Saturday 9 July 2016

आतंक की शिक्षा देने वाले धर्मगुरु नहीं हो सकते। जैन संत प्रमाण सागर महाराज ने कहा।

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आतंक की शिक्षा देने वाले धर्मगुरु नहीं हो सकते। जैन संत प्रमाण सागर महाराज ने कहा।
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8 जुलाई को अजमेर की ऐतिहासिक सोनी जी की नसियां में सुप्रसिद्ध जैन संत प्रमाण सागर महाराज का शंका समाधान कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण साधना और जिनवाणी टीवी पर हुआ। लाइव प्रसारण के मद्देनजर ही कार्यक्रम के प्रमुख प्रकाश जैन ने अजमेर के चुनिन्दा व्यक्तियों को आमंत्रित किया। इस कार्यक्रम में जैन संत से एक सवाल पूछने के लिए मुझे भी खासतौर से बुलाया गया। मेरा सवाल था कि धर्मगुरुओं की तकरीर सुनने के बाद निर्दोष व्यक्तियों की हत्या करने वाला कोई आतंकी जन्नत में जा सकता है? मेरे इस सवाल पर जैन संत मुस्कराएं और फिर गंभीरता के साथ जवाब देते हुए कहा कि आतंक की शिक्षा देने वाला व्यक्ति कभी भी धर्मगुरु हो ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि धर्म तो व्यक्ति को अच्छे आचरण की शिक्षा देता है। दुनिया का ऐसा कोई धर्म नहीं है जो हिंसा की शिक्षा देता हो। इस कार्यक्रम में अखिल भारतीय खंडेलवाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष कालीचरण खंडेलवाल, स्वामी समूह के एमडी कंवल प्रकाश किशनानी, श्वेताम्बर जैन समाज के प्रतिनिधि धर्मेश जैन आदि ने भी सवाल पूछकर अपनी शंकाओं का समाधान किया। अन्य सवालों के जवाब में जैन मुनि ने कहा कि आज जिस तेजी से आतंकवाद बढ़ रहा है उसका मुकाबला सब लोगों को एकजुट होकर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैन धर्म तो अहिंसा के मूल सिद्धांत पर ही आधारित है। इस धर्म में तो अपने श्वास की वजह से मरने वाले जीवों का भी प्रायश्चित किया जाता है। जैन संतों का जीवन तो तप और साधना का ही है।
(एस.पी. मित्तल)  (09-07-2016)
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