Tuesday 10 May 2016

पुस्तकों से नेहरू का नाम हटाने को लेकर कांग्रेस का आरोप झूठा।

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शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी ने कहा कि एक-दो स्थानों पर नहीं 15 स्थानों पर है पंडित नेहरू का उल्लेख।
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10 मई को एक बयान जारी कर राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू का वह सम्मान करते हैं। वह केवल किसी पार्टी विशेष के ही प्रधानमंत्री नहीं बल्कि देश के प्रथम प्रधान मंत्री रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू को पुस्तको से न तो हटाया है और न ही हटाने की मंशा रही है। नवीन पाठ्यक्रम में पंडित नेहरू का एक दो स्थानों पर नहीं बल्कि 15 स्थानों पर उल्लेख सम्मानपूर्वक किया गया है। उन्होंने कहा कि बयान देने से पहले नेहरूजी को हटाने के बारे में पुस्तकें देखने तक की जेहमन नहीं उठाई गई है। 
देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार षिक्षा में राजनीति की कभी पक्षधर नहीं रही है। उन्होंने बताया कि पं. नेहरू की आजादी आन्दोलन में रही भूमिका, पंचषील सिद्धान्त के उनके योगदान, पंचायत राज व्यवस्था को लागू करने में रही ऐतिहासिक भूमिका, गुटनिरेपक्षता को आंदोलन बनाने आदि के बारे में उनकी भूमिका पर पाठ्यपुस्तकों में समुचित जानकारी दी गई है। 
प्रो. देवनानी ने बताया कि कक्षा-7 की हिन्दी की पुस्तक के पूष्ठ 37, पूष्ठ 91 एवं 177 में नेहरूजी का जहॉं उल्लेख है वहीं कक्षा-9 की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक के पृष्ठ 38, 55, 80, 81, 84, 86, 95, 106 एवं 107 पर विशेष रूप से विभिन्न प्रसंगों के अन्तर्गत पंडित नेहरू का उल्लेख किया गया है। इसके अलावा कक्षा-11 की 'विश्व इतिहासÓ पुस्तक के पृष्ठ संख्या 173 पर फोटो सहित पंडित नेहरू के गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सूत्रधार रूप में उल्लेख किया गया है। इसी पुस्तक के पृष्ठ 177 एवं 188 पर भी उनका उल्लेख किया गया है। 
षिक्षा राज्यमंत्री ने बताया कि कक्षा-9 की पुस्तक 'सामाजिक विज्ञानÓ के पृष्ठ संख्या 55 पर राष्ट्रीय आंदोलन एवं भारत की स्वतंत्रता षीर्षक के अंतर्गत पं. नेहरू की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया गया है। इसी प्रकार पृष्ट 95 पर लिखा गया है, '2 अक्टूबर 1959 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने राजस्थान में नागौर जिले से पंचायती राज व्यवस्था का ऐतिहासिक शुभारंभ किया। इस तरह पंचायती राज व्यवस्था लागू करने वाला राजस्थान देष का पहला राज्य बना।
प्रो. देवनानी ने कहा कि यही नहीं इस पुस्तक के पृष्ठ 106 में 'वैदेशिक संबंधÓ के अंतर्गत भी स्पष्ट प्रकाषित है, 'गुटनिरपेक्षता को एक आंदोलन का रूप देने में भारत के प्रधानमंत्री पं. नेहरू की व्यापक भूमिका रही है। इसी पुस्तक के पृष्ठ 107 में नेहरूजी की पंचशील सिद्धान्तों में रही भूमिका पर विशेष रोशनी डाली गई है। इसके अलावा कक्षा 11 की पुस्तक 'विश्व का इतिहासÓ में भी पं. नेहरू के गुटनिरपेक्ष आंदोलन में रही भूमिका पर व्यापक प्रकाश डाला गया है। इस पुस्तक के पृष्ठ 188 में स्पष्ट लिखा गया है कि प्रथम प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने गुटनिरपेक्षता का जो मार्ग दिखाया उस पर बाद के प्रधानमंत्रियों ने भी चलना अपना कत्र्तव्य समझा। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक के पृष्ठ 173 में गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सूत्रधार रूप में पंडित नेहरू की फोटो भी प्रकाशित की गई है।
पाठ्यक्रम में राजनीति के पक्षधर नहीं
शिक्षा राज्यमंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा है कि राज्य सरकार पाठ्यक्रम में राजनीति की पक्षधर नहीं है। उन्होंने कहा कि कक्षा 1 से 8 तक का पाठ्यक्रम एस.आई.ई.आर.टी. द्वारा बनाया जाता है और कक्षा-9 से 12 का पाठ्यक्रम माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा तैयार किया जाता है। यह दोनों ही संस्थाएं स्यायत्तशाषी हैं। 
प्रो. देवनानी ने कहा कि वह स्वंय झॉसी की रानी लक्ष्मी बाई की रचना खूब लड़ी मर्दानी और बिस्मिल की सरफरोशी की तमन्ना के अत्यधिक प्रशंसक और अनुयायी रहे हैं। उन्होंने कहा कि महान विभूतियों के दो-तीन पाठ यदि नहीं जोड़े गए हैं तो उन्हें पुस्तकों में सप्लीमेंट्री रूप में जुड़वा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह भी देखा जाना चाहिए कि पहली बार राष्ट्र निर्माण एवं देश को प्रेरणा देने वाली बहुत सी महान विभूतियों को पाठ्यक्रम में जोड़ा भी गया है। महापुरूषों के बारे में विद्यार्थियों को अधिक से अधिक जानने और उनसे प्रेरणा प्रदान करने की मंशा से पाठ्यक्रमों में उन्हें सम्मिलित किया गया है। 
(एस.पी. मित्तल)  (10-05-2016)
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