Thursday 18 August 2016

गौ रक्षकों पर प्रधानमंत्री का बयान सही अर्थो में नहीं समझा जा रहा। भारत के साधकों को कोई चुनौती नहीं दे सकता। रामस्नेही सम्प्रदाय के जगद्गुरु रामदयाल महाराज ने रखा अपना नजरिया।

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गौ रक्षकों पर प्रधानमंत्री का बयान सही अर्थो में नहीं समझा जा रहा। भारत के साधकों को कोई चुनौती नहीं दे सकता। रामस्नेही सम्प्रदाय के जगद्गुरु रामदयाल महाराज ने रखा अपना नजरिया।
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अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदाय के पीठाधीश्वर जगद्गुरु आचार्य श्रीश्री 1008 रामदयाल जी महाराज इन दिनों राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में चातुर्मास कर रहे हैं। महाराज से मेरा कोई 15 वर्ष पूराना रिश्ता है। 16 अगस्त को मुझे किसी कारण से भीलवाड़ा जाना पड़ा तो मैं रामदयाल जी महाराज से आशीर्वाद लेने भी पहुंच गया। चातुर्मास की व्यवस्ता के बाद भी महाराज ने मुझे संवाद करने का अवसर दिया। महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में गौरक्षकों को लेकर जो बयान दिया है उसे शायद सही अर्थो में नहीं समझा जा रहा। मैं मोदी जी की भावना को अच्छी तरह समझता हूं। मुझे नहीं लगता कि आमजन और गौ सेवा में लगे किसी व्यक्ति की भावना को प्रधानमंत्री ने ठेस पहुंचाई है। उन्होंने गौरक्षा की आड़ में गोरखधंधा करने वालों की ही निंदा की है। उन्होंने कहा कि आज देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर एक ऐसा व्यक्ति बैठा है, जिसका भारतीय संस्कृति पर भरोसा है। भरोसा ही नहीं बल्कि हमारी संस्कृति के अनुरुप जीवन व्यतीत कर रहा है। हालाकि मेरा  राजनीति से कोई सरोकार नहीं है। लेकिन मुद्दा गौमाता से जुड़ा हुआ है इसलिए मुझे अपनी प्रतिक्रिया देनी पड़ रही है। मैं भी मानता हूं कि आज पूरे देश में साधु संतों के माध्यम से ही हजारों गौशालाएं चल रही हैं और गौमाता के संरक्षण के लिए अनेक काम हो रहे है। उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक देशवासी का यह दायित्व है कि वह गौमाता की रक्षा करें। जब पैगम्बर मोहम्मद साहब ने ही गाय का मांस खाने के लिए मना किया था तो फिर आज हमारे देश में गायों का कत्ल क्यों हो रहा है? महाराज ने अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के सजाद्दानशीन दीवान सैयद जैनुल आबेदीन के बयानों का भी स्वागत किया। आबेदीन ने हाल ही में अपने एक बयान में पैगम्बर मोहम्मद साहब और गौ मांस न खाने वाली बात कही थी। रामदयाल महाराज ने सजाद्दानशीन को सलाह दी कि वे अपने इस कथन का अधिक से अधिक प्रचार करें। उन्होंने कहा कि यदि भारत में गौमांस का सेवन स्वैच्छा से बंद हो जाए तो देश की एक बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है।
साधकों को चुनौती नहीं :
आचार्य रामदयाल जी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति के अनुरुप जीवन व्यतीत करने वाले साधु संतों और साधकों को कोई चुनौती नहीं दी जा सकती। योग साधना और तपस्या के बल पर अग्नि स्नान होना भी हमारी संस्कृति में है। एक बार स्वामी दयानंद ने भी साधुओं के पाखण्ड पर एक सभा में कहा तो एक दुबला पतला योगी खड़ा हुआ और उसने कहा कि इसी वक्त दो चिताएं तैयार की जाएं। एक पर मैं और दूसरी पर स्वामी दयानंद लेटे। अग्रि के बाद देखते है कि कौन जिंदा बचता है। योगी साधु ने जिस दबंग के साथ अपनी बात कही उसे दयानंद भी चुनौती नहीं दे सके। महाराज रामदयाल ने कहा कि मैं यह बात कोई विवाद खड़ा करने के लिए नहीं कह  रहा हूं। स्वामी दयानंद ने भी समाज सुधार के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए हंै।  मैं सिर्फ यहां भारतीय संस्कृति की योग साधना और तपस्या के महत्व की बात कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि देश के वर्तमान हालातों में एकता और अखंडता बेहद जरूरी है।
(एस.पी. मित्तल)  (18-08-2016)
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