Saturday 25 March 2017

#2383
स्वागत वाले दिन ही ओम माथुर को गुजरात का प्रभारी बनाया। समर्थकों का जोश ठंडा। 
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24 मार्च को भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर जब बहरोड से लेकर जयुपर तक के मार्ग में जगह-जगह अपना स्वागत सत्कार करवा रहे थे कि तभी भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने माथुर को गुजरात का प्रभारी नियुक्त कर दिया। गुजरात में इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में माथुर की नियुक्ति राजनीतिक दृष्टि से महत्त्व रखती है। माथुर को गुजरात का प्रभारी बनाए जाने का राजस्थान की राजनीति पर भी असर है। असल में माथुर के समर्थक उन्हें राजस्थान का सीएम देखनाचाहते हैं। इसलिए भाजपा में जब कभी हलचल होती है तो माथुर को सीएम बनाने की चर्चा हो ही जाती है। इन चर्चाओं को बल इसलिए भी मिलता है कि माथुर पीएम मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेहद करीबी हैं। माथुर यूपी चुनाव के प्रभारी भी थे। यूपी में भाजपा को मिली सफलता के बाद माथुर पहली बार अपने गृह प्रदेश राजस्थान आ रहे थे। अपने समर्थकों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए ही माथुर ने दिल्ली से जयपुर तक का सफर सड़क मार्ग से तय किया। इसमे कोई दो राय नहीं कि समर्थकों में माथुर का स्वागत करने का जबरदस्त उत्साह था, लेकिन माथुर दोपहर को दो बजे जब राजस्थान के बहरोड पर पहुंचे तो टीवी पर खबर प्रसारित हो गई कि माथुर को गुजरात का प्रभारी बना दिया गया है। इससे समर्थकों का जोश ठंडा हो गया। यूपी के चुनाव परिणाम के बाद से ही चर्चा थी कि वसुंधरा राजे को सीएम के पद से हटाया जा रहा है। माथुर के समर्थकों को यह उम्मीद रहती है कि वसुंधरा राजे के बाद ओम माथुर ही सीएम बनेंगे। माथुर इससे कभी इंकार भी नहीं करते हैं। राजस्थान की भाजपा में अकेले ओम माथुर हैं जो वसुंधरा के बाद सीएम का पद संभाल लेने की बात करते हैं। जबकि वसुंधरा के सीएम रहते भाजपा का कोई दूसरा नेता सपने में भी सीएम बनने के बारे में नहीं सोच सकता। ओम माथुर भी भले ही मोदी और अमित शाह के करीबी हो, लेकिन राजस्थान में माथुर के समर्थकों को अपनी दुर्गती के बारे में पता है। 24 मार्च को ओम माथुर के स्वागत सत्कार में कितनी गंभीरता थी, इसका अंदाजा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी के बयान से लगाया जा सकता है। चैनलों पर जब ओम माथुर को जब गुजरात का प्रभारी बनए जाने की खबर प्रसारित हो गई, तब परनामी ने मीडिया से कहा। राजस्थान में वसुंधरा राजे को नहीं हटाया जा रहा है,उन्होंने कहा कि यह सिर्फ अफवाह है। सवाल उठता है कि इस अफवाह का खंडन करने में परनामी को इतने दिन क्यों लग गए? अफवाह तो 11 मार्च से ही उड़ रही थी। जाहिर है कि माथुर के मामले में परनामी भी कोई जोखिम नहीं लेना चाहते थे। इसलिए माथुर को गुजरात भेजे जाने के बाद ही परनामी ने वसुंधरा राजे के सीएम बने रहने की बात कही। 
एस.पी.मित्तल) (24-03-17)
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