के पीए शिव शंकर शर्मा ने तबादलों के नाम पर 16 लाख रुपए हड़प लिए हैं। तभी से यह मामला प्रदेश की राजनीति में गरम बना हुआ है। 27 मई को जब भास्कर में देवनानी का बयान छपा तो इसके साथ ही सोशल मीडिया में देवनानी और शिव शंकर शर्मा के फेसबुक अकाउंट के फोटो वायरल हो गए। देवनानी ने भी अपने फेसबुक अकाउंट पर जो फोटो पोस्ट कर रखा है, उसमें जयपुर के मोती डूंगरी के मंदिर का फोटो भी हैं, जिसमें देवनानी और शिव शंकर साथ-साथ खड़े हैं। इसी प्रकार यही फोटो शर्मा ने भी अपनी फेसबुक पर पोस्ट कर रखा है। इसके साथ ही प्रदेश का सम्पूर्ण शिक्षा विभाग व हजारों शिक्षक यह जानते हैं कि शिव शंकर ही जयपुर में देवनानी का निजी सहायक बना हुआ था। भले ही शिव शंकर की नियुक्ति सरकारी स्तर पर नहीं हुई हो, लेकिन शिव शंकर का रुतबा सरकारी से भी ज्यादा था। इतना ही नहीं देवनानी के जयपुर स्थित कार्यालय के कमरा नम्बर 6 में ही शिव शंकर हमेशा उपलब्ध रहता था। अब देखना है कि इस फोटो के वायरल होने के बाद देवनानी का क्या कहना होगा। 
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(एस.पी. मित्तल)  (27-05-2016)
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वसुंधरा सरकार के अफसर आरटीआई कानून का दम निकला रहे हैं। सूचना आयुक्त ने जताई नाराजगी।

#1389
वसुंधरा सरकार के अफसर आरटीआई कानून का दम निकला रहे हैं। 
सूचना आयुक्त ने जताई नाराजगी।
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सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत मांगी गई सूचना देना अनिवार्य है, लेकिन जो लोग जनहित के अंतर्गत सूचनाएं मांगते हैं, उन्हें पता है कि राजस्थान की वसुंधरा राजे की सरकार के अधिकारी कितना तंग करते हैं। अनेक कार्यकर्ता तो हताश होकर अपने घर बैठ जाते हैं, लेकिन चन्द्रशेखर अग्रवाल और सीताराम अग्रवाल जैसे कार्यकर्ता भी हैं जो हिम्मत नहीं हारते। अफसरशाही चाहे कितना भी अड़ंगा लगा ले, लेकिन फिर भी अग्रवाल बंधु हर हाल में सूचना हासिल करते हैं। अग्रवाल बंधुओं ने अपनी एक शिकायत पर हुई कार्यवाही की जानकारी आरटीआई के तहत अजमेर के स्वायत्त शासन विभाग के क्षेत्रीय उपनिदेशक से 27 अप्रैल, 2014 को मांगी, यह सूचना 30 दिन के अंदर-अंदर देनी थी, लेकिन उपनिदेशक कार्यालय के अधिकारी 29 दिनों तक अग्रवाल बंधुओं को धक्के खिलाते रहे और अंतिम दिन पत्र भिजवा दिया कि वांछित सूचना के लिए 90 रुपए का शुल्क जमा करवाया जाए। उपनिदेशक सीमा शर्मा की यह कार्यवाही पूरी तरह आरटीआई कानून का दम निकालने वाली थी। असल में यह विभाग अग्रवाल बंधुओं को सूचना देना ही नहीं चाहता था। इसलिए अंतिम दिन पत्र भिजवाया। उपनिदेशक की इस कार्यवाही के खिलाफ अग्रवाल बंधुओं ने जयपुर में स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक के समक्ष अपील की, लेकिन निदेशक ने भी निर्धारित अवधि में कोई कार्यवाही नहीं की, लेकिन फिर अग्रवाल बंधुओं ने हिम्मत नहीं हारी। दोनों भाईयों ने इस मामले में द्वितीय अपील राज्य के सूचना आयुक्त पी.एल.अग्रवाल के समक्ष की। अग्रवाल ने यह माना कि अजमेर की उपनिदेशक सीमा शर्मा ने आरटीआई कानून के नियमों की पालना नहीं की है। अग्रवाल ने अपने महत्त्वपूर्ण फैसले में आदेश दिए कि प्रार्थी को वांछित सूचना नि:शुल्क दिलवाई जाए और भविष्य में आरटीआई की धारा 7(3)(क)(ख) का पालन किया जाए। इस धारा के मुताबिक संबंधित अधिकारी को आवदेन के 15 दिन के अंदर-अंदर शुल्क जमा कराने की सूचना दी जानी चाहिए और अगले पन्द्रह दिनों में अनिवार्य रूप से सूचना दी जाए। शुल्क के लिए अंतिम दिन सूचना भिजवाना आयुक्त अग्रवाल ने दोषपूर्ण माना। 
आमतौर पर अधिकारी आरटीआई की सूचना को लेकर ऐसा ही रैवेया अपनाते हैं। अग्रवाल बंधुओं ने तो अपनी लड़ाई राज्य सूचना आयुक्त तक लड़ ली, लेकिन आम व्यक्ति इतनी लड़ाई कैसे लड़ सकता है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे यदि इस कानून का वाकई सम्मान करती हैं तो उन्हें उन अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करनी चाहिए जो तीस दिन की अवधि में सूचना नहीं देते हैं। असल में सरकार कांग्रेस की हो अथवा भाजपा की। अफसरशाही का रवेया ऐसा ही रहता है। जब तक कोई सरकार इन अफसरों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करेगी, तब तक ये अधिकारी इसी तरह आरटीआई कानून का दम निकालते रहेंगे। 
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(एस.पी. मित्तल)  (27-05-2016)
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अजमेर की रितिका को हावर्ड यूनिवर्सिटी से मिली एमबीए की डिग्री।

#1388
अजमेर की रितिका को हावर्ड यूनिवर्सिटी से मिली एमबीए की डिग्री।
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अजमेर निवासी राजेश टवाणी और रेखा टवाणी की पुत्री रितिका को अमरीका स्थित हावर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल हुई है। 26 मई को बोस्टन में आयोजित एक भव्य समारोह में यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट ने रितिका को डिग्री प्रदान की। रितिका ने अजमेर के सोफिया स्कूल में 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद मुम्बई आईआईटी में प्रवेश लिया था। रितिका ने स्कॉलरशिप की मदद से ही हावर्ड यूनिवर्सिटी में अध्ययन किया। रितिका कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती के परिवार से जुड़ी हुई हैं। डॉ. बाहेती के बड़े भाई एडवोकेट ओम प्रकाश बाहेती की रितिका नातिन है। रितिका संभवत: अजमेर की पहली छात्रा है। जिसे हावर्ड यूनिवर्सिटी से डिग्री मिली है।

पीएम नरेन्द्र मोदी की 31 मई की अजमेर यात्रा स्थगित। पीएमओ को लेकर ऐसी गलफलत ठीक नहीं। क्या पहले पता नहीं था कि राज्यसभा के चुनाव हो रहे हैं?

#1387
पीएम नरेन्द्र मोदी की 31 मई की अजमेर यात्रा स्थगित।
पीएमओ को लेकर ऐसी गलफलत ठीक नहीं।
क्या पहले पता नहीं था कि राज्यसभा के चुनाव हो रहे हैं?
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27 मई को जिन परिस्थितियों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अजमेर यात्रा स्थगित हुई, उसे किसी भी स्थिति में उचित नहीं माना जा सकता। जब हम यह दावा करते हैं कि नरेन्द्र मोदी पिछले प्रधानमंत्रियों से अलग हटकर हंै तो फिर मोदी का काम काज भी वैसा ही होना चाहिए। 31 मई को अजमेर में पीएम सभा होनी है, इसकी घोषणा के बाद 26 मई को भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी के नेतृत्व में राज्य सरकार के पांच मंत्रियों ने अजमेर में डेरा जमा लिया। दिन भर की मशक्कत के बाद यह निर्णय हुआ कि 31 मई को पीएम की सभा कायड़ विश्राम स्थली पर होगी। पीडब्ल्यूडी मंत्री यूनुस खान तो देर रात तक सभा स्थल पर बैठकर पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों से तैयारियां करवाते रहे। इतना ही नहीं प्रदेशभर से लोगों को अजमेर लाने की तैयारियां भी शुरू कर दी गई। देहात भाजपा के अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत ने तो पुष्कर और किशनगढ़ में कार्यकर्ताओं की बैठक भी कर ली। भाजपा के प्रदेश भारी अविनाश राय खन्ना भी दिल्ली से जयपुर आ गए। प्रधानमंत्री की सभा को देखते हुए। शहर भर में सुरक्षा के इंतजाम भी शुरू कर दिए गए। ऐसा कोई कारण नहीं था कि जिसकी वजह से पीएम की यात्रा स्थगित हो, लेकिन 27 मई को जिस तरह से यात्रा टालने का निर्णय लिया, उससे प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठे अधिकारी पीएम के कार्यक्रमों को तय करने में गंभीरता नहीं बरतते हैं। अब कहा जा रहा है कि राज्यसभा के चुनाव की वजह से पीएम की यात्रा स्थगित की गई है। सवाल उठता है कि क्या राज्यसभा के चुनाव के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय को पहले पता नहीं था? राज्यसभा के चुनाव का कार्यक्रम तो 10 दिन पहले घोषित हो गया था, जबकि पीएम की यात्रा की घोषणा 25 मई की रात को यानि जब पीएम की यात्रा घोषणा की गई तो यह पता था कि राज्यसभा के चुनाव भी होने हैं। यदि यह चुनाव अड़चन थी तो फिर 25 मई को पीएम की यात्रा की घोषणा क्यों की गई? यात्रा की घोषणा अधिकृत थी, इसलिए तो भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष परनामी पांच मंत्रियों के साथ दिन भर भीषण गर्मी में इधर-उधर घूमते रहे। राजनेताओं के कार्यक्रमों में फेरबदल होना सामान्य बात है, लेकिन यह बात नरेन्द्र  मोदी जैसे प्रधानमंत्री पर लागू नहीं होती। सब जानते हैं कि मोदी को खूंखार आतंकवादियों से भी खतरा है। एसे में मोदी के कार्यक्रम ठोस तरीके से होने चाहिए। प्रधानमंत्री कार्यालय में जो अधिकारी बैठे हैं, उनकी यह जिम्मेदारी है कि वे सभी परिस्थितियों का अध्ययन करते हुए मोदी के कार्यक्रम तय करें। जब हम यह दावा करते हैं कि नरेन्द्र मोदी पिछले प्रधानमंत्रियों से अलग हैं तो फिर हमें ऐसा प्रदर्शित भी करना चाहिए। यह बात कोई मायने नहीं रखती कि मोदी का दौरा रद्द नहीं स्थगित हुआ है। देश के प्रधानमंत्री का दौरा स्थगित होना भी खास मायने रखता है। 
(एस.पी. मित्तल)  (27-05-2016)
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कैसा होगा सपनों का अजमेर अनूप भरतरिया ने बताया एडीए अध्यक्ष हेड़ा की सकारात्मक पहल

#1386
कैसा होगा सपनों का अजमेर अनूप भरतरिया ने बताया
एडीए अध्यक्ष हेड़ा की सकारात्मक पहल
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स्मार्ट सिटी की योजना से अलग हटकर अजमेर के विकास की रूप रेखा 26 मई को शहरी विकास के जाने माने इंजीनियर अनूप भरतरिया ने प्रस्तुत की। शिक्षा बोर्ड के सिविल लाइंस स्थित सभागार में शहर के जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों और विकास में रुचि रखने वाले नागरिकों के समक्ष भरतरिया ने सपनों के अजमेर के बारे में बताया। चढ़ीगढ़ जैसे शहरों को बसाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इंजीनियर भरतरिया को अजमेर बुलाने में अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा की पहल रही है। भरतरिया ने हेड़ा की पहल का स्वागत करते हुए यह बताया कि वर्तमान भौगोलिक परिस्थितियों में अजमेर को कैसे महानगर बनाया जा सकता है। प्रोजेक्टर पर अपने प्रेेजेनटेंशन में भरतरिया ने एलीवेटेड रोड, ओवर ब्रिज, उच्च शिक्षण संस्थान के साथ-साथ सीवरजे योजना पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी शहर के विकास में सीवरेज सिस्टम मजबूत होना चाहिए। 
भरतरिया ने शहर के बाहरी क्षेत्रों में नई आवासीय कॉलोनियों के बारे में भी बताया, उन्होंने कहा कि आबादी क्षेत्र से यातायात के दबाव को कम करने के लिए साइकिल वे का निर्माण होना चाहिए। लोग साइकिल पर चलने की अदालत बना लें। इस प्रजेंटेशन में एडीए अध्यक्ष हेड़ा के साथ-साथ मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, मंत्री वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल, औंकर सिंह लखावत, उपमहापौर सम्पत सांखला आदि भी उपस्थित थे। 
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(एस.पी. मित्तल)  (26-05-2016)
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शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी के खिलाफ परनामी के सामने प्रदर्शन शिक्षा विभाग के सहायक कर्मी की आत्महत्या का मामला ---------------------------------------

#1385
शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी के खिलाफ परनामी के सामने प्रदर्शन
शिक्षा विभाग के सहायक कर्मी की आत्महत्या का मामला
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शिक्षा विभाग के सहायक कर्मचारी दिनेश शर्मा के आत्महत्या के मामले को लेकर 26 मई को शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के खिलाफ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी के सामने जोरदार प्रदर्शन किया। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 31 मई की प्रस्तावित अजमेर यात्रा के मद्देनजर परनामी 26 मई को अजमेर के स्थानीय स्वामी काम्प्लेक्स में भाजपा के प्रमुख पदाधिकारियों की बैठे ले रहे थे। तभी काम्प्लेक्स के बाहर कांग्रेस के कार्यकर्ता इक_े हो गए। बैठक में पांच मंत्री भी मौजूद थे, इसलिए पुलिस भी काम्प्लेक्स के बाहर तैनात थी। कांग्रेस के कार्यकर्ता चाहाते थे कि परनामी से मुलाकात कर देवनानी के खिलाफ ज्ञापन दिया जाए। लेकिन पुलिस ने किसी को भी घुसने नहीं दिया। कांग्रेसियों ने काम्प्लेक्स के बाहर जमकर प्रदर्शन किया। कांग्रेसियों ने मांग की है कि देवनानी को शिक्षा राज्यमंत्री के पद से बर्खास्त किया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि देवनानी के निजी सहायक शिव शंकर शर्मा की वजह से ही सहायक कर्मचारी को आत्महत्या करनी पड़ी। कांग्रेसियों ने चेतावनी दी है कि देवनानी को मंत्री पद से नहीं हटाया गया तो प्रदेश भर में आंदोलन किया जाएगा। 
पीए पर लगाए 16 लाख रुप लेने का आरोप
मालूम हो कि कोटपुतली के प्रागपुरा स्कूल में सहायक कर्मचारी दिनेश शर्मा ने गत 18 मई को आत्महया कर ली थी, पुलिस ने जो सुसाइड नोट बरामद किया, उसमे दिनेश शर्मा ने आरोप लगाया कि शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के जयपुर कार्यालय के निजी सहायक शिव शंकर शर्मा ने 16 लाख रुपए हड़प लिए थे, यह राशि तबादले के नाम पर ली गई। पुलिस इस मामले में जांच कर रही हैै, पुलिस ने आरोपी शिव शंकर शर्मा के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल निकलवाई है। इससे पता चलता है कि दोनों के बीच कई बार संवाद हुआ है। 18 मईके बाद से ही शिव शंकर का मोबाइल फोन बंद है।
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(एस.पी. मित्तल)  (26-05-2016)
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राजस्थान ओलंपिक संघ पर अजमेर का कब्जा। --------------------------------------

#1384
राजस्थान ओलंपिक संघ पर अजमेर का कब्जा।
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26 मई को जयुपर में राजस्थान ओलंपिक संघ के चुनाव सर्वसम्मत्ति से हुए। हालांकि जर्नादन सिंह गहलोत को एक बार संघ का अध्यक्ष चुना  गया, लेकिन आखिल भारतीय टेबल टेनिस एसोसिएशन के महासचिव धनराज चौधरी को चेयरमैन, राजस्थान एथलेटिक संघ के सचिव प्रमोद जादम को उपाध्यक्ष, राजस्थान बॉक्सिंग संघ के सचिव नरेन्द्र निर्वाण को कार्यकारिणी का सदस्य चुना गया है। यानि ओलंपिक संघ के महत्त्वपूर्ण पदों पर अजमेर के लोगों का कब्जा हो गया है। संघ का चेयरमैन बनने पर चौधरी ने कहा है कि खेल जगत में ओलंपिक संघ की खास प्रतिष्ठा है। राजस्थान के सभी खेल इसी संघ की देखरेख में होते हैँ। उनका प्रयास होगा कि राजस्थान की खेल प्रतिभाओं को निखारा जाए। ओलंपिक खेलों में राजस्थान के खिलाड़ी अधिक से अधिक मैडल जीते, इसके भी प्रयास किए जाएंगे। 
(एस.पी. मित्तल)  (26-05-2016)
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वो ही अजमेर आते है,जिन्हें ख्वाजा बुलाते हैं। तो ख्वाजा साहब ने बुलाया है नरेन्द्र मोदी को। ---------------------------------------

#1383
वो ही अजमेर आते है,जिन्हें ख्वाजा बुलाते हैं। 
तो ख्वाजा साहब ने बुलाया है नरेन्द्र मोदी को।
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अजमेर स्थित विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा साहब की दरगाह में मान्यता है कि वो ही अजमेर आते हैं, जिन्हें ख्वाजा बुलाते हैं। जब भी कोई मेहमान जियारत के लिए दरगाह में आता है तो खादिम समुदाय भी यही बात कहता है। किन्हीं कारणों से कोई व्यक्ति दरगाह नहीं आ पाता है तो यही माना जाता है कि अभी ख्वाजा साहब का बुलावा नहीं आया है। कुछ इसी धार्मिक मान्यता के बीच 31 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अजमेर आ रहे हैं। पीएम की यात्रा के मद्देनजर 26 मई को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी के नेतृत्व में चिकित्सा एवं स्वास्थ्यमंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़, परिवहन मंत्री यूनुस खान, शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल, राजस्थान धरोहर एवं संरक्षण प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकर सिंह लखावत, एडीए के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा, मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, देहात भाजपा के अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत, शहर अध्यक्ष अरविंद यादव तथा जिला एवं पुलिस प्रशासन के बड़े अधिकारियों ने तैयारियों का जायजा लिया। मोदी सरकार के दो वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में प्रधानमंत्री देश के पांच प्रमुख स्थानों पर आम सभाएं कर रहे हैं। अजमेर का चयन बहुत ही सोच समझकर किया गया है। अजमेर में जहां सूफी संत ख्वाजा साहब की दरगाह है तो वहीं हिन्दुओं का तीर्थ गुरु पुष्कर भी हैं। ऐसे में धार्मिक दृष्टि से अजमेर का अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व है। प्रधानमंत्री मोदी की सभा भी उस कायड़ विश्राम स्थली पर की जा रही है, जहां ख्वाजा साहब के उर्स में आने वाले जायरीन ठहरते हैं। कहा जा रहा है कि अजमेर शहर में पटेल मैदान, आजाद पार्क जैसे सार्वजनिक स्थल प्रधानमंत्री की सभा के लिए छोटे हैं। ऐसी स्थिति में कायड़ विश्रामस्थली ही उपयुक्त रहेगी। 
ख्वाजा साहब की दरगाह में पीएम के इस्तकबाल की भी शानदार तैयारियां की जाएंगी। दरगाह से जुड़ी सभी संस्थाओं से कहा गया है कि वे इस्तकाबल में कोई कसर न छोड़ें। पिछले दिनों दरगाह के खादिमों के एक प्रतिनिधि मंडल ने लोकसभा स्थित पीएम दफ्तर में नरेन्द्र मोदी से मुलाकात भी की थी। तब मोदी को दरगाह आने का दावतनामा भी दिया था। उस समय मोदी ने दरगाह के प्रतिनिधियों से अपने सिर पर गुलाबी पगड़ी भी बंधवाई और शॉल भी ग्रहण किया। यही वजह है कि 31 मई को मोदी जब दरगाह में जियारत करेंगे तो सूफी परंपरा के अनुरूप मोदी का इस्तकबाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। इस समय दरगाह में तीन प्रमुख संस्थाएं हंै। केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन चलने वाली दरगाह कमेटी के पास दरगाह के अंदर के इंतजाम हैं। इस समय दरगाह कमेटी के नाजिम दौसा के कलेक्टर असफाक हुसैन हैं। दरगाह की धार्मिक रस्मों में खादिम समुदाय की भी मुख्य भूमिका रहती है। मोदी तो खादिम समुदाय के दावतनामे पर ही आ रहे हैं, ऐसे में खादिमों के प्रतिनिधि भी इस्तकबाल के लिए उत्साहित हैं। दरगाह में दीवान जैनुअल आबेदीन की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। अति विशिष्ट व्यक्तियों के आगमन पर दीवान भी इस्तकबाल करते हैं। आतंकवाद के मुद्दे पर दीवान आबेदीन कई बार नरेन्द्र मोदी का समर्थन कर चुके हैं। यानि ख्वाजा साहब की दरगाह में इस समय चारों तरफ मोदी के समर्थन वाला माहौल है और जब ख्वाजा साहब ने ही मोदी को बुलाया है तो फिर विवाद की कोई गुंजाइश भी नहीं है। भले ही दो वर्ष के मौके पर मोदी अजमेर में विशाल आमसभा करें,लेकिन मोदी का अजमेर दौरा ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत की वजह से ज्यादा चर्चित रहेगा।
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(एस.पी. मित्तल)  (26-05-2016)
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Wednesday 25 May 2016

क्या नगर निगम के बगैर कलेक्टर कर लेंगे अजमेर का विकास? कलेक्टर के दौरे में निगम का नहीं रहा कोई प्रतिनिधि। ---------------------------------------

#1382
क्या नगर निगम के बगैर कलेक्टर कर लेंगे अजमेर का विकास?
कलेक्टर के दौरे में निगम का नहीं रहा कोई प्रतिनिधि।
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25 मई को अजमेर के जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा तथा कुछ इंजीनियरों के साथ नया बाजार और अन्य स्थानों का दौरा किया। लेकिन इस दौरे में नगर निगम का कोई प्रतिनिधि साथ नहीं था। प्राधिकरण के मुकाबले नगर निगम निर्वाचित संस्था है। शहर के विकास में भी निगम की भूमिका ही महत्त्वपूर्ण है। नगर निगम के पार्षदों और मेयर धर्मेन्द्र गहलोत की उपेक्षा कर कलेक्टर ने शहर के विकास को लेकर जो पहल की है, उस पर सवाल उठने लगे हैं। 25 मई के दौरे में कलेक्टर ने नया बाजार स्थित पशु चिकित्सालय के स्थान को देखा। पशु चिकित्सालय को हटाकर मल्टी स्टोरी पार्किंग बनाने की मांग अजमेर में पिछले तीस वर्षों से हो रही है। जब भी कोई नया कलेक्टर आता है तो पशु चिकित्सालय के स्थान पर पार्किंग स्थल बनाने की घोषणा करता है। 25 मई को कलेक्टर के दौरे के बाद जनसम्पर्क विभाग द्वारा जारी प्रेस नोट में कलेक्टर के हवाले से कहा गया कि पशु चिकित्सालय के स्थान पर मल्टी स्टोरी पार्किंग का निर्माण शीघ्र करवाया जाएगा। यह निर्माण पीपीपी मॉडल पर होगा। यानि किसी निजी फर्म से एमओयू किया जाएगा। अब देखना होगा कि नगर निगम के बगैर मल्टी स्टोरी पार्किंग कैसे बनाया जाता है। 
नहीं मिली सूचना-गहलोत
25 मई को कलेक्टर गौरव गोयल और प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा के दौरे के संबंध में मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का कहना रहा कि निगम प्रशासन को कोई सूचना नहीं दी गई। यदि कलेक्टर की ओर से कोईसूचना आती तो वह स्वयं इस दौरे में शामिल होते। उन्होंने कहा कि विकास के लिए कलेक्टर की पहल सराहनीय है। लेकिन अच्छा हो कि इसमें जनप्रतिनिधियों की भी भागीदारी हो। उन्होंने कहा कि यदि नया बाजार में मल्टी स्टोरी पार्किंग का निर्माण होता है तो इससे पार्किंग की समस्या से निजात मिलेगी। लेकिन यह देखना होगा कि निजी कंपनी से किन शर्तों पर एमओयू किया जा रहा है। एमओयू में जनता का हित सर्वोपरी रहना चाहिए। 
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(एस.पी. मित्तल)  (25-05-2016)
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बाबाओं और तांत्रिकों के चक्कर में फंसने वाली महिलाएं ढोंगी परमानन्द की गिरफ्तारी से सबक लें। कोई ताकत नहीं जो कर्मों का फल बदल दे। ---------------------------------------

#1381
बाबाओं और तांत्रिकों के चक्कर में फंसने वाली महिलाएं ढोंगी परमानन्द की गिरफ्तारी से सबक लें।
कोई ताकत नहीं जो कर्मों का फल बदल दे।
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दैनिक समाचार पत्रों में रोजाना बाबाओं और तांत्रिकों के विज्ञापन छपते हैं, इन विज्ञापनों की वजह से ही परेशान लोग खास कर महिलाएं इन ढोंगी बाबाओं और तांत्रिकों के चक्कर में फंस जाती है। गरीब परिवारों की महिलाएं कुछ ज्यादा ही उलझती है। जो महिलाएं बाबाओं और तांत्रिकों के चक्कर में अभी भी फंसी हुई है,उन्हें उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के ढोंगी बाबा परमानन्द उर्फ रामशंकर तिवारी की गिरफ्तारी से सबक लेना चाहिए। पुलिस का कहना है कि इस बाबा ने अपने आश्रम में एक तहखाना बना रखा है, जिसमें महिलाओं के अश्लील वीडियो खींचता था। नि:संतान दम्पत्तियों को पुत्र प्राप्ति का दावा कर महिलाओं के साथ यौन सम्बन्ध भी बनाता था। पुलिस को छापे के दौरान बाबा के तहखाने से महंगी साडिय़ां, विदेशी शराब और ताकत बढ़ाने की दवाईयाँ भी मिली है। पुलिस का कहना है कि परमानन्द के पास कोई ईश्वरीय ताकत नहीं है, बल्कि वह धोखाधडी कर महिलाओं को गुमराह करता है। महिलाओं को आकर्षित करने के लिए बाबा ने छोटे बच्चों के फोटो भी आश्रम में लगा रखे हैं। यह दावा किया जाता है कि ये बच्चे बाबा की कृपा से ही हुए हंै। असल में बाबा की करतूतों का भंडाफोड़ अभी भी नहीं होता, क्योंकि शोषण की शिकार कोई भी महिला अपनी इज्जत की खातिर सामने नहीं आ रही थी। लेकिन हाल ही में बाबा का एक अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद ही पुलिस ने संज्ञान लिया और बाबा को गिरफ्तार कर लिया। जो महिलाएं किन्ही भी कारणों से इन बाबाओं और तांत्रिकों के चक्कर में फंसी हुई है, वे अच्छी तरह समझ लें कि बाबाओं और तांत्रिकों के पास ऐसा कोई चमत्कार नहीं है जिससे संतान उत्पन्न हो जाए या फिर किसी परेशानी से पीछा छूट जाए। आमतौर पर ऐसे ढोंगी लोग शोषण करने के सिवाए कुछ नहीं करते। यदि इन बाबाओं के पास कोई ईश्वरीय शक्ति है तो वे सबसे पहले स्वयं का भला करें और फिर सरकारी अस्पतालों में जाकर बीमार लोगों को स्वस्थ करंे। ऐसा हो नहीं सकता कि बाबाओं के आश्रम में मोटा चढ़ावा देने के बाद कष्टों से मुक्ति मिल जाए। यह माना कि कई बार घर परिवार की महिलाओं को अपने शराबी पति से सबसे ज्यादा परेशानी होती है। पति की शराब छुडाने के लिए भी महिलाएँ बाबाओं और तांत्रिकों के पास चली जाती हैं, जिन पतियों की पत्नियां शराब छुड़ाने के लिए तांत्रिकों के पास जा रही हैं उन शराबियों को शर्म आनी चाहिए। क्या ऐसे पति यह चाहते हैं कि उनकी पत्नियां बाबा परमानन्द जैसे ढोंगियों के आश्रम में जाकर अपना शोषण करवाएं? पत्नियों और बच्चों की पीड़ा को देखते हुए शराब पीने वालों को आज ही शराब न पीने की शपथ लेनी चाहिए। महिलाएं भी यह अच्छी तरह समझ लें कि ये ढोंगी और तांत्रिक बाबा शराब नहीं छुड़वा सकते। घर में ही ऐसा माहौल बनाना पड़ेगा कि पुरुष शराब न पीए। हमें उन प्रचार से भी दूर रहना चाहिए जो तांत्रिकों बाबाओं का महिमा मंडन करता है। आज समाज में सामाजिक सुधार की ज्यादा जरूरत है।

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(एस.पी. मित्तल)  (25-05-2016)
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चिकित्सा शिविर में मेयर गहलोत ने भी कराई स्वास्थ्य की जांच।

#1380
चिकित्सा शिविर में मेयर गहलोत ने भी कराई स्वास्थ्य की जांच।
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25 मई को अजमेर के कोटड़ा स्थित आजाद नगर पार्क में निशुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित हुआ। यह शिविर राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत लायन्स क्लब, अजमेर उमंग के द्वारा लगाया गया। शिविर का शुभारम्भ मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने अपने स्वास्थ्य की जांच करवाकर किया। शिविर प्रभारी डॉ. रविन्द्र कुमार विजयवर्गीय ने जांच के बाद कहा कि मेयर गहलोत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य है और उनका ब्लड प्रेशर व शुगर भी नियंत्रित है,लेकिन मेयर को अपने बढ़ते वजन पर कन्ट्रोल करना होगा। मेयर गहलोत का 85 किलो वजन आंका गया, जबकि चिकित्सकों के अनुसार गहलोत का वजन 70 किलो ही होना चाहिए। इस अवसर पर गहलोत का कहना है कि आज की भाग दौड़ की जिन्दगी में सामान्य नजर आने वाले व्यक्ति को भी समय-समय पर अपने स्वास्थ्य की जाँच करवानी चाहिए। समारोह में मैनें कहा कि लायन्स क्लब, अजमेर उमंग ने निशुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित कर सराहनीय कार्य किया है। क्लब की सचिव आभा गांधी ने बताया कि शिविर में स्वास्थ्य जांच के बाद नि:शुल्क दवा भी दी जा रही है। जिला औषध अधिकारी ईश्वर यादव ने भी शिविर का अवलोकन कर सराहना की। शिविर में क्षेत्रीय पार्षद महेन्द्र जैन मित्तल, राजेन्द्र गांधी, हंसराज कोर्णाक, प्रकाश सोनी, ललित सोनी आदि ने विचार प्रकट किए। शिविर में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. माया छबलानी लेब टेक्निशियन इस्लामुद्दीन, प्रस्वीका नन्द कंवर राठौड़, मेल नर्स  सोहेल खां मोहिन खां, निर्मला टांक, डिम्पल बंसल, नीरा बैरवा आदि ने सेवाएं दी। शिविर में 200 से भी ज्यादा रोगी लाभान्वित हुए। बाद में मेयर गहलोत ने पार्क में पौधारोपण भी किया।
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(एस.पी. मित्तल)  (25-05-2016)
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आने वाले समय ऑन लाईन न्यूज का ही रहेगा। अमरीका में अब सिर्फ बुजुर्ग पढ़ते हंै अखबार।

#1379
आने वाले समय ऑन लाईन न्यूज का ही रहेगा। 
अमरीका में अब सिर्फ बुजुर्ग पढ़ते हंै अखबार। 
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24 मई को अमरीका के अरकान्सा स्टेट की राजधानी लिटिल रॉक में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सेमीनार हुई। इस सेमीनार में भारत-अमरीका के मैत्री दौरे पर गए अजमेर के देवेन्द्र सिंह शेखावत ने भी भाग लिया। शेखावत ने अमरीका से फोन पर बताया कि इस सेमीनार में डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी के प्रतिनिधियों ने विचार रखे। इसी में यह बात सामने आई की समय के साथ चलने वाला ही जीवन में सफल होता है।
अब जब इन्टरनेट की क्रान्ति आई हुई है तो इसका असर पूरी दुनिया के मिडिया पर भी पडा है। भारत ही नहीं, चाहे किसी भी देश का युवा हो,वह सब कुछ अपने आईफोन, लेपटॉप, कम्प्यूटर आदि पर ऑन लाईन चाहता है। वो जमाना लद गया जब खबरों के लिए अगले दिन तक अखबार का इन्तजार करना पड़ता था। अब इधर घटना घटी उधर सोशल मीडिया के माध्यम से घटना से सम्बन्धित खबरे आ गई। इन्टरनेट पर निर्भर रहने वाला युवा अब तत्काल ही अपने शहर से लेकर दुनिया भर तक की खबरें ऑन लाईन देख लेता है। यही वजह है कि अखबार और न्यूज चैनलों के मालिकों ने भी वेबसाईट पर ऑन लाईन  खबर देना शुरू कर दिया है। अमरीका में तो ऑन लाईन खबरों का ही महत्व है। यहां बुजुर्ग लोग ही अखबार पढ़ते हैं, ताकि उनका समय पास हो जाए। ऐसे अनेक मुद्दों पर डेमोक्रेट और रिपब्लिक के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे।
गुडविल एम्बेसेडर की उपाधि:
अरकान्सा की एसेम्बली के स्पीकर जोनाथन ने शेखावत को गुडविल एम्बेसेडर की उपाधि भी दी। यहा शेखावत ने अपने भारत की स्थिति के बारे में बताया। मालूम हो कि शेखावत गत 5 मई से भारतीय प्रतिनिधि मण्डल के साथ दौरे पर हैं। शेखावत ने अपने दौरे में स्थानीय निकाय की व्यवस्था को भी देखा है। अमरीका मे मेयर के अधीन है बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, चिकित्सा के विभाग होते है। मेयर को अपने शहर के विकास करने के पूरे अधिकार मिले हुए हंै। भारत की तरह अमरीका के मेयर को राज्य सरकार पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।

(एस.पी. मित्तल)  (25-05-2016)
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राजस्थान में वसुंधरा राजे क्या जयललिता से सीख लेंगी। तमिलनाडु में शराबबंदी को लेकर प्रभावी पहल।

#1376
राजस्थान में वसुंधरा राजे क्या जयललिता से सीख लेंगी। 
तमिलनाडु में शराबबंदी को लेकर प्रभावी पहल।
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सुश्री जयललिता ने 23 मई को तमिलनाडु की सीएम पद की छठी बार शपथ ली। शपथ लेने के साथ ही जयललिता ने फ्री बिजली जैसी महत्त्वपूर्ण घोषणाएं तो की ही साथ ही शराबबंदी के लिए प्रभावी घोषणा भी की। कोई छह हजार शराब की दुकानों में से पांच सौ दुकानें बंद करने के आदेश भी जारी किए। इतना ही नहीं जो दुकानें प्रात: 10 बजे खुलती थी उन्हें दोपहर 12 बजे खोलने के आदेश भी दिए। असल में जयललिता एक महिला हैं,उन्हें पता है जिसपरिवार का पुरुष सदस्य शराब पीता है, उस परिवार की दशा कितनी खराब होती है। यदि पिता के साथ बेटा भी शराब पीने लग जाए तो उस बेटे की मां और बहन की पीड़ा असहनीय होती है। जयललिता ने मां और बहन की पीड़ा को समझा है, इसलिए शराब बंदी के लिए प्रभावी निर्णय लिया है। नि:संदेह जयललिता का निर्णय प्रशंसनीय है। अभी तो जयललिता पूरे पांच वर्ष शासन करेंगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस पांच वर्ष में तमिलनाडु भी पूर्ण शराबबंदी वाला राज्य हो जाएगा। राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे भी महिला हैं। राजे महिलाओं की पीड़ा को भी अच्छी तरह समझती हैं, इसलिए भामाशाह योजना में परिवार का मुखिया महिला को बनाया है। राजे को चाहिए की राजस्थान में भी तमिलनाडु की तरह शराबंदी के लिए कार्यवाही की जाए। राजे इतना तो कर ही सकती हैं कि जिन शराब की दुकानों को लेकर क्षेत्रीय नागरिक विरोध कर रहे है, उन दुकानों को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए। समझ में नहीं आता कि शराब की दुकानें आबादी क्षेत्रों में खास स्थान पर ही क्यों खोली जाती है?
शर्मनाक बात तब होती है जब दुकान का विरोध कर रहे लोगों के खिलाफ ही पुलिस मुकदमे दर्ज करती है। जब महिलाओं को आधी आबादी माना जाता है तो फिर वसुंधरा राजे आधी आबादी की भावनाओं का ख्याल क्यों नहीं करती?  राजस्थान की शायद ही कोई महिला होगी जो शराब की बिक्री के पक्ष में हो। धार्मिक स्थलों पर जाकर पूजा पाठ करने वाली सीएम राजे भी एक महिला होने के नाते शराब की पक्षधर नहीं होगी। ये बात अलग है कि सरकार चलाने के लिए राजे को शराब से होने वाले राजस्व की जरुरत हो। इस राजस्व की जरुरत तो जयललिता को भी है। राजस्थान में तो राजे तमिलनाडु की तरह घरेलु उपभोक्ताओं को सौ यूनिट बिजली  प्रतिमाह भी नहीं दे रही है। यदि जयललिता फ्री बिजली के देने के बाद भी शराब से होने वाले राजस्व का मोह छोड़ रही हैं तो फिर वसुंधरा राजे को भी सीख लेनी चाहिए। आज राजस्थान की इतनी बुरी दशा है कि शहरी क्षेत्रों में गली कूचों में तथा ग्रामीण क्षेत्रों में गांव-ढाणी में शराब की दुकानें/ ठेके खोल दिए गए हैं। राजे सरकार इस बात का ध्यान रखे हुए है कि शराबियों को आसानी से घर के आसपास ही शराब मिल जाए। जिन गांवों में सरकार के पेयजल की व्यवव्था नहीं है, उन गांवों में भी सरकार ने दारू का ठेका खोल रखा है। वसुंधरा सरकार का शराब प्रेम इसी से पता चलता है कि सर्वोदयी नेता गुरुशरण छाबड़ा शराबबंदी को लेकर आमरण अनशन के दौरान मर गए और सरकार को पता ही नहीं चला। यदि वसुंधरा सरकार शराब बंदी की पक्षधर होती तो कम से कम छाबड़ा को मरने तो नहीं देती। वसुंधरा राजे दूसरी बार सीएम बनी हंै, जबकि जयललिता छठी बार सीएम बनी हंै, यदि राजे को भी जयललिता की तरह बार-बार सीएम बनना है तो जयललिता की तरह जनहित के काम करने होंगे। राजे को यह तो पता ही होगा कि राजस्थान में प्रात: 9 बजे ही शराब की दुकानें खुल जाती है। क्या राजस्थान में दोपहर 12 बजे से दुकानें नहीं खुल सकती?
(एस.पी. मित्तल)  (24-05-2016)
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ब्यावर के रावत नेताओं को गिरफ्तार करवाकर भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत खुन्नस निकाल रहे हैं? भाजपा को होगा राजनीतिक नुकसान। विधायक ने नकारा

#1377
ब्यावर के रावत नेताओं को गिरफ्तार करवाकर भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत खुन्नस निकाल रहे हैं? 
भाजपा को होगा राजनीतिक नुकसान। विधायक ने नकारा
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23 मई की रात को अजमेर जिले के ब्यावर सिटी थाने की पुलिस ने रावत समाज के दो बड़े नेता किशोर सिंह रावत और महेन्द्र सिंह रावत को भी गिरफ्तार कर लिया। ये दोनों रावत नेता व्हाट्स-एप पर रावत सेना नाम का एक ग्रुप चलाते हैं और दोनों ही इस ग्रुप के एडमिन हैं। इन दोनों नेताओं की गिरफ्तारी ब्यावर के भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत की एफआईआर पर हुई। विधायक रावत का आरोप है कि जवाजा के बजारी गांव के निवासी चन्द्रशेखर सिंह रावत ने गत 21 मई को व्हाट्स-एप ग्रुप में मेरा फोटो पोस्ट किया है जो आपत्तिजनक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। पुलिस ने विधायक की रिपोर्ट पर चन्द्रशेखर सिंह रावत को भी गिरफ्तार किया था। चन्द्रशेखर को न्यायालय से जमानत मिल गई है। 23 मई को किशोर सिंह रावत और महेन्द्र सिंह रावत  को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने 24 मई को ब्यावर कोर्ट में दोनों को पेश किया। कोर्ट में बचाव पक्ष के वकील विरेन्द्र  सिंह रावत ने कहा कि पुलिस ने आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत गिरफ्तारी की है। जबकि इस धारा को सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निरस्त कर रखा है। कोर्ट को बताया गया कि चन्द्रशेखर ने जो फोटो पोस्ट किया था, उसमें सिर्फ विधायक शंकर सिंह रावत को दाढ़ी लगा हुआ बताया गया था, यह फोटो किसी भी प्रकार से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला नहीं है। वैसे भी पुलिस पूर्व में ही चन्द्रशेखर को गिरफ्तार कर चुकी है। इसलिए व्हाट्स-एप ग्रुप के एडमिन को गिरफ्तार करना गैर कानूनी है। न्यायाधीश ने पुलिस से यह जानना चाहा कि जब आईएक्ट की धारा 66ए निरस्त हो चुकी है तो फिर इस धारा का इस्तेमाल क्यों किया गया? इसका पुलिस कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सकी। फलस्वरूप न्यायाधीश ने किशोर सिंह रावत और महेन्द्र सिंह रावत को जमानत पर छोड़ दिया। 
विधायक की खुन्नस:
यह माना जा रहा है कि ब्यावर की सिटी पुलिस ने विधायक शंकर सिंह रावत के दबाव की वजह से इस छोटे से मामले में तीन-तीन लोगों को गिरफ्तार किया। गत विधानसभा के चुनाव में किशोर सिंह रावत और महेन्द्र सिंह रावत दोनों शंकर सिंह के साथ थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से ये दोनों रावत नेता अलग हो गए। महेन्द्र सिंह तो भाजपा के मंडल महामंत्री भी रहे हैं। विधायक रावत इस बात से नाराज हैं कि किशोर और महेन्द्र उनका साथ छोड़ गए। इन दोनों को सबक सिखाने के लिए ही विधायक ने गिफ्तार करवाया हालांकि रावत समाज में विधायक का भी दबदबा रहा है,लेकिन अब विधायक की कार्यशैली से रावत समाज में नाराजगी बढ़ती जा रही है। यही वजह रही कि 24 मई को सुबह जैसे ही किशोर और महेन्द्र की गिरफ्तारी का पता चला तो रावत समाज के सैकड़ों लोग सिटी थाने के बाहर जमा हो गए। सभी ने पुलिस के साथ-साथ विधायक की भी निंदा की। उत्तेजित लोग ब्यावर के विधायक के निवास पर भी जमा हो गए। पुलिस को विधायक की सुरक्षा के लिए घर के बाहर आरएसी तैनात करनी पड़ी। विधायक के खिलाफ बढ़ रही नाराजगी का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि अदालत से बाहर निकलने पर महेन्द्र और किशोर का रावत समाज के लोगों ने ही जोरदार अभिनंदन किया। 
भाजपा का नुकसान:
रावत समाज को भाजपा का समर्थक माना जाता है। शंकर सिंह रावत भी लगातार दूसरी बार इसलिए विधायक बने हैं क्योंकि रावतों के वोट एक मुश्त मिलते हैं। लेकिन जिस तरह  से समाज में विधायक के विरुद्ध नाराजगी बढ़ रही है उससे यह माना जा रहा है कि अब भाजपा को भी नुकसान होगा। 21 मई को भाजपा नेता किशोर सिंह और महेन्द्र सिंह की अदालत में पैरवी कांग्रेस के नेता और वकील विरेन्द्र सिंह रावत ने की है ।
चन्द्रशेखर ने मांग ली थी माफी:
रावत सेना के व्हाट्स-एप ग्रुप में 21 मई को जब चन्द्रशेखर सिंह रावत ने विधायक की दाढ़ी वाला फोटो पोस्ट किया, उसी दिन चन्द्रशेखर ने विधायक के पास जाकर माफी मांग ली थी, लेकिन फिर भी चन्द्र शेखर को गिरफ्तार होना पड़ा। रावत समाज के प्रभावशाली प्रतिनिधि भी अब यह मानने लगे हैं कि विधायक शंकर सिंह रावत छोटी बातों को मुद्दा बनाकर अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। पूर्व में भी ऐसे अनेक मौके आए है,जब विधायक ने अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल किया है। 
मेरा कोई दबाव नहीं-विधायक
वहीं दूसरी ओर विधायक रावत ने सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि 21मई को उन्होंने पुलिस में जो रिपोर्ट दी है उसमें किसी भी व्यक्ति का नाम नहीं लिखा था। पुलिस ने अपनी  जांच के अनुरुप ही कोई गिरफ्तारी की होगी। जिन लोगों को गिरफ्तार किया है,उन्हें मैं जानता ही नहीं हू। किसी की भी गिरफ्तारी में मेरा कोई दबाव नहीं है। उन्होंने कहा कि 21 मईको रावत सेना के व्हाट्स-एप ग्रुप पर जो मेरा फोटो डाला गया व वाकई आपत्तिजनक था। मेरे चेहरे पर मुस्लिम दाढ़ी लगा कर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई। उन्होंने कहा कि रावत समाज में मेरा बेहद सम्मान है,इसलिए इस आपत्तिजनक फोटो को किसी भी हालत में बर्दाशत नहीं किया जा सकेगा। आरोपियों ने रावत समाज में मेरी छवि खराब करने के लिए एडीट किए फोटो को पोस्ट किया है। जहां तक समाज में मेरे प्रति नाराजगी का सवाल है तो कुछ लोगों के नाराज होने का मतलब यह नही ंकि पूरा समाज नाराज है। मैंने तो ब्यावर में भाजपा को लगातार दूसरी बार जीत दिलवाई है। उन्होंने माना कि उनकी राजनीतिक सफलता की वजह से पार्टी के कुछ लोग ईष्र्या रखते हैं। 
(एस.पी. मित्तल)  (24-05-2016)
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13 और शहर स्मार्ट सिटी के लिए पात्र घोषित। इनसे अजमेर का संबंध नहीं। द्वितीय चरण में अजमेर का दावा बरकरार।

#1378
13 और शहर स्मार्ट सिटी के लिए पात्र घोषित। इनसे अजमेर का संबंध नहीं।
द्वितीय चरण में अजमेर का दावा बरकरार। 
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24 मई को केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री वैंकेय्या नायडू देश के जिन देश के जिन 13 शहरों को स्मार्ट सिटी के पात्र माना है,उसमें अजमेर का कोई संबंध नहीं है। अजमेर के नागरिक द्वितीय चरण की जो तैयारियां कर रहे हैं। उसमें भी आज की घोषणा का कोई फाक्र नहीं पड़ेगा। नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने बताया कि द्वितीय चरण की प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए जून माह में केन्द्र सरकार के समक्ष अजमेर की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। इन रिपोर्ट के आधार पर ही आगामी अगस्त माह में अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने का निर्णय होगा। गहलोत ने बताया कि वैंकेय्या नायडू ने आज जिन 13 शहरों की घोषणा की है, उसकी प्रक्रिया में अजमेर शामिल नहीं था। असल में आज की घोषणा पूर्व में हुई प्रथम चरण की घोषणा से जुड़ी हुई है। प्रथम चरण में जिन शहरों को शामिल किया गया, उनमे देश के अनेक राज्य वंचित हो गए। प्रथम चरण में जिन राज्यों का एक भी शहर स्मार्ट सिटी के लिए पात्र घोषित नहीं हुआ है उन राज्यों के लिए फास्र्ट ट्रेक प्रोजेक्ट बनाया गया पर इसके लिए गत मार्च में रिपोर्ट मांगी गई थी। गहलोत ने बताया कि अजमेर में फास्र्ट ट्रेक प्रोजेक्ट में शामिल नहीं था, क्योंकि पहले चरण में राजस्थान के जयपुर और उदयपुर को स्मार्ट सिटी में शामिल कर लिया गया था, उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी प्रतियोगिता के द्वितीय चरण में अजमेर का दावा बढ़कर है। शहरवासियों के सहयोग से जो अभियान चलाया जा रहा था वह सफल रहा, उन्हें पूरी उम्मीद है कि अगस्त माह में अजमेर भी स्मार्ट सिटी की योजना में शामिल हो जाएगा। 
(एस.पी. मित्तल)  (24-05-2016)
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Monday 23 May 2016

आज भी प्रासांगिक है देवऋषि नारद का चरित्र जयंती के समारोह में संत पाठक महाराज ने कहा।

#1373
आज भी प्रासांगिक है देवऋषि नारद का चरित्र 
जयंती के समारोह में संत पाठक महाराज ने कहा।
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अजमेर। पुष्कर स्थित चित्रकूट धाम के उपासक संत पाठक जी महाराज ने कहा कि देवऋषि नारद का चरित्र आज के दौर में भी प्रासांगिक है। नारद के चरित्र से व्यक्तित्व का विकास भी हो सकता है। 
सोमवार को यहां स्वामी कॉम्प्लेक्स में विश्व संवाद केन्द्र उदयपुर चैप्टर के अजमेर की ओर से देवऋषि नारद जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में संत पाठक ने कहा कि सतयुग में नारद का दर्जा देवऋषि के बराबर था। नारदजी तीनों लोको आसमान, धरती और पाताल में अपनी सुविधा से भ्रमण करते थे। नारद जी ईश्वरीय कृपा की वजह से ही दानव और देव के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे। नारद जी की भूमिका को आज की पत्रकारिता से जोड़ते हुए संत पाठक ने कहा कि सूचनाओं के अदान-प्रदान में नारद जी कभी भी अपने विचार नहीं रखते थे। नारद जी दूसरों की पीड़ा का समाधान करते थे। देवताओं के समूह में उपस्थित होने के बाद देवताओं को यह लगता था कि अब सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। आज की पत्रकारिता को भी नारदजी से प्ररेणा लेनी चाहिए। पत्रकार, सरकार और आम जनता के बीच एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हंै। नारदजी को दुनिया का सबसे पहला पत्रकार माना जा सकता है। 
समारोह में वरिष्ठ पत्रकार प्रताप राव ने कहा कि नारद जी हमेशा यथा स्थिति के खिलाफ रहे। वे जहां भी गए, वहां बदलाव हो गया। आज के पत्रकारों को भी ऐसा ही करना चाहिए। पत्रकार समाल में फैली बुराइयों को दूर कर सकता है। समारोह में पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के प्राध्यापक और प्रमुख शिक्षाविद् नारायण लाल गुप्ता ने कहा कि पत्रकार को समाज और सरकार के बीच सेतु बनना चाहिए। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कुछ दिशा भ्रमित लोगों ने देवऋषि नारद की छवि को खराब किया है। 
पत्रकारों का सम्मान
समारोह में देवऋषि नारद जयंती के अवसर पर दैनिक भास्कर के वरिष्ठ संवाददाता योगेश सारस्वत, राजस्थान पत्रिका के वरिष्ठ संवाददाता सी.पी.जोशी, दैनिक नवज्योति के पी.के.श्रीवास्तव और टीवी न्यूज चैनल जी मरुधरा के अजमेर संभाग के प्रभारी मनवीर सिंह चूंडावत का सम्मान भी किया गया। इन सभी पत्रकारों को विश्व संवाद केन्द्र की ओर से शॉल ओढ़ाकर प्रशंसा पत्र भेंट किया गया। समारोह में सम्मानित होने वाले पत्रकारों की उल्लेखनीय कार्य की जानकारी भी दी गई। समारोह में सुनील दत्त जैन, कंवल प्रकाश किशनानी, प्रियांक शर्मा, एस.के.अरोड़ा, अरुण अरोड़ा, विजय कुमार इणानी, अनीश मोयल, उमेश चौरसिया, अकलेश जैन, अजय जैन, आनंद शर्मा, एन.एन.जाला आदि के साथ-साथ शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। समारोह का संचालन केन्द्र के सचिव निरंजन शर्मा ने किया, जबकि अंत में केन्द्र के अध्यक्ष एस.पी.मित्तल ने सभी का आभार प्रकट किया। 
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रात को बिजली मिलने से किसानों की जान को खतरा। मरे सांप को लेकर ग्रामीणों का कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन।

#1375
रात को बिजली मिलने से किसानों की जान को खतरा।
मरे सांप को लेकर ग्रामीणों का कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन।
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भारतीय किसान संघ के कार्यकर्ताओं ने 23 मई को कलेक्ट्रेट परिसर में एक मरे हुए सांप को लेकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी जिला कलेक्टर गौरव गोयल को यह बताना चाहते थे कि रात के समय में किसान किस प्रकार से अपने खेतों में काम कर रहा है। किसान संघ अजमेर के अध्यक्ष ओम प्रकाश प्रजापति ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में सिर्फ रात के समय ही बिजली की सप्लाई की जा रही है। जिसकी वजह से मजबूरी में रात के समय ही किसानों को अपने खेतों में पानी देना पड़ता है। चूंकि खेतों में लाइट का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए अंधेरे में कई बार सांप जैसे जहरीले जानवर किसानों की जान ले लेते हैं। रात के समय में किसानों का खेतों पर काम करना बहुत मुश्किल हो गया है। नाराज ग्रामीण चाहेते थे कि मारा हुआ सांप भी कलेक्टर के कक्ष में ले जाए। लेकिन मौके पर मौजूद पुलिस वालों ने ऐसी हरकत ग्रामीणों को नहीं करने दी। ग्रामीणों ने बिना सांप के ही जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन दिया और मांग की कि दिन के समय में बिजली की सप्लाई की जाए। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गत विधानसभा चुनाव में यह वादा किया था कि चौबीस घंटे बिजली दी जाएगी। मुख्यमंत्री को अपना यह वायदा पूरा करना चाहिए। ज्ञापन में कहा गया कि सिर्फ रात के समय ही बिजली मिलने से ग्रामीणों ने भारी रोष व्याप्त है। यदि सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। ज्ञापन देने वालों में महेन्द्र सिंह रावत, रुकमा, मीरा, श्योराम, छोटू, सुरेश प्रजापत, महेन्द्र सिंह आदि शामिल थे।
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(एस.पी. मित्तल)  (23-05-2016)
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क्या शिवशंकर शर्मा शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी का पीए है? पहले पुलिस इस बात की जांच करेगी। सहायक कर्मचारी दिनेश शर्मा की आत्महत्या का मामला। ------------------------------------------

#1374
क्या शिवशंकर शर्मा शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी का पीए है?
पहले पुलिस इस बात की जांच करेगी।
सहायक कर्मचारी दिनेश शर्मा की आत्महत्या का मामला।
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जयपुर जिले के कोटपुतली स्थित प्रागपुरा में संचालित सरकारी स्कूल के सहायक कर्मचारी दिनेश शर्मा के आत्महत्या के प्रकरण में पुलिस पहले इस बात की जांच करेगी कि आरोपी शिवशंकर शर्मा प्रदेश के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी का निजी सहायक है या नहीं।
प्रदेश की राजनीति में चर्चित हो रहे इस आत्महत्या के मामले की जांच कर रहे कोटपुतली के थानाधिकारी शिवनारायण यादव ने 23 मई को बताया कि पुलिस मृतक दिनेश शर्मा की पृष्ठभूमि की भी जांच कर रही है। अभी तक इस मामले में उपनिदेशक कार्यालय के कर्मचारियों से पूछताछ की गई है। यादव ने बताया कि आत्महत्या से पहले जो सुसाइड नोट दिनेश शर्मा ने लिखा था, उसमें कार्यालय के कर्मचारियों के साथ-साथ शिक्षा राज्यमंत्री के निजी सहायक शिवशंकर शर्मा के नाम का भी उल्लेख किया गया है। इस सुसाइड नोट में आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने स्थानांतरण के नाम पर 16 लाख रुपए हड़प लिए। यादव ने बताया कि मृतक के परिजनों से भी सच्चाई का पता लगाया जा रहा है। यादव ने दावा किया कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी।
चर्चा मे है सुसाइड नोट:
सहायक कर्मचारी दिनेश शर्मा ने आत्महत्या से पहले जो सुसाइड नोट लिखा, वह इन दिनों चर्चा मे है। यह जांच काविषय है कि आखिर दिनेश शर्मा ने कितने तबादलों के लिए 16 लाख रुपए एकत्रित किए। क्या दिनेश शर्मा की एप्रोच उपनिदेशक कार्यालय तक थी? दिनेश शर्मा शिवशंकर शर्मा को कैसे जानता था? पुलिस को अब तक जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक शिवशंकर शर्मा नाम का कोई भी व्यक्ति सरकारी स्तर पर शिक्षा राजयमंत्री का निजी सहायक नहीं है। इसलिए पुलिस के लिए यह चुनौती है कि मृतक दिनेश शर्मा और आरोपी शिवशंकर शर्मा के संबंधों का पता कैसे लगाया जाए। चूंकि यह मामला राजनीति से जुड़ा हुआ है, इसलिए पुलिस भी फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है।
(एस.पी. मित्तल)  (23-05-2016)
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राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने अफसरों की खाल खींचने की धमकी दी। क्या हो गया है मेघवाल को।

#1372
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने अफसरों की खाल खींचने की धमकी दी। क्या हो गया है मेघवाल को।
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राजस्थान की विधानसभा के अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने कहा कि अफसरों ने उनका कहना नहीं माना तो विधानसभा में ऐसे अफसरों की खाल खींचली जाएगी। मेघवाल ने यह धमकी किसी बंद कमरे में नहीं दी और न ही मीडिया ने मेघवाल का स्टिंग किया है। मेघवाल 20 मई को अजमेर जिले के ब्यावर शहर में एक सामाजिक समारोह में भाग लेनेे आए थे।  मेघवंशी समाज के समारोह में मेघवाल ने अपने भाषण में कहा कि ब्यावर के लोग लम्बे अर्से से ब्यावर को जिला बनाने की मांग कर रहे हंै। सरकार ने कुछ शहरों को जिला बनाने के लिए एक कमेटी बनाई है। समारोह में उपस्थित ब्यावर के विधायक शंकर सिंह रावत की ओर इशारे करते हुए मेघवाल ने कहा कि आपने इस कमेटी के सामने अपनी मांग रख दी होगी। मेघवाल ने अपने बात को आगे बढ़ते हुए कहा कि कमेटी में शामिल अधिकारियों को पहले ही कान में कह दूंगा कि ब्यावर जिला बनाने की सिफारिश कर दी जाए। यदि अफसरों ने मेरा कहना नहीं माना तो विधानसभा में ऐसे अफसरों की खाल खींच लूंगा। मेघवाल की इस धमकी से ब्यावर के लोग तो खुश हैं, लेकिन सवाल उठता है कि क्या विधानसभा के अध्यक्ष को ऐसा बयान देना चाहिए? इससे यह प्रतीत होता है कि मेघवाल अन्य मामलों में भी अफसरों को धमकाते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मेघवाल विधानसभा का काम काज किस प्रकार से कर रहे होंगे। असल में मेघवाल इस तरह के बयान देने के आदी रहे हैं। ये वो ही मेघवाल है जिन्होंने वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री के पहले कार्यकाल में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। तब मेघवाल ने वसुंधरा सरकार के खिलाफ भाजपा के हाईकमान को एक ज्ञापन दिया था,लेेकिन इस बार वसुंधरा राजे और मेघवाल के बीच ऐसी पटरी बैठी है कि मेघवाल को विधानसभा के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण पद दे दिया। मेघवाल ने पिछले दिनों एससी एसटी के लोगों को लेकर भी एक बेतुका बयान दिया था। देखना है कि मेघवाल का ताजा बयान सरकार के लिए कितनी मुसीबत खड़ी करता है। 

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(एस.पी. मित्तल)  (22-05-2016)
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अजमेर की आईजी मालिनी अग्रवाल ने लगाए सटीक निशाने।

#1371
अजमेर की आईजी मालिनी अग्रवाल ने लगाए सटीक निशाने।
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22 मई को अजमेर रेंज की आईजी श्रीमती मालिनी अग्रवाल ने राइफल और तीर से सटीक निशाने लगाकर सब को चौंका दिया। सम्राट पृथ्वीराज चौहान समारोह समिति की ओर से 22 मई को अजमेर के पंचशील स्थित करणी राइफल शूटिंग एकेडमी में श्रीमती अग्रवाल को बुलाया गया था। पृथ्वीराज चौहान जयंती पर आयोजित शूटिंग और तीरंदाजी प्रतियोगिता का उद्घाटन आईजी को ही करना था। आईजी ने अपने कमान से तीन तीर छोड़े। यह तीनों तीर निशाने पर जाकर लगे। इसी प्रकार राइफल से भी आईजी ने सही निशाने लगाए। आईजी ने यह बता दिया कि वह सिर्फ नाम की आईजी नहीं है, बल्कि उन्हें आईजी का काम भी आता है। यदि कभी किसी मौके पर गोली चलनी पड़ जाए तो उनका निशाना चूकेगा नहीं। आईजी ने अपने संबोधन में कहा कि राजस्थान ने तो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तीरंदाजी व राइफल के खिलाड़ी दिए हैं। पृथ्वीराज की जयंती पर निशाने बाजी की प्रतियोगिता आयोजित करने के लिए आयोजकों को आईजी ने शाबाशी दी। उन्होंने कहा कि पृथ्वीराज चौहान स्वयं अचूक निशानेबाज थेे। इस मौके पर आईजी ने विजेताओं को ईनाम भी दिए।

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(एस.पी. मित्तल)  (22-05-2016)
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लड़कियों ने आलीमा और लड़कों ने हाफिज की डिग्री ली। कुरान की शिक्षा को बढ़ाने का लिया संकल्प।

#1370

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22 मई को अजेमर जिले के पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में आने वाले ऊंटड़ा गांव के मदरसे में एक बड़ा जलसा हुआ। इस जलसे के मुख्य आयोजक मौलाना मोहम्मद अय्यूब कासमी ने मुझे भी खासतौर से आमंत्रित किया। मैं प्रात:11 बजे जब मदरसे के समारोह में पहुंचा तो लड़के-लड़कियां धार प्रवाह कुरान से जुड़ी जानकारी दे रहे थे। समारोह में यह एक तरह से बच्चों का टेस्ट हो रहा था। दूसरी तरफ मंच पर देशभर से आए मुस्लिम विद्वान विराजमान थे। मुझे भी मुस्लिम विद्वानों के बीच सम्मान दिया गया और साथ ही यह भी आग्रह किया कि समारोह का कोई फोटो न खींचा जाए। कहा गया जो धर्म गुरु बैठे हैं, वे अपना फोटो नहीं       खींचवाते हैं। हमें धर्मगुरुओं की भावनाओं का सम्मान करना पड़ता है। मैंने मौलाना कासमी से कहा भी जब आप इतना बड़ा जलसा कर रहे हैं तो फिर इसका प्रचार-प्रसार होना ही चाहिए। यदि मुस्लिम विद्वानों के साथ धार्मिक शिक्षा की डिग्री लेने वाले बच्चों के फोटो प्रसारित होते हैं तो बच्चों की भी हौंसला अफजाई होगी, लेकिन मुझे यह सुनकर ताज्जुब हुआ कि डिग्री लेने वाले बच्चों की फोटो भी नहीं ली जा सकती है। मैंने मौलाना कासमी के सभी आग्रहों को माना और समारोह को समझने का प्रयास किया। मैंने यह समझा कि मुस्लिम समाज भी यह चाहता है कि धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ विज्ञान, गणित और अंग्रेजी भाषा की शिक्षा भी बच्चों को दिलाई जाए। कुछ देर बाद मौलाना कासमी ने आग्रह किया कि इस जलसे में मैं भी विचार रखंू। समारोह का जो माहौल था उसे देखते हुए मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि बोलने का अवसर मिलेगा। मेरे लिए यह सकून और सम्मान की बात थी कि देशभर से आए मुस्लिम विद्वानों के बीच बोलने का अवसर मिला। मैंने कहा कि शिक्षा का महत्त्व तभी है जब समाज के विकास में भागीदारी हो। अभी हाल ही में यूपीएससी में सिविल सेवा का जो परिणाम घोषित हुआ है, उसमें अनेक मुस्लिम अभ्यर्थियों का भी चयन हुआ है, कुछ तो टॉप 10 में आए हैं। यानि मुस्लिम विद्यार्थियों में भी योग्यता की कोई कमी नहीं है। 
हम आज मदरसों में जो शिक्षा दे रहे हैं उसे और उपयोगी बनाया जाए ताकि मुस्लिम लड़के-लड़कियां भी सरकार के ऊंचे ओहदें पर बैठे। चूंकि समारोह का पूरा माहौल धार्मिक था इसलिए मुझे भी माहौल के अनुरूप अपनी बात रखनी पड़ी। शिक्षा चाहे धर्म की हो अथवा आधुनिक दौर की शिक्षा हमेशा इंसान को एक सुयोग्य नागरिक बनाती है। कुरान में तो यहां तक कहा गया है कि यदि आप का पड़ौसी भूखा है तो आपको भर पेट खाने का हक नहीं है। यदि इस भावना से शिक्षा का विस्तार हो रहा है तो यह अच्छी बात है। मेरे संबोधन के बाद मौलाना कासमी ने बताया कि मदरसों में अब अन्य शिक्षा भी दी जा रही है और ऊंटड़ा में मुस्लिम छात्राओं के लिए अलग मदरसा से शुरू किया गया है। मदरसा बोर्ड ने ऊंटड़ा मदरसे को राजस्थान भर में मॉडल मदरसा घोषित किया है। 
जलसे में जयपुर स्थित जामा मस्जिद के मुफ्ती अजमद अली ने कहा कि हर मुसलमान के लिए कुरान की शिक्षा ग्रहण करना जरूरी है। इसलिए जगह-जगह मदरसे खोल कर लड़के-लड़कियों को शिक्षा दी जाती है। उन्होंने कहा कि आम मुसलमान को कुरान की शिक्षा के अनुरूप अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। जलसे में ख्वाजा साहब की दरगाह के दीवान के उत्तराधिकारी सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि पूरे हिन्दुस्तान में ख्वाजा साहब ने पैगम्बर मोहम्मद साहब की शिक्षा को आगे बढ़ाया है। उन्होंने डिग्री लेने वाले लड़के-लड़कियों के प्रति शुभकामना प्रकट की। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि बच्चे अपने धर्म के अनुरूप ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। समारोह में दिल्ली स्थित हजरत निजामुद्दीन की दरगाह, गुजरात के सूरत स्थित जामिअतुल किरात कफलेता, इशाअतुल उलुम अकलकुंवा दारुल उलूम पोकरण, मदरसा खादिमुल इस्लाम भाखारी पीपाड़ के साथ-साथ राजस्थान,गुजरात महाराष्ट्र आदि राज्यों के मदरसों से जुड़े प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे। मौलाना कासमी ने बताया कि जलसे में लड़कियों को आलीमा और लड़कों को हाफीज की डिग्री दी गई। कुरान के सभी 30 पारे(वोल्यूम) मुंह जुबानी बोलने पर हाफीज की डिग्री दी जाती है। आलीमा की डिग्री लेने के बाद लड़कियां भी किसी भी मौलाना की तरह कुरान की जानकारी देने का हक रखती हंै। इस जलसे में अजमेर सहित मकरना, दूदू, फुलेरा, सांभर, नरेना आदि क्षेत्रों में चलने वाले मदरसों के विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। मौलाना कासमी की संस्था इदारा-ए-दावतुल हक इस क्षेत्र में पचास से भी ज्यादा छोटे-बड़े मदरसों का संचालन करती है। 
लड़कियों का फोटो:
मेरे विशेष आग्रह पर मौलाना कासमी ने आलीमा की डिग्री लेने वाली लड़कियों का एक फोटो खींचवाया। इतने बड़े जलसे का सिर्फ यह फोटो ही मिल पाया है। यह फोटो भी आयोजको की सहमति से पोस्ट किया जा रहा है। 
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(एस.पी. मित्तल)  (22-05-2016)
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Saturday 21 May 2016

इस श्रद्धा को क्या कहा जाए। आशाराम की पेशी पर फिर उमड़े श्रद्धालु। दो साल आठ माह से जोधपुर की सेन्ट्रल जेल में बंद हैं बापू।

#1366

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21 मई को बुध पूर्णिमा होने की वजह से जोधपुर में श्रद्धालुओं की कुछ ज्यादा ही भीड़ थी। एक नाबालिग के साथ कथित तौर पर बलात्कार के मामले में कथावाचक आशाराम बापू दो वर्ष आठ माह से जोधपुर की सेन्ट्रल जेल में बंद हैं। बापू के मुकदमे की सुनवाई अदालत में लगातार हो रही है। ऐसे में आशाराम बापू के प्रति श्रद्धा रखने वाले हजारों श्रद्धालु जोधपुर में ही डेरा जमाए रहते हैं। 21 मई को बुद्ध पूर्णिमा होने की वजह से बापू के प्रति श्रद्धा रखने वाले लोगों की कुछ ज्यादा ही भीड़ थी। अदालत में भले ही बापू पर बलात्कार का मुकदमा चल रहा हो, लेकिन श्रद्धालु आज भी बापू के चरण स्पर्श करने को आतुर रहते है। बापू जिस जमीन पर पैर रखते हैं उस जमीन की मिट्टी को उठाकर श्रद्धालु अपने माथे पर लगाते हैं। बापू की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु पुलिस के डंडे खाने को भी तैयार रहते है। 21 मई को तो एक श्रद्धालु पुलिस के वाहन पर ही चढ़ गया। हालांकि श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए पुलिस बापू को कड़े सुरक्षा पहरे में जेल से अदालत लाती है, लेकिन फिर भी बापू के श्रद्धालु पुलिस के इंतजामों को फेल कर देते हैं। श्रद्धालुओं में महिलाओं की संख्या यह बताती है कि आरोप के मुकाबले में श्रद्धा भारी है। हालांकि बापू ने भी अदालत में रो-रो कर कहा कि उन्होंने बच्ची के साथ बलात्कार नहीं किया, लेकिन देश के कानून के मुताबिक पीडि़ता के आरोपों के मद्देनजर अदालत में बापू अभी तक भी स्वयं को निर्दोष साबित नहीं कर सकें। बापू ने जमानत पर बाहर आने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया है, लेकिन कोई राहत नहीं मिली है। बापू के प्रति श्रद्धा और आस्था रखने वालों की इन दिनों कुछ ज्यादा ही चिंता बढ़ गई है। जोधपुर को सूर्य नगरी कहा जाता है। यानि गर्मी के दिनों में भीषण गर्मी होती है। इस बार जोधपुर का तापमान 50 डिग्री को छू रहा है। ऐसे में आशाराम बापू सेन्ट्रल जेल में कैसे रह रहे होंगे? 21 मई को भी जिन हालातों में बापू पुलिस के वाहन से उतर कर अदालत के अंदर तक गए तो श्रद्धालुओं की आंखों में आंसू थे।
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(एस.पी. मित्तल)  (21-05-2016)
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आखिर क्यों जरूरत पड़ी वसुंधरा सरकार को इनर इंजीनियरिंग की।

#1367

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राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 20 और 21 मई को जयपुर में एक वातानुकुलित हॉल में इनर इंजीनियरिंग का शिविर आयोजित करवाया। इस शिविर में सरकार के मंत्री और विधायकों के साथ-साथ सांसद, आईएएस, आईपीएस आदि अधिकारियों को भी उपस्थित रखा। राजे का कहना है कि जिन विपरित परिस्थितियों में जनप्रतिनिधि और अफसर काम करते हैं, उसके अंतर्गत ऐसे शिविर जरूरी हैं। सीएम राजे की अपनी सोच हो सकती है, लेकिन यह दो दिवसीय शिविर तब हुआ है, जब एसीबी की टीम नेशनल हेल्थ मिशन (एनएमएम) में हुए घोटाले में आईएएस अफसरों से पूछताछ कर रही है। वहीं दूसरी ओर भीषण गर्मी में प्रदेशभर की जनता पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रही है। क्या जो आईएएस भ्रष्टाचार में लिप्त हैं उनके लिए इनर इंजीनियरिंग हो रही है। जिस एनएचएम की जांच हो रही है उसका सालाना बजट दो हजार करोड़ रुपए का है। दलाल अजीत सोनी के टेलीफोन के संवाद को सही माना जाए तो वसुंधरा राजे सरकार के अधिकांश आईएएस और आईपीएस भ्रष्ट हैं। इन अफसरों को करोड़ों रुपए की रिश्वत के साथ-साथ मुफ्त का ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर भी चाहिए। विदेशी शराब तो जरूरी है ही। समझ में नहीं आता कि जब राजस्थान की अफसरशाही का इतना बुरा हाल है, तब सीएम किस बात की इंजीनियरिंग करवा रही है? क्या यह अफसरशाही इनर इंजीनियरिंग शिविर के लायक है? सीएम माने या नहीं इस बेइमान और निरकुंश अफसरशाही की वजह से ही अनेक लोगों की मानसिक स्थिति खराब हो गई है। अच्छा होता कि सीएम उन लोगों को खोजती और उनके लिए इनर इंजीनियरिंग का शिविर आयोजित करवाती, लेकिन हो इसका उल्टा रहा है। उन अफसरों के लिए शिविर आयोजित किया है, जिनकी वजह से लोगों की मानसिक स्थिति खराब हो रही है। जहां तक विधायक, सांसद, मंत्रियों का सवाल है तो इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में ये लोग तो पहले ही राजा-महाराजाओं की जिंदगी जी रहे हैं। मंत्रियों के पास वातानुकुलित कार से लेकर बंगले और सुख-सुविधाएं भरी पड़ी हैं। विधायकों के लिए स्वार्थी लोग एसी वाहन लेकर तैयार खड़े रहते है। आखिर राजे यह बताएं तो सही कि इन जनप्रतिनिधियों को इनर इंजीनियरिंग की जरूरत क्यों पड़ी है? अच्छा होता कि विधायकों, सांसदों, मंत्रियों को अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में भेजकर पीने के पानी के इंतजाम करवाए जाते। राजे भले ही अच्छा महसूस करें, लेकिन प्रदेश की जो जनता भीषण गर्मी में बूंद-बूंद पानी को तरस रही है, वह सरकार को कोस रही है। जहां तक शिविर में आए सद्गुरु जग्गी वासुदेव महाराज का सवाल है तो उन्हें भी चाहिए कि वे जीवन जीने की कला न सिखाएं। आज जीवन में छोडऩे की कला सीखनी चाहिए। जब-जब मनुष्य जीने की कला सीखता है तब-तब उसे अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है और जब छोडऩे की कला सीखता है तो उसका जीवन सरल से और सरल हो जाता है।
फोटो- इनर इंजीनियरिंग के शिविर में सीएम, मंत्री, अफसर आदि।
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(एस.पी. मित्तल)  (21-05-2016)
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ब्लॉग अब SP MITTAL.IN के वेब पेज पर भी पढ़ें

#1368

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अजमेर, राजस्थान और देश भर के पाठकों ने मेरा जो हौंसला बढ़ाया है, उसी से उत्साहित होकर अब मैंने SP MITTAL.IN  का वेब पेज भी बना लिया है। मेरा आग्रह है कि मेरे ब्लॉग को अब वेब पेज पर भी पढ़ा जाए। इस वेब पेज पर पुराने ब्लॉगों को भी पोस्ट किया जा रहा है। मैं कोई 800 वाट्सएप ग्रुप से जुड़ा हुआ हूं। जो लोग वाट्सएप ग्रुप से जुड़े हैं कि उन्हें पता है कि आठ सौ ग्रुप में तीन-चार ब्लॉग पोस्ट करने में कितना समय और श्रम लगता होगा। ऐसे कई पाठक होंगे जिन्हें मेरा ब्लॉग एक से अधिक गु्रप में पढऩे को मिलता है। इससे उन्हें भी परेशानी होती है और मुझे भी। यदि कुछ ग्रुप के एडमिन मुझे हटा दें तो उनकी बड़ी मेहरबानी होगी, लेकिन इस बात का ख्याल रखा जाए कि मेरे ब्लॉग सभी को मिलें।
जो लोग मेरे साथ फेसबुक पर हैं उनमें से कई मेरी टाइम लाइन पर अपनी फोटो और खबर डालते हैं। यह उचित नहीं है। इससे मुझे और मेरे से जुड़े लोगों को परेशानी होती है। यदि ऐसे लोगों ने मेरी टाइम लाइन पर पोस्ट बंद नहीं की तो मुझे मजबूरी में उन्हें ब्लॉक करना पड़ेगा। मुझे उम्मीद है कि लोग मेरी भावनाओं को समझेंगे।
ब्लॉग के साथ फोटो भी जरूरी होती हैं। वाटसएप और ब्रॉडकास्ट में फोटो भेजना मुश्किल होता है। जो लोग ब्लॉग के साथ फोटोज देखना चाहते हैं उन्हें अब वेब पेज पर आसानी से फोटो भी देखने को मिलेंगी।
(एस.पी. मित्तल)  (21-05-2016)
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योग से मानसिक शांति भी मिलती है कुंदन नगर में योग शिविर शुरू

#1369

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एमडीएस यूनिवर्सिटी के योग सांइस विभाग के अध्यक्ष असीम जयंती देवी ने कहा कि नियमित योग से सिर्फ रोग ही दूर नहीं होते बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है।
21 मई को कुंदन नगर स्थित अंकुर पब्लिक स्कूल के परिसर में शुरू हुए एक माह के योग शिविर में जयंती ने कहा कि अब योग का महत्व घर-घर समझा जाने लगा है। योग की वजह से जिस तरह से लोगों के रोग दूर हुए उससे आकर्षण बढ़ा है। योग सिर्फ निरोगी काया के लिए नही करना चाहिए बल्कि योग से मानसिक शांति का लाभ लेना चाहिए। कई बार घर का काम करते-करते महिलाएं चिड़चिड़ी हो जाती है। योग से यह चिड़चिड़ापन भी दूर किया जा सकता है।
 जयंती ने कहा कि अब योग युवाओं को रोजगार भी उपलब्ध करवा रहा है। समाज में और विभिन्न सरकारी संस्थानों में योग शिक्षक की मांग बढ़ी है। इसलिए महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में योग के विभिन्न पाठ्यक्रम करवाएं जा रहे है।
समारोह में योग शिक्षिका डॉ. संगीता शर्मा ने बताया कि केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद नई दिल्ली एवं जयपुर स्थित योग साधना आश्रम के सहयोग से लगे इस शिविर में योग विशेषज्ञ अपनी नि:शुल्क सेवाएं देंगे। इनमें श्रीमती योगबाला वैष्णव, श्रीमती अनुपमा, डॉ. रूचि सोनी,कुमारी भारती राजोरिया एवं भारती शर्मा प्रमुख है।
आगामी 21 जून तक चलने वाले इस शिविर में कोई भी व्यक्ति नि:शुल्क भाग ले सकता है। योग विशेषज्ञ विभिन्न रोगों के इलाज के बारे में जानकारी देंगे। शिविर में कृष्णा विहार समग्र विकास संस्थान के सचिव विनीत लोहिया ने कुंदन नगर में शिविर आयोजित करने के लिए आयोजकों का आभार व्यक्त किया। इससे पूर्व शिविर का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस अवसर पर आयोजन समिति की ओर से अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया।
इस अवसर पर कृष्णा विहार समग्र विकास संस्थान के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ एडवोकेट बसंत विजयवर्गीय ने कहा कि इस तरह के योग शिविर के आयोजन से स्वास्थ्य के प्रति आम लोगों का रूझान बढ़ेगा। योग न सिर्फ स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम है अपितु वैज्ञानिक आधारों पर भी प्रमाणित हो रहा है। योग हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है जिसे युवा पीढ़ी को जुडऩा चाहिए। आज विश्व भर में योग के बारे में चर्चाएं हो रही है और हर देश योग को अपनाने लगा है।
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(एस.पी. मित्तल)  (21-05-2016)
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Friday 20 May 2016

ऊंटड़ा के जलसे में मुस्लिम लड़के हाफिज और लड़कियां लेंगी अलीमा की डिग्री।

#1363

अजमेर क्षेत्र के जमा होंगे मुसलमान।
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अजमेर के निकटवर्ती ऊंटड़ा गांव में 22 मई को प्रात: 8 बजे इदारा-ए-दावतुल हक संस्था की ओर से एक बड़ा जलसा किया जाएगा। यह संस्था अजमेर क्षेत्र के रसूलपुरा, बडग़ांव, ब्यावर, मकराना, दूदू, फुलेरा, सांभर, नरेना, किशनगढ़ आदि में पचास से भी ज्यादा मदरसों का संचालन करती है। संस्था के मौलाना मोहम्मद अय्यूब कासमी ने बताया कि इन मदरसों में पढऩे वाले बच्चों को मुस्लिम शिक्षा के अनुरूप डिग्रियां दी जाती है। ऐसा जलसा प्रतिवर्ष किया जाता है, उन्होंने कहा कि मदरसों की शिक्षा को लेकर कई बार भ्रम की स्थिति होगी है, लेकिन हमारे मदरसों में मुस्लिम धर्म के अनुरूप ही शिक्षा दी जाती है। 22 मई को होने वाले जलसे में मुस्लिम विद्वान भी अपने विचार रखेंगे। 
जलसे से जुड़े मोहम्मद दाउद और मौलाना नवाब ने बताया कि मदरसों में जो विद्यार्थी कुरान के सभी 30 पारे (वोल्यूम) को मौखिक याद कर लेता है, उन विद्यार्थियों को हाफिज की डिग्री दी जाती है। यह माना जाता है कि इन विद्यार्थियों ने हिज्फ कर लिया है, इसी प्रकार लड़कियों को भी कुरान की शिक्षा के अनुरूप ही आलिमा की डिग्री दी जाती है। मुस्लिम धर्म में जैसे मौलवी को धर्म का जानकार माना जाता है। ठीक उसी प्रकार आलिमा की डिग्री लेने वाली मुस्लिम लड़कियों को भी धर्म की जानकारी हो जाती है।
मौलाना हाशमी ने बताया कि जलसे के अंत में देश में अमन शांति के लिए भी दुआ की जाएगी। इस जलसे में किसी भी धर्म का व्यक्ति भाग ले सकता है। मौलाना ने हिन्दू धर्म के जानकारों से आग्रह किया है कि शिक्षा से जुड़े इस जलसे में शामिल हों, ताकि उन्हें मुस्लिम धर्म के बारे में जानकारी हो सके। उन्होंने माना कि कुछ लोगों की गलती की वजह से आम मुसलमान को शक की निगाह से देखा जाता है। उन्होंने बताया कि अजमेर क्षेत्र में संस्था जितने भी मदरसों का संचालन करती है, उसमें सरकार का कोई योगदान नहीं है। सभी मदरसों का खर्चा जनसहयोग से ही पूरा किया जाता है। 
(एस.पी. मित्तल)  (20-05-2016)
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यह तो रिलायन्स जियो की गुंडाई है। कैंसर अस्पताल के बाहर ही लगाया 4जी का शक्तिशाली टावर।

#1364

राजस्थान में बीच सड़कों पर लगे है जानलेवा ऊंचे और चौड़े टावर।
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देश के प्रमुख हिन्दी दैनिक राजस्थान पत्रिका के अजमेर संस्करण के 20 मई के अंक में द्वितीय प्रथम पृष्ठ पर मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन की एक खबर छपी है। इस खबर में कहा गया है कि 3जी और 4जी के मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन की जांच के लिए सरकार ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं। यह महत्त्वपूर्ण खबर पत्रिका के मदनगंज-किशनगढ़ के संवाददाता कालीचरण की लिखी हुई है। इसी खबर में किशनगढ़ के यज्ञनारायण चिकित्सालय के रेडिएशन विभाग के प्रमुख डॉ. अशोक कुमार जैन के हवाले से कहा गया है कि मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। इससे ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां होने की आशंका रहती है। लेकिन इसे रिलायंस जियो की गुंडाई ही कहा जाएगा कि अजमेर में कैंसर अस्पताल के ठीक सामने 4जी का मोबाइल टावर लगा दिया गया है। शर्मनाक बात तो यह है कि यह टावर बीच सड़क पर लगाया गया है। रिलायंस जीयो के मालिक मुकेश अम्बानी से यह पूछने वाला कोई नहीं है कि आखिर कैंसर अस्पताल के सामने ही टावर क्यों लगाया गया है? यानि एक तरफ सरकारी चिकित्सक इन टावरों को कैंसर का रोग बढ़ाने वाला बता रहे हैं तो दूसरी ओर कैंसर अस्पताल के सामने ही टावर लगा  दिया गया है। सवाल अकेले अजमेर का नहीं है, पूरे राजस्थान में रिलायंस जियो के टावर बीच सड़कों पर लगे हुए हैं। केन्द्र सरकार ने रिलायंस जियो को राजस्थान में 4जी के नेटवर्क का लाइसेंस दिया है, इसलिए राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार मुकेश अम्बानी के सामने नतमस्तक है। अम्बानी ने ऐसी-ऐसी जगह पर टावर लगाए हैं, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। भले ही इन टावरों से यातायात बाधित हो, लेकिन आम लोगों की सुनने वाला कोई नहीं है। मुकेश अम्बानी ने अपने टावर बीच सड़कों पर लगाने के लिए वसुंधरा राजे की सरकार से एक ऐसा आदेश निकलवा दिया है, जिस पर न्यायालय भी कोई कार्यवाही नहीं करता है। इन टावरों के खिलाफ पीडि़त लोग जब न्यायालय में जाते हैं तो उन्हें स्टे नहीं मिलता है। जो अदालतें छोटे-छोटे मामलों में स्टे दे देती हैं, वे अदालतें ऊंचे ऊंचे टावरों पर आंखे बंद कर बैठी हैं। जहां तक प्रशासनिक अमले का सवाल है तो सरकारी कर्मचारी और अधिकार की तो इन टावरों की ओर देखने की हिम्मत भी नहीं होती। मुकेश अम्बानी के कारिंदे बीच सड़क पर टावर खड़ा करने के बाद स्थानीय निकाय संस्थान को सिर्फ सूचित करते हैं। समझ में नहीं आता कि इस देश का कानून कैसा है। यदि किसी जरुरतमंद युवा को रोजगार के लिए डेयरी का बूथ लगाना होता है तो उसे नगर निगम, डेयरी, जिला कलेक्टर, ट्रेफिक पुलिस आदि से एनओसी लानी होती है। उस गरीब और युवा बेरोजगार को पता है कि बिना रिश्वत दिए इन विभागों से एनओसी नहीं मिलती है। लेकिन मुकेश अम्बानी के सामने इन रिश्वतखोर विभागों की भी घिग्गी बंधी हुई है। थाने के सीआई तो क्या एसपी तक की हिम्मत नहीं कि वह बीच सड़क में खड़े होने वाले 4जी के टावर को रोक सके। यदि कोई गरीब ठेले वाला सड़क के किनारे खड़े होकर फल आदि बेचता है तो पुलिस वाले डंडे मारकर भगा देते हैं, लेकिन यातायात को बाधित कर रहे इन टावरों को कोई नहीं रोक पा रहा। यह माना कि अब इंटरनेट की सुविधा जरूरी है,लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि रिलायंस वाले आम आदमी का जीवन ही खतरे में डाल दें। गत वर्ष रिलायंस जियो का टावर जयपुर में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के घर के बाहर ही खड़ा कर दिया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने सिर्फ अपने चीफ जस्टिस के घर के बाहर से ही टावर को हटवाया।
(एस.पी. मित्तल)  (20-05-2016)
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Thursday 19 May 2016

5 राज्यों के चुनाव परिणाम। क्या कांग्रेस और वामपंथी सबक लेंगे?

#1362

दीदी बनी दादा तो अम्मा बनी दादी।
असम में खिला कमल तो कांग्रेस पांडिचेरी के भरोसे।
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19 मई को देश के पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आ गए। इन परिणामों से सबसे बड़ा झटका सोनिया और राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को लगा है।  असम में कांग्रेस 15 वर्ष के शासन का अंत हो गया। तो पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का खाता खुलना भी मुश्किल हो रहा है। तमिलनाडु में भी कांग्रेस कहीं नजर नहीं आ रही। केरल में जरूर कांग्रेस ने संयुक्त मोर्चे के साथ अपनी साख को बचाया है। वहीं पांडिचेरी में कांग्रेस डीएमके सरकार बनाने की स्थिति में है। लेकिन सम्पूर्ण परिणाम को देखा जाए तो यह कांग्रेस के लिए बहुत बुरा है। कांग्रेस माने या नहीं लेकिन देश कांग्रेस मुक्त भारत की ओर बढ़ रहा है। अब देखना होगा कि क्या कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की मांग फिर जोर पकड़ती है?
गत लोकसभा चुनाव के बाद भी अनेक वरिष्ठ कांग्रेसियों ने नेतृत्व बदलाव का मुद्दा उठाया था, लेकिन सोनिया और राहुल के इर्द-गिर्द जमा चाटुकारों ने विरोधियों का मुंह बंद कर दिया। अब एक बार फिर कांग्रेस में बगावत के स्वर उठने लगे हैं, देखना है कि कांग्रेस में किस तरह से बदलाव होता है या फिर अभी भी कांग्रेस सोनिया और राहुल पर ही टिकी रहगी। इन परिणामों में जो गत कांग्रेस की हुई है, उसमें भी बुरी गत वामदलों की हुई है। जिस पश्चिम बंगाल में लेफ्ट का डंका बजता था, उसी बंगाल में ममता दीदी ने लेफ्ट का बैंड बजा दिया है। 294 में से करीब 215 सीटों पर टीएमसी की जीत बताती है कि ममता दीदी अब ममता दादा बन गई है। एक तरह से देखा जाए तो लेफ्ट विचार धारा भी अंत की ओर है। सवाल कांग्रेस और लेफ्ट की हार का नहीं है। सवाल इन दोनों के सबक लेने का है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जिस तेजी से बदलाव हो रहे हैं, उसमें सीता राम येचूरी को यह सोचना होगा कि क्या अब लेफ्ट विचारधारा को आगे बढ़ाया जा सकता है। जानकारों की माने तो पश्चिम बंगाल में येचूरी की जिद्द की वजह से ही पार्टी की इतनी बुरी दशा हुई है। करेल में संयुक्त मोर्चे के साथ लेफ्ट की इज्जत इसलिए बची है कि वहां येचूरी का फार्मूला लागू नहीं हो सका। उदारवादी वामपंथी चाहते थे कि बंगाल में कांग्रेस और अन्य दलों के साथ मिलकर संयुक्त मोर्चा बनाया जाए। लेकिन येचूरी ने ऐसा नहीं होने दिया। जिसका खामियाजा सम्पूर्ण पार्टी को उठाना पड़ा। जबकि केरल में मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ा तो परिणाम बेहतर आए।
मतदान के बाद सभी टीवी चैनलों के सर्वे में कहा गया कि तमिलनाडु में करुणानिधि के डीएमके की सरकार बनेगी। कहा गया कि तमिलनाडु में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा है, लेकिन अम्मा यानि जयललिता की एआईडीएमके ने इस परंपरा को तोड़ दिया। अब अम्मा दादी बनकर लगातार दूसरी बार सीएम पद की शपथ लेंगी। हालाकि 232 में से 106 सीटे डीएमके को मिली है, लेकिन 122 सीटों की जीत का बहुमत अम्मा के साथ है। अम्मा ने यहां कांग्रेस को भी मिट्टी में मिलाया है। तो वहीं भाजपा का तो खाता भी नहीं खुला। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम में भाजपा की सबसे बड़ी सफलता यही है कि असम में पूर्ण बहुमत के साथ जीत हो गई है। असम में भाजपा की सरकार बनने से उत्तर पूर्व राज्यों की हालत बदलने की उम्मीद जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि असम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की रणनीति के तहत भाजपा को जीत मिली है। संघ के कार्यकर्ताओं ने विपरीत परिस्थितियों में भी असम में जमीनी स्तर पर कार्य किया। बांग्लादेश से आए नागरिकों का मुद्दा असम के हर चुनाव में रहता है, लेकिन इन चुनावों में लोगों ने इस बात पर भरोसा किया कि यदि भाजपा की सरकार बनती है तो स्थानीय नागरिकता का मुद्दा भी सुलझ जाएगा। जानकारों के अनुसार असम में बड़ी संख्या में मुसलमानों के वोट भी भाजपा को मिले हैं। 19 मई को जिन पांच राज्यों के परिणाम सामने आए, उनकी अगले वर्ष उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव में तुलना नहीं की जा सकती। यूपी की अपनी समस्याएं हैं और यूपी में भाजपा मजबूत स्थिति में है। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम वैसे ही आए हैं जैसे गत लोकसभा के चुनाव में भाजपा और क्षेत्रीय दलों को सफलता मिली थी। यदि मतदाताओं का ऐसा ही रुख रहता है तो फिर यह भाजपा के लिए फायदेमंद होगा। यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने 72 पर जीत हासिल की। भाजपा का तो प्रयास होगा कि मतदाताओं का मूड पांच राज्यों की तरह यूपी में भी बना रहे। 

(एस.पी. मित्तल)  (19-05-2016)
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आखिर किस बात का श्रेय ले रही हैं मंत्री अनिता भदेल।

#1361
नसीराबाद से गत 15 वर्षों से भीलवाड़ा के लिए जा रही है वाटर ट्रेन।
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19 मई को अजमेर जिले के नसीराबाद रेलवे स्टेशन से भीलवाड़ा के लिए एक वाटर ट्रेन को रवाना किया गया। इस ट्रेन को जलदाय मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी और महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। श्रीमती भदेल भीलवाड़ा की प्रभारी मंत्री हैं और इसीलिए भीलवाड़ा के नागरिकों को यह संदेश देना चाहती हंै कि उनके प्रयासों से ही वाटर ट्रेन भीलवाड़ा तक आई है। सब जानते हैं कि गर्मी के दिनों में प्रतिवर्ष  नसीराबाद से वाटर ट्रेन भीलवाड़ा जाती है। यह एक सामान्य सी बात है। गत 15 वर्षों से ऐसी यह ट्रेन भीलवाड़ा जा रही है। श्रीमती भदेल अजमेर से भाजपा की विधायक हैं और अजमेर के लोग लगातार यह मांग कर रहे हैं कि गर्मी के दिनों में बीसलपुर बांध से पेयजल की सप्लाई बढ़वाई जाए। अजमेर में आज भी दो और तीन दिन में मात्र एक घंटे के लिए पेयजल की सप्लाई हो रही है। अच्छा होता कि श्रीमती भदेल अजमेर में अपने विधायक का दायित्व निभाते हुए पेयजल की सप्लाई में सुधार करवाती, लेकिन इसके बजाए श्रीमती भदेल भीलवाड़ा में श्रेय ले रही हैं। नसीराबाद से भीलवाड़ा के लिए जो पानी सप्लाई हो रहा है वह भी अजमेर के हिस्से का ही है। बीसलपुर बांध से नसीराबाद होते हुए ही अजमेर तक पानी आता है। यानी अब भीलवाड़ा के पानी चले जाने से अजमेर में और किल्लत बढ़ेगी। देखना होगा कि आने वाले दिनों में अजमेर के लोगों को और कितनी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। 
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(एस.पी. मित्तल)  (19-05-2016)
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Wednesday 18 May 2016

राजस्थान के आईएएस नीरज के.पवन भी गिरफ्तार? सच्चाई और ईमानदारी का दिखावा करने वाले आईएएस और आईपीएस ही निकलते हैं ज्यादा बेईमान।

#1357

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18 मई को राजस्थान के वरिष्ठ आईएएस नीरज के.पवन के अनेक ठिकानों पर एसीबी ने एक साथ छापामार कार्यवाही की है। पवन के साथ-साथ दलाल अजीत सोनी, अनिल अग्रवाल, दीपा गुप्ता, जोयोजी वर्गिस आदि के खिलाफ भी जांच शुरू की गई है। पवन इस समय कृषि सचिव के पद पर कार्यरत हैं, लेकिन पवन पूर्व में जब नेशनल हेल्थ मिशन के एडिशनल डायरेक्टर थे, तब कोई डेढ़ करोड़ रुपए की गड़बड़ी का मामला उजागर हुआ है। राजस्थान की नौकरशाही में पवन को एक ईमानदार अफसर माना जाता था। उनकी निडरता से भी दहशत रहती थी। नीरज जब पाली के कलेक्टर रहे, तो उनकी दादागिरी की खबरें रोजाना अखबार में छपती थी। सच्चाई और ईमानदारी का कुछ ज्यादा ही शोर था, लेकिन  अब एसीबी की कार्यवाही को देखा जाए तो लगता है कि जो आईएएस और आईपीएस सच्चाई और ईमानदारी का ज्यादा दिखावा करते हैं, असल में वे ही सबसे ज्यादा बेईमान निकलते हैं। अकेले नीरज के.पवन का मामला नहीं है। इससे पहले गत वर्ष खान सचिव अशोक सिंघवी को भी भ्रष्टाचार के आरोप में एसीबी ने गिरफ्तार कर जेल भिजवाया। चार दिन पहले ही पूर्व आईएएस जी.एस.संधु को भी गिरफ्तार कर जयपुर की सेंट्रल जेल में पटका है। इससे पहले अजमेर के एसपी राजेश मीणा और कोटा के एसपी सत्यवीर सिंह को एसीबी ने भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भिजवाया। इतना ही नहीं आयकर विभाग के जोधपुर स्थित चीफ कमिश्नर पवन शर्मा को भी रंगे हाथों पकड़ा गया। ये सारे अफसर वे हैं जिनको ईमानदार माना जाता था। अब जब इन आईएएस और आईपीएस अफसरों की करतूते सामने आ रही है तो उन लोगों को आश्चर्य हो रहा है, जिनके सामने ये अफसर ईमानदारी के प्रवचन देते थे। 
यदि कोई व्यक्ति अपना जायज काम इन अफसरों के पास लेकर जाता था तो उसे सारे नियम और कायदे बताए जाते थे। लेकिन अब यह पता चल रहा है कि उपदेश देने वाले यहीं अफसर अपने दलालों के माध्यम से गलत से भी भी गलत काम करते थे। असल में ये तो वे अफसर हैं जो एसीबी के शिकंजे में फंस गए हैं। शायद ही कोई अफसर होगा जो वाकई ईमानदार है। ईमानदार तो वो ही है, जिसे बेईमानी का अवसर नहीं मिला। जिन लोगों का अफसरों से पाला पड़ता है उन्हें पता है कि ये लुटेरे अफसर किस प्रकार से लूटते हैं। बाजार में आने वाले नए-नए मोबाइल फोन भी इन बेईमान अफसरों के पास होते हैं। इन अफसरों की पत्नियां तो एक कदम आगे नजर आती हैं। अफसर अपने दफ्तर में ईमानदारी की सीख देते हैं और उधर उनकी पत्नी दफ्तर में काम करने वाले भ्रष्टतम इंजीनियरों अथवा अधिकारियों के साथ बाजार में जाकर शॉपिंग करती हैं। अफसर से ज्यादा उनकी पत्नी को पता होता है कि दफ्तर में कौन कौन से अधिनस्थ इंजीनियर और अधिकारी र्बइमान हैं। हालात इतने खराब हैं कि यदि किसी जमीन का नियमन  करना होता है तो ये अधिकारी प्रति बीघा की रिश्वत वसूलते हैं। इन बेइमान अधिकारियों से कोई पूछे कि यह जमीन उनके पिताजी की है? जो प्रति बीघा वसूली की जा रही है। शर्मनाक बात तो तब होती है जब सरकारी शुल्क दस हजार रुपए बीघा होता है और रिश्वत बीस हजार रुपए बीघा की देनी पड़ती है। आईएएस जब कलेक्टर और आईपीएस जब एसपी के पद पर होता है तो लूटने का कोई मौका नहीं छोड़ते।  लोग जायज काम के लिए भी इन बेईमान आईएएस और आईपीएस अफसरों को पैसा देते हैं। यदि न दे तो उनकी फाइल में पचास तरह की कमियां निकाल दी जाती है। 
सीएम को मिलनी चाहिए शाबाशी
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भले ही सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार को नहीं रोक पाई हों, लेकिन बड़े अधिकारियों पर एसीबी का शिकंजा जरूर कसवाया है। यदि सीएम की सहमति नहीं हो तो एसीबी इतने बड़े अधिकारियों पर हाथ नहीं डाल सकती। इसके लिए सीएम राजे को शाबाशी मिलनी ही चाहिए। जो अधिकारी अभी भी रिश्वत खाने से बाज नहीं आ रहे हैं उन्हें हाल ही में हुई बड़े अधिकारियों की गिरफ्तारी से सबक ले लेना चाहिए। 
गेस्ट हाउस को जबरन बनाया बंगला:
आईएएस नीरज के.पवन इस समय जयपुर में एनआरआई कॉलोनी में जिस बंगले में रह रहे हैं, वह हाउसिंग बोर्ड का गेस्ट हाउस है। पवन जब हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर थे, तब कुछ दिनों के लिए इस गेस्ट हाउस में रहने आए थे, लेकिन पवन ने आज तक भी यह गेस्ट हाउस खाली नहीं किया है। नियमों को ताक पर रखकर इस गेस्ट हाउस को ही अपने नाम आवंटित करवा लिया। यानि कोई जरुरतमंद व्यक्ति जब इन अफसरों के पास जाता है तो उस बेचारे को कानून की किताब पढ़ाई जाती है और जब खुद के लाभ लेने की बात आती है तो उसी कानून की किताब को अलमारी में बंद कर दिया जाता है। 
बेईमानों का विदेशी शराब से नाता
एसीबी जब किसी बड़े अधिकारी को गिरफ्तार करती है तो छापे के दौरान बड़ी मात्रा में विदेशी शराब भी बरामद होती है। नीरज के.पवन के ठिकानों से भी लाखों रुपए की कीमत की विदेशी शराब जब्त की गई है। सब जानते हैं कि ये बेईमान अफसर अपनी जेब से शराब नहीं खरीदते। चूंकि शराब देने वालों की लाइन लगी रहती है, इसलिए इनके घरों में विदेशी शराब भरी पड़ी रहती है। एसीबी ने पवन के खिलाफ भी विदेशी शराब रखने का मुकदमा दर्ज किया है। 

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(एस.पी. मित्तल)  (18-05-2016)
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अब क्लॉक टावर पुलिस स्टेशन पर मिलेगा शुद्ध और शीतल पेयजल।

#1358

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भले ही आम लोगों में पुलिस की ईमेज अच्छी नहीं हो, लेकिन अजमेर के क्लॉक टावर पुलिस स्टेशन के सीआई रमेन्द्र सिंह हाड़ा ने अपने थाने पर चौबीस घंटे शुद्ध और शीतल पेयजल का बंदोबस्त तो कर ही दिया है। 18 मई को मैंने और थाने के सीआई हाड़ा ने नए रूप में निखरी प्याऊ का शुभारंभ किया। हाड़ा ने बताया कि इस प्याऊ को नया रूप लॉयन्स क्लब अजमेर उमंग के पदाधिकारियों ने दिया है। उन्हें खुशी है कि अब पुलिस स्टेशन के सामने से गुजरने वाला हर व्यक्ति भीषण गर्मी में शुद्ध और शीतल पानी पी सकेगा। थाने पर तैनात पुलिस कर्मियों को भी सुविधा मिलेगी। इसके लिए हाड़ा ने लॉयन्स क्लब उमंग का आभार व्यक्त किया। क्लब के प्रमुख राजेन्द्र गांधी ने बताया कि नया बाजार के प्रमुख व्यापारी पारसमल और धर्मीचंद रांका ने अपने पिता स्व. रतनलाल रांका की स्मृति में प्याऊ का जिर्णोद्धार करवाया है। करीब पचास हजार रुपए की लागत का एक बड़ा वाटर कूलर रखवाया गया है ताकि चौबीस घंटे लोगों को शुद्ध पानी मिल सकेगा। क्लॉक टावर पुलिस थाना अजमेर रेलवे स्टेशन के ठीक सामने है। लेकिन आसपास के क्षेत्र में कोई सार्वजनिक प्याऊ नहीं है। ऐसे में यात्रियों के साथ-साथ बाजार में आने वाले नागरिकों को भी भीषण गर्मी में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब लोगों को शुद्ध और शीतल पानी उपलब्ध होगा। सीआई हाड़ा ने कहा कि प्याऊ के आगे एक फाइबर शीट का शैड बनवाया जाएगा ताकि लोग छांव में खड़े होकर पानी पी सकें। शुभारंभ के अवसर पर गजेन्द्र पंचोली, मोहन गुप्ता, भगवान जेठानी, मनीष बंसल तथा रांका परिवार के सदस्य उपस्थित थे। मालूम हो कि राजेन्द्र गांधी के नेतृत्व में लॉयन्स क्लब उमंग सामाजिक कार्यों में हमेशा सक्रिय रहता है। 
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अब क्लॉक टावर पुलिस स्टेशन पर मिलेगा शुद्ध और शीतल पेयजल।

#1358

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भले ही आम लोगों में पुलिस की ईमेज अच्छी नहीं हो, लेकिन अजमेर के क्लॉक टावर पुलिस स्टेशन के सीआई रमेन्द्र सिंह हाड़ा ने अपने थाने पर चौबीस घंटे शुद्ध और शीतल पेयजल का बंदोबस्त तो कर ही दिया है। 18 मई को मैंने और थाने के सीआई हाड़ा ने नए रूप में निखरी प्याऊ का शुभारंभ किया। हाड़ा ने बताया कि इस प्याऊ को नया रूप लॉयन्स क्लब अजमेर उमंग के पदाधिकारियों ने दिया है। उन्हें खुशी है कि अब पुलिस स्टेशन के सामने से गुजरने वाला हर व्यक्ति भीषण गर्मी में शुद्ध और शीतल पानी पी सकेगा। थाने पर तैनात पुलिस कर्मियों को भी सुविधा मिलेगी। इसके लिए हाड़ा ने लॉयन्स क्लब उमंग का आभार व्यक्त किया। क्लब के प्रमुख राजेन्द्र गांधी ने बताया कि नया बाजार के प्रमुख व्यापारी पारसमल और धर्मीचंद रांका ने अपने पिता स्व. रतनलाल रांका की स्मृति में प्याऊ का जिर्णोद्धार करवाया है। करीब पचास हजार रुपए की लागत का एक बड़ा वाटर कूलर रखवाया गया है ताकि चौबीस घंटे लोगों को शुद्ध पानी मिल सकेगा। क्लॉक टावर पुलिस थाना अजमेर रेलवे स्टेशन के ठीक सामने है। लेकिन आसपास के क्षेत्र में कोई सार्वजनिक प्याऊ नहीं है। ऐसे में यात्रियों के साथ-साथ बाजार में आने वाले नागरिकों को भी भीषण गर्मी में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब लोगों को शुद्ध और शीतल पानी उपलब्ध होगा। सीआई हाड़ा ने कहा कि प्याऊ के आगे एक फाइबर शीट का शैड बनवाया जाएगा ताकि लोग छांव में खड़े होकर पानी पी सकें। शुभारंभ के अवसर पर गजेन्द्र पंचोली, मोहन गुप्ता, भगवान जेठानी, मनीष बंसल तथा रांका परिवार के सदस्य उपस्थित थे। मालूम हो कि राजेन्द्र गांधी के नेतृत्व में लॉयन्स क्लब उमंग सामाजिक कार्यों में हमेशा सक्रिय रहता है। 
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(एस.पी. मित्तल)  (18-05-2016)
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दशोरा ने 42 वर्ष गुजार दिए अजमेर में। अब मनाएंगे शादी की 50वीं सालगिरह। पता ही नहीं चला वक्त का।

#1359

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मैं अजमेर में कोई 35 वर्ष से पत्रकारिता में सक्रिय हंू, इसलिए अजमेर के मशहूर वकील पूर्णांशंकर दशोरा को अच्छी तरह जानता हंू। दशोरा 42 वर्ष पहले चित्तौड़ को छोड़कर अजमेर में आकर बसे थे, तब दशोरा ने भी नहीं सोचा था कि अजमेर में उन्हें इतनी सफलता मिलेगी और आज जब दशोरा अपनी शादी की 50वीं सालगिरह मना रहे हैं तो मुझे लगा कि वक्त गुजरने का पता ही नहीं चलता। 19 मई को शादी की सालगिरह पर दशोरा विजय लक्ष्मी पार्क में एक शानदार जश्न कर रहे है। इस जश्न को सफल बनाने में उनके बेटे अमित दशोरा कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मुझे लगता है कि कल की ही तो बात है, जब दशोरा वकालत के साथ-साथ भाजपा की राजनीति में सक्रिय रहे। 
आज भले ही दशोरा की उम्र 68 वर्ष की हो, लेकिन इस समय भी दशोरा राजस्व मंडल की बार एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। दशोरा कोई 10 वर्ष तक अजमेर भाजपा के अध्यक्ष रहे। दशोरा ने राजनीति में भी जबरदस्त उतार चढ़ाव देखे हैं। सुंदर सिंह भंडारी का घेराव करने के चक्कर में दशोरा को जहां प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा तो वहीं आंैंकार सिंह लखावत के यूआईटी के अध्यक्षीय कार्यकाल में दशोरा सबसे मजबूत सदस्य रहे। चित्तौड़ से आकर दशोरा ने अजमेर में राजनीति के मैदान पर जो जाजम बिछाई,वैसी जाजम बिछाने का अवसर कम लोगों को ही मिलता है। अपनी मिलन सारिता की वजह से दशोरा ने वकालत के पेशे में भी अपार सफलता प्राप्त की है। यह बात अलग है कि दशोरा का 50 वर्ष पहले तब विवाह हुआ था, जब उनकी उम्र मात्र 17 वर्ष की थी। भले ही दशोरा का बाल विवाह हुआ हो, लेकिन उनकी पत्नी हेमलता ने हर परिस्थितियों में दशोरा का साथ निभाया। मेरे जैसे हजारों लोग अजमेर में होंगे जो दशोरा को एक दोस्त के रूप में बेहद सम्मान देते हैं। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि जब दशोरा अपनी शादी की 75वीं सालगिरह मनाए तो मैं इसी प्रकार सोशल मीडिया पर एक ब्लॉग लिखूं। 

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(एस.पी. मित्तल)  (18-05-2016)
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अजमेर के मशहूर शिक्षा कारोबारी की आम रास्ते पर बुरी नजर।

#1360

नगर निगम भी बना है मददगार। 
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अजमेर में शिक्षा का कारोबार करने वाले सूबे सिंह चौधरी की अब आम रास्ते पर बुरी नजर बताई जा रही है। चौधरी अजमेर के पुष्कर रोड स्थित विश्राम स्थली के सामने क्वीन मेरी बॉयज और बी.के.कौल नगर में क्वीन मेरी गल्र्स स्कूल का संचालन करते हैं। इसी प्रकार स्कूल की एक शाखा नसीराबाद में भी खोल रखी है। चूंकि चौधरी शिक्षा के कारोबारी हैं, इसलिए बी.के.कौल नगर में ही मुख्य मार्ग पर एक होटल भी बना ली है। पुष्कर रोड वाली स्कूल के निकट कोई बीस फीट चौड़ा आम रास्ता है, लेकिन चौधरी चाहते है कि इस रास्ते को बंद कर स्कूल के काम में ले लिया जाए। इसके लिए चौधरी ने स्कूल के आस-पास के मकान भी खरीद लिए हैं। 
क्षेत्रीय नागरिकों ने नगर निगम से सूचना के अधिकार में जानकारी मांगी है, लेकिन चौधरी के दबदबे के कारण निगम प्रशासन जानकारी नहीं दे रहा है। चूंकि चौधरी कारोबारी हैं। इसलिए सभी स्कूलों का संचालन लाभ की दृष्टि से ही करते हैं। चौधरी ने बी.के.कौल नगर में जो गल्र्स स्कूल बनाया है, उसकी जमीन रियायती दर पर अजमेर विकास प्राधिकरण से ली है। सरकारी जमीन लेने के बाद भी स्कूल परिसर में खुलेआम व्यावसायिक गतिविधियां भी की जा रही हैं। भूमि पर बैंक का संचालन करवा दिया गया है। इतना ही नहीं गैर कानूनी तरीके से कोचिंग सेंटर चलाया जा रहा है। गंभीर बात यह है कि यह सब निर्माण नियमानुसार नहीं है। लेकिन चौधरी के दबदबे की वजह से कोई भी विभाग कार्यवाही नहीं कर पाता है। शिक्षा कारोबार से जो धन अर्जित किया, उसी से होटल व मॉल बनाए जा रहे हैं। यह भी जांच का विषय है कि एक ओर शिक्षा के नाम पर रियायती जमीन ली जाती है तो दूसरी और बड़े-बड़े होटल मॉल बनाए जा रहे हैं। 

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अजमेर के मशहूर शिक्षा कारोबारी की आम रास्ते पर बुरी नजर।

#1360

नगर निगम भी बना है मददगार। 
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अजमेर में शिक्षा का कारोबार करने वाले सूबे सिंह चौधरी की अब आम रास्ते पर बुरी नजर बताई जा रही है। चौधरी अजमेर के पुष्कर रोड स्थित विश्राम स्थली के सामने क्वीन मेरी बॉयज और बी.के.कौल नगर में क्वीन मेरी गल्र्स स्कूल का संचालन करते हैं। इसी प्रकार स्कूल की एक शाखा नसीराबाद में भी खोल रखी है। चूंकि चौधरी शिक्षा के कारोबारी हैं, इसलिए बी.के.कौल नगर में ही मुख्य मार्ग पर एक होटल भी बना ली है। पुष्कर रोड वाली स्कूल के निकट कोई बीस फीट चौड़ा आम रास्ता है, लेकिन चौधरी चाहते है कि इस रास्ते को बंद कर स्कूल के काम में ले लिया जाए। इसके लिए चौधरी ने स्कूल के आस-पास के मकान भी खरीद लिए हैं। 
क्षेत्रीय नागरिकों ने नगर निगम से सूचना के अधिकार में जानकारी मांगी है, लेकिन चौधरी के दबदबे के कारण निगम प्रशासन जानकारी नहीं दे रहा है। चूंकि चौधरी कारोबारी हैं। इसलिए सभी स्कूलों का संचालन लाभ की दृष्टि से ही करते हैं। चौधरी ने बी.के.कौल नगर में जो गल्र्स स्कूल बनाया है, उसकी जमीन रियायती दर पर अजमेर विकास प्राधिकरण से ली है। सरकारी जमीन लेने के बाद भी स्कूल परिसर में खुलेआम व्यावसायिक गतिविधियां भी की जा रही हैं। भूमि पर बैंक का संचालन करवा दिया गया है। इतना ही नहीं गैर कानूनी तरीके से कोचिंग सेंटर चलाया जा रहा है। गंभीर बात यह है कि यह सब निर्माण नियमानुसार नहीं है। लेकिन चौधरी के दबदबे की वजह से कोई भी विभाग कार्यवाही नहीं कर पाता है। शिक्षा कारोबार से जो धन अर्जित किया, उसी से होटल व मॉल बनाए जा रहे हैं। यह भी जांच का विषय है कि एक ओर शिक्षा के नाम पर रियायती जमीन ली जाती है तो दूसरी और बड़े-बड़े होटल मॉल बनाए जा रहे हैं। 

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(एस.पी. मित्तल)  (18-05-2016)
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Tuesday 17 May 2016

ओम के उच्चारण को लेकर योग पर विवाद क्यों। योग तो सबके लिए फायदेमंद है। टीवी चैनल इस देश पर रहम करें।

#1356

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21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। केन्द्रीय आयुष मंत्रालय ने इसके लिए व्यापक तैयारियां की हैं। देशभर में एक माह के शिविर लगाए जा रहे हैं। इसको लेकर मंत्रालय ने एक गाइड लाइन जारी की है। यह गाइड लाइन सामान्य बात है, लेकिन 17 मई को टीवी न्यूज चैनल वालों ने बेवजह का विवाद खड़ा कर दिया है। चैनल वालों ने हालात इतने बिगाड़े हैं कि योग को लेकर हिन्दू और मुसलमानों को आमने-सामने कर दिया है। मंत्रालय की गाइड लाइन में कहा गया है कि योग शिविर की शुरुआत ओम उच्चारण से होगी। लेकिन इस ओम शब्द पर ही चैनल वालों ने विवाद खड़ा कर दिया है। देश विरोधी चैनलों ने अपने स्टूडियो में मुस्लिम धर्म गुरुओं, मौलवियों आदि को बैठा लिया और यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या मुस्लिम धर्म में ओम का उच्चारण किया जा सकता है? स्वाभाविक है कि धर्म गुरु ओम के उच्चारण से इंकार ही करेंगे। मुस्लिम धर्म गुरुओं के इंकार को चैनल वाले सीधे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जोड़ रहे हैं। अपनी मानसिकता से ही कहा जा रहा है कि नरेन्द्र मोदी की सरकार ओम का उच्चारण करवा कर संघ का हिन्दूवादी ऐजेंडा लागू कर रही है। जबकि मंत्रालय ने शिविर के लिए एक गाईड लाइन जारी की है। शिविर में शामिल यदि कोई मुसलमान योग शुरू करने से पहले ओम का उच्चारण नहीं करता है तो उस पर ओम के उच्चारण की कोई बाध्यता भी नहीं है। लेकिन इसके बावजूद भी एक अच्छे कार्य को विवादस्पद बनाया जा रहा है। जबकि योग तो सबके लिए फायदेमंद हैै। योग से देश का हर नागरिक स्वस्थ और निरोगी बने इसके लिए ही आयुष मंत्रालय 21 मई से ही एक माह के शिविर आयोजित करवा रहा है। इसके अंतर्गत देशव्यापी शिविरों में योग विशेषज्ञ आम लोगों को नि:शुल्क सलाह देंगे। विशेषज्ञों की देख-रेख में ही योग करवाया जाएगा। अच्छा हो कि चैनल वाले आयुष मंत्रालय की गाइड लाइन को सकारात्मक सोच के साथ प्रसारित करंे। हिन्दू और मुसलमानों को लेकर देश में पहले ही संवेदनशील स्थिति बनी हुई है। अपराधीतत्व दंगा-फंसाद करवाने के लिए तैयार बैठे हैं। आज देश में किसी की भी इतनी हिम्मत नहीं है कि धर्म के विरुद्ध किसी से अचारण करवाया जाए।
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(एस.पी. मित्तल)  (17-05-2016)
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18 मई की रात को अजमेर के मदार गेट पर आएंगे खाटू के श्याम बाबा।

#1354

यह आस्था और भरोसे का मामला है। 
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अजमेर के मदारगेट चौराहे पर गत 23 वर्षों से खाटू के श्याम बाबा के सम्मान में भजन संध्या हो रही है। 22 मई 1994 को जब पहली बार भजन संध्या की गई तो भक्तों की संख्या कुछ कम थी, लेकिन तीन-चार वर्ष में ही भजन संध्या में भक्तों की संख्या इतनी हो गई कि मदार गेट का चौक छोटा पडऩे लगा। भजन संध्या को आयोजित करने वाले गोपाल चन्द गोयल, विमल गर्ग, देवेश्वर प्रसाद गुप्ता, अनिल खंडेलवाल, डॉ. गोपाल अग्रवाल, मामा सीताराम आदि से कई कहा कहा गया कि भजन संध्या किसी बड़े स्थान पर की जाए ताकि श्रद्धालु सुविधा के साथ भजनों का आनंद ले सके। लेकिन आयोजकों ने मदार गेट के बजाए किसी अन्य स्थान पर भजन संध्या करने से इंकार कर दिया। आयोजकों का कहना है कि अजमेर के श्याम भक्तों और श्रद्धालुओं की आस्था और भरोसा है कि भजन संध्या के समय खाटू के श्याम बाबा खुद मदार गेट चौक पर ही आते हैं। इस आस्था और विश्वास की वजह से ही मदार गेट चौक पर ही भजन संध्या का आयोजन किया जाता है। इस बार भी 18 मई की रात को 9 बजे से भजन संध्या शुरू होगी, जिसमें खुद श्याम बाबा आकर श्रद्धालुओं और भक्तों को आशीर्वाद देंगे। 18 मई को होने वाली भजन संध्या में इस बार सुप्रसिद्ध भजन गायक वृंदावन की साध्वी पूनम दीदी, गुडग़ांव के नरेश सैनी, अजमेर के विमल गर्ग, जयपुर की निजाम एंड पार्टी भजनों की प्रस्तुति देंगे। 
बालाजी के मंदिर में की मूर्ति स्थापना:
आयोजकों ने बताया कि 22 मई 1993 को मदार गेट स्थित सूरज कुंड बालाजी के मङ्क्षदर में श्याम बाबा की प्रतिमा की स्थापना की गई थी। इसके बाद से ही हर वर्ष श्याम वार्षिकोत्सव मनाया जा रहा है। इस दो दिवसीय उत्सव में पहले दिन भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। इस बार भी 17 मई को शहर के प्रमुख मार्गों से शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में श्याम बाबा के विभिन्न चरित्रों की झांकियां प्रस्तुत की गई। शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया।
(एस.पी. मित्तल)  (17-05-2016)
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वार्ड चुनाव की हार से सबक लें केजरीवाल। हर विफलता के लिए मोदी को दोषी ठहराने से काम नहीं चलेगा।

#1355

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17 मई को दिल्ली नगर निगम के 13 वार्डों के उपचुनाव के परिणाम सामने आए हंै। आम आदमी पार्टी के इस समय 70 में से 68 विधायक हैं, इस लिहाज से सभी 13 वार्डों में इसी पार्टी की जीत होनी चाहिए थी, लेकिन आप को 13 में से मात्र पांच वार्डों में ही जीत मिली है। कांग्रेस चार, भाजपा तीन और एक वार्ड में निर्दलीय प्रत्याशी जीता है। वार्ड चुनाव के परिणाम न तो दिल्ली और न केन्द्र की सरकार पर कोई असर डालेंगे, लेकिन चुनाव तो चुनाव है। जब बिहार में भाजपा हार गई तो कहा गया कि पीएम नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ गिर रहा है। यह माना कि 13 वार्डों के चुनाव परिणाम से दिल्ली सरकार के सीएम अरविंद केजरीवाल की सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन राजनीतिक दृष्टि से इन परिणामों का अपना महत्त्व है। केजरीवाल ने विज्ञापनों के जरिए ऐसा प्रचारित किया कि आप की सरकार से दिल्लीवासी बेहद खुश हैं। सवाल उठता है कि जब दिल्लीवासी संतुष्ट हैं तो फिर 13 में से मात्र पांच वार्डों में ही आप की जीत क्यों हुई? असल में सीएम केजरीवाल हर विफलता के लिए केन्द्र की नरेन्द्र मोदी की सरकार को दोषी ठहराते हैं। यह माना कि जिस प्रकार अन्य राज्यों को अधिकार मिले हुए हंै। वैसे अधिकार दिल्ली की सरकार के पास नहीं है। ऐसे में दिल्ली में शासन करना मुश्किल होता है, लेकिन पिछले एक वर्ष में यह देखा गया कि जब कोई अच्छा कार्य हुआ तो उसका श्रेय केजरीवाल ने लिया और जब खराब हुआ तो उसकी जिम्मेदारी नरेन्द्र मोदी पर डाल दिया। अच्छा हो कि वार्ड चुनाव की हार से केजरीवाल कोई सबक लें। मात्र 45 प्रतिशत मतदान होने से भी प्रतीत होता है कि दिल्ली में केजरीवाल की लोकप्रियता में कमी आई है, जब यह दावा किया जा रहा है कि दिल्ली के लोग केजरीवाल की सरकार से खुश हैं तो फिर मतदान 45 प्रतिशत ही क्यों हुआ? अगले वर्ष ही सम्पूर्ण दिल्ली में नगर निगम के चुनाव होने हैं, दिल्ली सरकार की सफलता नगर निगम के प्रशासन पर भी निर्भर है। वर्तमान में नगर निगम पर भजपा का कब्जा है। ऐसे में आए दिन केजरीवाल सरकार और नगर निगम प्रशासन खींचतान होती रहती है। यदि अगले वर्ष होने वाले निगम चुनावों में केजरीवाल को सफलता नहीं मिली तो फिर दिल्ली में विकास के मुद्दे पर खींचतान बनी रहेगी। हो सकता है कि केजरीवाल दिल्ली में कोई नए प्रयोग कर रहे हों, लेकिन आम जनता को प्रयोगों के परिणाम चाहिए। यदि केजरीवाल के परिणाम अच्छे होते तो निगम चुनावों में इस तरह आप के उम्मीदवारों की हार नहीं होती। जिस कांग्रेस को गत विधानसभा के चुनाव में एक सीट भी नहीं मिली, उसे चार वार्डों में जीत हासिल हुई है। यह चुनाव कांग्रेस के लिए तो ऑक्सीजन साबित होंगे। जहां तक भाजपा का सवाल है तो 13 में से मात्र 3 वार्डो में भाजपा की जीत शर्मनाक है। गत लोकसभा के चुनाव में दिल्ली की सभी सातों सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी। यानि केजरीवाल की सरकार की तरह भाजपा की केन्द्र सरकार की लेाकप्रियता में भी कमी हो रही है। 
(एस.पी. मित्तल)  (17-05-2016)
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Monday 16 May 2016

अजमेर के अस्पताल में तीन और बच्चों की मौत। वसुंधरा सरकार की किरकिरी। कार्यवाही की तो हो सकती है हड़ताल।

#1350

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16 मई को अजमेर के जेएलएन अस्पताल में तीन और नवजात बच्चों की मौत हो गई। 15 मई को पहले ही पांच बच्चों की मौत हो चुकी है, लेकिन इन आठ बच्चों की मौत में डॉक्टरों ने अपनी कोई लापरवाही मानने से साफ इंकार कर दिया है। चिकित्सकों ने सरकार को इशारा कर दिया है कि यदि कोई कार्यवाही की गई तो सम्पूर्ण राजस्थान में सरकारी अस्पतालों में हड़ताल हो जाएगी। यही वजह है कि सरकार के किसी भी प्रतिनिधि की हिम्मत डॉक्टरों के खिलाफ बोलने की नहीं हो रही है। 16 मई को तीन और बच्चों की मौत के बाद अस्पताल के शिशु रोग विभाग के आचार्य और अध्यक्ष डॉ. वी.एस.करनावट छुट्टी पर चले गए। जब मीडिया कर्मियों ने सहायक आचार्य पुखराज गर्ग से सवाल किए तो डॉ. गर्ग ने कैमरे के सामने कहा कि बच्चों की मौत तो होती रहेगी, दो चार दिन के बच्चों के जब शरीर के अंग फेल हो जाएंगे तो कोई भी चिकित्सा पद्धति मौत को नहीं रोक सकती। अजमेर के अस्पताल में जो बच्चे आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से रैफर होकर आ रहे हैं, उन्हें बचाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। अब तक आठों मौत प्राकृतिक हंै, इसमें किसी भी चिकित्साकर्मी की लापरवाही नहीं है। जानकार सूत्रों के अनुसार अजमेर के अस्पताल में लगातार हो रही बच्चों की मौत और डॉक्टरों के कड़े रुख को देखते हुए वसुंधरा राजे सरकार असमंजस की स्थिति में है। सरकार के यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इस मामले से कैसे निपटा जाए। इन दिनों प्रदेशभर में सरकारी अस्पताल में गर्मी की वजह से पहले ही मरीजों की संख्या बड़ी हुई है। ऐसे में यदि किसी चिकित्सा कर्मी के खिलाफ कार्यवाही की जाती है तो प्रदेश भर में हड़ताल हो सकती है। सरकार को यह तथ्य भी पता है कि अजमेर के मुद्दे पर डॉक्टर,नर्सिंग स्टाफ और तकनीकी स्टाफ एकजुट हैं। सरकार को उम्मीद थी कि 15 मई को हुई पांच मौतों का मामला एक दो दिन में शांत हो जाएगा। लेकिन 16 मई को जिस तरह तीन और बच्चों की मौत हो गई, उसे देखते हुए माना जा रहा है कि भीषण गर्मी की वजह से मौत का सिलसिला जारी रह सकता है। अभी तक सिर्फ अजमेर के अस्पताल में हो रही मौतों की खबरें ही आ रही हंै, हो सकता है कि आने वाले दिनों में जोधपुर, उदयपुर, जयपुर, बीकानेर, कोटा और भरतपुर के संभाग मुख्यालयों के अस्पतालों में भी होने वाली बच्चों की मौतों की खबर सामने आए। ऐसे में सरकार अजमेर के मामले में फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है। अजमेर के जिला कलेक्टर गौरव गोयल भी ऐसा कोई बयान नहीं दे रहे हैं, जिसकी वजह से हालत बिगड़ें। 16 मई को जब शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. करनावट के अचानक अवकाश पर चले जाने को लेकर पत्रकारों ने कलेक्टर से सवाल किया तो उनका कहना रहा कि पहले यह पता लगाएंगे कि डॉ. करनावट को वर्तमान परिस्थितियों में अवकश लेना कितना जरूरी था। डॉ. करनावट के अचानक अवकश पर चले जाने को लेकर मीडिया तीखे सवाल कर रहा था, लेकिन कलेक्टर ने जवाब सोच समझ कर दिया। कलेक्टर को भी पता है कि यदि एक शब्द भी डॉक्टरों के खिलाफ बोला तो हालात बिगड़ जाएंगे। जब स्वयं चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ ही डरे और सहमे हुए हैं तो फिर एक कलेक्टर की तो स्थिति ही क्या है। वैसे भी सरकार की बुराइयों का ठिकरा कलेक्टर गोयल अपने सिर पर क्यों फोड़ें? इसलिए छोटी-छोटी घटना पर कलेक्टर सरकार से दिशा निर्देश ले रहे हैं। 
(एस.पी. मित्तल)  (16-05-2016)
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गौमाता विरोधी है वसुंधरा राजे की सरकार। जैन संत रूपमुनि ने कहा गुलाबचंद कटारिया नहीं हैं जैन।

#1351

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राजनेताओं को खरी-खरी सुनाने वाले जैन संत रूपमुनि महाराज ने कहा है कि राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार गौ माता विरोधी है, इसलिए गौशालाओं का अनुदान नहीं दे रही है। रूपमुनि ने गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के लिए कहा कि अब वे जैन नहीं रहे हैं। 15 मई को नागौर जिले के थांवला कस्बे में वद्र्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की ओर से आयोजित समारोह में रूपमुनि ने कहा कि अशोक गहलोत ने भी गौमाता का अनुदान रोका था, इसलिए उसकी सरकार चली गई और अब महारानी की सरकार भी चली जाएगी। जो भी राजनेता गौमाता पर अत्याचार करेगा, उसे गौमाता बख्शेगी नहीं। भीषण गर्मी में चारे पानी के अभाव में गौशालाओं में गौमाता दम तोड़ रही हैं। ऐसी गौमाताएं सरकार को श्राप दे रही हंै। समारोह में गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को भी आना था, लेकिन कटारिया की गैरमौजूदगी पर रूपमुनि ने गहरी नाराजगी जताई। समारोह में उपस्थित क्षेत्रीय विधायक और सहकारिता मंत्री अजय किलक की ओर इशारा करते हुए रूपमुनि ने कहा, आपके पास पावर है, इसलिए लोग बुलाते हैं।कल जब आप पावर में नहीं रहेंगे तो कोई नहीं बुलाएगा। रूपमुनि ने किलक से कहा कह देना कटारिया को तुम जैन नहीं अजैन हो गए हो। रूपमुनि जब सरकार और नेताओं की खरी-खरी सूना रहे थे, जब अजय किलक ने तो हाथ जोड़ लिए, वहीं उपस्थित लोग तालियां बजा रहे थे। जैन समाज के लोगों को इस बात पर गर्व था कि उनके समाज के संत सरकार से भी नहीं डरते हैं। जो बात सही है उसे रूपमुनि कहने की हिम्मत रखते हैं। यही वजह रही कि समारोह के बाद जैन प्रतिनिधियों ने दिलेरी के लिए रूपमुनि महाराज का आभार प्रकट किया। 
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(एस.पी. मित्तल)  (16-05-2016)
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स्मार्ट सिटी के अनुरूप हुआ अजमेर में फेंशन शो। युवक-युवतियों ने दिखाई प्रतिभा।

#1352

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15 मई की रात को अजमेर के अजमेर क्लब में एलएन डिजाइन और एएसएम ग्लोबल इवेन्ट्स के संयुक्त तत्वावधान में 'अजमेर फैशन फैस्टिवल- सीजन-2Ó का शानदार और सफल आयोजन हुआ। फैशन और मॉडलिंग की दुनिया में अपना कैरियर बनाने के इन्छुक लोगों के लिए स्थानीय स्तर पर सबसे बड़ा मंच इस फैस्टिवल के माध्यम से प्रस्तुत हुआ। स्मार्ट सिटी में शामिल होने की कश्मकश में समय के साथ चलते हुए उच्च स्तरीय प्रकाश एवं संगीत के बीच अजमेर के ही चुने हुए मॉडल्स नें अजमेर के ही डिजाइनर्स के बनाए हुए परिधानों को मंच पर प्रदर्शित किया और स्मार्ट सिटी की ओर एक कदम बढ़ाया है। अजमेर के 6 प्रतिभाशाली फैशन डिजाइनरर्स ने अपने परिधानों को अजमेर के ही 40 खूबसूरत मॉडल्स के माध्यम से प्रस्तुत किया। फैस्टिवल का आकर्षण खादी राउंड रहा, जिसमें डिजाइनर अमरीश सिंह के बनाए हुए खादी के परिधानों को खादी की जैकट्स, कुर्ते, धोती, गमछों ने दर्शकों को खादी से जुडऩे के लिए प्रेरित किया और अंत में स्वयं गांधी की वेशभूषा में मॉडल ने सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। अर्थ चरण और शिप्रा काल के वेस्टर्न और एथनिक परिधानों ने दर्शकों को पाश्चात्य और हमारे स्वर्णिमकाल को फिर से जीवंत कर उतनी ही खूबसूरती से मंच पर प्रस्तुत किया।  नीरज डागा और जगप्रीत कौर के भारतीयता में रचे बसे, भारतीय मिट्टी की खुशबू से लिपटी पोषाकें उपस्थित दर्शकों की आखों में रच बस गईं। भारतीय संस्कारों में लिपटे परिधानों के चटक रंग और उतने ही खूबसूरत मॉडल्स ने उन्हें दर्शकों से रु-ब-रु करवाया। युवा जगप्रीत कौर के परिधानों में लंहगा, शरारा, डिजाइनर साडिय़ों ने सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शैफाली सरदाना के वेस्टर्न ड्रेसेज ने आने वाले समय और खास उत्सवों के लिए कुछ नया पेश किया। इससे पहले फेस्टिवल का शुभारम्भ जयेश एंड ग्रुप ने गणेश नृत्य से किया और फिलर्स के रूप में अक्षिता एंड गु्रप का डांस, राहुल एवं विशाल के गीतों ने दर्शकों के मनोरंजन में कमी नहीं होने दी। कार्यक्रम का संचालन आर.जे.मन ने किया। एल.एन.डिजाइन के प्रतीक खुराना और एएमएस ग्लोबल इवेन्ट के एंकर मनोज सोनी ने अजमेर क्लब के अध्यक्ष राजकुमार जयपाल और नीरज खुराना का पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। मनोज सोनी ने उम्मीद जताई है कि डिजाइनरों को अजमेर में ही बाजार उपलब्ध होगा। 
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(एस.पी. मित्तल)  (16-05-2016)
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अजमेर में बच्चों की मौतों पर कांग्रेस ने किया उग्र प्रदर्शन।

#1353

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अजमेर के जेएलएन अस्पताल में दो दिनों में 8 नवजात बच्चों की मौत होने के विरोध में 16 मई को कांग्रेस ने कलेक्ट्रेट पर उग्र प्रदर्शन किया।
कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ता शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट पर एकत्रित हुए और वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कार्यकर्ताओं की उग्रता को देखते हुए पुलिस ने कलेक्ट्रेट का मुख्यद्वार बंद कर दिया और बड़ी संख्या में पुलिस जवानों को तैनात किया। पुलिस दल की मौजूदगी के बावजूद उत्तेजित कार्यकर्ता लोहे के गेट पर चढ़ गए और कलेक्ट्रेट परिसर में जबरन घुसने लगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने बड़ी मुश्किल से कार्यकर्ताओं को शांत किया।
प्रदर्शन के बाद कांग्रेस के एक प्रतिनिधि मंडल ने जिला कलेक्टर गौरव गोयल से मुलाकात की। कांग्रेसियों ने कलेक्टर से जानना चाहा कि 8 मौतों के बाद भी दोषी डॉक्टरों एवं चिकित्साकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है। नेताओं ने कहा कि सरकार और प्रशासन के ढीले रवैये की वजह से आम लोगों में आक्रोश है। उन्होंने कहा कि यदि दोषी डॉक्टरों को निलम्बित नहीं किया गया तो जन आंदोलन किया जाएगा। कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन में मांग की गई कि बच्चों के परिजनों को उचित मुआवजा दिया जाए। जो बच्चे इस समय अस्पताल में भर्ती है उनका समुचित इलाज करवाया जाए। इस बात के पुख्ता इंतजाम करवाए जाए कि अब और बच्चों की मौत ना हो।
कलेक्टर से मिलने वालों में शहर कांग्रेस के अध्यक्ष विजय जैन, पूर्व मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ, पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल, प्रदेश मंत्री महेन्द्र सिंह रलावता, पूर्व मंत्री ललित भाटी, राजेश टंडन, शैलेन्द्र अग्रवाल, सबा खान, अमोलक छाबड़ा आदि रहे।
अजमेर जिला देहात कांग्रेस कमेटी (विधि) के अध्यक्ष हरिसिंह गुर्जर ने जेएलएन में नवजात बच्चों की हुई मृत्यु की न्यायिक जांच की मांग करते हुए दोषी डॉक्टरों पर कार्यवाही की मांग की है।
एबीवीपी ने किया प्रदर्शन :
एबीवीपी के छात्रों ने भी 8 बच्चों की मौत के विरोध में सोमवार को जेएलएन अस्पताल के बाहर टायर जलाकर प्रदर्शन किया। महानगर प्रमुख शुभम शर्मा, नगरमंत्री अकलेश लख्यानी, गोपाल गुर्जर, दुर्गेश जुनवाल आदि ने मांग की है कि यदि दोषी चिकित्साकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई तो सरकार और प्रशासन के खिलाफ जन आंदोलन किया जाएगा।
एनएसयूआई ने भी किया विरोध-प्रदर्शन:
एनएसयूआई की जिला इकाई ने सोमवार को जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय में हुई बच्चों की मौत पर कलेक्ट्रेट पर विरोध-प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में जिला उपाध्यक्ष मोहित मल्होत्रा के नेतृत्व में अनेक छात्र उपस्थित रहे। मल्होत्रा ने बताया कि बच्चों की मृत्यु पर अभी तक दोषी चिकित्सक व कर्मियों पर जांच प्रारंभ नहीं हुई। यदि शीघ्र कार्यवाही नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा। प्रदर्शनकारियों में सागर मीणा, गजेन्द्र सिंह, सत्या लखन, दीपक मीणा, संदीप गढ़वाल, लखन, उमेश नायक, नवीन, महेन्द्र टोगस प्रमुख रहे।
न्यायिक जांच की मांग:
पीपुल्स यूनियन सिविल लिब्रटिस ने जेएलएन में हुई शिशुओं की मौत की भत्र्सना करते हुए सम्पूर्ण प्रकरण की न्यायिक जांच की मांग की है। सचिव डॉ. अनन्त भटनागर के अनुसार राज्य सरकार मौत के प्रति संवेदन शून्य है।
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(एस.पी. मित्तल)  (16-05-2016)
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