Sunday 8 May 2016

111 जोड़ों के होंगे निकाह फेरे।



शादी से पहले बस जाएगा घर।
9 मई को अजमेर की कायड़ विश्राम स्थली पर होगा अजूबा।
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शादी से पहले हर जोड़े को यह चिंता होती है कि शादी के बाद घर कैसे बसेगा? कल्पना कीजिए की शादी से पहले आप को मकान बनाने के लिए भूखंड मिल जाए और घर में रखने के लिए फ्रीज, टीवी, कूलर, पलंग, बैडशीट, डे्रसिंग टेबल, सिलाई मशीन, कुर्सी चूल्हे सहित  गैस सिलेंडर, दीवार घड़ी, बर्तन, कपड़े आदि मिल जाए तो आपको कैसा लगेगा। यह कोई सपना या किसी नेता का चुनावी वायदा नहंी है। यह सब कुछ 9 मई को अजमेर के कायड़ विश्राम स्थली पर हो रहा है। 
कौमी सद्भाव संस्था की ओर से समाज का सामूहिक विवाह सम्मेलन सुबह 10 बजे आयोजित किया गया है। सम्मेलन के प्रमुख हाजी सुभान उस्मानी, मोलाना अय्युब कासमी, सुगन चंद गहलोत, हाजी अलादिन चीता, जगदीश सोनी, मुंसिफ अली खान, डॉ. महेश कुमार कुंभंज आदि ने बताया कि 9 मई को इस सम्मेलनन में 111 जोड़ों का निकाह अथवा विवाह करवाया जाएगा। 70 जोड़े मुस्लिम हैं, जबकि शेष हिन्दू हैं। एक तरफ 70 जोड़ों की एक साथ निकाह की रस्म होगी और दूसरी तरफ वैदिक मंत्रों से फेरे होंगे। संभवत: सामूहिक विवाह सम्मेलन के इतिहास में यह पहला अवसर है,जब निकाह और शादी से पहले ही घर बसा कर दिया जा रहा है। किशनगढ़ के निकट नामनेर की ढाणी में एक आवासीय कॉलोनी में सभी 111 जोड़ों को 50-50 वर्गगज भूखंड भी दिए गए हैं। भूखंड की रजिस्ट्री दुल्हन के नाम करवाई जा रही है। आवश्यकता होगी तो उनकी संस्था भवन निर्माण में भी मदद करेगी। शादी के तुरंत बाद किसी भी जोड़े को घर का कोई सामान नहीं खरीदना होगा। उन्होंने बताया कि असल में यह कोई दहेज नहीं बल्कि जरुरत की वस्तुएं है, जिस पर सरकार जरुरतमंद लोगों की मदद करती है। उसी प्रकार हमने भी एक छोटा सा प्रयास किया है। भूखंड से लेकर बर्तनों के मूल्य का हिसाब लगाया जाए तो करीब 1.50 लाख रुपए की लागत आ रही है। संस्था ने प्रत्येक जोड़े से 62 हजार रुपए की राशि रजिस्ट्रेशन के शुल्क के नाम पर ली है। यह राशि इसलिए ली गई है ताकि सामूहिक सम्मेलन में गंभीरता बनी रहे। सम्मेलन के दौरान जो सामूहिक भोज होगा, उसमें भी एक जोड़ा अपने 150 रिश्तेदार को ला सकता है। उन्होंने बताया कि पिछले दो दिनों से जोड़ों को घर बसाने की सामग्री दी जा रही है। 9 मई को निकाह और फेरे के सभी इंतजाम कर लिए गए हैं। इस बात का ख्याल रखा गया है कि निकाह और फेरे में धर्म के अनुरूप सभी रस्में पूरी हो। 
(एस.पी. मित्तल)  (08-05-2016)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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