Monday 23 January 2017

#2180
मुख्यमंत्री जनआवास योजना के नाम पर करोड़ों की वसूली।
एडीए की चुप्पी आश्चर्यजनक। 
अजमेर में अभी नहीं मिली प्रोजेक्टों को मंजूरी।
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अजमेर में मुख्यमंत्री जनआवास योजना के नाम पर करोड़ों रुपए की वसूली हो रही है, लेकिन अजमेर विकास प्राधिकरण इस वसूली को रोकने के लिए कोई कार्यवाही नहीं कररहा है। अजमेर विकास प्राधिकरण के अधिकारी इस बात को स्वीकार करते हैं कि अजमेर में जनाना अस्पताल के आसपास किसी भी संस्था को मुख्यमंत्री जन आवास योजना में मकान बनाने की स्थाई मंजूरी नहीं दी है। ऐसे में कोई भी संस्था मुख्यमंत्री जनआवास के नाम पर उपभोक्ताओं से बुकिंग राशि नहीं वसूल सकती है। इतना ही नहीं आकर्षक प्रचार कर धंधेबाज योजना का आवेदन 300 रुपए में बेच रहे हैं। जबकि सरकार की इस योजना में गरीब लोगों को नि:शुल्क आवेदन देना है। 
प्राधिकरण के अधिकारी इस बात को मानते हैं कि कुछ खातेदारों ने अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्रस्तुत की है। लेकिन प्राधिकरण ने किसी भी योजना की स्वीकृति नहीं दी है। प्राधिकरण जांच पड़ताल के बाद ही मंजूरी देगा। प्राधिकरण से मंजूरी के बिना ही धंधेबाज लोग उपभोक्ताओं से एक बीएचके के मकान के 30 हजार रुपए अग्रिम ले रहे हैं।  दो बीएचके के फ्लैट के लिए 50 हजार रुपए वसूले जा रहे हैं। एक धंधेबाज ने तो राष्ट्रीकृत बैंकों से लोन का ऑफर भी दे दिया है,जबकि कोई भी बैंक प्रोजेक्ट की मंजूरी के बिना लोन नहीं दे सकती। पूर्व में भी एक धंधेबाज ने जब अजमेर में ऐसी वसूली शुरू की थी तो प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा ने नोटिस भिजवा दिया था, लेकिन इस बार जब कई धंधेबाज वसूली कर रहे हैं तो प्राधिकरण चुप है। प्राधिकरण की यह चुप्पी आचश्र्यजनक है। 
भू-माफियों की चाल:
असल में मुख्यमंत्री जनआवास योजना की आड़ में यह भू-माफियाओं की चाल है। अपनी कृषि भूमि का भू-रूपांतरण करवाने के लिए भू-माफिया मुख्यमंत्री जन आवास योजना में गरीबों को सस्ते फ्लैट देने का सपना दिखा रहे हैं। अभी अजमेर में जिन दो खातेदारों ने कृषि भूमि पर फ्लैट बनाने का जो प्रोजेक्ट प्राधिकरण में प्रस्तुत किया है, वह भी सरकार के नियमों के अनुरूप नहीं है। 
हाईकोर्ट के आदेश का असर पड़ेगा:
हाईकोर्ट ने विगत दिनों भू-रूपांतरण और अवैध निर्माणों को लेकर जो सख्त आदेश दिया है, उसका असर भी मुख्यमंत्री जनआवास योजना पर पड़ेगा। प्राधिकरण के लिए अब ऐसे प्रोजेक्टों को स्वीकृत करना मुश्किल होगा। हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही राज्य सरकार ने प्रदेश भर में 23 जनवरी से लगने वाले जन सुविधा शिविरों को स्थगित कर दिया। सरकार का कहना है कि अब पहले हाईकोर्ट के फैसले की समीक्षा की जाएगी। हाईकोर्ट ने कृषि भूमि को आवासीय और आवासीय को व्यावसायिक में बदलने को लेकर सख्त आदेश दिया है। 
(एस.पी.मित्तल) (23-01-17)
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