Wednesday 4 May 2016

दो करोड़ की एफडी पर अब ताले पर ताला। मुफलिसी की जिन्दगी गुजार कर कर गए थे त्रिपाठी दम्पत्ति। भतीजे ने बैंकों को भिजवाएं नोटिस। -----------

---------------------------------
अजमेर के नला बाजार स्थित खत्री मंदिर में रहने वाले बुजुर्ग दम्पत्ति के दो करोड़ रुपए की एफडी और सोना-चांदी पर ताले पर ताला लग गया है। प्रेम नारायण त्रिपाठी और उनकी पत्नी श्रीमती कनकलता त्रिपाठी ने भले ही पूरा जीवन मुफलिसी (गरीबी) में गुजारा हो, लेकिन वे अपने पीछे कोई दो करोड़ की एफडी और सोना-चांदी छोड़ गए हैं। प्रेम नारायण का निधन गत वर्ष 31 अक्टूबर को हुआ, जबकि उनकी पत्नी का निधन हाल ही में 27 अप्रैल को हुआ है। 70 वर्षीय कनकलता ने अपने जीते जी किसी को नहीं बताया कि वह दो करोड़ की एफडी और सोना-चांदी की मालिक हैं। 27 अप्रैल को भी जब कनकलता का निधन हुआ तो आस-पड़ौस के लोगों ने ही चंदा एकत्रित कर अंतिम संस्कार किया। लेकिन इसके बाद जब परिचितों और आस पड़ौस के लोगों ने कमरे की तलाशी ली तो एफडी और सोना चांदी की जानकारी मिली। सूचना मिलते ही प्रेमनारायण के भतीजे अनिल त्रिपाठी छत्तीसगढ़ दुर्ग(पाटन) से भाग कर अजमेर आ गया। लेकिन लोगों ने भतीजे को एफडी और सोना-चांदी के हाथ तक नहीं लगाने दिया। मदारगेट स्थित इत्र करोबारी राजेन्द्र गुप्ता ने खत्री मंदिर के कमरे पर ताला लगा दिया है। गुप्ता कहना है कि त्रिपाठी दम्पत्ति के सभी रिश्तेदारों को बुलाकर कोई निर्णय लिया जाएगा। इधर भतीजे अनिल ने एफडी और सोना-चांदी खुर्द-बुर्द न हो जाए, इस आशंका को देखते हुए खत्री मंदिर के कमरे पर लगे ताले पर एक और ताला लगा दिया है। अपने ताले को भतीजे ने चैन से बंधा है, ताकि कोई तोड़ न सके। अनिल का कहना है कि वह प्राप्त राशि से अपने चाचा और चाची की स्मृति में एक मंदिर बनवाएगा। इसके साथ ही अनिल ने अपने वकील एस.के.सक्सेना और आशीष सक्सेना के माध्यम से संबंधित बैंकों को नोटिस भिजवा दिया है। एसबीआई की पीआर मार्ग व डिग्गी बाजार शाखाओं और कचहरी रोड स्थित आदर्श कॉ-आपरेटिव बैंक के मैनेजरों को भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि जब तक न्यायालय से उत्तराधिकारी का निर्णय नहीं हो जाता, तब तक किसी को भी एफडी का भुगतान नहीं किया जाए। 
नोमिनेशन वाले व्यक्ति को भी नहीं मिल सकता एफडी का भुगतान:
बंैकों को नोटिस भेजने वाले वकील एस.के.सक्सेना का कहना है कि यदि किसी एफडी में त्रिपाठी दम्पत्ति ने किसी को नोमिनेट किया है तो वह भी बैंक से भुगतान नहीं ले सकता। कानून के मुताबिक मृत्यु के बाद नोमिनेट व्यक्ति सिर्फ संरक्षक होता है। ऐसे संरक्षक की यह जिम्मेदारी है कि वह एफडी की राशि का भुगतान मृतक के उत्तराधिकारी को करे। इसलिए संबंधित बैंकों से भी कहा गया है कि वे नोमिनेशन वाले व्यक्ति को भुगतान नहीं करें। उन्होंने कहा कि अनिल त्रिपाठी के उत्तराधिकारी के प्रमाण पत्र को लेने के लिए शीघ्र ही अजमेर की जिला अदालत में एक वाद दायर किया जाएगा। 
लोगों को हो रहा है आश्चर्य:
बुजुर्ग त्रिपाठी दम्पत्ति ने जिन अभावों में अपनी जिन्दगी गुजारी और अब दो करोड़ की एफडी और सोना-चांदी मिलने की खबर से लोगों को भारी आश्चर्य हो रहा है। खत्री मंदिर परिसर में रहने वालों का कहना है कि जब कभी कनकलता बीमार होती थी तो अपना इलाज भी सही ढंग से नहीं करवाती थी। पैसों का अभाव बताकर सरकारी अस्पताल से नि:शुल्क दवा प्राप्त करती थीं। कई बार तो आस पड़ौस के लोग ही आर्थिक मदद करते थे। न तो प्रेमनारायण ने और न कनकलता ने अपने जीते जी यह जाहिर होने दिया कि वे करोड़ों की सम्पत्ति के मालिक हैं। जान पहचान वालों की माने तो 31 अक्टूबर 2015 को जब प्रेमनारायण का निधन हुआ तो अंतिम संस्कार करने में भी कनकलता ने असमर्थता प्रकट कर दी थी। तब भी लोगों ने कनकलता को गरीब मानते हुए प्रेमनारायण के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की। आज भी लोगों के पास अंतिम संस्कार में हुए खर्चे के पर्चे मौजूद हैं। पति के अंतिम संस्कार के खर्चे को चुकाने का कभी भी कनकलता ने प्रयास नहीं किया। लेकिन आज उसी बुजुर्ग दम्पत्ति की  दो करोड़ की सम्पत्ति पर ताले पर तला लगाया जा रहा है। त्रिपाठी दम्पत्ति के अपनी कोई संतान नहीं है, इसलिए अब रिश्तेदार ललचाई नजर से देख रहे हैं। 
नोट- फोटोज मेरे ब्लॉग spmittal.blogspot.in तथा फेसबुक अकाउंट पर देखें। 
(एस.पी. मित्तल)  (04-05-2016)
(spmittal.blogspot.inM-09829071511

No comments:

Post a Comment