Friday 31 March 2017

#2408
सीएम राजे की चादर की रस्म में शरीक होने के लिए भाजपा नेताओं में होड़ मची। वाजपेयी की चादर के मौके पर कोई नहीं आया था। 
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अजमेर में चल रहे ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में 31 मार्च को राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे की ओर से पवित्र मजार पर चादर पेश की गई। चादर की इस रस्म में शामिल होने के लिए भाजपा नेताओं में होड़ मची। स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल, हज कमेटी के चेयरमैन अमीन पठान, एडीए के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा, मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, जिला प्रमुख वंदना नोगिया, पूर्व जिला प्रमुख सरिता गैना, शहर अध्यक्ष अरविंद यादव, पुष्कर के विधायक सुरेश रावत आदि मौजूद रहे। चादर की रस्म में शामिल होकर भाजपा के नेता स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। यह बात अलग है कि 29 मार्च को जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से चादर पेश की गई तो एडीए के अध्यक्ष हेड़ा को छोड़कर कोई भी भाजपा नेता नहीं आया। हालांकि वाजपेयी के निजी सचिव शिव कुमार शर्मा की ओर से अधिकांश भाजपा नेताओं को सूचना भिजवाई गई थी। वाजपेयी की चादर और सीएम राजे की चादर के मौके पर भाजपा नेताओं की उपस्थिति यह दर्शाती है कि सत्ता में नहीं होने पर बड़े से बड़ा नेता भी महत्वहीन हो जाता है। 
राजे ने अपने हाथों से सौंपी चादर :
31 मार्च की सुबह जयपुर में सीएम राजे ने अपने हाथों से चादर को सौंपा। इस मौके पर प्रदेश हज कमेटी के चेयरमैन अमीन पठान, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चें के अध्यक्ष मजीद कमांडो और दरगाह के खादिम अशफान चिश्ती उपस्थित थे। चिश्ती ने सीएम राजे को शॉल ओढ़ाया और दरगाह का तबर्रुक भेंट किया। चिश्ती ने ही दरगाह में सीएम की ओर से चादर पेश करने की रस्म अदा करवाई। इस मौके पर सीएम ने अपने संदेश में कहा कि सूफी संत ख्वाजा साहब की शिक्षाओं से ही देश में अमन-चैन कायम रह सकता है। उन्होंने उर्स में आने वाले जायरीन को भी मुबारकबाद दी। 
(एस.पी.मित्तल) (31-03-17)
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#2409
बीसलपुर का पानी दौसा तक पहुंचा। अजमेर में दो दिन में एक बार मात्र एक घंटे की सप्लाई। 
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31 मार्च को बीसलपुर बांध का पानी कोई दो सौ किलोमीटर दूर दौसा जिले तक पहुंच गया। पानी के दौसा पहुंचने के मौके पर आयोजित समारोह में राजस्थान के मंत्री अरुण चतुर्वेदी और सुरेन्द्र गोयल ने श्रेय लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दोनों मंत्रियों ने कहा कि बीसलपुर बांध में पर्याप्त मात्रा में पानी है और अब जयपुर के बाद दौसा को भी सप्लाई किया जाएगा। उपस्थित लोगों ने भी दोनों मंत्रियों का आभार जताया। अजमेर के नागरिक अच्छी तरह जानते हैं कि टोंक जिले में बनास नदी को रोककर ही बीसलपुर बांध का निर्माण किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य अजमेर जिले की प्यास बुझाना था। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि आज अजमेर में दो दिन में मात्र एक घंटे के लिए पेयजल की सप्लाई हो रही है। जबकि पूरे जिले में बीसलपुर बांध ही एकमात्र पेयजल का स्त्रोत है। अजमेर के लिए बीसलपुर की पाइप लाइन, लाइफ लाइन बनी हुई है। नेता कांग्रेस के हो या भाजपा के हो, दोनों ही अपनी-अपनी सरकारों में दम भरते हैं कि अजमेर को रोजाना पेयजल की सप्लाई होगी। लेकिन आज तक भी यह वायदा पूरा नहीं हुआ है। कांग्रेस की शासन में भाजपाई और भाजपा के शासन में कांग्रेसी चिल्ल-पों तो करते हैं। सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है कि भीषण गर्मी में अजमेर में दो दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई क्यों की जा रही है? यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बीसलपुर बांध से ही भीलवाड़ा जिले में भी सप्लाई होने लगी है।
एस.पी.मित्तल) (31-03-17)
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#2407
अयोध्या मसले पर जल्द सुनवाई नहीं करेगा सुप्रीम कोर्ट।
जल्दबाजों को योगी के प्रयासों का इंतजार करना चाहिए। 
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31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर के मसले पर साफ कर दिया है कि सुनवाई में कोई जल्दबाजी नहीं होगी। भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रह्मणयम स्वामी को रोजाना सुनवाई की याचिका पर कोर्ट ने कहा कि स्वामी तो इस मुकदमे में पक्षकार ही नहीं है। यानि जो स्वामी कल तक राम मंदिर के सबसे बड़े स्वयंभू पेरोकार बने हुए थे,उसे भी कोर्ट ने एक झटके में दूर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि हिन्दू और मुसलमान आपस में मिलकर इस विवाद को सुलझा लें। मैं सोचता हंू कि सुप्रीम कोर्ट का यह रुख सही है क्योंकि यदि कोर्ट कोई फैसला देगा तो एक पक्ष तो असंतुष्ट रहेगा ही। यह कोई सम्पत्ति का विवाद नहीं है। यह अकीदत और आस्था का मामला है। मेरा ऐसा मानना है कि देश को इस मामले में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के प्रयासों का इंतजार करना चाहिए। योगी यूपी के सीएम होने के साथ-साथ हिन्दुओं के पेरोकार भी हैं। राजनीतिक कारणों से कोई चाहे कुछ भी कहे, लेकिन योगी पर आम मुसलमान का भी भरोसा है। योगी ऐसा कोई काम नहीं करेंगे, जिससे उन पर मुसलमानों का भरोसा कम हो। पिछले चुनाव में मुसलमानों ने भी भाजपा और योगी को वोट दिया है। मुसलमानों का समर्थन होने की वजह से ही योगी पांच बार गौरखपुर से सांसद चुने गए हैं। योगी कैसे जनप्रतिनिधि हैं, इसके बारे में गौरखपुर के मुसलमानों से पूछा जा सकता है। योगी को यूपी का सीएम बने हुए मात्र एक पखवाड़ा हुआ है। ऐसे में योगी के प्रयासों का इंतजार करना चाहिए। योगी सुप्रीम कोर्ट की भावना के अनुरूप अयोध्या मसले को कोर्ट से बाहर सुलझाने की क्षमता रखते हैं। जो लोग दिल्ली में बैठ कर अयोध्या मसले पर बयान बाजी करते हैं, उन्हें थोड़े दिन अपनी जुबान पर लगाम लगना चाहिए।
(एस.पी.मित्तल) (31-03-17)
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#2405
गुरमीत सिंह छाबड़ा जैसे हों सरकारी कार्मिक। 31 मार्च को है छाबड़ा की सेवानिवृत्ति। 
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अजमेर के बीएसएनएल के एजीएम के पद से गुरमीत सिंह छाबड़ा 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। छाबड़ा ने 36 वर्ष तक इस विभाग में काम किया है। अधिकांश समय छाबड़ा अजमेर में ही नियुक्त रहे। आज भले ही बीएसएनएल के फोन की कोई वक्त नहीं हो, लेकिन एक समय था जब आम नागरिक बीएसएनएल पर ही निर्भर था। यदि एक घंटे भी फोन खराब हो गए तो लोगों को परेशानी होती थी। सरकारी संस्था होने के कारण बीएसएनएल का ढर्रा शुरू से ही बिगड़ा रहा। बीएसएनएल का उपभोक्ता कभी भी सेवाओं से सन्तुष्ट नहीं रहा। ऐसे नकारात्मक माहौल में छाबड़ा ने काम कर अपनी कार्य कुशलता सिद्ध की। अजमेर के जिन लोगों का छाबड़ा से संवाद हुआ, उन्हें पता है कि समस्या का समाधान किस तेज गति से हुआ। आमतौर पर सरकारी कार्मिक समस्याओं के समाधान में रूचि नहीं रखता है। समस्या को एक-दूसरे पर टालने की कोशिश की जाती है। ऐसे में छाबड़ा जैसे अधिकारी अपनी अलग पहचान बना लेते हैं। छाबड़ा जब जेटीओ थे, तब दूसरे जेटीओ के क्षेत्र की समस्या का समाधान भी करवाने में तत्पर रहते थे। धार्मिक प्रवृत्ति के होने के कारण छाबड़ा पर कभी ऊपरी कमाई का भी आरोप नहीं लगा। सवाल छाबड़ा की सेवानिवृत्ति का नहीं है। सवाल यह है कि सरकारी दफ्तरों में छाबड़ा जैसी प्रवृत्ति के कार्मिकों का अभाव है। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि छाबड़ा सेवानिवृत्ति के बाद भी जनसेवा का काम करते रहें और बीएसएनएल में छाबड़ा जैसी प्रवृत्ति के अधिकारियों की संख्या में वृद्धि हो। ताकि बीएसएनएल के डूबते जहाज को बचाया जा सके। बीएसएनएल के कार्मिक यह अच्छी तरह समझ लें कि उपभोक्ता की संतुष्टि होने पर ही उनकी नौकरी सलामत है। 
(एस.पी.मित्तल) (30-03-17)
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#2406
तो अब आजम खान का जमीन घोटाला सामने आया।
क्या फर्क है मायावती और आजम में।
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31 मार्च को यूपी के लखनऊ में शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने वक्फ की सम्पत्तियों को लेकर जो गंभीर आरोप लगाए हैं, उनसे आजम खान का असली चेहरा समाने आ गया है। आरोप है कि समाजवादी पार्टी की सरकार में वक्फ और नगरीय विकास मंत्री रहते हुए आजम खान ने हजारों करोड़ रुपए की वक्फ की समपत्तियों को अपने पुत्र, पत्नी आदि के नाम करवा लिया। आजम ने जो जौहर यूनिवर्सिटी बनवाई, उसमें भी वक्फ की सम्पत्ति है। यहां तक की कब्रिस्तान की जमीन को भी अपनी यूनिवर्सिटी में शामिल करवा लिया। शिया धर्मगुरु ने अब मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से मांग की है कि यूपी में वक्फ सम्पत्तियों में हुए भ्रष्टाचार की जांच करवाई जाए। सब जानते हैं कि मौलाना कल्बे जव्वाद का आम मुसलमानों में बहुत मान सम्मान है। यदि मौलाना जव्वाद कोई आरोप लगा रहे हैं तो उसमें गंभीरता तो होगी ही। वहीं सपा की सरकार में आजम खान यूपी के मुसलमानों के सबसे बड़े पेरोकार होने का दावा करते थे। आजम ने हमेशा ऐसा प्रदर्शित किया, जिसमें वे स्वयं को मुलसमानों का हमदर्द बताते थे। यह बात अलग है कि जब सत्ता की मलाई खाने का अवसर मिला तो पहले अपनी पत्नी को राज्यसभा का सांसद बनवाया और फिर गत विधान सभा चुनाव में अपने बेटे अब्दुल्ला को सपा का टिकट दिलवाया। आज पिता-पुत्र दोनों विधायक हैं। स्वाभाविक है कि मौलाना जव्वाद ने जो आरोप लगाए हैं उनसे आजम खान इंकार करेंगे। आजम ने अपनी सफाई में कहा है कि जौहर यूनिवर्सिटी उनकी निजी सम्पत्ति नहीं है।  यूनिवर्सिटी में गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं। मौलाना कल्बे जव्वाद की उनसे व्यक्तिगत दुश्मनी हैं, क्योंकि मैंने मंत्री रहते उनके दामाद का कार्य नहीं किया था। लेकिन अब यूपी की सरकार को चाहिए कि वे मौलाना जव्वाद के आरोपों की उच्च स्तरीय जांच करवाए। 
(एस.पी.मित्तल) (31-03-17)
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Thursday 30 March 2017

#2404
सोनिया गांधी की चादर में भी नहीं दिखा अशोक गहलोत और सचिन पायलेट के बीच तालमेल। 
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30 मार्च को अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के सालाना उर्स में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी की चादर पवित्र मजार पर पेश की गई। लेकिन इस महत्वपूर्ण मौके पर भी पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच तालमेल देखने को नहीं मिला। पायलट के समर्थकों को ऐसा लगा कि गहलोत जबरन शामिल हो गए हैं। वहीं गहलोत ने भी सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में ही रूचि दिखाई। यदि चादर सोनिया गांधी की नहीं होती तो शायद गहलोत आते भी नहीं। सोनिया गांधी की चादर को लेकर कांग्रेस की ओर से 29 मार्च को जो अधिकृत प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई, उसमें सचिन पायलट, मिर्जा इरशाद बेग का तो नाम था, लेकिन गहलोत का नहीं। पायलट की ओर से यह बताया गया था कि सोनिया गांधी की चादर पायलट स्वयं लेकर आएंगे और दोपहर 3 बजे तक अजमेर पहुंच जाएंगे। इस सूचना के आधार पर गहलोत 3 बजे से पहले ही सर्किट हाऊस में आकर बैठ गए। लेकिन जयपुर में चल रहे कांग्रेस के प्रदर्शन की वजह से पायलट 4 बजे बाद अजमेर पहुंचे। ऐसे में गहलोत को इंतजार करना पड़ा। गहलोत की मनस्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दरगाह में चादर पेश होने के बाद गहलोत अजमेर में नहीं रूके और दरगाह से ही सीधे जोधपुर के लिए रवाना हो गए। जबकि पायलट ने दरगाह के निकट कांग्रेस के एक कार्यकर्ता के निवास पर पत्रकारों से संवाद किया। हालांकि सार्वजनिक तौर पर दोनों नेता मतभेद होने से इंकार करते हैं, लेकिन जानकारों की माने तो मनमुटाव के चलते ही गहलोत अभी तक भी धौलपुर के उप चुनाव में नहीं गए हैं। माना जाता है कि पायलट के अध्यक्ष पद पर रहते हुए गहलोत के समर्थकों को संगठन में कोई जिम्मेदारी नहीं दी जा रही है। 
गुर्देजी  ने कराई जियारत:
सोनिया गांधी की चादर पवित्र मजार पर पेश करने की रस्म दरगाह के खादिम सैय्यद अब्दुलगनी गुर्देजी ने कराई। गुर्देजी ही गांधी परिवार के खादिम हैं। इस मौके पर गुर्देजी ने सोनिया गांधी के स्वास्थ के लिए भी दुआ की और आए हुए मेहमानों की दस्तार बंदी की। 
सीएम की चादर 31 को:
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ओर से 31 मार्च को पवित्र मजार पर चादर पेश की जाएगी। राजे के खादिम अफसान चिश्ती ने बताया कि सीएम की चादर को प्रदेश हज कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष मजीद कमाण्डो आदि लेकर आएंगे। तय कार्यक्रम के अनुसार सीएम की ओर से दोपहर तीन बजे चादर पेश की जाएगी। चिश्ती ने बताया कि गुरुवार को केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी की ओर से भी पवित्र मजार पर चादर पेश की गई। गडकरी ने अपनी चादर खादिम चिश्ती को ही भेजी। गडकरी ने अपने संदेश में कहा कि ख्वाजा मोइनुद्दीन की शिक्षाओं से ही देश में अमन-चैन कायम रह सकता है। 
पीएम की चादर एक अप्रैल को :
उर्स में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से एक अप्रैल को चाद पेश की जाएगी। केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी पीएम की चादर को लेकर अजमेर आएंगे। 
एस.पी.मित्तल) (30-03-17)
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#2403
सस्ते वाहन खरीदने के लिए कंपनियों के शोरूम पर भीड़। एक अप्रेल से नहीं होंगे रजिस्ट्रेशन। 
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक अप्रेल से तीन मानक वाले मोटर वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दिए जाने के बाद अजमेर में विभिन्न कंपनियों के शोरूम के बाहर सस्ता वाहन खरीदने के लिए भीड़ लग गई। कंपनियों के डीलर यह चाहते थे कि उनके शोरूम में जो वाहन खड़े हैं, उनकी बिक्री 30 और 31 मार्च को हो जाए। इसलिए मालिकों ने दो पहिया और चौपहिया वाहनों की कीमत में कमी कर दी। असल में डीलर को कंपनियों में एडवांस राशि जमा करवानी पड़ती है इसलिए यदि शोरूम पर खड़े वाहन 31 मार्च तक नहीं बिके तो डीलर को डीलर को भारी नुकसान होगा। कोई भी डीलर नहीं चाहता है कि वाहन बिकने से रह जाए। सस्ता वाहन खरीदने के लिए सुबह से ही विभिन्न कंपनियों के बाहर भीड़ लग गई। हीरो होण्डा के श्रीनगर रोड तथा कचहरी रोड स्थित शोरूम पर भीड़ को नियंत्रित करने में भारी मशक्कत करनी पड़ी। हीरो होण्डा के अजमेर के डीलर एस.पी. सहगल ने बताया कि 31 मार्च तक जो भी उपभोक्ता वाहन खरीदेगा, उसका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्तमान वाहनों को पर्यावरण के लिए घातक बताया है। कोर्ट ने 4 मानक वाले वाहनों के ही पंजीकरण के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों की इस प्रार्थना को खारिज कर दिया, जिसमें स्टॉक की बिक्री होने तक रजिस्ट्रेशन की मांग की गई थी। 
(एस.पी.मित्तल) (30-03-17)
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#2402
आखिर कांग्रेस ने जयपुर में करवा ही लिया लाठीचार्ज। यूपी में हो सकती है कर्ज माफी तो राजस्थान में क्यों नहीं?
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राजस्थान में किसानों के कर्ज माफ करने की मांग को लेकर 30 मार्च को जयपुर में विधानसभा के बाहर युवक कांग्रेस की ओर से जोरदार प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन से पहले जो सभा हुई, उसमें युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेन्द्र राजा ने कहा कि जो कार्यकर्ता पुलिस की 3-3 लाठियां खाएगा, वही असली कार्यकर्ता कहलाएगा। ऐसा ही जोश कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री सी.पी. जोशी, प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलेट, युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चांदना ने भी भरा। जोशीले कांग्रेसियों को विधानसभा में घुसने से रोकने के लिए पुलिस ने पहले वाटर केनन का इस्तेमाल किया और जब कांग्रेसी नहीं माने तो पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। जिन कार्यकर्ताओं ने लाठियां खाई, वे स्वयं को भाग्यशाली समझ रहे थे क्योंकि उन्हें असली कार्यकर्ता होने का प्रमाण पत्र मिल गया था। कहा जा सकता है कि लाठी चार्ज करवाकर कांग्रेस ने अपना प्रदर्शन सफल कर लिया। 
राजस्थान में क्यों नहीं? 
कांग्रेसियों ने भले ही राजनीतिक कारणों से लाठियां खाई हो, लेकिन कांग्रेस का यह सवाल वाजिब है कि जब यूपी में चुनाव के दौरान किसानों की कर्ज माफी का वायदा किया जा सकता है तो फिर राजस्थान में भी किसानों के कर्ज माफ होने चाहिए। यूपी के मुकाबले राजस्थान के किसानों के हालात ज्यादा खराब हैं। यूपी में तो नदियों की वजह से अनेक इलाके उपजाऊ हैं, लेकिन राजस्थान में तो रेगिस्तान है। यदि यूपी में कर्ज माफ हो सकते हैं तो राजस्थान में पहले होने चाहिए। राजस्थान की भाजपा सरकार को विधानसभा चुनाव तक का इंतजार नहीं करना चाहिए। 
एस.पी.मित्तल) (30-03-17)
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#2401
अजमेर डेयरी ने दूध का खरीद मूल्य बढ़ाया। पशुपालकों को मिलेगी राहत।
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अजमेर जिले के हजारों पशुपालको ंको राहत देते हुए डेयरी ने दूध के खरीद मूल्य में 1.25 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि कर दी है। डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी ने बताया कि भीषण गर्मी में पशुपालकों को अपने पशुओं को पालने में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। चारा भी महंगा हो जाता है। ऐसे में पशुपालकों को राहत देने के लिए खरीद मूल्य में वृद्धि की गई है। यह वृद्धि एक अप्रेल से लागू होगी। पशुपालकों को 20 रुपए किलो फैट की वृद्धि का लाभ मिलेगा। डेयरी के एम.डी. गुलाब भाटिया ने बताया कि वर्तमान में 4 लाख लीटर दूध प्रतिदिन खरीदा जाता है। डेयरी एक अप्रेल से पशुपालकों को 5 लाख रुपए प्रतिदिन अतिरिक्त भुगतान करेगी। यानि डेयरी पर डेढ़ करोड़ रुपए प्रतिमाह का आर्थिक बोझ बढ़ेगा। चौधरी और भाटिया ने दुग्ध उत्पादकों से अपील की है कि वे डेयरी की बढ़ी हुई दरों का अधिक से अधिक लाभ उठाएं। वर्तमान में डेयरी 40 रुपए प्रति लीटर के भाव से दूध की खरीद कर रही है। 
एस.पी.मित्तल) (30-03-17)
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#2399
संसद में भी दिखा नवसंवत्सर का उल्लास। लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर को देखने का अवसर मिला। 
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मेरे पत्रकारिता के कोई 38 वर्ष के कार्यकाल में 28 मार्च का दिन ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण रहा। इस दिन जब देश के लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर यानि संसद भवन में हमारी सनातन संस्कृति के नवसंवत्सर का उल्लास था, तब मैं भी संसद भवन में उपस्थित रहा। मुझे बताया गया कि संसद के इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर है, जब सांसदों ने मिलकर नवसंवत्सर का पर्व मनाया। लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की ओर से नवसंवत्सर के मौके पर सांसदों के लिए सामूहिक भोज का आयोजन किया गया। यानि संपूर्ण संसद भवन का माहौल भारतीय संस्कृति के रंग में रंगा हुआ था। इतने बड़े मौके पर संसद भवन में मेरी उपस्थिति करवाने के लिए मैं राजस्थान से राज्यसभा के सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र सिंह यादव का आभारी हूं। यादव ने संसद भवन में मुझे कई केन्द्रीय मंत्रियों से मिलवाया और मेरे ब्लॉग लेखन की प्रशंसा की। मैंने देखा कि यादव का राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों में मान-सम्मान है। अनेक सदस्य विभिन्न मुद्दों पर यादव से राय ले रहे थे। राय लेने वालों में विपक्ष के सदस्य भी शामिल थे। चूंकि यादव अनेक संसदीय समितियों के अध्यक्ष और सदस्य है। इसलिए हर विषय पर उनकी अच्छी पकड़ है। केन्द्रीय मंत्री भी यादव के प्रति आदरभाव रखते हैं। मैंने देखा कि चुनाव के समय जो नेता एक-दूसरे के कपड़े फाडऩे में कोई कसर नहीं छोड़ते, वही नेता संसद के अंदर आत्मीयता के साथ मिलते हैं। मुझे देश के दिग्गज नेताओं को नजदीक से देखने का अवसर भी मिला। मायावती, दिग्विजय सिंह, राजीव शुक्ला, प्रकाश जावेड़कर, शरद यादव, गुलाम नबी आजाद, रेणुका चौधरी, जया बच्चन, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ आदि को भी देखने और समझने का अवसर मिला। मैंने देखा कि देश के शीर्ष नेता संसद भवन में सवा सौ करोड़ देशवासियों में ही शामिल थे। यह बात अलग है कि संसद के बाहर पिं्रट और इलैक्ट्रोनिक मीडिया के प्रतिनिधि ऐसे नेताओं का महिमा मंडन करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे। 
सालेचा से भी मुलाकात :
28 मार्च को दिल्ली प्रवास के दौरान मैंने अजमेर में डीआरएम रहे नरेश सालेचा से भी मुलाकात की। सालेचा इस समय रेलवे बोर्ड में लेखा सुधार के निदेशक हैं। केन्द्रीय रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु के भरोसेमंद होने की वजह से ही सालेचा को विगत दिनों ही फ्रेट कोरीडोर (डीएफसीसी) के प्रोजेक्ट का निदेशक (वित्त) का अतिरिक्त कार्य सौंपा गया है। यानि देश के रेल विभाग में लेखा कार्य में सालेचा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सालेचा ने बताया कि फ्रेट कोरीडोर शुरू होने के बाद माल को इधर से उधर ले जाने में क्रान्तिकारी बदलाव आएंगे। सालेचा ने मेरे प्रति जो आत्मीयता दिखाई उसके लिए मैं आभारी हंू।
(एस.पी.मित्तल) (29-03-17)
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#2400
सूर्य नमस्कार और नमाज की तुलना करने के पीछे योगी का भाव समझने की जरूरत। वैसे अच्छा हो ऐसे बयानों से बचे योगी। 
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29 मार्च को लखनऊ में योग महोत्सव के समारोह में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सूर्य नमस्कार की क्रियाओं की तुलना मुसलमान बंधुओं की नमाज से की तो विपक्षी दलों के नेताओं ने सियासत शुरू कर दी। किसी ने कहा कि योगी सूर्य नमस्कार के बजाए नमाज पढ़ें तो किसी ने योगी को टोपी पहनने की सलाह दे दी। राजनीतिक दलों का अपना एजेण्डा होता है। इसलिए विधानसभा के चुनाव में यूपी से कांग्रेस का तो सूपड़ा साफ हो गया और समाजवादी पार्टी को नामलेवा सीट मिली है। बसपा को इतनी सीटे भी नहीं मिली कि मायावती फिर से राज्यसभा पहुंच जाए। लेकिन इस करारी हार के बाद भी विपक्षी दलों ने शायद कोई सबक नहीं लिया है। जो लोग सूर्य नमस्कार और नमाज की तुलना करने पर सियासत कर रहे हैं, उन्होंने शायद योगी का बयान पूरी तरह न तो सुना और न समझा। योगी ने यह नहीं कहा कि सूर्य नमस्कार किया ही जाए। योगी ने साफ-साफ कहा कि सूर्य नमस्कार और नमाज की क्रियाएं मिलती-जुलती हैं। लेकिन राजनीति दोनों समुदायों को एक नहीं होने देती। योगी का यही भाव था कि जब सूर्य नमस्कार और नमाज की क्रियाएं मिलती-जुलती है तो फिर हिन्दू-मुसलमानों में भाईचारा भी होना चाहिए। सब जानते हैं कि यूपी में दोनों समुदायों के बीच जैसा सद्भाव होना चाहिए, वैसा नहीं है। योगी ने यूपी का मुख्यिा होने के नाते एक सकारात्मक पहल की है। यदि सूर्य नमस्कार और नमाज के भाव को आगे रखकर यूपी में सद्भावना का माहौल बनाया जा रहा है तो फिर सियासत क्यों की जा रही है? कोई नहीं चाहता कि देश में हिन्दु और मुसलमान आमने-सामने हों। इस देश का विकास तभी हो सकता है, जब दोनों समुदायों में सद्भावना बनी रहे। हिन्दु संस्कृति में यह माना जाता है कि सूर्य नमस्कार से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। इसी प्रकार जो लोग नमाज पढ़ते हैं, उन्हें भी एक विशेष अनुभूति होती है। नमाज में जितने अधिक लोग होंगे, उतना नमाज का धार्मिक महत्व भी होगा। यदि सूर्य नमस्कार और नमाज का भाव आगे रखकर सद्भावना का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है तो इसमें सभी को सकारात्मक रूप अपनाना चाहिए। 
ऐसे बयानों से बचे योगी :
हालांकि योगी ने यूपी के वर्तमान हालातों में सद्भावना के लिए सकारात्मक पहल की है, लेकिन अच्छा हो कि योगी ऐसे बयानों से बचे। यह सही है कि मुख्यमंत्री के पद की शपथ लेने के बाद कोई एक पखवाड़े में योगी ने शासन तंत्र पर अपनी पकड़ बना ली है। लेकिन अभी योगी सरकार को वो वायदे पूरे करने हैं, जो चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने किए थे। सबसे बड़ा वायदा किसानों की कर्ज माफी का है। मोदी ने कहा था कि भाजपा सरकार की पहली केबिनेट बैठक में कर्ज माफी का फैसला लिया जाएगा। योगी के मंत्रीमंडल को बने एक पखवाड़ा होने को आया, लेकिन अभी तक भी मंत्रीमंडल की पहली बैठक नहीं हुई है। यह माना कि यूपी जैसे बड़े प्रदेश में कर्ज माफी का फैसला आसान नहीं है। लेकिन योगी को मोदी का वायदा तो पूरा करना ही पड़ेगा। अच्छा हो कि पहले चुनावी वायदों को पूरा किया जाए अन्यथा सियासत करने वाले नेता योगी को बेमतलब के मुद्दों में उलझा देंगे। 
(एस.पी.मित्तल) (30-03-17)
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Wednesday 29 March 2017

#2398
वाजपेयी की चादर में अजमेर के भाजपाईयों ने रूचि नहीं दिखाई।
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29 मार्च को अजमेर में चल रहे सूफी संत ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से पवित्र मजार पर चादर पेश की गई। लेकिन अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा के अलावा कोई भी भाजपा नेता चादर चढ़ाने की रस्म पर उपस्थित नहीं रहा। मालूम हो कि वाजपेयी की ओर से उर्स में प्रतिवर्ष चादर भेजी जाती है। वाजपेयी के निजी सहायक शिव कुमार शर्मा के पुत्र महेश शर्मा 29 मार्च को इस चादर को लेकर अजमेर आए। शर्मा ने बताया कि अजमेर के सभी भाजपा नेताओं को वाजपेयी की चादर के बारे में सूचित किया था। इतना ही नहीं दैनिक समाचार पत्रों में खबर भी प्रकाशित हुई है। अब यदि भाजपा नेता नहीं आए तो मैं क्या कर सकता हूं। इस मौके पर शर्मा ने वाजपेयी द्वारा भेजा गया संदेश भी पढ़कर सुनाया। वाजपेयी ने देश में अमन-चैन की बात कहते हुए कहा कि ख्वाजा साहब के संदेश से ही सद्भावना का माहौल बना रह सकता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि उर्स में जब पीएम नरेन्द्र मोदी और सीएम वसुंधरा राजे की चादर आती है तो अजमेर के भाजपाईयों में होड़ मच जाती है। 
एस.पी.मित्तल) (29-03-17)
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#2397
तो अजमेर में मेयो ने नहीं किया मयूर स्कूल के प्रिंसिपल नीरज बधोतिया का सम्मान। इसलिए बने डेली कॉलेज इन्दौर के प्रिंसिपल। 
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जिन अभिभावकों के बच्चे अजमेर के मयूर पब्लिक स्कूल में पढ़े या अभी पढ़ रहे हैं, उन्हें पता है कि पिं्रसिपल नीरज बधोतिया ने स्कूल के विकास में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।न केवल स्कूल के अनुशासन बल्कि स्कूल के विकास में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। स्कूल परिसर में नई बिल्डिंग बनने का काम हो या स्वीमिंग पुल। धनाढ्य अभिभावकों से मोटी रकम वसूली गई। स्कूल की प्रबन्ध कमेटी चाहे कुछ भी सोचती हो, लेकिन बधोतिया ने ली गई रकम की रसीद अभिभावकों को दी। एक तरह से बधोतिया ने मयूर स्कूल को अपना निजी स्कूल समझा। बधोतिया के प्रयासों से ही मयूर का नाम अजमेर-राजस्थान में ही बल्कि देश भर में है। विद्यार्थियों के माता-पिता स्वयं को गौरवान्वित समझते हैं। मयूर स्कूल का संचालन मेयो कॉलेज शिक्षण संस्थान के द्वारा किया जाता है। बधोतिया को यह उम्मीद थी कि मयूर स्कूल में जिस वफादारी के साथ काम किया है, उसकी एवज में उन्हें मेयो कॉलेज अजमेर का प्रिंसिपल बना दिया जाएगा। इसके लिए दो बार बधोतिया ने इन्टरव्यू भी दिए। लेकिन मेयो कॉलेज गवर्निंग काउंसिल ने बधोतिया को मेयो कॉलेज के प्रिंसिपल के योग्य नहीं माना। गवर्निंग काउंसिल यह चाहती थी कि बधोतिया अपनी सेवानिवृत्ति तक मयूर स्कूल के प्रिंसिपल बने रहे। लेकिन बधोतिया को गवर्निंग काउंसिल का फैसला नागवार लगा और उन्होंने एक वर्ष पहले ही मयूर स्कूल छोडऩे का मन बना लिया। बधोतिया को तब सफलता मिली, जब उनका चयन इंदौर स्थित डेली कॉलेज के प्रिंसिपल के पद पर हो गया। इंदौर का यह कॉलेज भी अजमेर के मेयो कॉलेज और ग्वालियर के सिंधिया स्कूल के बराबर है। मेयो, सिंधिया और डेली कॉलेज का एन्ट्रेन्स टेस्ट भी कॉमन होता है। बधोतिया अब कह सकते हैं कि उन्हें मेयो कॉलेज के मुकाबले वाले कॉलेज में पिं्रसिपल के पद पर नियुक्ति मिल गई है। बधोतिया इस समय 56 वर्ष के हंै। यानि वे डेली कॉलेज इंदौर में 4 वर्ष तक तो काम करेंगे ही। भले ही मेयो गवर्निंग काउंसिल ने बधोतिया को मेयो का प्रिंसिपल न बनाया हो, लेकिन बधोतिया ने अपनी सेवानिवृत्ति पर गवर्निंग काउंसिल का आभार जताया है। जानकारों की माने तो डेली कॉलेज, इंदौर के पिं्रसिपल सुमेर सिंह और प्रबंध कमेटी के बीच विवाद हो जाने का फायदा भी बधोतिया को मिला है। 
अधिराज सिंह को सौंपा प्रिंसिपल का चार्ज :
मेयो कॉलेज गवर्निंग काउंसिल ने फिलहाल वाइस प्रिंसिपल अधिराज सिंह को प्रिंसिपल का चार्ज दिया है। अधिराज सिंह पूर्व आईएएस अजय विक्रम सिंह के पुत्र है। 
(एस.पी.मित्तल) (29-03-17)
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#2396
तो क्या आतंकियों के भरोसे छोड़ दें कश्मीर को? कैसे सुधरेंगे हालात। 
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इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि 28 मार्च को जब कश्मीर के बडग़ाम में सुरक्षा बल आतंकियों की गोलियों का सामना कर रहे थे, तब सैंकड़ों कश्मीरी युवाओं ने सुरक्षा बलों पर पत्थर फैंकने शुरू कर दिए। आमतौर पर जब कभी आतंकियों के साथ मुठभेड़ होती है तो देश के नागरिक सुरक्षा बलों की मदद करते हैं। लेकिन कश्मीर घाटी में हर बार उलटा होता है। बडगाम में भी पत्थरबाजी में 30 सुरक्षाकर्मी जख्मी हो गए। अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक तरफ आतंकियों की गोलियां तो दूसरी तरफ पत्थर। ऐसे में सुरक्षा जवान किस तरह से मुकाबला करंे? आत्मरक्षा में जब सुरक्षा बलों ने पत्थरबाजों पर गोली चलाई तो तीन पत्थरबाजों की मौत हो गई। अब इन मौतों को लेकर कश्मीर में बंद करवाया गया है। 29 मार्च को इस बंद की वजह से विश्वविद्यालयों की परीक्षा नहीं हुई और न ही ट्रेनों का आवागमन। गंभीर बात तो यह है कि पत्थरबाजी में जो 30 सुरक्षाकर्मी जख्मी हुए, उनकी कोई सुध नहीं ले रहा है। सवाल उठता है कि आखिर कश्मीर में हालात कैसे सुधारेंगे? सीएम महबूबा मुफ्ती खुद बेबस और लाचार नजर आती है। ऐसा प्रतीत होता है कि महबूबा सहित अधिकांश राजनेताओं का अब घाटी पर नियंत्रण नहीं है। घाटी में ऐसे लेाग असरदार हो गए हैं, जो खुले आम पाकिस्तान से आए आतंकियों का समर्थन करते हैं। समझ में नहीं आता कि घाटी के मुसलमान आतंकवादियों का साथ क्यों दे रहे हैं। सब जानते हैं कि खुद पाकिस्तान आतंकवाद से त्रस्त है। आईएस जैसे संगठन पाकिस्तान की मस्जिदों और दरगाहों में विस्फोट कर रहे हैं। यदि कश्मीर के युवाओं ने पाकिस्तान और आतंकियों का समर्थन बंद नहीं किया तो हालात और बिगड़ेंगे। युवाओं को चाहिए कि वे अपनी समस्याओं को लेकर सरकार से वार्ता करें। जिन राजनीतिक दलों ने लंबे समय तक कश्मीर में शासन किया है, उन्हें यह बताना चाहिए कि क्या कश्मीर में एक भी नागरिक देशभक्त नहीं बचा है? सब जानते हैं कि सुनियोजित षडय़न्त्र के तहत 4 लाख हिन्दुओं को घाटी से पीट-पीट कर भगा दिया गया है। आज सम्पूर्ण कश्मीर घाटी हिन्दूविहीन हो गई है और इसीलिए हमारे सुरक्षा बलों को सामने से आतंकवादियों की गोली और पीछे से अलगाववादियों के पत्थर खाने पड़ रहे हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (29-03-17)
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#2395
चार दिन में ही बहाल कर दिया डॉ. विक्रान्त शर्मा को। अजमेर के जेएलएन अस्पताल का मामला।
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29 मार्च को डॉ. विक्रान्त शर्मा ने फिर से अजमेर के जेएलएन अस्पताल के ईएनटी विभाग में चिकित्सा अधिकारी का पद संभाल लिया है। राज्य सरकार के निर्देंशों पर गत 25 मार्च को अस्पताल के पिं्रसिपल डॉ. आर.के. गोखरू ने डॉ. शर्मा को एपीओ कर दिया था। 28 मार्च को सरकार ने डॉ. शर्मा को फिर से बहाल कर दिया। मात्र 4 दिन में बहाली होने पर शहर जिला भाजपा के अध्यक्ष अरविंद यादव को आश्चर्य हो रहा है। असल में यादव की लिखित शिकायत के बाद ही डॉ. शर्मा को एपीओ किया गया था। यादव ने अपनी शिकायत में डॉ. शर्मा पर नि:शुल्क दवा योजना में दवाईयों की खरीद में वित्तीय अनियमितता करने का आरोप लगाया था। तब डॉ. शर्मा का कहना था कि वे दवा खरीद समिति में शामिल नहीं थे इसलिए अनियमितता का सवाल ही नहीं उठता। जबकि 15 नवंबर को 2014 के आदेश से यह जाहिर होता है कि डॉ. शर्मा समिति के सदस्य नियुक्त किए गए थे। वहीं डॉ. शर्मा ने कहा है कि उन्होंने अपना कार्य ईमानदारी के साथ किया है। इसीलिये सरकार ने 4 दिन में ही बहाल कर दिया है। वे सरकार की किसी भी प्रकार की जांच में सहयोग करेंगे। 
(एस.पी.मित्तल) (29-03-17)
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Monday 27 March 2017

#2388
अजमेर के भाजपाईयों ने ओम माथुर का शानदार स्वागत किया। शेखावत भी अल्पसंख्यकों को लेकर पहुंचे। 
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26 मार्च को अजमेर के निकटवर्ती गगवाना के नेशनल हाइवे पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर का भाजपा के कार्यकर्ताओं ने शानदार स्वागत किया। माथुर सड़क मार्ग से जयपुर से पाली जा रहे थे। शहर जिला भाजपा के अध्यक्ष अरविंद यादव के नेतृत्व में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी के साथ माथुर का स्वागत किया। यूपी चुनाव में भाजपा की सफलता का श्रेय कार्यकर्ताओं ने माथुर को दिया। माथुर का स्वागत करने वालों में पूर्व मंत्री श्रीकिशन सोनगरा, जिला प्रमुख वंदना नोगिया, रक्षित कच्छावा, सोमरत्न आर्य, रमेश सोनी आदि शामिल थे। 
शेखावत भी आए : 
ओम माथुर के स्वागत में भाजपा से निष्कासित पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को लेकर पहुंचे। शेखावत की उपस्थिति भाजपा में चर्चा का विषय रही। समर्थकों ने नारे भी लगाए कि अजमेर का एक ही सिंह, सुरेन्द्र सिंह, सुरेन्द्र सिंह। माथुर का स्वागत भले ही शहर अध्यक्ष यादव के नेतृत्व में किया गया हो, लेकिन इस स्वागत में स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल, मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, एडीए के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा जैसे बड़े नेता नजर नहीं आए। माना जा रहा है कि जो भाजपा नेता सीएम वसुंधरा राजे के समर्थक माने जाते हैं, वे ओम माथुर के स्वागत से बचे। 
(एस.पी.मित्तल) (26-03-17)
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#2393
अभिभावकों के लिए खास रहा संनफोर्ट स्कूल का वार्षिक समारोह।
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अजमेर के बी.के. कौल नगर में 887 के परिसर में संचालित होने वाले संनफोर्ट प्ले स्कूल का वार्षिक समारोह 26 मार्च को उत्साह के साथ मनाया गया। स्कूल में पढऩे वाले छोटे-छोटे मासूम बच्चों ने डांस आदि के जो कार्यक्रम प्रस्तुत किए वे अभिभावकों के लिए खास थे। समारोह की अतिथि आईएएस श्रीमती स्नेहलता पंवार, एस.पी. मित्तल, पार्षद ज्ञान सारस्वत, राजेन्द्र सिंह पंवार, सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष काबरा, शैलेन्द्र अग्रवाल आदि ने कहा कि प्ले स्कूल में बच्चों की जो नींव डलती है, उसी पर जीवन की बुनियाद खड़ी होती है। इस स्कूल से निकलकर ही बच्चों का एडमिशन सोफिया, कान्वेन्ट, मयूर, एंसलम, एमपीएस, स्टीवंस, ऑल सेन्ट जैसी प्रतिष्ठित स्कूलों में होता है। समारोह में कुछ माता और पिता ने भी बच्चों को पालने के संदर्भ में रोचक संस्मरण सुनाएं। स्कूल की निदेशक ज्योति अग्रवाल ने बताया कि स्कूल में दो वर्ष के बच्चों को प्रवेश दिया जाता है। प्ले स्कूल में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध है। स्कूल के एमडी हितेश मित्तल ने बताया कि संनफोर्ट प्री स्कूल आईएसओ 9001 2008 से प्रमाणित है। इस स्कूल का संबंध ब्रिटिश एसोसिएशन फॉर अर्ली चाइल्ड हुड एज्युकेशन के साथ है। वर्ष 2016 में इस स्कूल ग्रुप को दिल्ली का नम्बर वन प्री स्कूल माना गया है। अजमेर में यह पहला स्कूल है, जिसमें बच्चों को टच एण्ड स्मार्ट बोर्ड पर पढ़ाया जाता है। स्कूल के संबंध में और अधिक जानकारी 9928613158 नंबर पर ली जा सकती है। 
(एस.पी.मित्तल) (27-03-17)
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#2394
प्राचार्य कंचन खाण्डके के समर्थन में उतरी मेयो गल्र्स स्कूल की छात्राएं।
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27 मार्च को अजमेर स्थित देश के ख्याति प्राप्त मेयो गल्र्स स्कूल की छात्राओं ने सुबह के नाश्ते का बहिष्कार किया और प्राचार्य कंचन खाण्डके के समर्थन में स्कूल परिसर में नारेबाजी की। छात्राओं का कहना था कि खाण्डके के कार्यकाल में स्कूल ने अनेक उपलब्धियां अर्जित की है, लेकिन फिर भी खाण्डके को प्राचार्य के पद से हटाया जा रहा है। छात्राओं का कहना रहा कि स्कूल प्रबंध कमेटी द्वैषतावश खाण्डके को प्राचार्य के पद से हटा रही है। मेयो शिक्षण संस्थान के इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर है, जब किसी प्राचार्य को लेकर विद्यार्थियों ने विरोध प्रदर्शन किया है, वहीं दूसरी ओर प्रबंध कमेटी के सूत्रों का कहना है कि खाण्डके को प्राचार्य के पद पर 4 वर्ष के लिए नियुक्त किया गया था। चूंकि अब 30 अप्रेल को अनुबन्ध समाप्त हो रहा है, इसलिए खाण्डके को प्राचार्य के पद से हटना पड़ेगा। खाण्डके के कार्यकाल को बढ़ाने को लेकर प्रबंध कमेटी की एक बैठक हाल ही में हुई थी। लेकिन कार्यकाल बढ़ाने पर आम सहमति नहीं हुई। बैठक में यह बात सामने आई कि पूर्व प्राचार्य श्रीमती जमीला सिंह के कार्यकाल में जो अनुशासन था, उसमें कमी आई है। कमेटी ने सर्वसम्मति से ही कंचन खाण्डके का कार्यकाल नहीं बढ़ाए जाने का निर्णय लिया। अब देखना है कि छात्राओं ने जो मोर्चा खोला है, उसका प्रबंध कमेटी पर कितना असर होता है। इस स्कूल में देश के ख्यातनाम राजनेताओं, बड़े अधिकारियों, प्रभावशाली व्यक्तियों, उद्योगपतियों आदि के बच्चे पढ़ते हैं। कंचन खाण्डके को उम्मीद है कि छात्राओं के अभिभावक भी प्रबंध कमेटी पर दबाव डालेंगे। इसमें कोई दो राय नहीं कि खाण्डके ने छात्राओं से मित्रतापूर्ण संबंध बनाए हैं। 11वीं और 12वीं कक्षाओं में पढऩे वाली छात्राएं तो खाण्डके को दीदी कहती है। चूंकि अधिकांश छात्राएं स्कूल परिसर में बने हॉस्टल में ही रहती है, इसलिए खाण्डके के संबंध छात्राओं से बहुत अच्छे हैं। 
प्रबंध कमेटी में पूर्व राजपरिवार :
अजमेर में मेयो शिक्षण संस्थान के अंतर्गत मेयो बॉयज, गल्र्स और मयूर स्कूल संचालित होता है। मेयो शिक्षण संस्थान की प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष इस समय कोटा के पूर्व महाराजा बृजराज सिंह है जबकि पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह मेयो बॉयज स्कूल के चेयरमैन है। इसी प्रकार केसरी सिंह मण्डावा गल्र्स स्कूल के चेयरमैन है। मेयो प्रबंध कमेटी में जोधपुर के गजसिंह, बलभद्र सिंह और किशनगढ़ के पूर्व महाराजा बृजराज सिंह सदस्य है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 27 मार्च को मेयो गल्र्स स्कूल में हुई घटना को प्रबंध कमेटी ने भी गंभीरता के साथ लिया है। 
(एस.पी.मित्तल) (27-03-17)
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Sunday 26 March 2017

#2388
अजमेर के भाजपाईयों ने ओम माथुर का शानदार स्वागत किया। शेखावत भी अल्पसंख्यकों को लेकर पहुंचे। 
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26 मार्च को अजमेर के निकटवर्ती गगवाना के नेशनल हाइवे पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर का भाजपा के कार्यकर्ताओं ने शानदार स्वागत किया। माथुर सड़क मार्ग से जयपुर से पाली जा रहे थे। शहर जिला भाजपा के अध्यक्ष अरविंद यादव के नेतृत्व में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी के साथ माथुर का स्वागत किया। यूपी चुनाव में भाजपा की सफलता का श्रेय कार्यकर्ताओं ने माथुर को दिया। माथुर का स्वागत करने वालों में पूर्व मंत्री श्रीकिशन सोनगरा, जिला प्रमुख वंदना नोगिया, रक्षित कच्छावा, सोमरत्न आर्य, रमेश सोनी आदि शामिल थे। 
शेखावत भी आए : 
ओम माथुर के स्वागत में भाजपा से निष्कासित पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को लेकर पहुंचे। शेखावत की उपस्थिति भाजपा में चर्चा का विषय रही। समर्थकों ने नारे भी लगाए कि अजमेर का एक ही सिंह, सुरेन्द्र सिंह, सुरेन्द्र सिंह। माथुर का स्वागत भले ही शहर अध्यक्ष यादव के नेतृत्व में किया गया हो, लेकिन इस स्वागत में स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल, मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, एडीए के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा जैसे बड़े नेता नजर नहीं आए। माना जा रहा है कि जो भाजपा नेता सीएम वसुंधरा राजे के समर्थक माने जाते हैं, वे ओम माथुर के स्वागत से बचे। 
(एस.पी.मित्तल) (26-03-17)
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#2389
राष्ट्र रक्षा में 500 जोड़ों ने दी आहूति। एक संगत, एक पंगत में शामिल हुए दो हजार स्त्री-पुरूष। 
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26 मार्च को अजमेर के आजाद पार्क में नव संवत्सर समारोह के अंतर्गत राष्ट्र रक्षा यज्ञ किया गया। इस यज्ञ में सेवा बस्तियों में रहने वाले 500 जोड़ों ने आहूति देकर राष्ट्र की सेवा करने का संकल्प लिया। इस यज्ञ की खासियत यह रही कि जहां वैशाली नगर, शास्त्री नगर, पुलिस लाइन, सिविल लाइन जैसी उच्च वर्ग की रिहायशी कॉलोनियों के परिवारों के सदस्यों ने भाग लिया, वहीं हरिजन बस्ती, जटिया कॉलोनी, लुहारू बस्ती जैसे रिहायशी क्षेत्रों के लोग भी उपस्थित रहे। 51 हवन कुण्डों के चारों तरफ बैठकर ऐसे जोड़ों ने आहूति देकर समाज में समरसता का भी उदाहरण प्रस्तुत किया। इस ऐतिहासिक यज्ञ के बाद एक संगत, एक पंगत के अंतर्गत  कोई दो हजार स्त्री-पुरूषों ने एक साथ बैठकर भोजन किया। आयोजन नव संवत्सर समारोह समिति के अध्यक्ष सुनील दत्त जैन के मार्ग-निर्देशन में हुआ। जैन ने बताया कि गायत्री परिवार के तीरथराम शर्मा ने वैदिक मंत्रों से यज्ञ को सम्पन्न करवाया। विश्व हिन्दू परिषद के धर्माचार्य उपेन्द्र नाथ ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के माहौल में राष्ट्र रक्षा की भावना जाग्रत करना बेहद जरूरी है। समारोह की अध्यक्षता राजेश पुरोहित ने की, जबकि सत्यनारायण भंसाली मुख्य अतिथि रहे। यज्ञ में हनुमान सिंह राठौड़, स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल, जिला प्रमुख वंदना नोगिया आदि उपस्थित रहे। 
विक्रम मेला और वाहन रैली 27 मार्च को : 
नव संवत्सर समारोह समिति के प्रवक्ता निरंजन शर्मा ने बताया कि 27 मार्च को सायं 6 बजे से विक्रम मेले का आयोजन किया गया है। यह मेला रीजनल कॉलेज के निकट बनी चौपाटी पर होगा। नगर निगम की ओर से आयोजित इस मेले में आनासागर में दीप यज्ञ होगा। 80 वर्ष से अधिक उम्र वाले वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान भी किया जाएगा। मेले के दौरान शानदार आतिशबाजी भी होगी। इससे पहले भाजयुमो, विद्यार्थी परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा शहर के विभिन्न मार्गों से एक वाहन रैली निकाली जाएगी। यह रैली सायं 5:30 बजे आजाद पार्क से शुरू होकर मेला स्थल रीजनल कॉलेज चौपाटी पर पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि शाम को ही 68 सेवा बस्तियों के मंदिरों पर महाआरती होगी। दीप प्रज्ज्वलन, रंगोली और आतिशबाजी के कार्यक्रम भी रखे गए हैं। 
एस.पी.मित्तल) (26-03-17)
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#2389
राष्ट्र रक्षा में 500 जोड़ों ने दी आहूति। एक संगत, एक पंगत में शामिल हुए दो हजार स्त्री-पुरूष। 
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26 मार्च को अजमेर के आजाद पार्क में नव संवत्सर समारोह के अंतर्गत राष्ट्र रक्षा यज्ञ किया गया। इस यज्ञ में सेवा बस्तियों में रहने वाले 500 जोड़ों ने आहूति देकर राष्ट्र की सेवा करने का संकल्प लिया। इस यज्ञ की खासियत यह रही कि जहां वैशाली नगर, शास्त्री नगर, पुलिस लाइन, सिविल लाइन जैसी उच्च वर्ग की रिहायशी कॉलोनियों के परिवारों के सदस्यों ने भाग लिया, वहीं हरिजन बस्ती, जटिया कॉलोनी, लुहारू बस्ती जैसे रिहायशी क्षेत्रों के लोग भी उपस्थित रहे। 51 हवन कुण्डों के चारों तरफ बैठकर ऐसे जोड़ों ने आहूति देकर समाज में समरसता का भी उदाहरण प्रस्तुत किया। इस ऐतिहासिक यज्ञ के बाद एक संगत, एक पंगत के अंतर्गत  कोई दो हजार स्त्री-पुरूषों ने एक साथ बैठकर भोजन किया। आयोजन नव संवत्सर समारोह समिति के अध्यक्ष सुनील दत्त जैन के मार्ग-निर्देशन में हुआ। जैन ने बताया कि गायत्री परिवार के तीरथराम शर्मा ने वैदिक मंत्रों से यज्ञ को सम्पन्न करवाया। विश्व हिन्दू परिषद के धर्माचार्य उपेन्द्र नाथ ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के माहौल में राष्ट्र रक्षा की भावना जाग्रत करना बेहद जरूरी है। समारोह की अध्यक्षता राजेश पुरोहित ने की, जबकि सत्यनारायण भंसाली मुख्य अतिथि रहे। यज्ञ में हनुमान सिंह राठौड़, स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल, जिला प्रमुख वंदना नोगिया आदि उपस्थित रहे। 
विक्रम मेला और वाहन रैली 27 मार्च को : 
नव संवत्सर समारोह समिति के प्रवक्ता निरंजन शर्मा ने बताया कि 27 मार्च को सायं 6 बजे से विक्रम मेले का आयोजन किया गया है। यह मेला रीजनल कॉलेज के निकट बनी चौपाटी पर होगा। नगर निगम की ओर से आयोजित इस मेले में आनासागर में दीप यज्ञ होगा। 80 वर्ष से अधिक उम्र वाले वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान भी किया जाएगा। मेले के दौरान शानदार आतिशबाजी भी होगी। इससे पहले भाजयुमो, विद्यार्थी परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा शहर के विभिन्न मार्गों से एक वाहन रैली निकाली जाएगी। यह रैली सायं 5:30 बजे आजाद पार्क से शुरू होकर मेला स्थल रीजनल कॉलेज चौपाटी पर पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि शाम को ही 68 सेवा बस्तियों के मंदिरों पर महाआरती होगी। दीप प्रज्ज्वलन, रंगोली और आतिशबाजी के कार्यक्रम भी रखे गए हैं। 
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#2391
ख्वाजा साहब द्वारा हजरत इमाम हुसैन की शान में लिखी रूबाई की तस्वीर अजमेर की दरगाह में लगी। जायरीन के लिए अकीदत का केन्द्र रहेगी यह तस्वीर।
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सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की अजमेर स्थित दरगाह के इतिहास में 26 मार्च को एक और अध्याय जुड़ गया है। केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, ईरान के धर्म गुरु हिज्र तुल इस्लाम वल और ईरान के भारत स्थित राजदूत गुलाम रजा अंसारी ने एक तस्वीर को दरगाह के बुलंद दरवाजे की दीवार पर स्थापित किया। इस तस्वीर में उन शब्दों को लिखा गया है, जो ख्वाजा साहब ने अपने जीवनकाल में पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शान में लिखे हैं। चूंकि ख्वाजा साहब ईरान से ही भारत और अजमेर आए थे इसलिए ईरान के मशहूर कलाकारों ने पूरी शिद्दत के साथ शब्दों को उकेरा है। उर्दू और फारसी भाषा में लिखी इस इबादत में इमाम हुसैन का दर्जा तब के बादशाह से भी बड़ा बताया गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि यह तस्वीर दरगाह में आने वाले जायरीन के लिए अकीदत का केन्द्र होगी। आज भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के मुसलमानों में ख्वाजा साहब की दरगाह के प्रति जबर्दस्त अकीदत है। पवित्र मजार पर सजदा करने के लिए दुनिया भर से मुसलमान आते हैं। ख्वाजा साहब की दरगाह के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब ख्वाजा साहब के लिखे शब्दों को प्रदर्शित किया गया है। शब्द भी पैगम्बर मोहम्मद साहब और उनके नवासे हजरत इमाम हुसैन से जुड़े हुए हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस तस्वीर के प्रति जायरीन कितनी अकीदत दिखाएंगे। केन्द्रीय मंत्री नकवी के लिए भी यह फक्र की बात है कि उन्होंने इस तस्वीर का उद्घाटन किया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि ख्वाजा साहब के 805 वें सालाना उर्स का झंडा गत 24 मार्च को चढ़ चुका है और 6 दिवसीय धार्मिक उर्स की शुरूआत चांद दिखने पर 28 मार्च से होगी। 
पीएम मोदी तो संत है : नकवी 
दरगाह के समारोह के बाद सर्किट हाऊस मेंं मीडिया से संवाद करते हुए केन्द्रीय मंत्री नकवी ने कहा कि पीएम मोदी तो संत हैं। उन्होंने संतों के बारे में सिर्फ सुना था, लेकिन उन्हें गर्व है कि अब वह एक संत के साथ ही काम कर रहे हैं। एक संत में सबको साथ लेकर चलने की जो प्रवृत्ति होती है, उसी के तहत मोदी देश को चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि ख्वाजा साहब के उर्स में पीएम मोदी की ओर से भी पवित्र मजार पर चादर पेश की जाएगी। मोदी ने अपनी ओर से चादर मुझे सौंप दी है और अब में एक अप्रेल को चादर को सूफी परम्परा के अनुरूप पवित्र मजार पर पेश करूंगा। यह ख्वाजा साहब का ही करम है कि 5 दिन की अवधि में मुझे दो बार दरगाह में जियारत का अवसर मिल रहा है। 
प्लान बनाने से काम नहीं चलेगा : 
केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन चलने वाली दरगाह कमेटी के पदाधिकारियों से नकवी ने कहा कि अब प्लान बनाने से काम नहीं चलेगा। मोदी जी के राज में काम की क्रियान्विति होनी चाहिए। कांगे्रस के शासन में सिर्फ प्लान बनते थे। नकवी ने यह बात कमेटी के अध्यक्ष शेख अली, सदस्य जावेद पारेख, हाजी खान मोहम्मद, वजाहत चौधरी तथा कमेटी के नाजिम कर्नल मंसूर अली खान से कही। कमेटी के अधिकांश सदस्य गत कांग्रेस शासन में नियुक्त हुए हैं। ऐसे सदस्य को नकवी ने साफ संकेत दे दिए हैं। 
खादिम अफसान चिश्ती ने कराई जियारत :
नकवी को खादिम अफसान चिश्ती ने पवित्र मजार पर जियारत करवाई। खादिम ने नकवी के सिर पर पगड़ी बांधी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। इस मौके पर नकवी ने देश में अमन-चैन के लिए दुआ की।
एस.पी.मित्तल) (26-03-17)
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#2392
पार्षद सांखला ने निभाई नगर सेवक की भूमिका। सरकारी योजनाओं के शिविर में चार हजार जरूरतमंद पहुंचे। 
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26 मार्च को अजमेर नगर निगम के वार्ड संख्या 60 के भाजपा पार्षद चन्द्रेश सांखला ने नगर सेवक की भूमिका निभाते हुए सरकारी योजनाओं को लेकर एक शिविर अलखनंदा कॉलोनी रोड स्थित टीकम चंद स्कूल के मैदान पर लगाया। इस शिविर की सफलता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि एक दिन के शिविर में कोई चार हजार जरूरतमंद उपस्थित हुए। सांखला ने बताया कि इस शिविर में आधार कार्ड, भामाशाह कार्ड, राशन कार्ड, मजदूर डायरी, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, खाद्य सुरक्षा, पालनहार योजना, शौचालय निर्माण, पेन कार्ड, ड्राइविंग लाईसेंस, जन-धन बैंक खाता, अटल पेंशन, सुकन्या समृद्धि योजना, मुद्रा लोन, नगर निगम द्वारा ऋण, रोजगार के लिए ट्रेनिंग, भामाशाह स्वास्थ्य योजना, अल्पसंख्यक कल्याण छात्रवृत्ति, मतदान सूची में संशोधन तथा विभिन्न विभागों से संबंधित कार्य करवाए गए। स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी और मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने इस शिविर की प्रशंसा करते हुए कहा कि सरकार ने जरूरतमंद लोगों के लिए अनेक योजनाएं चला रखी है, लेकिन जानकारी के अभाव में इन योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्ति तक नहीं पहुंच रहा है। पार्षद सांखला ने शिविर लगाकर सरकार की योजनाओं का लाभ जरूरतमंद व्यक्तियों तक पहुंचाया है। इस शिविर से अन्य पार्षदों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। 
एस.पी.मित्तल) (26-03-17)
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Saturday 25 March 2017

#2385
चलो! यूपी पुलिस गौ सेवक तो बनी। बीबीसी ने उड़ाया हमारे न्यूज चैनलों का मजाक।
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यूपी में सपा और बसपा की सरकारों में पुलिस की ऐसी छवि बन गई थी, जिसमें माना जाने लगा कि पुलिस तो सिर्फ बूचड़ खानों की हिफाजत करती है। लेकिन नव निर्वाचित सीएम योगी आदित्यनाथ ने 25 मार्च को एक ही झटके में यूपी पुलिस को गौ सेवक बना दिया। 25 मार्च को योगी अपने निर्वाचन क्षेत्र गोरखपुर पहुंचे, यहां गोरखनाथ मंदिर में भी गए। सीएम बनने से पहले योगी इसी मंदिर में रहते थे। मंदिर में रहने वाली गायों से भी योगी ने मुलाकात की। योगी की सुरक्षा के मद्देनजर मंदिर की गौशाला में भी बड़ी संख्या में पुलिस के जवान तैनात किए गए। गौशाला में मौजूद पुलिस कर्मी गौ सेवक ही नजर आ रहे थे। हालांकि पुलिस वालों के हाथों में डंडे थे, लेकिन बदले हुए माहौल में गायों ने भी पुलिस वालों को ग्वाला ही समझा। गौमाता भी निश्चित थी कि अब पुलिस संरक्षण में उन्हें बूचडख़ाने में नहीं ले जाया जाएगा। 
बीबीसी का कार्टून :
योगी आदित्यनाथ के यूपी का सीएम बनने को बीबीसी किस नजरिए से देखता है, इसका अंदाजा 22 मार्च के एक कार्टून से लगाया जा सकता है। इस कार्टून में भारतीय न्यूज चैनलों का भी मजाक उठाया गया है। कार्टून  में टीवी की स्क्रीन पर गाय और एक रिपोर्टर दिखा कर लिखा है कि योगी जी की गाय के गोबर से उपले बनाने वाले से इंटरव्यू थोड़ी देर में। बीबीसी अपने इस कार्टून के जरिए भले ही गाय, गोबर, योगी और न्यूज चैनलों का मजाक उड़ाए, लेकिन गाय, गोबर पर और योगी हमारी भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए हैं। बीबीसी वालों का यह पता होना चाहिए कि गाय एक पशु ही नहीं बल्कि पूरा जीवन चक्र है। गाय का सनातन संस्कृति में धार्मिक महत्त्व तो है ही साथ ही गाय का दूध और गोबर पर मनुष्य की आजीविका टिकी हुई है। चूंकि ब्रिटेन वाले गाय को मांसाहारी भोजन समझते हैं, इसलिए गाय का गोबर और योगी का महत्त्व नहीं समझ रहे। इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि 22 मार्च को जिस दिन बीबीसी ने भारतीय संस्कृति का मजाक उड़ाया। उसी दिन आतंकी संगठन आईएस ने ब्रिटिश संसद पर हमला कर दिया। पुलिस ने ब्रिटेन की पीएम परेसा को संसद से सुरक्षित बाहर निकाला। अच्छा हो कि बीबीसी वाले हमारी गौमाता और उसके गोबर का मजाक उड़ाने के बजाए अपने देश को आईएस के आतंकियों से बचाएं। 
एस.पी.मित्तल) (25-03-17)
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#2383
स्वागत वाले दिन ही ओम माथुर को गुजरात का प्रभारी बनाया। समर्थकों का जोश ठंडा। 
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24 मार्च को भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर जब बहरोड से लेकर जयुपर तक के मार्ग में जगह-जगह अपना स्वागत सत्कार करवा रहे थे कि तभी भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने माथुर को गुजरात का प्रभारी नियुक्त कर दिया। गुजरात में इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में माथुर की नियुक्ति राजनीतिक दृष्टि से महत्त्व रखती है। माथुर को गुजरात का प्रभारी बनाए जाने का राजस्थान की राजनीति पर भी असर है। असल में माथुर के समर्थक उन्हें राजस्थान का सीएम देखनाचाहते हैं। इसलिए भाजपा में जब कभी हलचल होती है तो माथुर को सीएम बनाने की चर्चा हो ही जाती है। इन चर्चाओं को बल इसलिए भी मिलता है कि माथुर पीएम मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेहद करीबी हैं। माथुर यूपी चुनाव के प्रभारी भी थे। यूपी में भाजपा को मिली सफलता के बाद माथुर पहली बार अपने गृह प्रदेश राजस्थान आ रहे थे। अपने समर्थकों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए ही माथुर ने दिल्ली से जयपुर तक का सफर सड़क मार्ग से तय किया। इसमे कोई दो राय नहीं कि समर्थकों में माथुर का स्वागत करने का जबरदस्त उत्साह था, लेकिन माथुर दोपहर को दो बजे जब राजस्थान के बहरोड पर पहुंचे तो टीवी पर खबर प्रसारित हो गई कि माथुर को गुजरात का प्रभारी बना दिया गया है। इससे समर्थकों का जोश ठंडा हो गया। यूपी के चुनाव परिणाम के बाद से ही चर्चा थी कि वसुंधरा राजे को सीएम के पद से हटाया जा रहा है। माथुर के समर्थकों को यह उम्मीद रहती है कि वसुंधरा राजे के बाद ओम माथुर ही सीएम बनेंगे। माथुर इससे कभी इंकार भी नहीं करते हैं। राजस्थान की भाजपा में अकेले ओम माथुर हैं जो वसुंधरा के बाद सीएम का पद संभाल लेने की बात करते हैं। जबकि वसुंधरा के सीएम रहते भाजपा का कोई दूसरा नेता सपने में भी सीएम बनने के बारे में नहीं सोच सकता। ओम माथुर भी भले ही मोदी और अमित शाह के करीबी हो, लेकिन राजस्थान में माथुर के समर्थकों को अपनी दुर्गती के बारे में पता है। 24 मार्च को ओम माथुर के स्वागत सत्कार में कितनी गंभीरता थी, इसका अंदाजा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी के बयान से लगाया जा सकता है। चैनलों पर जब ओम माथुर को जब गुजरात का प्रभारी बनए जाने की खबर प्रसारित हो गई, तब परनामी ने मीडिया से कहा। राजस्थान में वसुंधरा राजे को नहीं हटाया जा रहा है,उन्होंने कहा कि यह सिर्फ अफवाह है। सवाल उठता है कि इस अफवाह का खंडन करने में परनामी को इतने दिन क्यों लग गए? अफवाह तो 11 मार्च से ही उड़ रही थी। जाहिर है कि माथुर के मामले में परनामी भी कोई जोखिम नहीं लेना चाहते थे। इसलिए माथुर को गुजरात भेजे जाने के बाद ही परनामी ने वसुंधरा राजे के सीएम बने रहने की बात कही। 
एस.पी.मित्तल) (24-03-17)
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#2386
राजस्थान में वसुंधरा के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा विधानसभा का चुनाव। प्रदेश प्रभारी अविनाश राय ने किया ऐलान।
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25 मार्च को जयपुर में हुई प्रदेश भाजपा की कोर कमेटी की बैठक के बाद प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने मीडिया से कहा कि राजस्थान में अगला विधानसभा का चुनाव मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। राजे को सीएम के पद से हटाए जाने के सवाल पर खन्ना ने कहा कि जब मीडिया के पास खबर नहीं होती है तो वह ऐसी ही खबरें चलाता है। उन्होंने कहा कि न केवल राजे के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा बल्कि राजे ने अपने वर्तमान कार्यकाल में विकास के जो कार्य करवाए है उन्हें भी प्रदेश की जनता के समक्ष रखा जाएगा। खन्ना ने जिस कोर कमेटी की बैठक के बाद यह ऐलान किया, उस कोर कमेटी में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर भी मौजूद थे। असल में ओम माथुर 24 मार्च से तीन दिवसीय राजस्थान के दौरे पर है। माथुर जब- जब भी राजस्थान आते हंै तो राजे को हटाने और माथुर को सीएम बनाने की चर्चा शुरू हो जाती है। असल में राजस्थान में ओम माथुर अकेले ऐसे भाजपा नेता हंै जो राजे के विकल्प के तौर पर देखे जाते हैं। राजे की मौजूदगी में माथुर अपना स्वागत सत्कार करवाने में भी पीछे नहीं रहते। जबकि दूसरे भाजपा नेता राजे के सामने एक माला पहनने से भी परहेज करते हैं। सीएम राजे जिस सभा में उपस्थित रहती हंै उस सभा में किसी दूसरे भाजपा नेता के जिन्दाबाद के नारे भी नहीं लग सकते। यदि कोई उत्साही कार्यकर्ता नारा लगाता भी है तो संबंधित नेता खड़ा होकर कार्यकर्ताओं को डांट देता  है। 25 मार्च को खन्ना ने जो ऐलान किया है उसके बाद यह कहा जा सकता है कि अब राजे को हटाए जाने की चर्चाएं भी खत्म हो जाएंगी। 
(एस.पी.मित्तल) (25-03-17)
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#2387
शराब की वजह से खराब हो रहा है राजस्थान का माहौल।
पूर्ण शराब बंदी के लिए संघर्षरत हैं पूनम छाबड़ा।
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25 मार्च को राजस्थान के बीकानेर शहर के आनंद निकेतन में पूर्ण शराबबंदी को लेकर एक सभा हुई। मालूम हो कि इन दिनों राजस्थान में पूर्ण शराब बंदी को लेकर पूनम छाबड़ा प्रदेशभर में आंदोलन चला रही हैं। श्रीमती छाबड़ा पूर्व विधयक स्व.गुरुशरण छाबड़ा की पुत्रवधु हैं। छाबड़ा की शराब बंदी की मांग को लेकर अनशन के दौरान ही मौत हो गई थी। श्रीमती छाबड़ा चाहती हैं कि अपने ससुर के अभियान को तब तक जारी रखें, जब तक राजस्थान में पूर्ण शराबबबंदी न हो जाए। 25 मार्च को बीकानेर की सभा में श्रीमती छाबड़ा ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार पूर्ण शराबंदी को लेकर गंभीर है। गत 6 मार्च को सरकार के साथ एक वार्ता हुई थी जिसमें 16 सूत्रीय मांग पत्र रखा गया। सरकार ने शराब बंदी की दिशा में आगे बढ़ते हुए 15 मांगों को मान लिया। यदि किसी गांव या शहरी क्षेत्र में शराब बंदी की दुकान के आसपास के लोग दुकान को बहुमत से बंद करवाना चाहेंगे तो सरकार दुकान को तुरंत बंद कर देगी। सरकार की इस मंशा को जानने के लिए ही 26 मार्च को बीकानेर के गांव बामनवासी, घडसीयार, सहजरासर और महादेववाली में दुकानें बद करवाने पर मतदान करवाया जाएगा। उनका प्रयास है कि मतदान के जरिए प्रदेशभर में शराब की दुकानें बंद करवा दी जाएं। सरकार ने गत वित्तीय वर्ष के मुकाबले में नए वित्तीय वर्ष में करीब एक हजार दुकानों की संख्या घटाई है। सरकार की यह भी मंशा है कि शराब की दुकान सार्वजनिक स्थल पर नहीं हो। दुकानों के बाहर शराब से होने वाले नुकसान के बोर्ड भी लगाए जाएंगे। इस सभा को दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के स्वामी शोभानंद, भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मुमताज अली भाटी ने भी संबोधित किया। श्रीमती छाबड़ा में बताया कि स्व. गुरुशरण छाबड़ा की 70वीं पुण्यतिथि आगामी 9 जून को प्रदेशभर में मनाई जाएगी। विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश में पूर्ण शराबंदी के प्रति जागुरुकता पैदा करना होगा। अभियान के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 09958980151 पर  ली जा सकती है।
एस.पी.मित्तल) (25-03-17)
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शराब की वजह से खराब हो रहा है राजस्थान का माहौल।
पूर्ण शराब बंदी के लिए संघर्षरत हैं पूनम छाबड़ा।
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25 मार्च को राजस्थान के बीकानेर शहर के आनंद निकेतन में पूर्ण शराबबंदी को लेकर एक सभा हुई। मालूम हो कि इन दिनों राजस्थान में पूर्ण शराब बंदी को लेकर पूनम छाबड़ा प्रदेशभर में आंदोलन चला रही हैं। श्रीमती छाबड़ा पूर्व विधयक स्व.गुरुशरण छाबड़ा की पुत्रवधु हैं। छाबड़ा की शराब बंदी की मांग को लेकर अनशन के दौरान ही मौत हो गई थी। श्रीमती छाबड़ा चाहती हैं कि अपने ससुर के अभियान को तब तक जारी रखें, जब तक राजस्थान में पूर्ण शराबबबंदी न हो जाए। 25 मार्च को बीकानेर की सभा में श्रीमती छाबड़ा ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार पूर्ण शराबंदी को लेकर गंभीर है। गत 6 मार्च को सरकार के साथ एक वार्ता हुई थी जिसमें 16 सूत्रीय मांग पत्र रखा गया। सरकार ने शराब बंदी की दिशा में आगे बढ़ते हुए 15 मांगों को मान लिया। यदि किसी गांव या शहरी क्षेत्र में शराब बंदी की दुकान के आसपास के लोग दुकान को बहुमत से बंद करवाना चाहेंगे तो सरकार दुकान को तुरंत बंद कर देगी। सरकार की इस मंशा को जानने के लिए ही 26 मार्च को बीकानेर के गांव बामनवासी, घडसीयार, सहजरासर और महादेववाली में दुकानें बद करवाने पर मतदान करवाया जाएगा। उनका प्रयास है कि मतदान के जरिए प्रदेशभर में शराब की दुकानें बंद करवा दी जाएं। सरकार ने गत वित्तीय वर्ष के मुकाबले में नए वित्तीय वर्ष में करीब एक हजार दुकानों की संख्या घटाई है। सरकार की यह भी मंशा है कि शराब की दुकान सार्वजनिक स्थल पर नहीं हो। दुकानों के बाहर शराब से होने वाले नुकसान के बोर्ड भी लगाए जाएंगे। इस सभा को दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के स्वामी शोभानंद, भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मुमताज अली भाटी ने भी संबोधित किया। श्रीमती छाबड़ा में बताया कि स्व. गुरुशरण छाबड़ा की 70वीं पुण्यतिथि आगामी 9 जून को प्रदेशभर में मनाई जाएगी। विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश में पूर्ण शराबंदी के प्रति जागुरुकता पैदा करना होगा। अभियान के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 09958980151 पर  ली जा सकती है।
एस.पी.मित्तल) (25-03-17)
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#2384
नागौर के जिला रसद अधिकारी राकेश कुमार शर्मा रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार।
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25 मार्च को नागौर के जिला रसद अधिकारी राकेश कुमार शर्मा को एसीबी ने रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। एसीबी के उप अधीक्षक जाकिर अख्तर ने बताया कि मुडवा में बंद पड़ी एक तेल मिल को चालू करवाने और लाइसेंस देने की एवज में शर्मा ने तीन हजार रुपए की रिश्वत ली। एसीबी ने जो जाल बिछाया, उसमें शर्मा सहित दो अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया है।
(एस.पी.मित्तल) (25-03-17)
#2384
नागौर के जिला रसद अधिकारी राकेश कुमार शर्मा रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार।
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25 मार्च को नागौर के जिला रसद अधिकारी राकेश कुमार शर्मा को एसीबी ने रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। एसीबी के उप अधीक्षक जाकिर अख्तर ने बताया कि मुडवा में बंद पड़ी एक तेल मिल को चालू करवाने और लाइसेंस देने की एवज में शर्मा ने तीन हजार रुपए की रिश्वत ली। एसीबी ने जो जाल बिछाया, उसमें शर्मा सहित दो अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया है।
(एस.पी.मित्तल) (25-03-17)

Friday 24 March 2017

#2383
स्वागत वाले दिन ही ओम माथुर को गुजरात का प्रभारी बनाया। समर्थकों का जोश ठंडा। 
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24 मार्च को भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर जब बहरोड से लेकर जयुपर तक के मार्ग में जगह-जगह अपना स्वागत सत्कार करवा रहे थे कि तभी भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने माथुर को गुजरात का प्रभारी नियुक्त कर दिया। गुजरात में इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में माथुर की नियुक्ति राजनीतिक दृष्टि से महत्त्व रखती है। माथुर को गुजरात का प्रभारी बनाए जाने का राजस्थान की राजनीति पर भी असर है। असल में माथुर के समर्थक उन्हें राजस्थान का सीएम देखनाचाहते हैं। इसलिए भाजपा में जब कभी हलचल होती है तो माथुर को सीएम बनाने की चर्चा हो ही जाती है। इन चर्चाओं को बल इसलिए भी मिलता है कि माथुर पीएम मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेहद करीबी हैं। माथुर यूपी चुनाव के प्रभारी भी थे। यूपी में भाजपा को मिली सफलता के बाद माथुर पहली बार अपने गृह प्रदेश राजस्थान आ रहे थे। अपने समर्थकों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए ही माथुर ने दिल्ली से जयपुर तक का सफर सड़क मार्ग से तय किया। इसमे कोई दो राय नहीं कि समर्थकों में माथुर का स्वागत करने का जबरदस्त उत्साह था, लेकिन माथुर दोपहर को दो बजे जब राजस्थान के बहरोड पर पहुंचे तो टीवी पर खबर प्रसारित हो गई कि माथुर को गुजरात का प्रभारी बना दिया गया है। इससे समर्थकों का जोश ठंडा हो गया। यूपी के चुनाव परिणाम के बाद से ही चर्चा थी कि वसुंधरा राजे को सीएम के पद से हटाया जा रहा है। माथुर के समर्थकों को यह उम्मीद रहती है कि वसुंधरा राजे के बाद ओम माथुर ही सीएम बनेंगे। माथुर इससे कभी इंकार भी नहीं करते हैं। राजस्थान की भाजपा में अकेले ओम माथुर हैं जो वसुंधरा के बाद सीएम का पद संभाल लेने की बात करते हैं। जबकि वसुंधरा के सीएम रहते भाजपा का कोई दूसरा नेता सपने में भी सीएम बनने के बारे में नहीं सोच सकता। ओम माथुर भी भले ही मोदी और अमित शाह के करीबी हो, लेकिन राजस्थान में माथुर के समर्थकों को अपनी दुर्गती के बारे में पता है। 24 मार्च को ओम माथुर के स्वागत सत्कार में कितनी गंभीरता थी, इसका अंदाजा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी के बयान से लगाया जा सकता है। चैनलों पर जब ओम माथुर को जब गुजरात का प्रभारी बनए जाने की खबर प्रसारित हो गई, तब परनामी ने मीडिया से कहा। राजस्थान में वसुंधरा राजे को नहीं हटाया जा रहा है,उन्होंने कहा कि यह सिर्फ अफवाह है। सवाल उठता है कि इस अफवाह का खंडन करने में परनामी को इतने दिन क्यों लग गए? अफवाह तो 11 मार्च से ही उड़ रही थी। जाहिर है कि माथुर के मामले में परनामी भी कोई जोखिम नहीं लेना चाहते थे। इसलिए माथुर को गुजरात भेजे जाने के बाद ही परनामी ने वसुंधरा राजे के सीएम बने रहने की बात कही। 
एस.पी.मित्तल) (24-03-17)
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#2376
नव संवत्सर पर होंगे अनेक कार्यक्रम। 26 मार्च को अजमेर के आजाद पार्क में राष्ट्र रक्षा यज्ञ। 
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हिन्दू संस्कृति के अनुरूप मनाए जाने वाले नव संवत्सर के अवसर पर अजमेर में इस बार अनेक कार्यक्रम हो रहे हैं। विचार गोष्ठीयों से लेकर राष्ट्र रक्षा यज्ञ और लोगों का स्वागत सत्कार तक किया जाएगा। नव संवत्सर समारोह समिति के अध्यक्ष सुनील दत्त जैन और प्रवक्ता निरंजन शर्मा ने बताया कि इस बार नव संवत्सर पखवाड़ा मनाया जा रहा है। 21 मार्च से 4 अप्रेल तक विभिन्न शिक्षण संस्थाओं और सामुदायिक संस्थानों पर विचार गोष्ठीयां होगी। इन गोष्ठीयों में भारतीय संस्कृति और देश के वर्तमान हालातों के बारे में विषय विशेषज्ञ जानकारी दे रहे हैं। 26 मार्च को प्रात: 9 बजे सेवा भारती के सहयोग से आजाद पार्क में राष्ट्र रक्षा यज्ञ रखा गया है। विभिन्न सेवा बस्तियों से जुड़े लोग बड़ी संख्या में यज्ञ में आहूति देकर राष्ट्र रक्षा का संकल्प लेंगे। इस अवसर पर एक संगत, एक पंगत के उद्देश्य से सामूहिक भोज भी आयोजित किया गया है। 27 मार्च को सायं 6 बजे से रात 9 बजे तक रीजनल कॉलेज के निकट वाली चौपाटी पर विक्रम मेले का आयोजन किया गया है। नगर निगम की ओर से आयोजित इस मेले में 80 वर्ष से अधिक उम्र वाले वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान किया जाएगा। इसके लिए मोबाइल नंबर 9828171560 पर वरिष्ठ नागरिकों के नाम लिखाए जा सकते हैं। मेले के दौरान ही आनासागर में दीप यज्ञ भी किया जाएगा। इससे पहले सायं 5 बजे विद्यार्थी परिषद, युवा मोर्चा और बजरंग दल के द्वारा आजाद पार्क से एक वाहन रैली नगर के विभिन्न मार्गों से निकाली जाएगी। विक्रम मेले का समापन आतिशबाजी के साथ होगा। इसी दिन शाम को शहर की 68 बस्तियों के मंदिरों में महाआरती, दीप प्रज्ज्वलन, रंगोली और आतिशबाजी के कार्यक्रम होंगे। 
28 मार्च को नव संवत्सर का एक बड़ा कार्यक्रम सर्किट हाऊस के नीचे बनी आनासागर चौपाटी पर होगा। यहां प्रात: साढ़े पांच बजे संस्कार भारती की ओर से शास्त्रीय संगीत और सूर्य दर्शन का कार्यक्रम रखा गया है। इस अवसर पर उपस्थित नागरिक प्रथम सूर्य देवता को जल अर्पित करेंगे। इस दिन शहर भर के चौराहों की सजावट की जाएगी तथा भगवा पताका फहराई जाएगी। चौराहों पर प्रात: 8 से 10 बजे के बीच शहनाई वादन के साथ लोगों का नववर्ष अभिनन्दन किया जाएगा। समिति के कार्यकर्ता तिलक लगाकर मिश्री, काली मिर्च, नीम की कोपल आदि भेंट स्वरूप देंगे। दोपहर 3 बजे से समिति के कार्यकर्ता विभिन्न बाजारों में जाकर दुकानदारों को शुभकामना संदेश देंगे। सायं 6 बजे महावीर सर्किल स्थित बड़े धड़े की नसियां में राजस्थानी संस्कृति के अनुरूप सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा गया है। यह कार्यक्रम सप्तक संस्था के द्वारा किया जाएगा। 29 मार्च को समिति की ओर से चेटीचण्ड के जुलूस का जगह-जगह स्वागत किया जाएगा। इस अवसर पर बाजारों में स्वागत द्वार बनाए जाएंगे। 
(एस.पी.मित्तल) (23-03-17)
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#2382
पीएम मोदी की ओर से भी ख्वाजा साहब की मजार पर पेश होगी चादर।
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24 मार्च की शाम को अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना उर्स का दरगाह में झंडा चढ़ा, लेकिन इससे पहले ही सुबह पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपनी ओर से पवित्र मजार पर चादर पेश करने के लिए सूफी परंपरा के अनुरूप चादर को केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और डॉ. जितेन्द्र सिंह को सौंप दिया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने अपनी ओर से उर्स पर संदेश भी दिया है। उर्स के दौरान पीएम द्वारा चादर पेश किए जाने की पंरपरा रही है। पीएम बनने के बाद मोदी प्रतिवर्ष इस पंरपरा को पूरी शिद्दत के साथ निभा रहे हैं। देश दुनिया में मोदी पहले अतिविशिष्ट व्यक्ति होंगे जिन्होंने वर्ष 2017 के उर्स में सबसे पहले चादर भेजी है। पीएम के निर्देश के अनुरूप अब दोनों केन्द्रीय मंत्री चादर को लेकर अजमेर आएंगे और पीएम की ओर से पवित्र मजार पर पेश करेंगे। अभी यह तय नहीं है कि यह दोनों मंत्री कब अजमेर आएंगे। माना जा रहा है कि चांद दिखने पर 28 मार्च से जब 6 दिवसीयउर्स शुरू होग, तब नकवी और जितेन्द्र सिंह अजमेर आएंगे। 
झंडा चढ़ा: 24 मार्च की शाम को ख्वाजा साहब की दरगाह के बुलंद दरवाजे पर 805वे उर्स का झंडा चढ़ गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में दरगाह के खादिम उपस्थित रहे। झंडे की रस्म के बाद से ही अनौपचारिक रूप से उर्स शुरू हो जाता है। 
(एस.पी.मित्तल) (24-03-17)
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#2382
पीएम मोदी की ओर से भी ख्वाजा साहब की मजार पर पेश होगी चादर।
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24 मार्च की शाम को अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना उर्स का दरगाह में झंडा चढ़ा, लेकिन इससे पहले ही सुबह पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपनी ओर से पवित्र मजार पर चादर पेश करने के लिए सूफी परंपरा के अनुरूप चादर को केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और डॉ. जितेन्द्र सिंह को सौंप दिया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने अपनी ओर से उर्स पर संदेश भी दिया है। उर्स के दौरान पीएम द्वारा चादर पेश किए जाने की पंरपरा रही है। पीएम बनने के बाद मोदी प्रतिवर्ष इस पंरपरा को पूरी शिद्दत के साथ निभा रहे हैं। देश दुनिया में मोदी पहले अतिविशिष्ट व्यक्ति होंगे जिन्होंने वर्ष 2017 के उर्स में सबसे पहले चादर भेजी है। पीएम के निर्देश के अनुरूप अब दोनों केन्द्रीय मंत्री चादर को लेकर अजमेर आएंगे और पीएम की ओर से पवित्र मजार पर पेश करेंगे। अभी यह तय नहीं है कि यह दोनों मंत्री कब अजमेर आएंगे। माना जा रहा है कि चांद दिखने पर 28 मार्च से जब 6 दिवसीयउर्स शुरू होग, तब नकवी और जितेन्द्र सिंह अजमेर आएंगे। 
झंडा चढ़ा: 24 मार्च की शाम को ख्वाजा साहब की दरगाह के बुलंद दरवाजे पर 805वे उर्स का झंडा चढ़ गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में दरगाह के खादिम उपस्थित रहे। झंडे की रस्म के बाद से ही अनौपचारिक रूप से उर्स शुरू हो जाता है। 
(एस.पी.मित्तल) (24-03-17)
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Thursday 23 March 2017

#2377
बीकानेर में सरदार भगत सिंह की प्रतिमा को लेकर हुआ विवाद उचित नहीं।
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23 मार्च को जब पूरा देश सरदार भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव की शहादत को नमन कर रहा था, तब राजस्थान के बीकानेर में भगत सिंह की प्रतिमा को लेकर विवाद हो गया। जिन भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दे दिया, उन्हीं भगत सिंह की प्रतिमा को बीकानेर की पुलिस ने उखाड़ दिया। असल में एस.एफ.आई. के कार्यकर्ता लंबे अर्से से भगत सिंह की प्रतिमा लगाए जाने की मांग कर रहे थे। यह मांग बीकानेर के सांसद और केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल के समक्ष भी रखी गई। लेकिन भगत सिंह की प्रतिमा स्थापित करवाने में किसी ने भी रूचि नहीं दिखाई। इसी से नाराज होकर एस.एफ.आई. के कार्यकताओं ने 23 मार्च को जिला कलेक्ट्रेट के बाहर एक टेन्ट लगाकर सरदार भगत सिंह की प्रतिमा स्थापित कर दी। कार्यकर्ता जब कलेक्ट्रेट के बाहर टेन्ट आदि लगा रहे थे, तब तो बीकानेर की पुलिस कुंभकरण की नींद में थी, लेकिन जब मूर्ति स्थापना के बाद कार्यकर्ताओं ने शहीदे आजम के समर्थन में नारे लगाए तो पुलिस जागी और आनन-फानन में न केवल टेन्ट को उखाड़ फैंका बल्कि भगत सिंह की प्रतिमा को हटा दिया। इतना ही नहीं अनेक कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया। बीकानेर में प्रतिमा को लेकर जो विवाद हुआ, उसे किसी भी प्रकार से उचित नहीं माना जा सकता। अब जब प्रदेश और देश में भाजपा की सरकार है तो कम से कम भगत सिंह की प्रतिमा तो लगनी ही चाहिए। सत्ता में बैठे भाजपा के नेता बार-बार यह दावा करते हैं कि देश को आजादी भगत सिंह जैसे क्रान्तिकारियों की वजह से मिली है। ऐसे में यदि भाजपा के शासन में भगत सिंह की प्रतिमा लगाने के लिए कोई आन्दोलन करना पड़े तो यह सत्तारूढ़ नेताओं के लिए शर्मनाक है। बीकानेर के भाजपा सांसद मेघवाल तो बीकानेर में कलेक्टर भी रह चुके हैं। यदि बीकानेर में भगत सिंह की प्रतिमा नहीं है तो इसकी जवाबदेही मेघवाल की भी है। 
(एस.पी.मित्तल) (23-03-17)
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#2378
आत्मविश्वास से भरे ओम माथुर ने राजस्थान का सीएम बनने से इंकार नहीं किया। होर्डिंग्स की भी वकालत की।
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भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजस्थान की राजनीति में दखल रखने वाले ओम प्रकाश माथुर इन दिनों यूपी की जीत से आत्मविश्वास से भरे हैं। माथुर का एक इंटरव्यू 23 मार्च को प्रकाशित हुआ है। राजस्थान का सीएम बनने के सवाल पर माथुर ने कहा कि पार्टी जो भी निर्देश देगी, उसके अनुरूप काम करूंगा। माथुर ने माना कि वे हर बार उम्मीद पर खरे उतरते हैं इसलिए उनकी चर्चा होती है। भाजपा हाईकमान वसुंधरा राजे को सीएम के पद से हटाए या नहीं, लेकिन माथुर ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है। सब जानते हैं कि माथुर पीएम नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के बेहद करीबी हैं। मोदी के गुजरात का सीएम रहते समय भी माथुर ही प्रभारी थे और अभी हाल ही में यूपी चुनाव की कमान भी माथुर के पास थी। ऐसे में माथुर का सीएम के पद पर दिया गया बयान मायने रखता है। इतना ही नहीं राजस्थान में उनके समर्थन में लगने वाले होर्डिंग्स की भी माथुर ने खुली वकालत की। माथुर ने कहा कि मैंने लंबे समय तक राजस्थान में काम किया है और मैं भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष भी रहा हूं। ऐसे में मेरे समर्थक भाजपा की सफलता पर कोई होर्डिंग्स लगाते हैं तो यह कोई बुरी बात नहीं है। यहां उल्लेखनीय है कि 11 मार्च को यूपी में जीत के बाद राजस्थान के प्रमुख शहरों में मोदी और अमित शाह के साथ ओम माथुर के फोटो वाले होर्डिंग्स लगाए गए। इन होर्डिंग्स पर मुख्यमंत्री राजे का फोटो नहीं होने से चर्चा रही। कहा गया कि ये होर्डिंग्स 11 मार्च की शाम को एक विज्ञापन कम्पनी के माध्यम से लगवाए गए, लेकिन रात 10 बजे तक सभी होर्डिंग्स हटवा दिए गए। इससे प्रतीत होता है कि ओम माथुर के नाम को लेकर राजस्थान की राजनीति में हलचल है। ओम माथुर का ताजा इंटरव्यू भी हलचल उत्पन्न करेगा। 
एस.पी.मित्तल) (23-03-17)
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#2378
आत्मविश्वास से भरे ओम माथुर ने राजस्थान का सीएम बनने से इंकार नहीं किया। होर्डिंग्स की भी वकालत की।
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भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजस्थान की राजनीति में दखल रखने वाले ओम प्रकाश माथुर इन दिनों यूपी की जीत से आत्मविश्वास से भरे हैं। माथुर का एक इंटरव्यू 23 मार्च को प्रकाशित हुआ है। राजस्थान का सीएम बनने के सवाल पर माथुर ने कहा कि पार्टी जो भी निर्देश देगी, उसके अनुरूप काम करूंगा। माथुर ने माना कि वे हर बार उम्मीद पर खरे उतरते हैं इसलिए उनकी चर्चा होती है। भाजपा हाईकमान वसुंधरा राजे को सीएम के पद से हटाए या नहीं, लेकिन माथुर ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है। सब जानते हैं कि माथुर पीएम नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के बेहद करीबी हैं। मोदी के गुजरात का सीएम रहते समय भी माथुर ही प्रभारी थे और अभी हाल ही में यूपी चुनाव की कमान भी माथुर के पास थी। ऐसे में माथुर का सीएम के पद पर दिया गया बयान मायने रखता है। इतना ही नहीं राजस्थान में उनके समर्थन में लगने वाले होर्डिंग्स की भी माथुर ने खुली वकालत की। माथुर ने कहा कि मैंने लंबे समय तक राजस्थान में काम किया है और मैं भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष भी रहा हूं। ऐसे में मेरे समर्थक भाजपा की सफलता पर कोई होर्डिंग्स लगाते हैं तो यह कोई बुरी बात नहीं है। यहां उल्लेखनीय है कि 11 मार्च को यूपी में जीत के बाद राजस्थान के प्रमुख शहरों में मोदी और अमित शाह के साथ ओम माथुर के फोटो वाले होर्डिंग्स लगाए गए। इन होर्डिंग्स पर मुख्यमंत्री राजे का फोटो नहीं होने से चर्चा रही। कहा गया कि ये होर्डिंग्स 11 मार्च की शाम को एक विज्ञापन कम्पनी के माध्यम से लगवाए गए, लेकिन रात 10 बजे तक सभी होर्डिंग्स हटवा दिए गए। इससे प्रतीत होता है कि ओम माथुर के नाम को लेकर राजस्थान की राजनीति में हलचल है। ओम माथुर का ताजा इंटरव्यू भी हलचल उत्पन्न करेगा। 
एस.पी.मित्तल) (23-03-17)
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#2379
ख्वाजा साहब के 805वें सालाना उर्स का झंडा 24 मार्च को चढ़ेगा। 
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सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 805वें सालाना उर्स का झंडा अजमेर स्थित दरगाह के बुलंद दरवाजे पर 24 मार्च का परंपरागत तरीके से चढ़ेगा। हालांकि 6 दिवसीय धार्मिक उर्स चांद दिखने पर 28 मार्च से शुरू होगा, लेकिन झंडे की रस्म के साथ ही अनौपचारिक तौर पर उर्स की शुरूआत हो जाएगी। 24 मार्च को दोपहर 3 बजे दरगाह गेस्ट हाऊस से झंडे का जुलूस शुरू होगा, जो दरगाह के निजाम गेट पर समाप्त होगा। यहां इस झंडे का इस्तकबाल दरगाह के खादिम करेंगे। ढ़ोल-नगाड़े की आवाज के बीच बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ा दिया जाएगा। झंडे की रस्म में कानून व्यवस्था बनी रहे, इसके लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (23-03-17)
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#2380
एडीए अध्यक्ष हेड़ा के दौरे में चौकाने वाले घोटाले सामने आए। अब क्या करेंगे हेड़ा? 
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23 मार्च को अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा ने प्राधिकरण के योजना क्षेत्रों का सघन दौरा किया। हेड़ा ने अपनी आंखों से देखा कि प्राधिकरण के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिली भगत से किस तरह कब्जे और अतिक्रमण हो रखे हैं। जिस भूमि का मुआवजा ले लिया गया, उस पर भी पुराने खातेदारों के नाम पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर रखा है। करोड़ों नहीं, अरबों रुपए की भूमि पर गैरकानूनी तरीके से कब्जे हो रखे हैं। हेड़ा खुद नहीं समझ पाए कि ऐसा कैसे हो रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि हेड़ा ने योजना क्षेत्रों का दौरा कर एक अच्छी पहल की है। अब जब हेड़ा को प्राधिकरण के घोटालों के बारे में पता चल गया है तो उन्हें दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ तो सख्त कार्यवाही करनी ही चाहिए। साथ ही सख्ती से कब्जों को हटाया जाए। सरकारी भूमि पर कब्जा करने वालों के खिलाफ पुलिस में मुकदमा भी दर्ज करवाना चाहिए। यह बेहद ही शर्मनाक बात है कि प्राधिकरण की आवासीय कॉलोनियों के भूखण्डों पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर रखा है। इतना ही नहीं अधिकारियों की मिलीभगत की वजह से भू-माफियाओं ने अदालतों से स्टे भी ले रखे हैं। हेड़ा को चाहिए कि जो मुकदमें अदालत में चल रहे हैं, उनमें भी प्राधिकरण की ओर से ईमानदारी के साथ पैरवी करवाई जाए। 
हेड़ा यदि वाकई प्राधिकरण के हालात सुधारना चाहते हैं तो उन्हें सख्त रवैया अपनाना पड़ेगा। जिन प्रभावशाली लोगों ने प्राधिकरण की आवासीय कॉलोनियों में व्यवसायिक निर्माण कर लिए हैं उनके खिलाफ भी सख्त कार्यवाही करनी होगी। हेड़ा माने या नहीं, लेकिन ऐसे सभी अवैध निर्माणों की जानकारी प्राधिकरण के संबंधित इंजीनियरों की होती है। अच्छा हो हेड़ा वर्तमान इंजीनियरों से सतर्क रहकर निर्णय लें। जिन इंजीनियरों पर आरोप हैं वो ही इंजीनियर इन दिनों हेड़ा के सलाहकार बने हुए हैं। यह माना कि प्राधिकरण में इंजीनियरों की भी कमी है, लेकिन इस चुनौती से निपटने की जिम्मेदारी हेड़ा की ही है। 
एस.पी.मित्तल) (23-03-17)
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#2381
महाराष्ट्र के हड़ताली डॉक्टरों के समर्थन में 24 मार्च को अजमेर के डॉक्टर करेंगे प्रदर्शन।
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महाराष्ट्र के हड़ताली डाक्टरों के प्रति समर्थन जुटाने के लिए 24 मार्च को अजमेर के सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर एकजुट होकर प्रदर्शन करेंगे। डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ. अशोक मित्तल ने बताया कि 24 मार्च को सुबह 10 बजे सभी डॉक्टर्स जेएलएन मेडिकल कॉलेज के बाहर एकत्रित होंगे और प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद जुलूस के रूप में कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिला प्रशासन को एक ज्ञापन देंगे। डॉक्टर मित्तल ने बताया कि महाराष्ट्र में डॉक्टर अपनी सुरक्षा को लेकर हड़ताल कर रहे हैं, लेकिन सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही है। देश भर में डॉक्टरों के प्रति हिंसा देखी जा रही है। इस संबंध में मोबाइल नंबर 9414003621 पर जानकारी ली जा सकती है। 
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Wednesday 22 March 2017

#2373
दरगाह ब्लास्ट के दो आरोपियों को उम्र कैद। इन्द्रेश कुमार, साध्वी प्रज्ञा सिंह और अमित हकला को दोषमुक्त करने पर 28 मार्च को सुनवाई।
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अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में 11 अक्टूबर 2007 को हुए बम ब्लास्ट के मामले में 22 मार्च को जयपुर स्थित एनआईए की अदालत ने आरोपी देवेन्द्र गुप्ता और भावेश पटेल को उम्र कैद की सजा सुनाई है। यह दोनों मरते दम तक अब जेल में ही रहेंगे। लेकिन 22 मार्च की अदालत की कार्यवाही में यह भी निर्णय हुआ कि एनआईए ने अपनी जांच में इन्द्रेश कुमार, साध्वी प्रज्ञा सिंह और अमित हकला को जो दोषमुक्त माना है, उस पर आगामी 28 मार्च को सुनवाई होगी। न्यायाधीश दिनेश गुप्ता ने जांच अधिकारियों से कहा कि यदि दोषमुक्त माना गया है तो अंतिम रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जाए। 
एनआईए हाईकोर्ट में अपील करें-अंजुमन : 
22 मार्च को दरगाह ब्लास्ट पर जो फैसला आया है, उस पर ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान के उपाध्यक्ष एडवोकेट इकबाल चिश्ती और सचिव वाहिद हुसैन ने असंतोष प्रकट किया है। दोनों ने जांच एजेंसी एनआईए से मांग की है कि विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जाए क्योंकि आज के फैसले से न्याय नहीं मिला है। ब्लास्ट के मामले में 13 आरोपियों को नामजद किया था, लेकिन जांच के दौरान खामियां रहने की वजह से स्वामी अमीमानन्द सहित 6 आरोपी बरी हो गए और इन्द्रेश कुमार, साध्वी प्रज्ञा सिंह व अमित हकला को क्लीन चिट दे दी गई। चूंकि यह मामला धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है इसलिए इसे बेहद गंभीर मानते हुए अदालत को फैसला देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यदि एनआईए अपील नहीं करती है तो अंजुमन हाईकोर्ट जाएगी। उन्होंने कहा कि विशेष अदालत में अंजुमन पक्षकार नहीं थी, लेकिन इस मामले में अंजुमन के तत्कालीन सचिव सरवर चिश्ती ने ही एफआईआर दर्ज करवाई थी। 
जांच में खामियां-एनआईए वकील : 
जांच एजेंसी एनआईए के वकील अश्वनी शर्मा ने अपनी प्रतिक्रियां में कहा कि इस मामले में 4 बार चार्जशीट पेश की गई और हर बार नए आरोपियों को शामिल किया गया। 149 गवाहों में से 26 कोर्ट में अपने बयानों से मुकर गए, लेकिन इसके बाद भी मैंने पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ अदालत में केस लड़ा। आज मेरी वजह से ही दो आरोपियों को उम्र कैद की सजा मिली है। उन्होंने माना कि जांच में खामियां रही है। खामियों को विशेष अदालत ने भी उजागर किया है। अब इस मामले में हाईकोर्ट में अपील की जाए या नहीं, यह सरकार का निर्णय है। 
अपील करेंगे - बचाव पक्ष के वकील :
वहीं इस मामले में बचाव पक्ष के वकील जे.एस. राणा का कहना है कि विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जाएगी। उन्होंने कहा कि विशेष अदालत का फैसला पूरी तरह दोषपूर्ण है। अदालत ने अनलॉफुल एक्टीविटिज प्रिवेंशन एक्ट की जिस धारा में उम्र कैद की सजा सुनाई है, उस धारा में दोनों आरोपियों को दोषी नहीं माना गया। फैसलों के बाद सजा के मुद्दे पर हमने अदालत के समक्ष अपना तर्क भी रखा था, लेकिन अदालत ने हमारे तर्कों को नहीं माना। उन्होंने कहा कि विशेष अदालत ने जो सजा सुनाई है, वह हाईकोर्ट में टिक नहीं पाएगी। अदालत ने दोनों आरोपियों को षडय़न्त्र में शामिल होना माना है। इसलिए आरोपियों को एक्ट की धारा 18 में सजा सुनानी चाहिए थी। लेकिन अदालत ने एक्ट की धारा 16 और 120 बी में सजा सुना दी। 
एस.पी.मित्तल) (22-03-17)
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#2374
देवनानी और भदेल के क्षेत्रों का जायजा लेंगे हेड़ा।
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अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा 23 मार्च को शहर के उत्तर और दक्षिण विधानसभा क्षेत्र का जायजा लेंगे। उत्तर क्षेत्र स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी और दक्षिण क्षेत्र महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिता भदेल का निर्वाचन क्षेत्र है। हेड़ा ने कहा है कि वे दोनों विधानसभा क्षेत्रों का एक साथ जायजा लेंगे। प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ उनका दौरा 23 मार्च को प्रात: 10 बजे से शुरू होगा। उन्होंने बताया कि दोनों विधानसभा क्षेत्रों में प्राधिकरण की अनेक योजनाएं हैं। इन योजना क्षेत्रों में खाली भूखण्डों और आवासीय कॉलोनियों में विकास कार्यों का भी जायजा लिया जाएगा। जिन कॉलोनियों में विकास कार्यों की जरूरत होगी, उनके बारे में हाथों-हाथ निर्णय लिए जाएंगे। वे चाहते हैं कि प्राधिकरण के योजना क्षेत्रों में सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो। 
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