Saturday 14 May 2016

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से पहले मालेगांव विस्फोट में ही 6 मुस्लिम युवकों को भी निर्दोष माना।

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13 मई को मुम्बई की अदालत में एनआईए ने एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश कर कहा कि वर्ष 2008 में मालेगांव में हुए विस्फोट में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित 6 आरोपियों के खिलाफ सबूत नहीं है। अदालत में इस चार्जशीट के दाखिल होते ही टीवी चैनलों पर हंगामा शुरू हो गया है। राजनीतिक दलों के नेता अपने-अपने नजरिए से बयान दे रहे हैं। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर दोषी है या नहीं, अभी इस पर अदालत का फैसला आना है। लेकिन इस पूरे मामले में देश के सामने सही तस्वीर आनी चाहिए। असल में मालेगांव में एक बार नहीं दो बार बम विस्फोट हुए। पहला विस्फोट वर्ष 2006 में और दूसरा विस्फोट 2008 में। 13 मई को जो सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की गई है, वह वर्ष 2008 के विस्फोट से संबंधित है। पिछले दिनों ही अदालत ने वर्ष 2006 के विस्फोट के मामले में फैसला देते हुए 6 स्थानीय मुस्लिम युवकों को बरी कर दिया। इसी एनआईए ने जो तथ्य अदालत में रखे उनको देखने के बाद ही अदालत ने कहा कि इन 6 युवकों का कोई दोष नहीं है। तब किसी ने भी न तो एनआईए और न अदालत के निर्णय पर कोईप्रतिकूल टिप्पणी की। उल्टे यह सवाल उठाया कि ये मुस्लिम युवक इतने दिनों तक जेल में रहे, उसका कसूरवार कौन है। वाकई यह बात सही है, जब मुस्लिम युवक बेकसूर थे तो फिर उन्हें 10 वर्ष तक जेल में क्यों रखा गया? लेकिन 13 मई को जब एनआईए ने वर्ष 2008 के मालेगांव विस्फोट में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित 6 लोगों को आरोपी नहंी माना तो मायावती से लेकर कांग्रेस तक के नेता एनआईए की जांच पर सवाल उठा रहे हैं। पूरा देश जानता है कि जब कांग्रेस के शासन में मालेगांव के विस्फोट में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को गिरफ्तार किया गया था, तो इसे भगवा आतंकवाद की संज्ञा दी गई। एक सुनियोजित तरीके से आतंकवाद को धर्म से जोडऩे की कोशिश की गई, जबकि सच्चाई यह है कि आतंकवाद का किसी भी धर्म से कोईसंबंध नहीं होता। आतंकवादी जब विस्फोट करते हैं तो यह नहीं देखते कि इसमें हिन्दू मरेगा या मुसलमान। जब हमने वर्ष 2006 के विस्फोट के मामले में न्यायालय के निर्णय को सही माना तो फिर राजनेताओं को वर्ष 2008 के मामले में जल्दबाजी में टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। एनआईए ने 13 मई को जो सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की है, उस पर अभी अदालत का निर्णय आना है। अच्छा हो कि राजनेता अदालत के निर्णय का इंतजार करें। यदि अदालत को यह लगेगा कि एनआईए की जांच रिपोर्ट सही नहीं है तो अदालत कभी भी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को जेल से बाहर नहीं आने देगी।
नोट- फोटोज मेरे ब्लॉग spmittal.blogspot.in तथा फेसबुक अकाउंट पर देखें। 

(एस.पी. मित्तल)  (13-05-2016)
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