Wednesday 20 July 2016

मियां नवाज शरीफ और हाफिज सईद एक ही भाषा बोले। अब राष्ट्रभक्त मुसलमानों को देना होगा मुंह तोड़ जवाब।

#1578 
मियां नवाज शरीफ और हाफिज सईद एक ही भाषा बोले। अब राष्ट्रभक्त मुसलमानों को देना होगा मुंह तोड़ जवाब।
कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी के एनकाउन्टर के विरोध में 20 जुलाई को पाकिस्तान में काला दिवस मनाया गया। इस मौके पर पाक पीएम मियां नवाज शरीफ और मोस्ट वांटेड आतंकी हाफिज सईद ने एक ही भाषा बोली। शरीफ का कहना था कि पाकिस्तान कश्मीर के लिए संघर्ष करता रहेगा और कश्मीर में आजादी को लेकर जो आंदोलन चल रहा है उसे समर्थन देता रहेगा। पाकिस्तान कभी भी कश्मीर पर अपना हक नहीं छोड़ सकता है। इसी प्रकार हाफिज सईद ने कहा कि कश्मीर में ही नहीं पाकिस्तान में भी सड़कों पर आंदोलन किया जा रहा है। सईद का कहना रहा कि बुरहान वानी ने अपने एनकाउन्टर से पहले उनसे फोन पर बात की थी। सईद ने जिस दावे के साथ यह बात कही, उससे उन लोगों को सबक लेना चाहिए जो कश्मीर के अलगाववादियों के हितैषी हैं। यानि बुरहान वानी कश्मीर में जो हिंसक गतिविधियां कर रहा था उसके पीछे हाफिज सईद खड़ा था। स्वाभाविक है कि वानी के एनकाउंटर से नवाज शरीफ और हाफिज सईद दोनों को झटका लगा है। अब यह बात पूरी तरह साफ हो गई है कि पाकिस्तान में जो आतंकी संगठन हैं उनके इशारों पर ही हमारे कश्मीर में आतंकी और अलगाववादी वारदातें हो रही है। ऐसे में राष्ट्रभक्त मुसलमानों का यह दायित्व है कि वे आतंकियों को मुंह तोड़ जवाब दें। इसमें कोई दो राय नहीं कि समय-समय पर अनेक मुस्लिम धर्मगुरु आतंकियों को करारा जवाब भी देते है। इनमें अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन प्रमुख धर्मगुरु है। हमें कश्मीर के आतंकियों को जवाब देने के साथ-साथ भारतीय सेना की भी हौसला अफजाही करनी चाहिए। जब पाकिस्तान की सरकार काला दिवस मना सकती है तो क्या हम भारतीय सेना का समर्थन नहीं कर सकते? सब जानते हैं कि यदि हमारे जवान मोर्चा न संभालें तो पाकिस्तान में बैठे आतंकी हमारे कश्मीर को छीन लें। गंभीर बात तो यह है कि ऐसे आतंकियों को पाकिस्तान की सरकार का खुला समर्थन है।
गुरेज घाटी में सूफीवाद :
कश्मीर के श्रीनगर, बारामुला आदि में जहां आतंकी घटनाएं देखने को मिलती हैं, वहीं गुरेज घाटी में सूफीवाद का झण्डा लहर रहा है। गुरेज घाटी के मुसलमानों को हिन्दुस्तान जिन्दाबाद कहने में कोई गुरेज नहीं है। यहां के मुसलमानों का कहना है कि वे पाकिस्तान के साथ कभी नहीं जाएंगे। इतना ही नहीं गुरेज घाटी के लोगों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी भरोसा है। स्थानीय मुसलमानों का मानना है कि जो आजादी भारत में रहते हुए मिली हुई है वह पाकिस्तान में शामिल होने पर नहीं मिलेगी। बशीर नाम के एक मौलाना ने मीडिया से कहा है कि सिर्फ श्रीनगर में फोकस करने के बजाय यहां गुरेज घाटी का भी कवरेज करें। गुरेज घाटी में सूफीवाद का झण्डा लहर रहा है। 
S.P. Mittal (20-07-2016) (www.spmittal.in) M-9829071511 
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