Saturday 7 May 2016

मैडम वसुंधराजी अफसरों की कांफ्रेंस करने से कुछ नहीं होगा।


पहले 13 विमंदित बच्चे मरे और अब दूषित पानी से बच्चों की मौत का सिलसिला शुरू।
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राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 7 मई को जयपुर में प्रदेशभर के कलेक्टर और एसपी की कांफ्रेंस शुरू की। इस कांफ्रेंस के शुरू होने से पहले जयपुर के जामडोली स्थित सरकारी विमंदित गृह में 13 मासूम बच्चों की मौत हो चुकी थी। 17 मई को जब 4 दिवसीय एसपी, कलेक्टर की कांफ्रेंस का अंतिम दिन था तो जयपुर में ही दूषित पानी पीने से मासूम बच्चों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया। कोई दो सौ बच्चे बीमार बताए जा रहे है और 25 से ज्यादा अस्पतालों में भर्ती हैं। यानि वसुंधरा राजे कलेक्टर, एसपी की कांफ्रेंंस कर रही तो वही लगातार बच्चों की मौत हो रही है इसलिए यह सवाल उठा है कि अफसरों की कांफ्रेंस करने से कुछ नहीं होगा। अफसरों की कांफ्रेंस इसलिए की जाती है ताकि सरकार की मंशा के अनुरुप लोगों को राहत मिल सके, लेकिन राजस्थान में तो उल्टा हो रहा है। इधर कांफ्रेंस हो रही है तो उधर बच्चों की मौत। जामडोली विमंदित गृह में जब मासूम बच्चों की मौत का सिलसिला शुरू हुआ तो विभाग के मंत्री अरूण चतुर्वेदी इधर-उधर भागते नजर आए और अब 7 मई को जलदाय मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी अस्पताल में भर्ती बच्चों को देखने के लिए पहुंच गई। असल में समस्याओं के प्रति सरकार को जो संवेदनशीलता दिखानी चाहिए वह वसुंधरा राजे की सरकार नहीं दिखाती है। वसुंधरा राजे भाषणों में यह दावा तो करती हैं कि मैं समस्याओं के प्रति संवेदनशील हूं, लेकिन हकीकत में ऐसा होता नहीं है। इसलिए सरकारी अमला भी समस्याओं के प्रति लापरवाह रूख अपनाता है। जयपुर के गोपालपुरा मंगलविहार, गणेश विहार आदि के नागरिक पिछले एक माह से शिकायत कर रहे थे कि नलों में गंदा पानी आ रहा है, लेकिन वसुंधरा राजे और किरण माहेश्वरी के नेतृत्व में चलने वाले जलदाय विभाग के इंजीनियर कोई सुनवाई नहीं कर रहे। लगातार गंदा पानी पानी से बच्चे बीमार होते चले गए। शारीरिक क्षमता की वजह से बड़ों ने तो दूषित पानी को हजम कर लिया, लेकिन बच्चे हजम नहीं कर सके। ऐसा ही हाल सरकारी विमंदित गृह में ही हुआ था। हर रोज एक बच्चे की मौत दूषित खाने और पानी से हो रही थी, लेकिन समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। फलस्वरूप एक-एक कर 13 बच्चों की मौत हो गई। यदि अधिकारी जन समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाते तो बच्चों की मौत नहीं होती। गर्मी के दिनों में दूषित पानी की सप्लाई होने की आम शिकायत होती है, लेकिन जलदाय विभाग के इंजीनियर कोई कार्यवाही नहीं करते है। जिन कलेक्टर और एसपी की कांफ्रेंस 4 दिनों तक की जा रही है उन्हीं कलेक्टर और एसपी से मिलने के लिए पीडि़त व्यक्ति घंटों इंतजार करता है। साहब मीटिंग में है का बहाना कर कलेक्टर अरैर एसपी के कक्ष के बाहर पीडि़तों को खड़ा रखा जाता है। लोकतंत्र में जनता मालिक और अफसर नौकर होते हैं, लेकिन लोकतंत्र की यह परिभाषा तभी नजर आती है जब जनता के वोट से चुने लोग स्वयं को राजा और महारानी न समझे। सरकार में आने के बाद जब राजा- महाराजाओं की तरह शासन होगा तो फिर विमंदित गृह और कच्ची बस्तियों में बच्चों की मौत होती रहेगी।
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(एस.पी. मित्तल)  (07-05-2016)
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