Thursday 8 September 2016

कश्मीर से हटनी चाहिए धारा 370। मोदी बन रहे हैं ग्लोबल लीडर। आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने कहा

#1740
कश्मीर से हटनी चाहिए धारा 370। मोदी बन रहे हैं ग्लोबल लीडर। आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने कहा
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8 सितम्बर को ईटीवी के सभी चेनलों पर आर्ट आफ लिविंग के प्रणेता और आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रवि शंकर का लाइव इन्टरव्यू प्रसारित हुआ। चैनल के लोकप्रिय जेसी शो में चेनल हेड जगदीश चन्द्रा के तीखे सवालों के जवाब श्रीश्री ने बहुत ही सरलता और शान्ति के साथ दिए। बिना किसी झिझक के श्रीश्री ने स्वीकार किया कि सुरक्षा बलों की मुठभेड़ में मारे गए आतंकी बुरहान वानी के पिता मुजफ्फर वानी ने पिछले दिनों बेंगलूरू आश्रम में मुलाकात की थी। वानी ने कश्मीरियों की समस्याओं से अवगत भी करवाया। श्रीश्री ने कहा कि मैं आज भी कश्मीर में शान्ति कायम करने के लिए सक्रिय भूमिका निभाना चाहता हूं। मैंने पूर्व में धारा 370 हटाने की जो बात की, उस पर आज भी कायम हूं। अंग्रेजों ने अपने नजरिए से कश्मीर में व्यवस्थाएं लागू की। लेकिन अब ऐसी व्यवस्थाएं बदलनी चाहिए। उन्होंने माना कि पीएम नरेन्द्र मोदी ग्लोबल लीडर बन रहे हैं इससे दुनिया भर में भारत के मान-सम्मान में वृद्वि हुई है। क्या मोदी आपसे समस्याओं पर विचार-विमर्श करते हंै? के सवाल पर श्रीश्री ने कहा कि मोदी मुझसे ही नहीं बल्कि देश के हर नागरिक से संवाद करते हैं। मोदी के ई मेल पर कोई भी सवाल अथवा सलाह दे सकता है । मोदी ने दुनिया में भारत को नई पहचान दी है। 15 वर्ष पहले विदेश के एक शासनाध्यक्ष ने मुझसे कहा था कि भारत एक सोता हुआ शेर है, मुझे आज लगता है कि मोदी के नेतृत्व में सोने वाला शेर जाग गया है। 
साधु सन्तों खासकर योग गुरू बाबा रामदेव के व्यापार करने के सवाल पर श्रीश्री ने कहा कि इसमें कोई बुराई नहीं है। बाबा रामदेव ने पहले योग के जरिए लोगों को स्वस्थ किया तो अब आयुर्वेद की दवाइयों के जरिए पुराने रोगों का इलाज कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा संस्थान भी उत्पाद बेचता है लेकिन यह सब एक ट्रस्ट के जरिए होता है और मेरा इसमें कोई सीधा दखल नहीं है। मेरा मूल उद्देश्य तो लोगों का जीवन खुशहाल बनाना है। आज भारत सहित 153 देशों में आर्ट आफ लिविंग की संस्थाए काम कर रही हैं। जीवन एक रहस्य है जिसे उत्सव के साथ जीना चाहिए। ईश्वर ने मुनष्य को जीवन एक उपहार के तौर पर दिया है। हमारे लिए मान-सम्मान कोई मायने नहीं रखता, जो लोग मान-सम्मान की बात करते हैं, इसका मतलब उनके मस्तिष्क का दरवाजा अभी बंद है। मेरे साथ ईश्वर हमेशा रहता है। इसलिए मैंने कभी भी मान-सम्मान की परवाह नहीं की। यह ईश्वर की ही कृपा है कि आज दुनिया भर में लाखों-करोड़ों अनुयायी मुझ पर भरोसा करते हैं। ध्यान, प्राणायाम और योग के माध्यम से हर मनुष्य अपनी समस्याओं का समाधान कर सकता है। 
(एस.पी. मित्तल)  (08-09-2016)
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