Saturday 18 March 2017

#2360
क्या दरगाह ब्लास्ट मामले में अदालत के सामने असमंजस की स्थिति? फिर टला सजा का ऐलान।
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18 मार्च को एक बार फिर अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह के ब्लास्ट के मामले में दोषियों को सजा का ऐलान टल गया है। अब जयपुर स्थित एनआईए  कोर्ट 22 मार्च को समाज सुना सकती है। मामले के फैसले के बाद यह लगातार तीसरा अवसर है, जब दोषियों को सजा नहीं सुनाई जा सकी। अदालत ने दरगाह ब्लास्ट के मामले में देवेन्द्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को दोषी माना है। सुनवाई के दौरान जोशी की मृत्यु हो चुकी है, इसलिए भावेश और देवेन्द्र गुप्ता को ही सजा सुनाई जानी है। फैसले के बाद देवेन्द्र और भावेश के वकील जगदीश राणा ने सजा के प्रावधानों को लेकर जो तर्क प्रस्तुत किए हैं, उसमें कानूनी विवाद उठ खड़ा हुआ है। राणा ने कहा कि अदालत ने देवेन्द्र गुप्ता को विधि विरुद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम की धारा 18 में दोषी माना है। यानि देवेन्द्र की भूमिका विस्फोट में सीधे तौर पर नहीं थी, इसलिए देवेन्द्र को इस अधिनियम की धारा 16 में सजा नहीं सुनाई जा सकती। इस अधिनियम की धाराओं में दंड के अलग-अलग प्रावधान हैं। धरा 16 में मृत्यु दंड और आजीवन कारावास का प्रावधान है तो धारा 18 में 5 वर्ष और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा है। जब कानून की धाराओं में सजा के लिए अलग अलग प्रावधान हैं तो फिर देवेन्द्र गुप्ता को सिर्फ धारा 16 का दोषी मान कर सजा नहीं दी जा सकती है। असल में अदालत के सामने विवाद की यही स्थिति है कि देवेन्द्र को किस धारा के प्रावधानों में सजा सुनाई जाए। चूंकि अदालत के समक्ष बचाव पक्ष ने कानून की उलझन खड़ी कर दी है, इसलिए सजा का ऐलान टल रहा है। यहां यह उल्लेखनीय है कि दूसरे आरोपी भावेश पटेल को पहले ही षडय़ंत्र का आरोप माना गया है। 
एस.पी.मित्तल) (18-03-17)
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