Sunday 19 February 2017

#2273
वसुंधरा सरकार के मंत्री जब एबीवीपी के छात्रों को संतुष्ट नहीं रख सकते तो चुनाव में मतदाताओं का सामना कैसे करेंगे? जैतारण में जलदाय मंत्री सुरेन्द्र गोयल की हुई किरकिरी। 
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राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार को मात्र बीस माह बाद चुनाव में मतदाताओं का सामना करना है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के मंत्री सत्ता के नशे में मदहोश होकर अपने ही कार्यकताओं का अपमान कर रहे हैं। ताजा वाकिया पाली जिले के जैतारण उपखंड के राजकीय महाविद्यालय के वार्षिक समारोह का है। यह समारोह छात्रों की नारेबाजी और हंगामें के बीच 18 फरवरी को सम्पन्न हुआ। एबीवीपी को भाजपा से जुड़ा संगठन ही माना जाता है। इसीलिए जैतारण कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष श्रीराम गहलोत ने क्षेत्रीय मंत्री सुरेन्द्र गोयल से बार-बार आग्रह किया कि वे कॉलेज में आकर एबीवीपी के छात्रों की हौंसला अफजाई करें। गहलोत का गोयल को यह भी कहना था कि इस कॉलेज में 10 वर्ष बाद एबीवीपी का अध्यक्ष चुना गया है। लेकिन गोयल ने व्यस्तता का बहाना कर गहलोत को समय नहीं दिया। लेकिन एबीवीपी के विरोधी माने जाने वाले कॉलेज के प्रिंसिपल जे.पी.टेलर ने 15 फरवरी को बात की तो गोयल ने 18 फरवरी के वार्षिक समारोह में आने की सहमति दे दी। यही वजह रही कि जब 18 फरवरी को मंत्री गोयल कॉलेज के समारोह में आए तो एबीवीपी के छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा। छात्र संघ अध्यक्ष गहलोत ने कहा कि एबीवीपी के छात्रों को अपमानित करने के लिए ही गोयल प्रिंसिपल टेलर के बुलावे पर आए हंै। समारोह के निमंत्रण पत्र और कॉलेज परिसर मेें तीन कमरों के निर्माण के शिलान्यास के पट पर छात्र संघ अध्यक्ष गहलोत का नाम तक नहीं लिखा गया। समारोह में जब गहलोत के नेतृत्व में एबीवीपी के छात्रों ने अपनी ही सरकार के मंत्री के खिलाफ नारेबाजी की तो कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई के छात्रों ने आग में घी डालने का काम किया। यानि मंत्री गोयल ने स्वयं अपनी किरकिरी करवाई। सवाल उठता है कि जब राजे सरकार के मंत्री एबीवीपी के छात्रों को संतुष्ट नहीं कर सकते हैं तो फिर 20 माह बाद चुनाव में मतदाताओं का सामना कैसे करेंगे? सीएम वसुंधरा राजे माने या नहीं, लेकिन उनके मंत्रियों के खिलाफ हर जिले और उपखंडों में जैतारण जैसा ही माहौल है। सरकार के मंत्री जिस प्रकार टेड़े-मेढ़े होकर लाल बत्ती  के वाहन में बैठते हैं, उससे आम लोगों में लगातार नाराजगी बढ़ती जा रही है। अधिकांश मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्रों में ऐसे लोगों से घिरे हैं, जिनकी इमेज जनता में बेहद खराब है। सवाल उठता है कि यदि सुरेन्द्र गोयल जैतारण के कॉलेज में छात्र संघ अध्यक्ष को फोन कर चले जाते तो उनका क्या बिगड़ता? लेकिन गोयल की आंखों पर सत्ता का काला चश्मा लगा हुआ है, इसलिए उन्हें अपने ही संगठन एबीवीपी के छात्र दिखाई नहीं दे रहे हैं। 
एस.पी.मित्तल) (19-02-17)
नोट: मेरी वेबसाइट www.spmittal.in 
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