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कश्मीर घाटी से 4 लाख हिन्दुओं को भगाए जाने का मामला यूपी में क्यों नहीं बनता चुनावी मुद्दा?
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देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में इन दिनों विधानसभा चुनाव का घमासान मचा हुआ है। सभी राजनीतिक दलों की चुनावी रणनीति मुस्लिम मतदाताओं को देखकर ही बनाई जा रही है। अखिलेश यादव को लगता है कि कांग्रेस से गठजोड़ के बाद मुसलमानों के वोट सपा को मिल जाएंगे। वहीं मायावती का हर रैली में मुसलमानों को कहना होता है कि यदि मुस्लिम मतदाताओं के वोट सपा और बसपा में विभाजित हो गए तो भाजपा की जीत हो जाएगी। वहीं भाजपा के नेता भी मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पीएम मोदी ने अल्पसंख्यकों के लिए जो योजनाएं शुरू की है, उनका प्रचार प्रभावी तरीके से किया जा रहा है। हर राजनीतिक दल को लगता है कि मुसलमानों के वोट से ही सरकार बन सकती है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है और इसमें धर्म और जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। जब यूपी चुनाव में मुसलमानों को लेकर सभी दल चिंतित और गंभीर है तो फिर यह सवाल उठता है कि यूपी चुनाव में कश्मीर के हिन्दुओं का मुद्दा क्यों नहीं उठ रहा? यूपी के मुसलमान और सभी राजनेता यह जानते हैं कि अलगाववादियों ने 4 लाख हिन्दुओं को पीट-पीट कर घाटी से भगा दिया। आज ऐसे हिन्दू अपने ही देश में शरणार्थी बन कर रह रहे हैं। क्या किसी भी राजनीति दल को इन 4 लाख हिन्दुओं की दुर्दशा की चिंता नहीं है? अच्छा हो कि कांग्रेस, भाजपा, बसपा, सपा आदि दलों के नेता यूपी चुनाव में कश्मीर में हिन्दुओं को वापस बसाने का वायदा भी करें। यदि हमें देश की एकता और अखण्डता को बनाए रखना है तो घाटी में फिर से हिन्दुओं को बसाना होगा।
एस.पी.मित्तल) (03-02-17)
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