Wednesday 8 March 2017

#2327
दरगाह ब्लास्ट में 3 दोषी, असीमानंद सहित 11 आरोपी बरी। कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं दरगाह के खादिम।
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आठ मार्च को जयपुर स्थित एनआईए कोर्ट के न्यायाधीश दिनेश गुप्ता ने अजमेर की दरगाह में हुए ब्लास्ट के मुकदमे का फैसला सुना दिया।  सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में 11 अक्टूबर 2007 को जो विस्फोट हुआ, उसमें न्यायाधीश गुप्ता ने आरोपी देवेन्द्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को दोषी माना है। सजा का निर्णय 16 मार्च को होगा, वहीं सबूतों के अभाव में स्वामी असीमानंद, मेहुल कुमार, भरत भाई, हर्षद, मुकेश भासाली, चन्द्रशेखर लेवे, लोकेश, मोहन लाल, संदीप डांगे, रामचन्द्र तथा सुरेश नायर को बरी कर दिया है। मालूम हो कि ब्लास्ट में तीन जायरीन की मौत हुई थी और 10 से भी अधिक जख्मी हुए। 
खादिम संतुष्ट नहीं :
एनआईए कोर्ट के फैसले से ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिम संतुष्ट नहीं है। खादिमों की संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान के सचिव वाहिद हुसैन अंगारा ने कहा कि जांच एजेंसियों ने अदालत में प्रभावी तरीके से पैरवी नहीं की, जिसकी वजह से 11 आरोपी बरी हो गए। अंगारा ने राज्य सरकार से मांग की है कि अब हाईकोर्ट में अपील दायर कर सभी आरोपियों को सजा दिलवाने का काम किया जाए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार अपील दायर नहीं करती है तो खादिम समुदाय की ओर से मामले को उच्च न्यायालय में ले जाया जाएगा। खादिमों की एक अन्य संस्था अंजुमन शेख जादगान के सचिव नसीम अहमद चिश्ती ने कहा कि दरगाह में ब्लास्ट होना बेहद गंभीर घटना थी। लेकिन कोर्ट के फैसले से निराशा हुई है। 
समीक्षा होगी कोर्ट के फैसले की : 
ख्वाजा साहब की दरगाह के दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन ने कहा कि एनआईए कोर्ट के फैसले की समीक्षा की जाएगी। समीक्षा के बाद दरगाह से जुड़े सभी पक्षों की संयुक्त बैठक कर आगे की कार्यवाही के लिए निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने माना कि जांच एजेंसियों ने गंभीरता के साथ अदालत में पैरवी नहीं की। 
(एस.पी.मित्तल) (08-03-17)
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