Wednesday 22 March 2017

#2373
दरगाह ब्लास्ट के दो आरोपियों को उम्र कैद। इन्द्रेश कुमार, साध्वी प्रज्ञा सिंह और अमित हकला को दोषमुक्त करने पर 28 मार्च को सुनवाई।
===================== 
अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में 11 अक्टूबर 2007 को हुए बम ब्लास्ट के मामले में 22 मार्च को जयपुर स्थित एनआईए की अदालत ने आरोपी देवेन्द्र गुप्ता और भावेश पटेल को उम्र कैद की सजा सुनाई है। यह दोनों मरते दम तक अब जेल में ही रहेंगे। लेकिन 22 मार्च की अदालत की कार्यवाही में यह भी निर्णय हुआ कि एनआईए ने अपनी जांच में इन्द्रेश कुमार, साध्वी प्रज्ञा सिंह और अमित हकला को जो दोषमुक्त माना है, उस पर आगामी 28 मार्च को सुनवाई होगी। न्यायाधीश दिनेश गुप्ता ने जांच अधिकारियों से कहा कि यदि दोषमुक्त माना गया है तो अंतिम रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जाए। 
एनआईए हाईकोर्ट में अपील करें-अंजुमन : 
22 मार्च को दरगाह ब्लास्ट पर जो फैसला आया है, उस पर ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान के उपाध्यक्ष एडवोकेट इकबाल चिश्ती और सचिव वाहिद हुसैन ने असंतोष प्रकट किया है। दोनों ने जांच एजेंसी एनआईए से मांग की है कि विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जाए क्योंकि आज के फैसले से न्याय नहीं मिला है। ब्लास्ट के मामले में 13 आरोपियों को नामजद किया था, लेकिन जांच के दौरान खामियां रहने की वजह से स्वामी अमीमानन्द सहित 6 आरोपी बरी हो गए और इन्द्रेश कुमार, साध्वी प्रज्ञा सिंह व अमित हकला को क्लीन चिट दे दी गई। चूंकि यह मामला धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है इसलिए इसे बेहद गंभीर मानते हुए अदालत को फैसला देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यदि एनआईए अपील नहीं करती है तो अंजुमन हाईकोर्ट जाएगी। उन्होंने कहा कि विशेष अदालत में अंजुमन पक्षकार नहीं थी, लेकिन इस मामले में अंजुमन के तत्कालीन सचिव सरवर चिश्ती ने ही एफआईआर दर्ज करवाई थी। 
जांच में खामियां-एनआईए वकील : 
जांच एजेंसी एनआईए के वकील अश्वनी शर्मा ने अपनी प्रतिक्रियां में कहा कि इस मामले में 4 बार चार्जशीट पेश की गई और हर बार नए आरोपियों को शामिल किया गया। 149 गवाहों में से 26 कोर्ट में अपने बयानों से मुकर गए, लेकिन इसके बाद भी मैंने पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ अदालत में केस लड़ा। आज मेरी वजह से ही दो आरोपियों को उम्र कैद की सजा मिली है। उन्होंने माना कि जांच में खामियां रही है। खामियों को विशेष अदालत ने भी उजागर किया है। अब इस मामले में हाईकोर्ट में अपील की जाए या नहीं, यह सरकार का निर्णय है। 
अपील करेंगे - बचाव पक्ष के वकील :
वहीं इस मामले में बचाव पक्ष के वकील जे.एस. राणा का कहना है कि विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जाएगी। उन्होंने कहा कि विशेष अदालत का फैसला पूरी तरह दोषपूर्ण है। अदालत ने अनलॉफुल एक्टीविटिज प्रिवेंशन एक्ट की जिस धारा में उम्र कैद की सजा सुनाई है, उस धारा में दोनों आरोपियों को दोषी नहीं माना गया। फैसलों के बाद सजा के मुद्दे पर हमने अदालत के समक्ष अपना तर्क भी रखा था, लेकिन अदालत ने हमारे तर्कों को नहीं माना। उन्होंने कहा कि विशेष अदालत ने जो सजा सुनाई है, वह हाईकोर्ट में टिक नहीं पाएगी। अदालत ने दोनों आरोपियों को षडय़न्त्र में शामिल होना माना है। इसलिए आरोपियों को एक्ट की धारा 18 में सजा सुनानी चाहिए थी। लेकिन अदालत ने एक्ट की धारा 16 और 120 बी में सजा सुना दी। 
एस.पी.मित्तल) (22-03-17)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
================================
M: 07976-58-5247, 09462-20-0121 (सिर्फ वाट्सअप के लिए)

No comments:

Post a Comment