Tuesday 17 May 2016

वार्ड चुनाव की हार से सबक लें केजरीवाल। हर विफलता के लिए मोदी को दोषी ठहराने से काम नहीं चलेगा।

#1355

------------------------------------------
17 मई को दिल्ली नगर निगम के 13 वार्डों के उपचुनाव के परिणाम सामने आए हंै। आम आदमी पार्टी के इस समय 70 में से 68 विधायक हैं, इस लिहाज से सभी 13 वार्डों में इसी पार्टी की जीत होनी चाहिए थी, लेकिन आप को 13 में से मात्र पांच वार्डों में ही जीत मिली है। कांग्रेस चार, भाजपा तीन और एक वार्ड में निर्दलीय प्रत्याशी जीता है। वार्ड चुनाव के परिणाम न तो दिल्ली और न केन्द्र की सरकार पर कोई असर डालेंगे, लेकिन चुनाव तो चुनाव है। जब बिहार में भाजपा हार गई तो कहा गया कि पीएम नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ गिर रहा है। यह माना कि 13 वार्डों के चुनाव परिणाम से दिल्ली सरकार के सीएम अरविंद केजरीवाल की सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन राजनीतिक दृष्टि से इन परिणामों का अपना महत्त्व है। केजरीवाल ने विज्ञापनों के जरिए ऐसा प्रचारित किया कि आप की सरकार से दिल्लीवासी बेहद खुश हैं। सवाल उठता है कि जब दिल्लीवासी संतुष्ट हैं तो फिर 13 में से मात्र पांच वार्डों में ही आप की जीत क्यों हुई? असल में सीएम केजरीवाल हर विफलता के लिए केन्द्र की नरेन्द्र मोदी की सरकार को दोषी ठहराते हैं। यह माना कि जिस प्रकार अन्य राज्यों को अधिकार मिले हुए हंै। वैसे अधिकार दिल्ली की सरकार के पास नहीं है। ऐसे में दिल्ली में शासन करना मुश्किल होता है, लेकिन पिछले एक वर्ष में यह देखा गया कि जब कोई अच्छा कार्य हुआ तो उसका श्रेय केजरीवाल ने लिया और जब खराब हुआ तो उसकी जिम्मेदारी नरेन्द्र मोदी पर डाल दिया। अच्छा हो कि वार्ड चुनाव की हार से केजरीवाल कोई सबक लें। मात्र 45 प्रतिशत मतदान होने से भी प्रतीत होता है कि दिल्ली में केजरीवाल की लोकप्रियता में कमी आई है, जब यह दावा किया जा रहा है कि दिल्ली के लोग केजरीवाल की सरकार से खुश हैं तो फिर मतदान 45 प्रतिशत ही क्यों हुआ? अगले वर्ष ही सम्पूर्ण दिल्ली में नगर निगम के चुनाव होने हैं, दिल्ली सरकार की सफलता नगर निगम के प्रशासन पर भी निर्भर है। वर्तमान में नगर निगम पर भजपा का कब्जा है। ऐसे में आए दिन केजरीवाल सरकार और नगर निगम प्रशासन खींचतान होती रहती है। यदि अगले वर्ष होने वाले निगम चुनावों में केजरीवाल को सफलता नहीं मिली तो फिर दिल्ली में विकास के मुद्दे पर खींचतान बनी रहेगी। हो सकता है कि केजरीवाल दिल्ली में कोई नए प्रयोग कर रहे हों, लेकिन आम जनता को प्रयोगों के परिणाम चाहिए। यदि केजरीवाल के परिणाम अच्छे होते तो निगम चुनावों में इस तरह आप के उम्मीदवारों की हार नहीं होती। जिस कांग्रेस को गत विधानसभा के चुनाव में एक सीट भी नहीं मिली, उसे चार वार्डों में जीत हासिल हुई है। यह चुनाव कांग्रेस के लिए तो ऑक्सीजन साबित होंगे। जहां तक भाजपा का सवाल है तो 13 में से मात्र 3 वार्डो में भाजपा की जीत शर्मनाक है। गत लोकसभा के चुनाव में दिल्ली की सभी सातों सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी। यानि केजरीवाल की सरकार की तरह भाजपा की केन्द्र सरकार की लेाकप्रियता में भी कमी हो रही है। 
(एस.पी. मित्तल)  (17-05-2016)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment