Tuesday 31 January 2017

#2205
आखिर मुसलमानों के प्रति क्यों सख्त हैं अमरीका और चीन? 
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अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा सात मुस्लिम देश के नागरिकों को वीजा नहीं दिए जाने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अब चीन से भी मुसलमानों के प्रति सख्त रवैया अपनाने की खबर आ गई है। आर्थिक मुद्दों को लेकर भले ही अमरीका और चीन आमने-सामने हों, लेकिन मुसलमानों के प्रति सख्त रवैया अपनाने में दोनों की नीति एक समान है। चीन ने हाल ही में जो दिशा-निर्देंश जारी किए हैं, उससे तो प्रतीत होता है कि अमरीका के मुकाबले में चीन ज्यादा सख्त है। चाइनीज मुस्लिम के दसवें राष्ट्रीय सम्मेलन में चीन के धार्मिक मामलों के प्रमुख ने कहा कि सरकार मुसलमानों की आस्था में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं करना चाहती, लेकिन राजनीति, विधि और शिक्षा के मामले में किसी मुसलमान को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि मस्जिदें अरबी वास्तुकला के अनुसार नहीं बल्कि चीनी वास्तुकला के अनुसार बनाई जानी चाहिए। सरकार ने चीनी मुसलमानों को यह भी निर्देंश दिया है कि वह अपने पासपोर्ट पुलिस थानों में जमा करवाएं ताकि वो विदेश न जा सकें। चीन के सभी पुलिस थानों को मुसलमानों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने को निर्देंश दिया गया है। चीन सरकार ने यह भी निर्देंश दिया है कि मुसलमानों को पासपोर्ट जारी न किए जाएं क्योंकि इससे इस्लामी उग्रवाद में वृद्धि होने की संभावना है। चीनी सूत्रों के अनुसार काफी चीनी मुसलमान आई.एस. के साथ मिलकर जिहाद में हिस्सा ले रहे हैं। इसलिए चीनी सरकार का यह प्रयास है कि मुसलमान विदेशों में न जाएं। चीन सरकार ने सभी सीमा रक्षकों को यह निर्देंश दिया है कि वह विदेशों से आने वाले चीनी मुसलमानों को देश में घुसने की अनुमति न दें क्योंकि वह देश में इस्लामी उग्रवाद की ज्वाला को भड़का सकते हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (31-01-17)
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