Friday 30 September 2016

#1797
सोनिया और राहुल गांधी के समर्थन के बाद अब कश्मीर के अलगाववादियों के खिलाफ भी कार्यवाही हो जानी चाहिए।
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30 सितम्बर को कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सर्जिकल ऑपरेशन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा कर दी। इससे एक दिन पहले अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी पीओएक पर हमले पर सरकार के साथ खड़े होने की बात कही थी। यानि देश भर में देशभक्ति का जो माहौल पैदा हुआ, उसके अनुरूप कांगे्रस ने भी अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है। ऐसे में यह उपयुक्त मौका है जब कश्मीर के अलगाववादियों के खिलाफ भी सख्त कार्यवाही हो जानी चाहिए। सब जानते हैं कि इन अलगाववादियों के समर्थन और संरक्षण की वजह से ही पीओके से आतंकी कश्मीर में घुसकर उरी जैसी वारदातें कर रहे थे। नरेन्द्र मोदी की रणनीति के तहत सेना ने पीओके में घुसकर आतंकियों को तो ढ़ेर कर दिया। इससे आतंक का एक पाया तो कमजोर हो गया है। अब अलगाववादियों के तौर पर काम कर रहे दूसरे पाये को भी तोडऩे की जरूरत है। यदि इस मौके पर अलगाववादियों के खिलाफ भी कार्यवाही हो जाती है तो एक बार फिर केन्द्र सरकार को देशभर का समर्थन मिलेगा। जो अलगाववादी दिल्ली स्थित पाकिस्तान के दूतावास में जाकर भारत के खिलाफ जहर उगलते थे, वो फिलहाल घाटी में दुबके पड़े हैं। देश का कोई भी राजनेता अलगाववादियों की मांगों का समर्थन करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। इस मामले में जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती को भी पहल करनी चाहिए। सर्जिकल ऑपरेशन के बाद कोई भी आतंकी एलओसी को पार कर हमारे कश्मीर में आने की हिम्मत फिलहाल नहीं करेगा। इसलिये महबूबा मुफ्ती को चाहिए कि वे अलगाववादियों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं को बंद करने की घोषणा कर दें। जो अलगाववादी कश्मीर को अलग करने की बात करते हैं, उनके विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करना चाहिए। असल में केन्द्र में कमजोर सरकारों की वजह से अलगाववादी हमेशा भारत पर हावी होते रहे। आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब अलगाववादी भी स्वयं को कमजोर समझ रहे हैं। अब कश्मीर के उन पत्थरबाजों के भी समझ में आ जाएगा कि सुरक्षा बलों पर पत्थर फैंकना आसान नहीं होगा। 
(एस.पी. मित्तल)  (30-09-2016)
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