Friday 10 June 2016

न ट्रस्ट बनेगा और न 14 जून को रूपमुनि महाराज अजमेर आएंगे। विवाद खत्म होने पर ही होगी संतों की भूमिका-अमरेश मुनि।

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न ट्रस्ट बनेगा और न 14 जून को रूपमुनि महाराज अजमेर आएंगे। 
विवाद खत्म होने पर ही होगी संतों की भूमिका-अमरेश मुनि।
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अजमेर के बी.के.कौल नगर स्थित श्री वर्धमान स्थानक वासी जैन श्रावक संघ के चार हजार वर्गगज भूखंड को लेकर जैन समाज में जो विवाद हुआ था, उसे देखते हुए अब 14 जून को विख्यात जैन संत रूपमुनि महाराज अजमेर नहीं आएंगे। इधर इस संघ से जुड़ी संस्था के मुखिया शिखरचंद सिंघी ने घोषणा की है कि अब कोई ट्रस्ट भी नहीं बनेगा। इसके साथ ही कैलाश चन्द गेलड़ा ने मंत्री के पद से इस्तीफा भी दे दिया है। श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन समाज में हो रहे विवाद को लेकर 8 जून को मैंने एक ब्लॉग लिखा था। इस ब्लॉग में सभी पक्षों की जानकारी दी गई थी। इसी के बाद जहां ट्रस्ट न बनाने का फैसला हुआ तो वहीं विवाद की स्थिति को देखते हुए जैन संत रूपमुनि ने 14 जून को अजमेर आकर चार हजार वर्गगज भूमि पर शिलान्यास करने से इंकार कर दिया। इस संबंध में 10 जून को रूपमुनि महाराज के शिष्य अमरेश मुनि से मेरी सीधी बात हुई। अमरेश मुनि ने बहुत ही सादगी और सपाट अंदाज में अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि किसी भी समाज में विवाद होना आम बात है और ऐसे विवादों को संत ही दूर करते हैं। रूपमुनि महाराज ने तो समाज के बड़े-बड़े विवादों को समाप्त करवाया है। चूंकि अभी अजमेर में माहौल ज्यादा गर्म हो गया है, इसलिए 14 जून का शिलान्यास कार्यक्रम टाल दिया गया है। लेकिन समाज के लोगों को यह देखना होगा कि समाज का हित किस में है। टकराव में तो अहित ही होता है। उन्होंने माना कि चार हजार वर्ग भूखंड को सरकार से रियायती दर पर 35 लाख रुपए में लिया गया था और आज इसकी कीमत 35 करोड़ रुपए है, लेकिन इस खाली भूखंड पर यदि समाज का कोई भामाशाह निर्माण करवाएगा तो वह यह भी देखेगा कि सम्पत्ति सुरक्षित रहेगी या नहीं। सरकार ने अब नए-नए कानून बना दिए हैं। इन कानूनों के अंतर्गत ही ट्रस्ट बनाने की जरुरत महसूस की गई है। ट्रस्ट बनाने का मतलब यह नहीं कि कुछ लोग मालिक बन जाएंगे। वैसे भी ट्रस्ट का मतलब भरोसे से है। ट्रस्ट में वो ही लोग शामिल होंगे, जिन पर समाज के लोगों को भरोसा है। उन्होंने कहा कि आखिर भूखंड पर स्थानक बनाने के लिए करोड़ों रुपया कहां से आएगा? पैसा तो समाज के भामाशाह ही देंगे। अमरेश मुनि महाराज का कहना रहा कि इस पूरे विवाद में अजमेर के पदाधिकारियों को शीघ्र ही बुलाया जाएगा और उनकी बात रूपमुनि महाराज से करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि समाज के प्रतिनिधियों को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिसकी वजह से धर्म को नुकसान होता हो। यदि अजमेर में बड़ा स्थानक बनेगा तो धार्मिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। 
(एस.पी. मित्तल)  (10-06-2016)
(www.spmittal.in) M-09829071511

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