Thursday 16 June 2016

रोग निदान के लिए अभी मोदी सरकार आयुर्वेदिक दवा दे रही है। कांग्रेस शायद एलोपैथिक चाहती है। देश के वर्तमान हालात पर जैन आचार्य वसुनंदी महाराज की दो टूक।

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रोग निदान के लिए अभी मोदी सरकार आयुर्वेदिक दवा दे रही है। कांग्रेस शायद एलोपैथिक चाहती है। देश के वर्तमान हालात पर जैन आचार्य वसुनंदी महाराज की दो टूक। 
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अजमेर में जैन धर्म के क्रांतिकारी और ऐतिहासिक काम करने के बाद आचार्य वसुनंदी महाराज 16 जून को इस धार्मिक नगरी से विहार कर गए। नाका मदार स्थित श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र से रवाना होने से पूर्व आचार्य वसुनंदी से मैंने देश के वर्तमान हालातों पर विस्तृत चर्चा की। आमतौर पर साधु, संत अपने विचारों को मीडिया के सामने अपने नजरिए से रखते हैं, लेकिन मैंने यह महसूस किया कि आचार्य वसुनंदी ने अपने विचार देश के वर्तमान हालातों को देखते हुए रखे। आचार्य ने इस बात को स्वीकार किया कि वर्तमान समय में व्यापारी वर्ग आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। इसलिए कांग्रेस भाजपा की सरकार पर विफलता के आरोप लगा रही है। जब कांग्रेस सत्ता में थी तब भाजपा ऐसे आरोप लगाती थी। लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि समस्याओं के निदान में नरेन्द्र मोदी की सरकार आयुर्वेदिक पद्धति का इस्तेमाल कर रही है। जबकि कांग्रेस एलोपैथिक पद्धति का इलाज चाहती है। आयुर्वेद की दवाओं का असर धीरे, लेकिन स्थाई होता है। जबकि एलोपैथी दवा का असर तत्काल होता है, लेकिन रोग के दोबारा उत्पन्न होने की आशंका बनी रहती है। 
राजनीति में धर्म का होना जरूरी है:
आचार्य वसुनंदी ने कहा कि वो ही देश तरक्की कर सकता है, जहां की राजनीति में धर्म होता है। उन्होंने कहा कि धर्म में कभी भी राजनीति नहीं आनी चाहिए। हमारी संस्कृति में धर्म के अनुरूप ही शासन होता आया है। धर्म न केवल राजनीति को शुद्ध रखता है, बल्कि आत्म अनुशासन को भी बल देता है। देश में इन दिनों हिन्दू और मुसलमानों को लेकर राजनीति हो रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। दोनों ही समुदायों में धर्म में राजनीति को जबरन घुसेड़ा जा रहा है। जिसके लगातार सामने आ रहे हैं। कोई यह कहे कि भारत को मुसलमान मुक्त बनाया जाएगा और कहीं मुसलमानों के डर से हिन्दुओं का पलायन हो रहा है तो यह दोनों ही हालात देश के हित में नहीं। जब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सबका साथ सबका विकास का नारा देते हैं तो फिर हिन्दू और मुसलमान का विवाद होना ही नहीं चाहिए। जो लोग मुस्लिम समुदाय में कमियां देखते हैं,उन्हें चाहिए कि वे मुस्लिम समुदाय में आधुनिक शिक्षा का प्रचार प्रसार करें। शिक्षित होने पर कोई भी व्यक्ति आत्मघाती काम नहीं करता।
शब्द की ताकत:
आचार्य वसुनंदी ने माना कि आज शब्द की ताकत बहुत बड़ी है। शब्द से जहां रस की अनुभूति होती है, तो वहीं विष का एहसास ही कराया जा सकता है। शब्द मित्र को भी दुश्मन और दुश्मन को मित्र बना सकता है। समझदार लोग सोच समझकर शब्दों का उपयोग करते हैं। नासमझ लोग शब्द का उपयोग इस तरह करते हैं, जिससे उनका विरोध बढ़ता चला जाता है, शब्द हमें डूबो सकता है और शब्द ही हमें तैरा सकता है। इसलिए शब्द के महत्त्व को हर इंसान को समझना चाहिए। 
धर्म के अनुरूप हो आचरण:
आचार्य वसुनंदी ने कहा कि हर व्यक्ति का आचरण धर्म के अनुरूप होना चाहिए। जो लोग धर्म के अनुरूप जीवन यापन करते हैं, उनके जीवन में कभी भी कष्ट नहीं होता। वहीं धर्म के विपरीत आचरण करने वाले जीवन भर कष्ट पाते हैं। भगवान धन तो सबको देता है, लेकिन धनवान वो ही है, जो धार्मिक कार्यों पर भी खर्च करें। इस मामले में अजमेर का जैन समुदाय भाग्यशाली है। यहां के लोग धर्म की पताका फहराने के लिए करोड़ों रुपया खर्च कर सकते हैं। आज अजमेर में भगवान शांतिनाथ महाराज की जो 54 फीट ऊंची विश्वविख्यात प्रतिमा लगने जा रही है, वह भी अजमेर के लोगों का धार्मिक आचरण है। आने वाले समय में अजमेर का नाका मदार क्षेत्र विश्व विख्यात होगा। यह पहला स्थान होगा, जहां एक पाषाण की 54 फीट ऊंची प्रतिमा के साथ साथ सभी 24तीर्थंकरों की प्रतिमा लग रही है। अजमेर के जैन समाज के लोगों की भावनाओं के अनुरूप ही मेरे सान्निध्य में जिन शासन क्षेत्र में न केवल मंदिर स्थापित हुआ, बल्कि धार्मिक गतिविधियां भी बढ़ी। इस क्षेत्र में 12 टन वजन और 11 फुट ऊंची तीर्थंकरों की प्रतिमाएं एक साथ लगाना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन अजमेर के जैन समाज में यह काम कर दिखाया है। 
पैदल विहार:
16 जून को आचार्य वसुनंदी ने अपने शिष्यों के साथ जयपुर के लिए विहार कर दिया। जैन समाज के लागों ने आंखों में आसंू लाते हुए आचार्य वसुनंदी को भावभीनी विदाई दी। आचार्य अब किशनगढ़, नरेना, फुलेरा होते हुए जयपुर पहुंचेंगे। इस भीषण गर्मी में नंगे पैर चलना मुश्किल होता है, तब आचार्य आग उगलती सड़क और उबड़ खाबड़ मार्ग पर चलते हुए 24 जून तक जयपुर पहुंचेंगे। जयपुर में 26 जून को होने वाले धार्मिक समारोह में आचार्य वसुनंदी इस बात का संकेत देंगे कि इस बार चार्तुमास किस स्थान पर किया जाए। 
नोट- फोटोज मेरी वेबसाइड  www.spmittal.in तथा फेसबुक अकाउंट पर देखें। 

(एस.पी. मित्तल)  (16-06-2016)
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