Monday 14 November 2016

#1959
तो पुष्कर मेले में कलेक्टर और विधायक रावत ही छाए रहे। 
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14 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेले का समापन हो गया। हालांकि मेले के दौरान राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे के आने की उम्मीद थी, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से सीएम नहीं आ सकीं। पुष्कर मेले में क्षेत्रीय विधायक की भूमिका अहम रहती है, इसका फायदा पुष्कर के विधायक और संसदीय सचिव सुरेश सिंह रावत ने जमकर उठाया। कोई सप्ताह भर चले मेले में रावत ही छाए रहे। चूंकि जिला कलेक्टर गौरव गोयल एक समझदार और परिस्थितियों को भांपने वाले आईएएस हैं, इसलिए रावत के साथ कलेक्टर का भी झंडा मेले में लहराता रहा। मेले के दौरान बड़े अधिकारियों, मंत्रियों, राजनेताओं को आमंत्रित करने की परपंरा रही है। मेेले के समापन समारोह में तो मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री तक आते रहे हैं, लेकिन इसे विधायक और कलेक्टर गोयल का गठजोड़ ही कहा जाएगा कि मेले के दौरान राज्यमंत्री भी नहीं आए। अंतिम दिन उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल जरूर दिखीं, लेकिन अजमेर जिले के दूसरे मंत्री वासुदेव देवनानी की गैर मौजूूदगी चर्चा का विषय रही। जिले के अन्य भाजपा विधायक भी मेले के आयोजनों से दूृर ही रहे। समापन समारोह में क्षेत्रीय सांसद की हैसियत से सांवरलाल जाट भी नजर आ गए। इसी प्रकार अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी की उपस्थिति भी रही। कहा जा सकता है कि मेले की सफलता का श्रेय पूरी तरह विधायक रावत और कलेक्टर गोयल ने लिया। नगर पालिका अध्यक्ष कमल पाठक ने भी कई अवसरों पर अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करवाई। 
टूटी सड़क से जगहंसाई :
पुष्कर के विधायक सुरेश सिंह रावत विकास के लंबे चौड़े दावे करते हैं। अपने क्षेत्र के विकास कार्यों की एक पुस्तक भी रावत ने निकाली है, लेकिन पुष्कर मेले के दौरान टूटी सड़क से जगहंसाई भी हुई है। पुष्कर घाटी की सड़क का निर्माण तो अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने करवा दिया, लेकिन घाटी से नीचे लीलासेवड़ी होते हुए पुष्कर शहर तक की सड़क टूटी-फूटी रही। मेले में देशी-विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं। घाटी के बाद ऐसे पर्यटकों को जब टूटी-फूटी सड़क पर चलना पड़ा तो लगा कि पुष्कर का विकास हुआ ही नहीं है। घाटी के बाद पुष्कर तक की दूरी मुश्किल से 4-5 किलोमीटर की होगी। यदि मेले से पहले इस मार्ग की सड़क नहीं बनाई जा सकी तो फिर राजनीतिक नेतृत्व पर सवाल तो उठता ही है। मालूम हो कि मेला शुरू होने से पहले पुष्कर के सरोवर में बने विशेष कुंडों में बीसलपुर का पानी पहुंचाने का काम भी एडीए ने ही किया था। क्या विधायक रावत टूटी सड़क अथवा सरोवर का काम विधायक कोष से नहीं करवा सकते?
(एस.पी.मित्तल) (14-11-16)
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