Thursday 12 May 2016

तो सीएम वसुंधरा राजे को पता हो गया कितना निकम्मा है बिजली महकमा।


सभी विभागों का ऐसा ही हाल है।
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राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे के आदेश पर अजमेर विद्युत वितरण निगम के एसई जे एस मांजू, एक्सईएन आर एस खटीक, एईएन मुकेश जैन और जेईएन मुकेश मीना को निलम्बित कर दिया गया है। एक साथ चारों इंजीनियरों का निलम्बन इसलिए हुआ क्योंकि इंजीनियरों ने सीएम राजे के निर्देशों की भी पालना नहीं की। सीएम गत 9 मई को अजमेर जिले के नसीराबाद क्षेत्र की बिठुर ग्राम पंचायत में लगने वाले न्याय आपके द्वार के शिविर का अवलोकन करने आई थीं, तब ग्रामीणों की शिकायत पर सीएम ने अजमेर डिस्कॉम के इंजीनियरों को निर्देश दिए कि अब इस क्षेत्र में बिजली कटौती न की जाए और ग्रामीणों को थ्री फेस की बिजली 24 घंटे दी जाए। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि सीएम के निर्देशों में डिस्कॉम कोई लापरवाही नहीं बरतेगा, लेकिन डिस्कॉम के इंजीनियरों की हिम्मत देखिए कि सीएम अजमेर से जयपुर भी नहीं पहुंची होगी कि 9 मई की शाम 5 बजे से ही बिजली बंद कर दी गई। पहली कटौती शाम 5-7 बजे तक की गई थी। अगले दिन 10 मई को दोपहर डेढ़ बजे से 6 बजे तक दूसरी कटौती कर इंजीनियरों ने यह बता दिया कि सीएम के आदेश और निर्देश कोई मायने नहीं रखते है। सीएम राजे खुद देख लें कि अजमेर डिस्कॉम में उनके आदेशों का क्या हाल होता है। हालाकि अब जेईएन से लेकर एसई तक को निलम्बित कर दिया गया है, लेकिन इससे सीएम को बिजली महकमें के निकम्मेपन का अंदाजा लगा लेना चाहिए। जब सूबे की सीएम के आदेशों की पालना नहीं हो रही है तो फिर बिजली महकमे में आम जनता की कौन सुनता होगा। अब इंजीनियर आंखों में आंसू निकालकर कह रहे है कि हमने तो ट्रांसफार्मर की मरम्मत के लिए शट डाउन लिया था। पूरे प्रदेश की जनता निकम्मे इंजीनियरों की इसी बात से दुखी है कि शट डाउन के नाम पर आए दिन बिजली की कटौती की जाती है। यह तो अच्छा हुआ कि सीएम राजे ने 9 मई के अपने आदेशों का फीडबैक लेकर हकीकत का पता लगा लिया। अन्यथा इस बिजली महकमे में आम लोगों की सुनने वाला कोई नहीं है।
सीएम राजे माने या नहीं लेकिन राज्य सरकार के सभी महकमे का ऐसा ही हाल है। सरकारी विभागों में आम लोगों की सुनने वाला कोई नहीं है। अब यह सीएम को देखना है कि किस-किस विभाग का औचक निरीक्षण कर अपने आदेशों का फीडबेक लेती रहेंगी। यदि इसी तरह अधिकारियों को निलम्बित किया जाता रहा तो अधिकांश अधिकारी निलम्बित ही पाए जाएंगे। सीएम माने या नहीं लेकिन सरकारी महकमों का बहुत बुरा हाल है।
सीएम के आदेशों पर ठेकेदार भारी :
डिस्कॉम के बड़े और अनुभवी इंजीनियरों का मानना है कि नसीराबाद क्षेत्र के इंजीनियर चाहते तो ट्रांसफार्मर की मरम्मत के काम को टाल सकते थे, लेकिन लालची इंजीनियरों पर ठेकेदार का प्रभाव ज्यादा था। विद्युत विभाग में ट्रांसफार्मर की मरम्मत का कार्य ठेके परहोताहै। 10 मई को ठेकेदार के कर्मचारी मरम्मत के कार्य के लिए आ गए इसलिए इंजीनियरों ने सीएम के आदेशों को परे ढकलते हुए ठेकेदार को बिजली काटने के आदेश दे दिए। यदि इंजीनियर सीएम राजे को गंभीरता से लेते तो ठेकेदार को भी मरम्मत का काम करने में कुछ दिनों के लिए रोका जा सकता था, लेकिन यदि ठेकेदार को काम करने से रोकते तो फिर कमीशन में भी फच्चर फंस जाता। इंजीनियरों के लिए तो सीएम से पहले ठेकेदार है।
ऊर्जा सचिव का भी दौरा :
अब जब सीएम ने आंखे लाल कर रखी है तब 12 मई को ऊर्जा सचिव संजय मल्होत्रा भी नसीराबाद क्षेत्र के दौरे पर आ गए है। मल्होत्रा ने संबंधित इंजीनियरों को इस बात पर लताड़ लगाई कि सीएम के आदेश के बाद भी बिजली की कटौती की गई। हालाकि निलम्बित होने वाले इंजीनियरों ने अपनी पीड़ा रखी, लेकिन सचिव ने फिलहाल कोई मदद करने से साफ इंकार कर दिया। मल्होत्रा ने जिला कलेक्टर गौरव गोयल से भी मुलाकात कर अजमेर डिस्कॉम के कार्यवाहक एमडी वी.के.शर्मा को निर्देश दिए कि अब नसीराबाद क्षेत्र में बिजली की कटौती न की जाए। देखना है कि इंजीनियरों की इस कवायद का कितने दिन असर रहता है।
(एस.पी. मित्तल)  (12-05-2016)
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